October 12, 2024
वर्जिन लड़की की चूत की सील तोड़ी

हेलो दोस्तो, मेरा नाम दिलीप है और मैं दिल्ली का रहने वाला हूं। ये हिंदी सेक्स कहानी मेरी सच्ची कहानी है। ये मेरी पहली कहानी है। ये कहानी मेरी अपने पडोसी अंकल की लड़की के साथ चुदाई की कहानी है। कैसे मैंने उनकी वर्जिन लड़की की चूत की सील तोड़ी और सेक्स के मजे लिए।

उसका नाम सुधा है। ये तब की बात है, जब मैं अपने अंकल के घर पढाई करने गया था। मेरे अंकल के 3 बच्चे हैं, 2 लड़कियां और एक लड़का।

सुधा उनकी सबसे बड़ी लड़की है, वो देखने मुझे अच्छी और सिंपल लड़की थी। वो गर्ल्स कॉलेज में पढ़ती थी, तो उसका कोई बॉयफ्रेंड नहीं था।

मैं अपने अंकल के साथ रहता था। लेकिन तब तक मेरी बहन के लिए ऐसा कोई विचार मेरे मन में नहीं था। पर मैं अपनी आंटी का दीवाना था।

धीरे-धीरे वक्त निकलता रहा, फिर एक दिन मैंने सुधा के पीरियड्स की बात सुनी। ये बात सुन कर मेरे विचार उसको लेकर बदलने लगे।

हम दोनो एक ही कामरे में पढाई करते थे और उस समय हम कमरे का गेट बंद कर देते थे। क्योंकि दूसरे कमरे में अंकल जी टीवी देखते थे।

अंकल की वर्जिन लड़की की चूत की सील तोड़ी

ठंड का मौसम था, तो हम दोनो एक ही कंबल में पैरो को ढकते थे। उसको पढ़ते वक्त नींद आ जाती थी, क्योंकि उसको पढ़ने की आदत नहीं थी। फिर मैं धीरे-धीरे उसके पैरो को टच करता था, जो उसको भी अच्छा लगने लगा।

फिर ऐसे ही करते-करते मैं उसकी जाँघों और पैरो पर हाथ फेरने लगा। कुछ रात बाद, मैं उसकी गांड को टच करने लगा और हाथ अंदर डालने लगा।

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उस समय वो सोने का नाटक करती थी। मैं उसकी गांड के छेद को छूता और वो कुछ नहीं बोलती थी।

एक दिन जब वो कॉलेज से आई तो आते ही वो सो गई। फिर मैंने उसकी गांड पर हाथ फेरा और अंदर उसकी गांड का छेद छुआ।

रात को मेरी हिम्मत और बढ़ गई, तो मैंने उसकी चूत को भी छुआ। इसे वो जाग गई और मैंने एक-दम से हाथ बाहर निकाल लिया।

फिर वो जग कर सोने के लिए दूसरे कमरे में जाने लगी और उसके बाद एक दो रात पढ़ने नहीं आई।

अब वो दूसरे कमरे में ही पढ़ने लग गई थी। एक रात वो फिर मेरे वाले कमरे में पढ़ने आ गई, लेकिन मैंने उसके साथ कुछ नहीं किया।

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ऐसे ही कुछ रात निकल गई, फिर एक रात वो मेरे पैरो को टच करने लगी, लेकिन मैंने कोई रिस्पॉन्स नहीं दिया। तब वो बोली-

सुधा: मेरे पैरो पर अपने पैरो को टच करो ना, मुझे अच्छा लगता है।

उस रात बस ये ही हुआ, अगली रात मैंने उसकी गांड पर ऊपर से हाथ फेरना शुरू किया। फिर धीरे-धीरे मैंने उसकी गांड को अंदर से छुआ, लेकिन वो कुछ नहीं बोली।

मैं दोबारा उसकी चूत को छूने की कोशिश करता हूं, लेकिन कर नहीं पाता। मुझे नहीं पता था, कि वो सोने का नाटक करती थी, या सच में सोती थी।

ठंडी में मेरे छूने से उसका जिस्म गर्म हो जाता था और उसके जिस्म की गर्मी मुझे पागल कर देती थी। मैं उसको अगले ही दिन फिर से छूने लगा।

शाम को हम सब एक बिस्तर पर ही लेते थे और टीवी देख रहे थे। वो मेरी साइड में लेती थी, तो मेरा लंड खड़ा होने लगा।

मेरा लंड उसकी गांड को टच हो रहा था, पर वो कुछ नहीं बोल रही थी। रात को रोज़ की तरह फिर वो और मैं पढ़ने चले गए।

लेकिन आज जो हुआ, मुझ पर विश्वास नहीं हो रहा था। मैंने आज सीधे उसकी गांड में हाथ डाला और थोड़ी देर में उसकी चूत को छूने की कोशिश की।

मैं ये बताना तो भूल ही गया, कि वो दूसरी तरफ को मुंह करके सोती थी और वो अपनी टांगो को ऐसे अटैच करती थी, कि मैं उसकी टांगो को छू ना सकू। लेकिन उस रात उसने धीरे-धीरे अपने टांगो को ढीला छोड़ दिया।

मैं उसकी चूत को हल्का-हल्का सा छूने लगा। फ़िर उसके बाल मुझे महसूस होने लगे। मैं उसकी चूत को अंदर से ही रगड़ने लगा और थोड़ी देर बात वो टॉयलेट का बहाना बना कर चली गई।

ऐसा लग रहा था, जैसा उसका पानी निकलने वाला था। अगले दिन वो और मैं टीवी देखने लगे और मैं उसकी गांड पर अपना लंड टच करने लगा।

फ़िर रात को मैं उसकी चूत को छूने लगा। वो कॉलेज नहीं जा रही थी, लेकिन पहले भी दिन में कुछ नहीं कर पाता था, क्योंकि वो सोती नहीं थी।

एक शाम मेरी उसकी गांड में अपना लंड टच कर रहा था। फिर वो थोड़ी देर में उठी और बाथरूम में चली गई।

मुझे कुछ समझ नहीं आया, फिर वो थोड़ी देर में आई और फिर मेरे पास लेट गई। मैंने महसूस किया, कि उसने पैंटी नहीं पहनी थी।

रात को भी बिल्कुल ऐसा ही हुआ, अगले दिन मैंने भी अपना अंडरवियर उतार दिया था उसने भी पैंटी नहीं पहनी थी। आज वो कुछ इस तरह से लेटी थी, कि मेरा लंड उसकी गांड के साथ उसकी चूत को भी टच हो रहा था।

ये सब कंबल के अंदर होता था, क्योंकि दिसंबर-जनवरी में तो ठंड बहुत रहती है। फिर थोड़ी देर में वो टॉयलेट चली गई। कुछ दिन ऐसे ही निकल गये।

एक दिन वो और उसके दोनों भाई-बहन स्कूल नहीं गए। ये बात तो मैं बताना ही भूल गया, कि मामी एक सरकारी टीचर हैं और अंकल जी किसान हैं।

अंकल हर शहर में किराए पर रहते हैं, क्योंकि अंकल रोज़ गांव जाते हैं और मामी का स्कूल भी गांव के पास ही है।

जो शहर से 7-8 किमी दूर है। मामी और अंकल दोनों शाम को 4-5 बजे आते हैं। इसलिए उस दिन हम चारो ही कमरे में थे और खाना खा कर टीवी देखने लगे।

अब एक ही कंबल में छोटा भाई और उसकी छोटी बहन थी। टीवी की तरफ़ हम लोगो का मुँह था। पहले उसका भाई और फिर उसकी बहन।

दूसरे कंबल में मैं और सुधा थे। मैं सुधा के पीछे लेटा था. थोड़ी देर बाद मैंने हाथ उसकी गांड पर रख दिया और वो कुछ नहीं बोली।

फिर मैं हाथ को धीरे-धीरे फेरने लगा। इसके बीच मेरा लंड खड़ा हो गया और उसकी गांड में अंदर जाने की कोशिश करने लगा।

लेकिन पैंटी की वजह से लंड जा नहीं रहा था। थोड़ी देर बाद वो उठी और अपनी पैंटी निकाल कर लोअर में ही लेट गई।

मैं भी उठ कर गया और अपना अंडरवियर निकाल कर उसके पास आ गया और उसकी गांड में अपना लंड डालने लगा।

अपने हाथ को मैं उसकी कमर पर फेरने लगा और उसके निचले हिस्से को ढीला कर दिया और अपने हाथ उसके निचले हिस्से के अंदर घुमाने लगा।

इधर से मेरा लंड उसकी गांड में ऊपर से ही टच हो रहा था। हम दोनों ये सब कर रहे थे, लेकिन एक दूसरे से खुल नहीं रहे थे।

फिर मैंने अपना लंड लोअर से निकाला और अपने लोअर को थोड़ा नीचा कर दिया और लंड उसकी गांड में घुसाने लगा। मैं हाथ से उसकी चूत को रगड़ रहा था।

मैं धीरे से उसका लोअर निकलने की कोशिश कर रहा था, लेकिन वो निकल नहीं रहा था। फिर वो थोड़ी सी उठी और मैंने उसका हाफ लोअर निकाल दिया और उसकी चूत पर टच करने लगा।

मैंने उसका मुँह अपनी तरफ किया और उसने अपने हाथ से मेरा लंड उसकी चूत में टच कर दिया।

फ़िर मैंने उसको बोला: पढाई के बहाने दूसरे कमरे में चलते हैं।

वो भी मेरी बात मान गयी, फिर मैंने दूसरे कमरे को अंदर से बंद किया और उसके होठों को चूसा। फिर हम दोनों नंगे हो गए।

मैं अपने हाथ से उसकी चूत को सहला रहा था और उसके हाथ मेरे लंड को सहला रहा था। फिर मैंने उसकी चूची को चूसा।

ज़्यादा मोटी नहीं थी उसकी चूची, लेकिन खूबसूरत थी और चूसने के लिए काफ़ी थी।

मैंने उसको लिटाया और उसकी चूत के नीचे अखबार रख दिया और उसकी चूत के ऊपर अपना स्पर्म निकल कर फेला दिया। थोड़ी देर में हम दोनों ने कपड़े पहन लिए और बाहर आ गए।

उसी रात को मैंने बड़ी मुश्किल से उसको पटा कर अपना लंड चुसवाया और पानी उसके मुँह में निकाल दिया। वो कुछ नहीं कर पाई और उसको पानी पीना पड़ा।

फिर मैंने उसको अगले दिन छुट्टी का प्लान बनाने को बोला। मैंने उसको बोला-

मैं: जब तुम सुबह ट्यूशन से आओगी, तो साइकिल चलाते वक्त गिर जाना और बोलना, कि तुमसे सही से चला नहीं जा रहा है। मैं तुम्हे सहारा देकर उठ लूँगा।

मैंने ये प्लान बनाया था, अगर मैं उसको चोदूंगा, तो वो चल नहीं पाएगी और सब शक भी नहीं करेंगे। अगर सब के सामने चोट लगेगी, तो ठुकाई के बाद लंगड़ेपन पर कोई शक नहीं करेगा।

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हमारा प्लान सफल हो गया और वो घर रुक गयी और बिस्तर पर लेट गयी। मैं तो कॉलेज कम ही जाता था, तो कोई पूछता भी नहीं था। आंटी ने जब मुझसे कॉलेज जाने का पूछा, तो मैंने मना कर दिया। वो बोली-

आंटी: सही है, क्या पता सुधा को कुछ काम पड़ जाए।

सब लोग सुबह टाइम से घर से चले गए। उसके दोनो भाई दोपहर को 3 बजे तक आने वाले थे। हम दोनों ने कोई जल्दी-बाजी नहीं दिखाई।

9 बजे तक मैंने अपना काम पूरा किया। फिर मैं दुकान से चॉकलेट और लॉलीपॉप लेकर आ गया। आते ही पहले मैंने गेट बंद किया और फिर अपने कमरे का गेट बंद किया।

फिर मैंने उसको किस करने चालू कर दिया और वो भी साथ देने लगी। मैं और वो पूरे नंगे हो गए।

मैंने उसके बूब्स को चूसना शुरू किया और धीरे-धीरे उसकी चूत को चाटना शुरू किया। फ़िर मैं उसकी चूत पर चॉकलेट लगा कर चाटने लगा।

उसके बाद मैं धीरे-धीरे उसकी चूत में उंगली करने लगा और मैं एक लॉलीपॉप भी उसकी चूत में अंदर बाहर करने लगा।

फिर मैंने उस लॉलीपॉप को चाटा और चूत को भी चाटा। बहुत मजा आ रहा था मुझे, मैंने अपने लंड को उसके मुँह में दिया और उसको चूसवाया।

मैंने लंड पर चॉकलेट लगाई और वो चूसने लगी। काफ़ी देर ऐसा ही करने के बाद, उसकी चूत की सील तोड़ने का टाइम आ चूका था।

इसी बीच में चुदाई करने से पहले मैंने सेक्स टाइम वाली गोली खा ली थी। मैं उठा, और मैंने उसके नीच अखबार और एक बेकार कपड़ा लगा दिया, जिससे उसकी चूत के खून के निशान चादर पर ना लगे।

मैंने उसकी चूत पर तेल लगाया और अपने लंड पर भी लगाया। उसका मुँह में मैंने एक कपड़ा डाल दिया और लंड को अंदर डालने लगा।

पहले धक्के में मेरा टोपा चूत के अंदर चला गया। मैंने एक धक्का और मारा और आधा लंड उसकी चूत में चला गया।

वो अपने मुँह से कपड़ा निकाल कर बोली-

सुधा: निकालो इसको आअहह…

मैंने कहा: निकलता हूं, रुको, तुम जरा टांगे खोलो।

फिर जैसे उसने तांगे खोली, तो मैंने थोड़ा लंड निकाल कर एक और धक्का मारा। मैंने पहले ही उसके मुंह में कपड़ा डाल दिया,।

क्योंकि लंड निकलते समय उसके मुंह से आवाज निकल सकती थी। मैंने देखा, कि अब उसकी चूत में मेरा पूरा लंड था।

आज मैंने पहली बार किसी की वर्जिन लड़की की चूत की सील तोड़ी थी। फिर वो रोने लगी और मैं उसको किस करने लगा।

कुछ मिनट रुकने के बाद मैं नीचे से धक्के मारने लगा और साथ में किस करने लगा। थोड़ी देर में वो भी मेरा साथ देने लगी।

हमने हर पोजीशन ट्राई की और फिर मैंने लंड उसकी चूत से निकाल कर उसके मुँह में झाड़ दिया।

फिर हम दोनो साथ नहाने चल दिए। और हमने एक बार फिर बाथरूम में सेक्स किया। उसके बाद हम दोनों ने कपड़े पहन कर खाना खाया और अलग-अलग रूम में जा कर सो गए। मैंने सोने से पहले मेन गेट खोल दिया।

फिर दोनों भाई-बहन स्कूल से आ गए और उन्होंने मुझे उठाया और सुधा को सोने दिया। शाम को सब आ गये थे, रात को मैंने सुधा से पूछा-

मैं: मजा आया?

तो वो बोली: हा।

मैने मजाक में बोला: और करोगी?

वो बोली: नहीं, फिर कभी।

मैंने कहा: मज़ाक कर रहा हूँ।

और वो सोने चली गई, उस दिन के बाद हम लोगों को जब भी मौका मिलातब तब हमने चुदाई का मजा लिया।, हम सेक्स कर लेते थे। लेकिन जब भी अंकल के घर जाता हूं, सुधा को जरूर चोदता हूं। उसकी चूत का मैं आज भी दीवाना हूँ।

दोस्तों ये थी मेरी सेक्स कहानी जिसमें मैंने अपने अंकल की बेटी के साथ मजे किये और आज भी करता हूँ उसकी चुदाई करने का मजा ही कुछ और है।

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