November 21, 2024
Tadapti Chut Ki Chudai

नमस्कार दोस्तों, मैं साक्षी आप सभी के लिए हिंदी सेक्स स्टोरी (Hindi Sex Story) लेकर आई हूँ, आज की कहानी का शीर्षक है मालिक का मोटा लंड और मेरी तड़पती चूत की चुदाई (Tadapti Chut Ki Chudai)।

तो चलिए xxx कहानी शुरू करते है जो आपको मीना बताएंगी……….

दोस्तों मेरा नाम मीना है मैं दिल्ली के साउथ डिस्ट्रिक्ट में ही ज्यादातर काम करती हूँ, यहां साउथ दिल्ली में मुझे एक कोठी में काम करते हुए करीब 6 महीने हो गए हैं।

कोठी के मालिक का नाम विनय है, विनय साहब की पत्नी नहीं थी, उनकी काफी सालो पहले ही मौत हो गई थी।

सभी उनको विनय साहब कह कर बुलाते थे। उनकी दो लड़कियाँ थी, जो दिल्ली यूनिवर्सिटी में पढ़ती थी, घर पर वो अकेली ही रहती थी।

विनय की उमर 46 साल थी, वो अक्सर मुझे घूरते रहे थे। मैने उनकी तरफ ज्यादा ध्यान कभी नहीं दिया था। मेरे पति मजदुरी के काम से आस पास के शहर में चले जाया करते थे।

उस समय मैं घर पर अकेली ही रहती थी। इससे मेरी चुदाई की प्यास और ज्यादा बढ़ जाती थी। जवानी का आलम मुझ पर भी चढ़ा हुआ था। जब डाली फालो से लद जाती है, तो वो अपने आप झुक जाती है।

मेरे भी अंग – अंग में से जवानी झटकती थी, मेरे फल भी लद कर झूल रहे थे। मन तो करता था कि इन फलो का रस कोई चूस ले, कोई मेरे फलो को खींचे और मसले और इन्हें बस मरोड़ डाले।

मेरे चूतड़ों की गोलाई मस्त लचकदार थी, मेरे दोनो चूतड़ चिकने और अलग अलग खिले हुए थे। दरार तो मानो दूसरे के लंड को अंदर समाने के लिए आमंत्रित करती थी। मेरे मन की बेचैनी बहुत बढ़ चुकी थी।

चूत की प्यास के चक्कर में मेरी नज़र कभी कभी उनके पजामे पर चली जाती थी। उनके झूलते हुए लंड को मैं उनके पजामे के ऊपर से ही मेहसूस कर लेती थी।

जब विनय मूड में होता था, तो वो सोफे पर बैठकर न्यूज पेपर पढ़ने का बहाना करता था।

और पजामे में से अपने खड़े लंड को मुझे दिखाने की कोशिश करते थे। उनके अंडरवियर में उनके लंड का पानी भरा हुआ था, वो मुझे ही धोने को कहते थे।

उसकी इस हरकत पर मुझे हंसी आती थी, क्योंकि मैं उनके डोरे-डालने के सारे तरीके पहले से जानती थी।

मेरे मन में भी कसक उठती थी, कि इस 46 साल के जवान को पकड़ लूं और इसकी ढलती जवानी को अपना रस पिला दूं।

मुझे जब वो अपनी हरकतों से मुस्कुराता हुआ देखता था, तो उनकी हिम्मत बढ़ जाती थी।

पर एक दिन ऐसा समय आ गया जिस दिन वो मेरे चक्कर में आ गया। आख़िर आता भी क्यों ना, आग दोनो तरफ बराबर जो लगी हुई थी।

उनका लंड मुझे चोदने के लिए बेताब हो रहा था, और मेरी चूत उसे देख कर पानी छोड़ रही थी।

उस दिन मुझे ये भी पता चला कि काम करने के समय वो मेरे चुचो को मेरे ब्लाउज में से देख रहा है।

मेरा ध्यान जैसे ही अपने ब्लाउज की तरफ गया तो मैं शर्मा गई। मेरे बैठ कर काम करने की वजह से मेरे चूतड़ों की गोलाई एक दम साफ दिखाई देती थी।

जिसे वो बहुत शॉक से देखते थे। मैं अब उनकी बेचनी को समझने लग गई थी, कि बिना औरत के मर्द की इच्छा कितनी बढ़ जाती है।

मुझे उन पर अब दया आने लग गई थी, कभी-कभी उनकी ये हालत देख कर मेरी चूत भी गरम हो जाती थी।

जो मेरी पैंटी को गिला कर देती थी, मैं उन पर दया करती थी उन्हें रोज अपने चुचे दिखाती थी।

मेरी इसी दया ने मुझे उससे चुदवाया था। एक दिन उनका खड़ा लंड उनके हाथ में था, ये देखते ही मेरी चूत एक दम फड़क उठी।

मेरी चुदाई की वासना भी अब जाग उठी, मेरी इच्छा हुई कि मैं उनका लंड पकड़ कर मसल दूं। और अपनी चूत का दर्शन करा सकू।

मैं- अरे बाबू जी जरा नीचे भी देखो।

विनय कुछ और समझे और अपने लंड से हाथ हटा कर बोले – क्या हुआ?

मैं उनकी हड़बड़ाहट पर हंसते हुए बोली – वो सोफे के नीचे सफाई करनी है।

विनय – ओह मैं कुछ और समझता हूँ।

मैं – मैं बताऊं आप समझे की निचे जो पकड़ा है।

ये कह कर मैं मुंह बंद करके हंसने लग गई। तो वो बोले – चल हट मैं अकेला हूं तो तुम मजाक करती है मेरे साथ।

मैं उनके लंड को देखती हुई बोली – अरे आप अपने आप को अकेला मत समझिए, मैं हूं ना।

उन्होंने मेरा हाथ पकड़ लिया और बोले – सच मीना?

मेरे जिस्म में एक करंट सा दौड़ गया, उनका उतावलापन अब भड़क उठा था। और मैं बोली- अरे साहब मेरा हाथ छोड़ दो।

पर मैंने अपना हाथ नहीं छुड़ाया और वो अब आगे बढ़ गए। उन्होंने मुझे अपनी तरफ खींचा, उनके जिस्म में बहुत ताकत थी।

फिर मैंने उनकी आँखों में देखा तो मुझे उनकी आँखों में, वासना और प्यार, की भावना साफ दिख रही थी।

विनय – देख मीना तू भी जवान है और मैं भी, देख तू मुझे खुश कर दे मैं तुझे पैसे दे दूंगा।

मुझे अब पैसा में लालच आ गया था, इसलिए मेरे अंदर उनसे चुदने की इच्छा जाग उठी।

मैं अब दबी हुई आवाज में बोली- साहब मैं पुरे 2000 रुपये की लुंगी, उसके बाद आप जो मर्जी कर लेना।

ये सुनते ही उन्होंने मुझे अपने सीने से लगा लिया, और उनका लंड मेरी चूत में रगड़ने लग गया।

मैं – साहब अभी नहीं मेरी मानो मैं रात को आ जाऊंगी, दिन में मुझे शर्म आती है।

विनय – दिन में यहाँ कौन है?

मैंने उनके जिस्म को सहलाया, और विनय ने मेरे बूब्स पर हाथ रख कर उन्हें सहलाना शुरू कर दिया।

इससे मेरे जिस्म में करंट दौड़ने लग गया। मैंने ये कभी नहीं सोचा था, कि बात सीधी चुदाई तक आ जायेगी।

पर उसका काफी दिनों से प्यासा लंड अब उछाल मर रहा था, उसकी ऐसी हालत देख कर मुझे उस पर दया आ गई।

मैंने धीरे से उनका लंड थाम लिया, अब उनका लंड फनफना उठा और जोर मारने लग गया।

मेरी चूत भी चुदने के लिए अब पागल हो रही थी और मैं बोली – बाबू जी ये तो बहुत मोटा है, मुझे डर लग रहा है।

उनका लंड सच में काफी मोटा था, फिर उन्होंने मुझे गले से लगाया और वो बोले – मीना आज तुझे बहुत जा आएगा।

विनय ने मुझे कस कर गले लगा लिया था, मेरी कमर पर उनके हाथ चल रहे थे। अब मेरे जिस्म में भी वासना की आग जल उठी थी।

मैं धीरे-धीरे रंग में आने लग गई, और अब मैं अपनी औकात पर आ गयी और मैं बोली।

मैं- बाबू जी आपका लंड तो बहुत मस्त है, अब तो आप मुझे चोद ही दो।

मेरी ये बात सुन कर विनय के जिस्म में करंट चलने लग गया, और वो जोश से भर उठे।

फिर उन्होंने मेरे ब्लाउज के बटन खोल दिए, और मेरी ब्रा के हुक भी खोल दिए।

कुछ ही देर में मेरा जिस्म ऊपर से पूरा नंगा हो गया। मेरे तने हुए सुंदर गोरे बूब्स उनके सामने आ गए।

अब मुझे उनके कपड़े अच्छे नहीं लग रहे थे, इसलिए मैं बोली।

मैं- अपने कपड़े भी उतारो ना, या आपको शर्म आ रही है?

विनय – ले मैंने अपना अंडरवियर और बनियान उतार दिया, पर तेरा ये पेटीकोट?

उनको मुझे नंगी होने के लिए कह दिया था तो मैं बोली – नहीं बाबू जी ऐसे तो मेरी चूत आपको दिख जाएगी।

वैसे अंदर से मैं भी नंगी होने को उतावली हो रही थी और वो बोले – साली क्या चूत, तू तो बहुत बेशर्म है।

फिर मैंने अपना पेटीकोट उतार दिया, और मैंने अपनी चूत विनय के सामने नंगी कर दी। वो मेरी चूत को देखते ही रह गए, और मैं बोली।

मैं – लो कर लो मेरी चूत के दर्शन, और आपके मोटे लम्बे लंड को मेरी चूत पसंद आयी? अब मुझे और मेरी चूत को भी अपने लंड के दर्शन करवा दो।

मेरी ये बात सुन कर विनय को हंसी आ गई, उसने अपनी पैंट और अंडरवियर उतार दिया।

सच में उनका लंड बहुत ही मोटा और लंबा था, हम दोनों अब पूरे नंगे ही थे और आपस में लिपटने की कोशिश कर रहे थे।

उनका लंड मेरी चूत के मुँह पर फ़िसल रहा था। मैं भी अपनी चूत को लंड के निशाने पर ले रही थी, कि छेद पर आते ही मैं इसे अंदर ले लूं।

विनय मेरी कमर पर हाथ डाल कर मुझे किस करने लग गए। तभी उनका लंड मेरे छेद से टकरा गया, और मेरी चूत अपने आप खुल गयी।

दोनो ही अपने अपने निशाने पर थे, मैंने चूत पर थोड़ा सा जोर लगाया और लंड मेरी चूत के अंदर चला गया।

मैं- आहह आहह बाबू जी आपने अंदर और अंदर डाल दिया, मैं तो मर गयी आहह।

बाबू- चल आजा बेड पर चुदाई का खेल खेलते है।

मैं अपनी चूत हिलाते हुए लंड को अंदर बाहर करने लग गई और मैं बोली – बाबू जी और अंदर डालो ना मेरी चूत का भोसड़ा बना दो।

विनय ने तभी पास के बिस्तर पर मुझे लेटा दिया, और मुझे अपने निचे दबा लिया और वो बोले।

विनय – तू तो एक दम नई लगती है, तेरी चूत तो एकदम टाइट है।

मैं- फिर चोदो ना मेरी चूत को, ये तो आपके लंड की भूखी है आह और जोर से चोदो बाबू जी।

मैं उनके मोटे लंड को पा कर निहाल हो चुकी थी, मेरी चूत की दिवारो से लगता हुआ लंड अंदर तक जा रहा था।

मेरी चूत से उनका मोटा लंड बरदास नहीं हो रही थी, लेकिन मुझे चुदाई करवाने का मजा भी आ रहा था।

विनय मस्ती में अपना लंड अंदर बाहर कर रहा था, और मैं बोली – आपका लंड बहुत मोटा है, प्लीज अंदर आराम से करो।

मेरी ये बात सुन कर वो जोश में आ गए, और मुझे दबा कर अपना लंड पूरा जोर से अंदर डाल दिया। मैं दर्द से चिल्ला उठी, तो उन्होंने एक और धक्का मार दिया।

मैं पहले चिल्लाती रही, पर अब मुझे धीरे-धीरे मजा आ रहा था। फिर मैं सीधी लेट गई और अपनी सांसे ठीक करने लग गई, अब मैंने धीरे-धीरे अपनी कमर हिलाकर उसका साथ देना शुरू कर दिया।

अब मुझे भी मजा आने लग गया था, उनके मोटे लंड ने मेरी टाइट चूत को खोल दिया था। अब मैं भी उनसे चिपकने लग गई थी, मुझे अब बहुत मजा आने लग गया था।

मेरी चूत के अंदर का पानी लंड के लिए एक मस्त चिकना रास्ता बना रहा था। मैं- मारो मेरी चूत और फाड दो आज इसे पूरी।

मैं ये कहते हुए सिसकियां ले रही थी, मैं चुदाई में मदहोश हो रही थी। ऐसा मस्त और मोटा लंड जब जम कर चूत चोदे, तो समझ जाओ ये लंड आपको जन्नत की तरह जरूर करवा देगा।

मुझे उनका लंड पूरा मजा दे रहा था, पर हाय मेरी चूत भी आख़िर कब तक इस मोटे लंड को सहन कर पाती। मेरी तो जान ही निकली जा रही थी, इसलिए मैं बोली।

मैं- आह्ह आह्ह माँ मैं तो मर गयी मेरा रस निकलने वाला है। बस करो बाबू जी मेरी चूत का पानी निकल गया है, अब आप भी अपना निकालो ना।

विनय – ये ले मैं भी अब और कितनी देर टिकता ये ले मेरी मीना रानी अपना मुँह खोल और मेरे लंड का सारा पानी चूस ले।

उनके लंड का पानी काफी सारा था, मैंने उनके लंड के पानी को अपने हाथों से अपने पुरे चेहरे पर मल लिया।

विनय – अब ये ले मीना पुरे 3000 रुपए, 2000 रुपए तेरी चूत चुदाई के। और 1000 रुपये जो मैंने तुझे दर्द दिया उसके।

मैं तो उनकी तरफ देखती ही रह गई, क्योंकि मुझे 2000 की जगह 3000 रुपए मिल गए।

फिर राज ने मुझे किस किया और मैं शर्मा कर मुड़ गयी।

मैं – बाबू जी शाम को फिर से आपको खुश करने आउंगी, और इस बार कोई पैसा भी नहीं लूंगी।

इस तरह जब भी हमे चुदाई करने का मौका मिलता हम जी भर के घरवालों से बच के चुदाई करते और मजा लेते।

इससे मुझे थोड़े अच्छे खासे पैसे अलग से मिल जाते थे।

इसके बाद मैंने बाहर से दुसरो से भी अपनी चूत और गांड की चुदाई करवानी शुरू कर दी और पैसे कमाने लगी।

तो दोस्तों ये थी मेरी रियल हिंदी सेक्स स्टोरी (Real Hindi Sex Story), तो कैसी लगी मेरी xxx सेक्स कहानी मुझे कमेंट करके जरूर बताए।

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