November 21, 2024
सुबह की सैर चुदाई के साथ

कामुकता और हिंदी सेक्स कहानी की दुनिया में आपका स्वागत है। दोस्तों इस सेक्सी स्टोरी में मैं ये स्टोरी सांझा कर रहा हूँ जिसका शीर्षक सुबह की सैर चुदाई के साथ है।

सुधा सुबह-सुबह एक खाली सड़क पर अकेली टहल रही थी। वह स्टेडियम में दिलीप से मिलने जा रही थी। वे सुबह साथ-साथ दौड़ते हुए मिले और दोनों में गहरा प्यार हो गया।वैसे सुधा जब दौड़ती हैं तो उनकी कमर काफी लचीली और पतली है जिसकी वजह से वो काफी मटक के चलती है।

इससे स्टेडियम में सभी लड़कों और बूढ़ों के अंडरवियर टाइट कर देती थी। उसके शरीर फिगर 34-30-36 है और वह काफी हॉट भी लगती है। लड़के आए दिन उस्लो अपनी गर्लफ्रेंड बनाने के लिए कहते और उसके इर्द-गिर्द घूमते रहते। समय के साथ वह इन सब चीजों की आदी हो गई।

दिलीप और सीधा रोजाना खूब बाते करते और अपने रिश्ते को और आगे बढ़ाना चाहते थे, और वो दोनों सेक्स करना चाहते थे। दिलीप ने सेक्स की बात पहले शुरू की और बोला वह सेक्स करना चाहता था।

वे छह महीने तक मिलते रहे, लेकिन एक दूसरे को किस तक नहीं की थी क्योंकि वे केवल एक भीड़-भाड़ वाली जगह पर मिले थे जहाँ बहुत सारे लोग एक्सरसाइज के लिए जाते हैं।

अब, दिलीप ने सुधा को सेक्स करने के लिए मना लिया, लेकिन सेक्स करने के लिए जगह नहीं मिल रही थी। और दोनों अभी तक बेरोजगार थे तो होटल भी बुक नहीं कर सकते थे क्योकि पैसे नहीं थे उसके पास।

सुधा को एक समस्या का हल मिला और उन्होंने दिलीप से फोन पर कहा कि अगर हमें चुदाई ही करनी है तो वे स्टेडियम के पास मिल सकते हैं जहां रेलवे लाइन हैं और उन्हें कोई नहीं देखेगा. वह बहुत सारी झाड़िया है और कोई आता जाता भी नहीं है।

अगर सिर्फ किस करने और बूब्स दबाने है तो शाम को पार्क में ही मिल सकते है इतने से छोटे काम के लिए।

सुधा का मन वासना से भरा हुआ था और वह अब किसी भी हाल में छोड़ना चाहती थी और अपनी चूत की गर्मी को शांत करना चाहती थी।

अंधेरी गलियों में चलते हुए उसे डर लग रहा था, जैसे वह कुछ गलत कर रही हो। उसने एक बैग भी ले रखा था जिसके अंदर एक चटाई और पानी की बोतल को रखा था। उसने एक रात पहले कंडोम लाने के बारे में भी सोचा था, लेकिन उसने सोचा किया कि दिलीप शायद लेकर आए।

अब वो रेलवे लाइन की और जाने लगी, और एक कोने में जाकर कड़ी हो गयी जहा उसने दिलीप को मिलने के लिए बोल रखा था।

दिलीप किसी और के आने के 5 मिनट पहले ही अपनी साइकिल से वह आ गया। वह तुरंत सुधा की तरफ दौड़ने लगा ताकि कोई उसे देख न ले।

सुधा के पास पहुंचते ही उसने जोर से उसके बालो को पकड़ के किस किया और हाय बोलने लगा। सुधा बोली तुम लेट हो गए चलो जल्दी से नहीं तो कोई हमें देख लेगा।

दिलीप बिना कुछ बोले चुपचाप सुधा के पीछे जाने लगा और वे कुछ देर तक चलते रहे जब तक कि वे एक जंगल में नहीं पहुँच गए। जंगल में सुधा ने जमीन पर चटाई बिछाई और पानी की बोतल निकाली।

दिलीप हैरान रह गया क्योंकि ऐसा लग रहा था कि सुधा तैयार होकर आई है। वे दोनों वहीं खड़े थे, और दोनों की यह पहली चुदाई थी और कैसे शुरुवात करे।

सुधा कुछ बातें करने लगीं, लेकिन दिलीप ने कोई जवाब नहीं दिया और उनके बिल्कुल करीब खड़े होकर उसके होंठ के करीब आ गया और धीरे से किस करना शुरू कर दिया। और अपना शरीर सुधा के शरीर से रगड़ रहा था।

अब उसने सुधा के बूब्स को सहलाना शुरू कर दिया और उसके शर्ट के अंदर अपने हाथ डाल कर उसके चुचो को मसलने लगा, सुधा को ख़ुशी की अनुभूति होने लगी और वह जल्दी ही गर्म होने लगी।

सुबह की सैर चुदाई के साथ

सुधा को बहुत मजा आ रहा था अब उसने दिलीप का दूसरा हाथ पकड़ के अपने बूब्स पे रख दिया और खुद ही दबाने लगी। 

सुधा को इस तरह मजे लेता देख दिलीप ने उसे चटाई पे लेटा दिया और उसके उपर लेट गया और उसकी टांगो को फैला दिया फिर उसकी चूत को उपर से ही सहलाने लगा, सुधा को इतना मजा कभी नहीं आया था वो अपना सर कभी इधर करती तो कभी उधर, अपनी जीभ से अपने होठो को दबाती और उन्हें मजे से चुस्ती। 

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कुछ देर फोरप्ले करने के बाद दिलीप ने सुधा के कपड़े उतार दिए। जब उसने सुधा की चूत कि तरफ देखा तो यह देखकर हैरान रह गया कि उसके नीचे बाल नहीं थे और उसकी गुलाबी चूत से पानी निकल रहा था।

दिलीप से रहा नहीं जा रहा था तो उसने सुधा की चूत को जोर-जोर से चाटना शुरू कर दिया और सुधा की सिसकिया निकलने लगी। लेकिन वो जोर से सिसकिया नहीं ले सकती थी क्योकि वह झाड़ियों के बिच में थे।

दिलीप को ध्यान आया की उसके पास ज्यादा समय नहीं है। वह जल्दी से सुधा के पास जाता है और उसकी पैंटी निकाल देता है और उसे जमीन पर लेटने में मदद करता है।

अब वो सुधा से अपना लंड चुसवाना चाहता था। लेकिन टाइम कम होने की वजह से अपना लंड सीधे उसकी चूत पे रख देता है और उसे थोड़ी देर तक रगड़ता है और सुधा को लंड लेने के लिए तड़पाता है।

सुधा से बारदाश नहीं होता और खुद ही उसका लंड पकड़ के अपनी चूत में घुसाने लगती है, जैसे ही लंड का टोपा उसकी चूत में थोड़ा सा घुसता है तो वह जोर से आहे भरने लगी है। और अपनी टांगो को और चौड़ा कर देती है।

दिलीप ने सुधा की चूत पे थोड़ा सा धूक लगाया और अपने लंड से जोर का धक्का देने लगा और उसका आधा लंड उसकी चूत में घुस जाता है, सुधा जोर से चिल्लाने की सोचती है लेकिन दिलीप ने उसका मुँह अपने हाथ से बंद कर दिया।

सुधा की चूत से खून बह रहा था और उसका अभी सिर्फ आधा ही लंड अंदर घुसा है वो कराह रही थी लेकिन थोड़ी ही देर में शांत हो गयी और दिलीप ने अचानक से ही एक और जोर का झटका दिया और अपना पूरा लंड उसकी चूत में घुसा दिया।

सुधा तड़पने लगी, लेकिन दिलीप ने उसे जोर से पकड़ रखा था और उसे हिलने भी नहीं दिया थोड़े आराम के बाद वो अपने लंड को अंदर बाहर करने लगा जिससे सुधा कको मजा आने लगा और उसका दर्द ख़ुशी में बदल गया।

सुधा की सांसे तेज हो रही थी और जोर से हांफ रही थी दिलीप ने अब अपने धक्को को और तेज कर दिया और उसकी चूत को जोरदार तरीके से चोदने लगा, सुधा की चूत गीली हो चुकी थी तो उसका लंड आसानी से सट-सट जा रहा था।

तभी सुधा को कुछ ध्यान आया और दिलीप से पूछी के तुमने अभी तक कंडोम क्यों नहीं पहना, दिलीप बोला वो तो मैं लाया ही नहीं तो पहनू क्या।

इतना सुनते ही सुधा को गुस्सा आ गया और उसका गुस्सा ज्वालामुखी की तरह फटने वाला था, और वो गुस्से में बोलने लगी अबे साले हरामी इतनी सुबह मैं तेरे लंड से चुदने के लिए इन झाड़ियों में आयी हूँ और तेरे से एक कंडोम नहीं ख़रीदा गया।

सुधा उसे बहुत गालिया देने लगी और थोड़ी देर बाद दिलीप को पता चलता है की उसने गलती की है, लेकिन सुधा कि गालिया सुनकर उसे गुस्सा भी बहुत आ रहा था। और उसने अपने झटको की रफ़्तार और तेज कर दी और उसे बेरहमी से चोदने लगा।

दिलीप ने सुधा की चूत का बुरा हाल कर दिया और वो जोर से कराह रही थी और मुझे छोड़ दो मुझे छोड़ दो कहने लगी, लेकिन दिलीप रुकने का नाम ही नहीं ले रहा था, और उसकी चूत को जोर-जोर से छोड़ रहा था और अह्ह्ह्ह अह्ह्ह अह्ह्ह ऊह्ह्ह्ह ह्ह्ह्ह की आवाजे आने लगी।

दिलीप की नॉनस्टॉप चुदाई से सुधा चिल्ला भी रही थी और मजे भी ले रही थी वो उसे काफी देर तक चोदता रहा और बार-बार पोजीशन को चेंज कर देता और हर तरह से उसकी चुदाई करता, दोनों को इसमें बहुत मजा आ रहा था।

सुधा अब झाड़ गयी थी और वो ढीली पद गयी थी लेकिन दिलीप ने अपने धक्को को और तेज कर दिया क्योकि उसका भी झड़ने वाला था सुधा समझ गयी और बोलने लगी अबे चूतिये मेरी चूत में अपने लंड का पानी मत गिरा दियो।

जैसे ही दिलीप का झड़ने वाला था दिलीप ने अपना लंड निकाल के सुधा के मुँह में दाल दिया और उसके मुँह को छोड़ने लगा वो 2-4 झटको में ही उसके लैंड ने पानी चूड दिया और सुधा के मुँह दिलीप के वीर्य से भर गया।

सुधा उसके लैंड को मजे से चुस्ती और उसे पूरा साफ करने में लग गयी, दिलीप मन में है रहा था और सोच रहा था की चलो शुरू में न सही पर लास्ट में तो मेरा लंड इसके मुँह में घुस गया।

दोनों तुरंत कपडे पहनते है और वह से निकल के अपने-अपने घर की और जाने लगते है दोनों खुश थे की उन्होंने सेक्स के मजे लिए और किसी ने उन्हें देखा भी नहीं।

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