दोस्तों, मेरा नाम अदिती है और में दिल्ली उनिवेर्सित्य से ग्रेजुएट हूँ। ये कहनी है मेरी जब मैं ट्रैन में एक अनजान लड़के से चुदी। मैं ग्रैजुएशन कर रही थी और तब ट्रैन के सफर में ये यादगार बनी हिंदी चुदाई की कहानी जो आप सबको बता रही हूँ,
मैं हमेशा अपने आप में बंधी के रहती। मुझे हर महीने कोई ना कोई जिंदगी में चुदाई चाहिए है। कई बार किसी से मिल भी जाती तो कई बार ऐसे ही बैठे जाना पड़ता है।
एक बार मैं अपने कुछ काम से ट्रेन का सफर कर रही थी। मेरे साथ एक अनजान लड़का बैठा था। उसे मेरी अच्छी बात हो रही थी।
आप कहानी शुरू करने से पहले मैं आपको बता दू। ये मेरी जिंदगी की एक सच्ची कहानी है, किसी और की नहीं। मेरी तरह ध्यान से सुनना।
उसका नाम राकेश था, वो लड़का ग्रैजुएशन कर रहा था। वो काफी अच्छा देखने में था और काफी खुले किस्म का था। वो कई बार जोक मारते हुए बिना कुछ शर्म किए हुए कुछ भी बोल देता था मैं भी कोई हिचकिचाहट नहीं रखती। कुछ देर बाद हमारी ट्रेनिंग स्टेशन पर रुकी।
उधर हमारे पास बैठे बहुत सारे लोग उतर गए। वो लड़का भी नीचे उतरकर कुछ खाने के लिए गया। वापस आने के बाद उसने मेरे से पूछा आप कुछ खाओगे?
मैं उसकी बात समझ गयी। वो क्या फल खाने का बात कर रहा था। मैंने उससे कहने लगी हाँ बिल्कुल अगर कुछ ताजा अच्छा मिले तो मुझे पसंद है।
वो बोला की तो ठीक है। मेरे पास कुछ फ्रूट्स है जो हैं मैं उसकी तरह आगे न जाकर देखी। अच्छा दिखना उसने फ्रूट्स निकालें और फ्रूट्स दे दी। आप भी ना बस मुझे गलत मत समझो। मैं तो सीधा सादा बालक हूँ ये कहकर वो हंसने लगा।
मैं भी हँस दी उसने जो फल मुझे दिए, मैंने उसे हाथ से लिया और उसके सामने अच्छे से खाने लगी। मेरी इस हरकत से वो भी काफी एक्साइटेड हो गया। फिर वो ज्यादा कुछ नहीं बोला।
मैंने भी अंगड़ाई लेते हुए, उसकी तरफ देखा और हसी। उसमें कुछ समझ लिया और धीरे धीरे बातचीत करना और बढ़ा दी। अगले स्टेशन में से कुछ लोग उतर गए पर इस बार वो नहीं। ट्रेन के आगे की तरफ चार लड़की थी और बीच में हम दोनों ही रह गए थे।
मैं सो गई जब उठी तो देखिये कुर्ती थोड़ा गीला हो गया था। मुझे लगा पसीना सा आ गया। मैं वॉशरूम की तरफ देखी, सुनी तो समझ में आया ये क्या है?
मैं कुछ नहीं बोलीं, मुझे भी अच्छा लग रहा था। मैं बाथरूम का दरवाजा बंद नहीं किया था क्योंकि मैं ऐसे ही बस अपने आप को देखने गयी थी।
बाहर धरेन्द्र था। उसने ये सब देख लिया कि मैं क्या कर रही हूँ, वो उसमें कुछ नहीं कहा। उसके बाद जो हुआ थोड़ी देर बाद में बाहर आई और सीट में आकर बैठ गयी। मैंने देखा धरेन्द्र बैठा है, मैं कुछ नहीं बोली। उसने मुझे कहा वैसे बहुत गर्मी है ना?
मैंने पूछा कैसे? उसने कहा बहुत गर्मी लग रही है उसकी बात से मैं समझ गयी ये कहना क्या चाहता है?
मैं भी जैसे एक्साइटेड होकर बोली की हाँ उसके बाद हम दोनों एक दूसरे की तरफ भी देख रहे थे और तभी दो लड़किया वहाँ से क्रॉस की जो मैंने कहा की बगल में कोच में बैठे थे।
उनके आने से मैं तुरंत ही दूसरी तरफ देखने लगीं और राकेश भी अपने आप को ठीक। लेकिन उसने कहा की अरे क्या बात है? उनकी बातों में मैं समझ गयी की ये लोग कहना क्या चाहते है?
मैं कुछ नहीं बोली, बस मैंने कहा की ठीक है, कोई दिक्कत नहीं है। आपने जो देखा मैं आपको वो सब कुछ बताती हूँ, दोस्त हो उसके बाद उससे मैं बस हम लोग छे लोग थे। नो चार। लड़के राकेश और मैं हमने कोच के सहारे गाड़ी के जीतने भी खिड़की थे।
वो सारे खिड़की बंद कर दी और फिर ऐसे ही थोड़े देर के बाद हम लोग वहाँ पर थे, जैसे की पूरे सफर में हम बस छे लोग थे। इसी तरह काफी देर अच्छा से गुजरा।
रात होने आई थी। मैं काफी थक भी गई थी। वे लोग मुझसे बहुत खुश थी मुझसे जैसे कह रहे हो की तुम तो बहुत अच्छी हो।
मैं भी तुझसे यही चाहती थी। दोस्तों के साथ कुछ देर बिताना फिर क्या ही बात है? मैं अब वहाँ पे T.T आ गया पता ही नहीं चला उसने हम लोगों को इस हालत में देखा और फिर मुझे धमकी देके कहा, ये सब क्या हो रहा है?
मैं बहुत डर गयी। उसने मुझे अपने साथ ले जाने को कहा। सब लड़की कहने लगी, अरे माफ़ कर दीजिये, सब मत ले जाइए, मत ले जाये, लेकिन टीटी मुझे डराते हुए कहने लगा। सब ने रिक्वेट्स की पर नहीं माना।
मेरे से स्टेशन आने पर उसने मुझे अपने ऑफिस ले गया। काफी देर उसने मुझे जेल भेज ने की तमकी दी।
मैं बहुत डर गई थी। क्या सच में वो मुझे जेल ले जाएगा? लेकिन मैं समझ गयी इसकी नीयत भी कुछ ज्यादा सही नहीं है। अंत में उसने बोला आप बचने का एक रास्ता है।
मैंने कहा मुझे बिना कुछ सुने मंजूर है, वो भी हँस दिया और मुझे अपना क्वार्टर पर चलने बोला। अब मैं क्या ही करती मैं उसको क्वार्टर चली गयी । उसके कमरे में जाकर उसने दरवाजा बंद किया। अब मैं कहीं की मैं बहुत थक गयी हूँ,
मुझे मैं भर में आ जाऊंगी, मैंने बहाना बना ली थी। उसने कहा चुप अगर तुम चाहती हो की तुम्हे झेलना हो तो चुपचाप मन से करो मैं जो कह रहा हूँ वो सुन, अब मुझे कोई और रास्ता क्या था तो मुझे उसकी की बात सुननी पड़ी।
खैर, उसके बाद में टीटी के साथ साम तक का वक्त गुजारी, फिर सामने में अपनी शहर तो पहुँच ही गई थी। वहाँ से अपने घर आ गयी। इसके बाद की लाइफ मेरे लिए बिल्कुल बदल गई।
ट्रेन का सफर में जो हुआ मुझे बोहोत मज़ा आया वो टीटी ने मुझे जैसे चोदा मुझे बहुत पसंद आया। काश 1 दिन टीटी मुझे कॉल करके बुलाये। और ट्रैन में चोदे ताकि आपको में ट्रैन में चुदाई की कहानी और सुना सकूँ |
मैं भी टीटी के पास चली गयी। इस तरह ये सिलसिला चलता रहा। मैं कई बार उस टीटी से मिलने उसके क्वार्टर जाती। इसी तरह काफी 1 साल बीत गये।
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