October 6, 2024
Vidhwa Chachi Ki Mast Jwani

नमस्कार प्यारे साथियो आप सभी का एक बार फिर से हमारी वेबसाइट readxxxstories.com पर दिल से स्वागत है। हमारी वेबसाइट पर आपको हिंदी सेक्स स्टोरीज (Hindi Sex Stories)की बेहतरीन और कामुक कहानिया पढ़ने को मिलेगी। हमारी आज की कहानी का शीर्षक विधवा चाची की मस्त जवानी (Vidhwa Chachi Ki Mast Jwani) है.

हमारी आज की xxx सेक्स कहानी के लेखक विजय है, जिन्होंने ये कहानी आपके मनोरंजन के लिए लिखी है ताकि आप कहानी का पूरा मजा ले सके।

अब आगे की देसी सेक्स कहानी विजय के शब्दों में लिखी गयी है, कहानी का मजा लीजिए।

हेलो दोस्तों मेरा नाम विजय है मैं दिल्ली का रहने वाला हूँ, मैं बहुत दिनों से अपनी और अपनी विधवा चाची की चुदाई की कहानी लिखना चाह रहा था, तो आज मैं आप सभी के साथ अपनी कहानी सांझा कर रहा हूँ।

तो चलिए अब फॅमिली सेक्स स्टोरी को शुरू करते है……..

मेरी चाची का नाम मनोरमा है और उनका सेक्सी फिगर साइज 34-32-36 है। उनकी हाइट 5’3″ इंच है, अगर उनको कोई पुरे कपड़ो में भी देख ले तो उसका खड़ा हो जाता है।

मेरे चाचा की मौत एक रोड एक्सीडेंट में पिछले साल हो गई थी, और उनके 2 बच्चे एक बेटी और एक बेटा है और दोनों अभी छोटे हैं। चाची अभी जवान ही है।

चाचा के चले जाने के बाद चाची की आर्थिक स्तिथि थोड़ी कमजोर हो गयी थी। इसलिए उन्होंने सोचा कि उनकी शहर में जमीन खाली पड़ी है, वहा पर वो मकान बना कर उसे किराए पर लगा देगी।

इसलिए पापा ने मुझे चाची के साथ शहर में उनकी मदद के लिए भेज दिया। साथ में उनका बेटा भी साथ था, पहले तो हम लोगों ने एक कमरा किराए पर लिया था, जिसमें एक बालकनी भी साथ थी।

अब घर का काम शुरू हो चुका था, चाची रोज सुबह बालकनी में ही नहाती थी।
वो सिर्फ बेटीकोट को सीने पर बंद कर नहाती थी, चाची की हाइट ठीक ठाक थी।
इसलिए उनका पेटीकोट पूरी जांघ को ढक नहीं पाता था।

उनके मोटी गोरी जांघो को देख कर मेरा 6.5 इंच का मोटा लंड खड़ा हो जाता था, और जब वो नहाती थी तो उसका पेटीकोट भीग कर पूरे शरीर पर ऐसे चिपकता था जिसे उसने कुछ पहना ही ना हो।

उसके बूब्स मुझे साफ दिखाते थे, अब मुझसे बर्दाश नहीं हो रहा था।
उनके निपल्स एक दम मस्त टाइट हो चुके थे, मेरा मन कर रहा था कि अभी मैं उसे खा जाऊं।

फ़िर मैं नहाने के बहाने बाथरूम में जा कर अपना लंड हिलाता था।
अब तो ऐसा रोज होने लग गया, और उन्हें भी पता था कि मैं उन्हें नहाते हुए रोज देखता हूं।

पर वो मुझे नादान समझ कर कुछ नहीं बोलती थी, दिन-पे-दिन मैं उन्हें नहाते हुए देखकर हिलाने लग गया।
तो एक दिन अचानक चाची बाथरूम में आ गई, और मैं उस दिन पकड़ा गया।

वो कुछ देर तक दरवाजे पर खड़ी मेरे लंड को निहारती रही, जो उन्हें उस समय सलामी दे रहा था।
फ़िर वो मुझे देख कर छी कह कर चली गई।

उसके बाद से मैं उनसे नज़र नहीं पिला पा रहा था।
हम दोनों अब घर वाली साइट पर चले गए और वापीस आ कर रूम पर सो गए।

पर सुबह चाची फिर से वैसे ही नहा रही थी, जैसे कुछ हुआ ही नहीं था।
इस पर मुझे थोड़ी हिम्मत मिली और मैंने उनसे पहले की तरह मिलना शुरू कर दिया।

पर अब उनसे मेरी नजदकिया बढ़ने लग गई, और उन्हें कोई ना कोई बहाने से मैं छूने लग गया।
फिर मैंने प्लान बनाया कि रात को मैं उन पर हाथ फेरूंगा और उनका रिएक्शन नोटिस करूंगा।

फिर रात को खाने के बाद हम लोग सोने की तैयारी करने लग गए, और मेरे तरफ मेरा छोटा चचेरा भाई बीच में मैं और दूसरी तरफ चाची।

चाची हम लोग एक तरफ पैर करके सोते थे, जब हम सो गए तो मैंने धीरे से चाची की साड़ी को ऊपर उठा कर उनकी जांघों तक कर दिया।

मेरा छोटा भाई अभी हमारे बीच में था, इसलिए मुझे थोड़ी सी दिक्कत हो रही थी।
मैंने थोड़ी देर तक चाची की जांघो को सहलाया, पर चाची हिली तक नहीं।

इसे मेरी हिम्मत बढ़ गई और मैंने साड़ी को उनकी कमर तक ऊपर कर दिया।
बालकनी से थोड़ी थोड़ी रोशनी अंदर आ रही थी, तो मैं धीरे से उठ कर चाची की जंघो को निहार रहा था।

साथ ही मेरे हाथ उस पर चल रहे थे, उनकी पैंटी अब मुझे साफ दिख रही थी।
मुझमें अब पैंटी उतारने की हिम्मत नहीं हुई, तो मैं ऊपर से ही उनकी चूत पर हाथ रख कर मजे ले रहा था।

तभी चाची ने अपने पैरो को समेट लिया, शायद अब वो जाग गई थी।
इसलिए मैं थोड़ी देर रुक गया और फिर से उनकी चूत को ऊपर से सहलाने लगा।

चाची भी अभी उठी नहीं थी, मैं अपने एक हाथ से उनकी चूत को सहला रहा था।
दूसरे से मैं अपना लंड हिला रहा था, जो अब पूरा खड़ा हो चुका था। उनकी चूत के बाल को महसूस कर रहा था।

चाची बिच बिच में थोड़े अपने पैर हिला रही थी, और फिर से शांत हो रही थी।
पर मैंने अपना काम चालू रखा और मैं झड़ गया। शायद चाची भी झड़ गई थी, उनकी पैंटी पूरी तरह से भीग गई थी।

अब मैं भी उनकी चूत पर हाथ फेरते हुए सो गया, जब सुबह मैं उठा तो चाची उसी तरह से पेटीकोट में नहा रही थी।
आज उन्होंने पेटीकोट थोड़ा और नीचे करके बांधा हुआ था।

जिनके उनके बूब्स मुझे पूरी तरह से दिख रहे थे, दिन भर काम करने के बाद रात के खाने के बाद हम फिर से सोने की तैयारी करने लग गए।

आज भी हम उसी तरह से लेटे हुए थे, एक तरफ छोटा भाई बीच में दूसरी तरफ चाची। पर इस बार चाची हम लोगों की तरफ मुंह करके सो रही थी।

मतलब आज अगर मैंने अपना हाथ आगे बढ़ाया तो मेरा हाथ सीधा चाची के बूब्स पर जायेगा।
रात में सब के सो जाने के बाद, मैंने अपना हाथ आगे बढ़ाया और चाची के रस से भरे हुए बूब्स पर लगया।

आज चाची ने ब्रा नहीं पहनी थी, उनका ब्लाउज भी काफी पतला था।
मुझे वो नीचे से पूरी तरह से महसूस हो रही थी, मैं मजे से उनके चुचो को दबा रहा था।

चाची आज हिली भी थी, फिर मैंने अपना हाथ धीरे-धीरे नीचे किया और अभी भी चाची शांत लेटी हुई थी।

उनकी सांसे तेज हो रही थी, मैंने उनकी साड़ी को नीचे से धीरे-धीरे ऊपर उठाना शुरू कर दिया और उठा कर कमर तक कर दिया।

फिर मैंने उनकी चूत पर हाथ रखा तो आज नीचे पैंटी भी नहीं थी।
मैंने अपना हाथ सीधे ही उनकी चूत पर रख दिया, और मैंने उन्हें धीरे-धीरे मसलना शुरू कर दिया।

आज मैं उनकी झांटो से खेल रहा था, और चाची की सांसे भी अब बहुत तेज चल रही थी।
मैं कभी उनके चुचो तो कभी उनकी चूत पर हाथ फेर और मसल रहा था।

फिर मैंने एक उंगली चाची की चूत में डाल दी, मेरी उंगली बहुत आसानी से अंदर चली गई।
क्योंकि उनकी चूत पूरी तरह से गीली हो गई थी, मैंने अपनी उंगली को ऊपर उठाना शुरू किया।

अब चाची थोड़ी-थोड़ी आवाजें भी करने लग गई थीं, मुझसे अब बर्दास्त नहीं हो रहा था।
इसलिए मैं उठा और मैंने छोटे भाई को साइड कर दिया।

अब मैंने अपना लंड चाची की चूत पर सेट किया, और एक शॉट मारा पर लंड चाची की चूत के अंदर नहीं गया।
उनकी चूत काफी टाइट थी, और मेरा लंड मोटा था।

ऊपर से चाची ने अपने पैर बंद किये थे, फिर मैंने फिर से ट्राई किया। इस बार भी नहीं गया, फिर चाची ने अपने पैर खोल कर मेरे लंड का स्वागत किया।

अब मैंने लंड अंदर डाल दिया और चाची बहुत जोर से चिल्ला उठी, और अपनी आंखें खोल कर अब वो मेरा साथ देने लग गई। कुछ शॉट में ही मेरा पूरा लंड चाची की चूत से उतर गया।

इससे चाची को काफी दर्द भी हो रहा था, इसलिए मैं रुक गया।
अब मैं उनके ऊपर ही लेटा रहा, फिर मैंने उनके ब्लाउज में से उनके चुचो को आज़ाद किया।

उनके चुचो को मुँह में ले कर चूसने लग गया। मैं जो काफी दिनों से सपना देख रहा था, वो आज पूरा हो रहा था।
मैं उन्हें किस करने लग गया, और धीरे-धीरे अपना लंड चाची की चूत में अंदर बाहर कर रहा हूँ।

चाची भी मुझे चूम रही थी मेरा पूरा साथ दे रही थी, करीब 10-12 मिनट बाद चुदाई के बाद जब मैं झड़ने वाला था तो मैं बोला।

मैं- चाची मेरा निकलने वाला है।

चाची – मेरी चूत में नहीं इसे मेरे मुँह में निकालो।

अब वो मेरा लंड अपने मुँह में ले कर चूसने लग गई, और मेरा सारा रस चाट कर पी गई।
पर मेरा मन अभी भी भरा नहीं था, मेरा मन उनको पूरी नंगी करके चोदने का हो रहा था।

तो मैंने उनकी पूरी साड़ी को खोल दिया, और मैंने उनके ब्लाउज को खोल कर अलग कर दिया।
फिर मैं उन्हें बालकनी में ले गया, वहां की लाइट ऑन थी और रोशनी में बहुत ही कमाल की लग रही थी।

अब मैंने उन्हें डॉगी स्टाइल में किया, और उन्हें मैं चोदने लग गया और उसके बाद मैं उनकी गांड पर थप्पड़ मार मार कर उन्हें चोदने लग गया।

अब मेरा लंड आसानी से अंदर बाहर हो रहा था, और वो आहह आहह कर रही थी।
मुझे इतना ज्यादा मजा कभी नहीं आया था, और मेरी भी अब आह्ह आह कि आवाजें निकलने लग गई।

उस रात मैंने उन्हें 3 बार जम कर चोदा, और मैं ऐसे ही सो गया और चाची सिर्फ पेटीकोट में सो गई।

फिर जब सुबह मैं उठा तो चाची सिर्फ पेटीकोट में नहा रही थी, और छोटा भाई अभी तक सो रहा था। मैं उठा और मैं अपना अंडरवियर खोल कर नंगा चाची के पास चला गया।

वो अभी भी पूरी तरह से भीगी हुई थी, पेटीकोट उनका पूरी तरह से उनके जिस्म से चिपका हुआ था।
मैं पेटीकोट के ऊपर से ही उनके बूब्स को चूस रहा था।

मैं उनके पेटीकोट का पानी पी रहा था, और मेरा एक हाथ उनकी चूत को सहला रहा था।
फिर मैंने अपना मुँह चाची की चूत पर सेट किया और उसे चूसने लग गया।

वो मजा मैं आपको बता नहीं सकता, फिर मैंने अपना लंड बाहर निकाला और चाची के मुँह में मैंने उसे डाल दिया।
वो भी मेरे लंड को बहुत मस्त तरीके से चूस रही थी।

मैं एक बार उनके मुँह में झड़ गया, और उसके बाद मेरा लंड अब फिर से खड़ा हो गया।
फिर मैं वहीं पर चाची से लिपट कर उन्हें चोदने लग गया, चाची अब चिल्ला रही थी।

क्योकी इस बार मैं उन्हें जोर जोर से धक्के लगा कर चोद रहा था।
अब की बार मैं चाची की चूत में ही झड़ गया, फिर हम दोनो एक साथ नहाये।

उसके बाद हम घर वाली साइट पर चले गए, जब हम रात को आते थे तो रोज मैं अब चाची की चूत मारता था।
अब चाची रात को नाइटी पहनने लग गई थी।

जिसके ऊपर से मैं चाची के बूब दबा कर बहुत मजे लेता था।
फिर जब मकान बन गया, तो हम दोनों एक कमरे में रहने लगे और बाकी सब किराए पर दे दिए।

अब मैं जब भी किरया लेने जाता था, तो चाची भी मेरे साथ ही जाती थी।
उस दिन मैं चाची को जम कर चोदता था, और चाची अब मेरी रंडी बन चुकी थी।

दोस्तो आपको मेरी आंटी सेक्स स्टोरी कैसी लगी, प्लीज मुझे कमेंट करके जरूर बताना। धन्यवाद।

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