नमस्कार दोस्तों मैं साक्षी आज आप लोगो के साथ एक नई Hindi Gay Sex Story लेकर आयी हूँ। इस कहानी में आप पढ़ेंगे की कैसे इस कहानी के पात्र की उसके कामुक Tharki Nana Ne Gand Ki Chudai Ki।
आगे की कहानी नदीम द्वारा लिखी गयी है, तो कहानी का मजा लीजिए।
हेलो दोस्तो, मेरा नाम नदीम है। मैं पहले आपको थोड़ा अपने बारे में बता दूं। मैं 21 साल का हू और दिल्ली में रहता हूँ। मैं थोडा चब्बी सा हू। मेरी गांड गोल मटोल सी है और जिसे देख कर काफ़ी लड़के फ़िदा हो जाते हैं।
ये कहानी आज से 3 साल पहले की है। मैं तब एक शरीफ सा लड़का था, मुझे किसी चीज़ का कुछ नहीं पता था। मेरी फैमिली 1 महीने के लिए नाना के घर छोड़ने जा रही थी, क्योंकि मेरी गर्मी की छुट्टिया थी।
मैं अपने नाना जी से काफ़ी सालों से नहीं मिला था। जब मेरी फैमिली मुझे उनके घर पर ड्रॉप करने गई तो नाना जी खुशी से पागल हो गए। क्योंकि उन्होंने ने भी मुझे सालो के बाद देखा था।
खैर मुझे मेरी फैमिली नाना जी के घर ड्रॉप करके वापस चली गई। अब मैं और नाना जी घर में अकेले थे। लेकिन उस वक्त थोड़ा मोटा था, मेरे स्तन और गांड लड़कियों के जैसे निकले हुए थे।
मैं शॉर्ट्स में था और नाना जी मुझे घूरे जा रहे थे। उन्होंने मुझे अपनी गोद में बिठाया और हम फिल्म देखने लगे। हमने काफी बातें की, लेकिन वो लगतार मुझे घूरे जा रहे थे और हंसी मज़ाक में मुझे इधर-उधर टच किये जा रहे थे।
रात का वक़्त हुआ और हम दोनो सोने के लिए रूम में चले गये। मैं बिस्तार में लेटा हुआ था और थोड़ी देर बाद नाना जी बाथरूम में से आये। उन्होंने धोती पहनी हुई थी और मैं उनके सीने के बाल देख कर पागल हो गया। वो आये और बोले-
नाना जी: गर्मी काफी हो गई है। तुम अपनी शर्ट उतार दो, मैंने तो उतार दी है।
फ़िर वो मुझे गले लगाकर सोने लगे। मुझे काफ़ी मज़ा आ रहा था उनके सीने के बालो को फील करके। लेकिन उस वक्त मुझे सेक्स वगैरा का कुछ नहीं पता था, तो मैं बस बैठे-बैठे मजा ले रहा था।
रात को लाइट चली गई, जिसकी वजह से पंखा बंद हो गया और गर्मी काफी बढ़ गई। गर्मी की वजह से मैं उठ गया और नाना जी भी उठ गए। अचानक मेरे मुँह पर कोई कपड़ा आया। मैने कपडे को पकड़ कर बोला-
मैं: नाना जी ये क्या है?
नाना जी बोले: गर्मी बहुत है, तो मैंने धोती भी उतार दी है।
मैं हैरान हो गया और उन्होंने कहा-
नाना जी: तुम भी अपने कपड़े उतार दो, गर्मी काफी ज़्यादा है और शर्माओ मत, हम दोनों लड़के हैं। वैसे भी अँधेरा है, तो कुछ भी दिखेगा नहीं।
फिर मैंने भी अपनी चड्ढी उतार दी और पूरा नंगा हो गया। सुबह जब मैं उठा, तो मैंने देखा, कि नाना जी ने धोती पहनी थी और वो मुझे घूर रहे थे। फिर मैंने शर्माते हुए बोला-
मैं: नाना जी मुझे नंगे को मत देखो, मुझे शर्म आती है।
नाना जी: अरे शर्माना किस बात का है, मैं नाना हूं तुम्हारा। लो मुझे भी नंगा देख लो।
और ये कहते हुए उन्होंने अपनी धोती की तरफ इशारा किया। फ़िर उन्होंने कहा-
नाना जी: चलो धोती खोलो और देख लो।
फ़िर मैं शर्माते हुए आगे बढ़ा और उनकी धोती खोल दी। धोती खुलते ही उनका गहरे भूरे रंग का लंड, जो अभी सोया हुआ था और 4 इंच का था, मेरे सामने आ गया। फिर नाना जी ने कहा-
नाना जी: हम घर पर हैं तो एक काम करते हैं, हम दोनों कपड़े नहीं पहनते हैं।
ऐसे ही कुछ दिन गुजर गये, हम घर पर नंगे होते थे और सिर्फ बाहर जाने के लिए कपड़े पहनते थे। मैं अभी भी उनके गोद में बैठकर कार्टून देखा करता था। हमने डील की थी, किसी को नहीं बताएंगे। नाना जी मस्ती में मेरी मोटी गांड (Moti Gand) और स्तन पर हाथ लगाते और बोलते-
नाना जी: ये तो बिलकुल लड़कियो जैसे है।
मैं उनकी बातों को मज़ाक समझ कर टाल देता था। मैंने नोटिस किया, कि उनके गोद में जब मैं बैठा था, तो उनका लंड सख्त हो जाता था। खैर ऐसे ही 1 हफ्ता गुजर गया। अब मुझे काफी दिलचस्पी थी उनके लंड में। मैंने एक दिन उनसे पूछा-
मैं: नाना जी आपका लंड इतना सख्त क्यों है?
इस बात पर उनका जवाब था: तुम्हारी वजह से सख्त है।
मुझे उस वक्त उनकी बात समझ नहीं आई, रात सोते हुए मैंने उनसे मतलब पूछा, तो वो बोले-
नाना जी: तुझे नंगा देख कर ऐसा हो जाता है।
मैं तब भी नहीं समझा, लेकिन मैंने सवाल किया-
मैं: अब आपका लंड वापस से मुलायम कैसा होगा?
नाना ने बोला: तुम चाहो तो मदद कर सकते हो, लेकिन करोगे नहीं।
मैने बोला: कैसे?
उन्होंने बोला: हाथ में पकड़ो इसको और हिलाओ।
मैंने अजीब सी शक्ल बनाई और फिर उन्होंने मेरा हाथ पकड़ के अपने लंड पर रख दिया और हिलाने लगे। मैंने लंड हिलाना जारी रखा, फ़िर वो बोले-
नाना जी: किस करो मुझे।
मैंने उनके गाल पर किस कर दिया लेकिन वो चाहते थे, कि मैं उनके होठों पर किस करूँ। मैने बोला-
मैं: कैसे?
उन्होंने बोला: ट्राई करो, मजा आएगा तुम्हें।
मैंने उनके होठों पर किस कर दी। फिर वो भी मुझे किस करने लगे और मैं उनका लंड हिलाने लगा। कुछ मिनट बाद उनके लंड से पूरा माल छूट कर निकला और उनका लंड नरम हो गया। लेकिन ये सिलसिला रोज़ का शुरू हो गया।
पहले हम सिर्फ रात को सब करते थे। लेकिन अब हम जब दिल चाहे ये सब करते थे। एक दिन उन्होंने मुझे बोला-
नाना जी: हम दोनों कुछ नया करते हैं।
ये कहके उन्होंने मुझे अपना लंड चुसने को बोला। मैंने उनको मना किया और बोला-
मैं: ये मैं नहीं कर सकता, ये गंदा है।
मैंने और भी बहाने बनाए, लेकिन नाना जी नहीं माने और मुझे ट्राई करने को बोलने लगे। मैं उनकी बातों से काफी कन्विंस हो गया था, इसलिए उनके लंड की चुसाई (Land Ki Chusai) के लिए तैयार हो गया। फिर मैंने 5 मिनट तक उनका लंड चूसा और वो मेरे मुँह में ही झड़ गए।
उनका लंड तब तक मेरे मुँह से नहीं निकला, जब तक मैंने उनके लंड से पानी नहीं निकाला। फिर रोजाना मैंने उनका लंड चुसना शुरू कर दिया। अब उन्हें भी मेरी गांड चटनी शुरू कर दी, जिसे मुझे भी मजा आने लगा था।
एक दिन वो तेल लेके आए और अपनी उंगली पे लगाया। फ़िर उन्होंने तेल लगी हुई उंगली मेरी गांड में घुसा दी और अंदर-बाहर करने लगे। मुझे काफ़ी दर्द हुआ, लेकिन थोड़ी देर उंगली अंदर-बाहर करने के बाद, मुझे मज़ा आने लगा।
फिर ऐसे ही मैं उनका लंड चूसता रहता हूं और वो मेरी गांड में उंगली करते रहते हैं।
उनकी उंगली डालने से मेरा लंड भी खड़ा होने लगा और उसमें से भी माल निकल जाता था। एक दिन रात को लंड चुसाई के दौरान उन्होंने मुझे रोका और उल्टा लेटा दिया। फिर उन्हें मेरी गांड चाटी और गांड के छेद पर लंड सेट कर दिया।
मैं सोच में था, कि इतना बड़ा लंड मेरी गांड के छोटे से छेद के अंदर कैसे जाएगा। लेकिन उन्होंने बोला-
नाना जी: जैसा पहले थोड़ा दर्द हुआ था, वैसा ही थोड़ा दर्द होगा। फिर मजा ही मजा आएगा,
फिर आहिस्ता-आहिस्ता उन्होंने अपना लंड घुसाना शुरू कर दिया और उनका टोपा अंदर चला गया। जैसा ही उनका टोपा मेरी गांड में गया, मैं चिल्ला उठा दर्द से। लेकिन उन्होंने मेरी ज़बरदस्ती चुदाई करनी शुरू कर दिए।
मैं दर्द से बेहोश हो गया था। रात को देर से मेरी आँख खुली, तो उनका लंड मेरी गांड में ही था अभी तक और तीसरा राउंड चल रहा था। अब तक मेरी गांड का छेद सुन्न हो चुका था, तो दर्द नहीं हो रहा था।
अब मुझे हर झटके में गांड चुदाई (Gand Ki Chudai) का मजा आ रहा था। वो मुझे चोदे जा रहे थे और मैं 2 बार झड़ चूका था। फ़िर वो मेरी गांड में अपने लंड का पानी भर दिए।
मैं बाथरूम तक भी नहीं चल पा रहा था और माल मेरी गांड के छेद से बह रहा था। खैर वो रात मुश्किल से गुज़री। अगले दिन सुबह आँख खुली, तो वो मुझे चोद रहे थे।
फ़िर वो मुझे रोजाना 4-5 बार चोदते थे। मुझे भी काफी मजा आता था, मैं अपने नाना की रंडी बन चुका था। मुझसे अब गांड चुड़वाये बिना रहा नहीं जाता था। फिर वो अचानक बीमार हो गए और हम चुदाई का खेल नहीं खेल पा रहे थे। मैंने उनको बोला-
मैं: नाना जी मुझसे रहा नहीं जा रहा।
फिर उन्होंने बोला: रुक, मैं तेरा बंदोबस्त करता हूं, लेकिन तुम झेल नहीं पाओगे।
मैं इतना हताश था, मैंने बोला-
मैं: मैं कर लूंगा।
फिर उन्होंने कॉल लगाई, अपने एक पुराने दोस्त को और वो कुछ देर में ही आ गया। पहले वो नाना से मिला और उनका हाल-चाल पूछा।
मुझे उन्होंने दूसरे कमरे में इंतज़ार करने के लिए बोला। उनका दोस्त 15 मिनट बाद मेरे कमरे में आया।
रूम में आके, उसने मुझसे बात की। फिर उन्हें मुझसे पूछा-
नाना का दोस्त: सेक्स का शौक है?
मैने शर्माते हुए हा में सर हिलाया, बस ये सुनते ही उसने उठा कर मुझे नंगा किया और बिस्तर पर फेंक दिया। फिर उसने अपने कपड़े उतारे। मैं उनका लंड देख कर हैरान रह गया।
उनका लंड नाना के लंड से भी बड़ा और मोटा भी था। खैर वो मुझे बालो से पकड़ कर किस करने लगे।
फ़िर मुँह पकड़ कर लंड घुसा दिया और मेरा मुँह चोदने लगे। मैं सांस नहीं ले पा रहा था, लेकिन इतना मजा आ रहा था, कि मेरी मूत निकल गई।
फिर उसने लंड मुँह से निकाला और गांड पे सेट किया। मैंने आराम से करने को बोला, तो उसने गालियां दी मुझे और बोला-
नाना का दोस्त: चुप कर रंडी, बहुत महीनो के बाद किसी को चोद रहा हूँ। आज तेरी गांड फाड़ दूंगा।
और ये बोलते ही एक ज़ोर के झटके में उसका आधा लंड मेरी गांड में घुस गया। लंड गांड में जाते ही मैं चिल्ला उठा।
दूसरे कमरे से मेरी आवाज सुनके नाना उठ कर आ गए। फिर दूसरे झटके में पूरा लंड गांड के अंदर चला गया।
मेरे आंसू निकल आये, लेकिन वो रुके नहीं और चोदते रहा। 10 मिनट बाद, मुझे भी मजा आने लगा और अब मैं उनके लोडे पर उछल रहा था।
ये देख कर नाना का भी लंड खड़ा हो गया और वो पास आके लंड मेरे मुँह में डाल दिया।
उन दोनों ने घंटो तक मुझे चोदा। एक मुँह में झड़ गया और दूसरा मेरी गांड में झड़ गया। खैर उसके बाद, नाना ठीक हो गए और उन्होंने फिर से मुझे चोदना शुरू कर दिया।
लेकिन अब हर 2-3 दिन बाद, उनका दोस्त भी आके मजे लेके जाता था।
मैंने वो 2 महीने बस एक चुड़क्कड़ रंडी की तरह गुजारे। छुट्टियाँ ख़तम होने के बाद भी मुझसे रहा नहीं गया और मैंने कुछ दिनों के बाद नाना के घर का चक्कर लगाना शुरू कर दिया।
वो भी अपने दोस्त को बुला लेते और वो दोनो मिलके मुझे चोदते। एक साल बाद मैंने नए कॉलेज में एडमिशन लिया।
जो उनके घर के बिल्कुल करीब था और इसी बहाने मुझे उनके साथ रहने का मौका मिल गया।
मैने अपनी गांड की बहुत चुदाई करवाई, और नाना और मैंने गांड की चुदाई का खेल पुरे मजे से खेला।
तो दोस्तों कैसी लगी मेरी और मेरे नाना की गांड चुदाई की कहानी, मुझे कमेंट बॉक्स में जरूर बताए। धन्यवाद।