नमस्कार दोस्तों,
मैं आप की काजल इस कहानी का भाग -2 ले कर आ गई हूँ। जिस ने इस कहानी का पहला भाग नहीं पढ़ा है तो यहाँ से जा कर पढ़े- पहला भाग -1
मेरा नाम है राहुल है और मैं दिल्ली के Chanakyapuri का रहने वाला हूँ। चलिए कहानी को शुरू करते है जैसे की
पहले भाग में मैंने आपको बताया था कि कैसे मेरा और मेरी बहन का सेक्स मिलन हुआ, और उसके बाद वो अपने कमरे में जा कर अपने बच्चों के पास सो गई।
जिसका शीर्षक है- शादीशुदा बहन की चूत चुदाई ( ShadiShuda Bahan Ki Chut Chudai 2 ) कर के जन्नत का मजा लिया
अब आगे…
अगले दिन भी जब ज्योति के बच्चे सोते, तो हम मौका नहीं छोड़ते थे। हमने कई पोजीशन में सेक्स किया। फिर उसी दिन शाम को हमारे माँ-बाप वापस आ गये। ज्योति अब उदास हो गई थी। माँ ने पूछा तो ज्योति ने कहा-
ज्योति: कुछ बात नहीं है.
पर अब हम और सेक्स नहीं कर सकते थे। फिर अगले दिन ज्योति अपने बच्चों को लेके वापस अपने घर चली गई। और अब मेरा भी मन नहीं लग रहा था. माँ ने मुझसे भी पूछा तो मैंने भी बात टाल दी।
फिर कुछ दिन बाद ज्योति ने फिर एक दिन प्लान बना कर आई वापस घर आई, क्योंकि उसको पता लग गया था कि उस दिन माँ को अपनी सहेली के घर सत्संग में जाना था। और पापा उस दिन बिजनेस टूर के लिए दिल्ली गये थे।
ज्योति को पता था कि माँ ने 3 बजे अपनी सहेली के घर जाना था। इसलिए उसने पहले ही अपने बच्चों को सुला दिया। अब माँ जाने की तैयारी कर रही थी। मां ने कहा 7 बजे तक आऊंगी ।
माँ के जाते ही मैंने ज्योति को बाहों में उठाया, और उसको अपने कमरे में ले गया। ज्योति ने मेरे कपड़े उतारे, और मैंने उसके। हमने खूब एक दूसरे को चूमा और जोरदार चुदाई की।
और मैंने उसके कपड़े उतारे और उसके बड़े-बड़े बूब्स ( Big Boobs ) को खूब दबाया और बूब्स दबाने के बाद और फिर मैं उसकी चूत चटाई ( Chut Chatai ) करने लगा
और फिर वो कुछ देर बाद झड़ गई और मैंने उसकी चूत का सारा पानी पि लिया और मेरे लंड मैं जो तनाव आ रहा था ज्योति उसको देख कर खुश हो गई
और बोलने लगी की जल्दी से मेरी चूत में अपना लंड डालो मुझ से अब बर्दाश नहीं हो रहा है।
मैंने फिर जल्दी से उस के गीली चूत ( Gili Chut ) मे अपना लंड सेट किया और जोर-जोर धक्के मारने लगा और ज्योति के मुँह से बस हम्म्म्म अअअअअ और जोर से करो।
और फिर मैंने उसको उल्टा किया और उसकी गांड की चुदाई ( Gand Ki Chudai ) करनी शुरू की
हम 2 बार चुदाई कर चुके थे. वक्त भी करीब 5:30 बजे हो गया था. फिर ज्योति नहाने चली गई और मैं भी उसके पीछे चला गया। हम एक साथ नहाये. फ़िर रूम में आ कर तैयार हो गए।
ज्योति किचन में चाय बनने चली गई। उस वक्त 6 बज गए थे. माँ के वापस आने में अभी एक घंटा बाकी था। तो मैं भी किचन में ज्योति के पीछे जाके खड़ा हो गया।
मैंने पीछे से ज्योति का टॉप ऊपर छाती तक उठाया और उसके स्तन के साथ खेलने लगा। हमने ये ध्यान ही नहीं दिया कि हमने घर का दरवाजा बंद नहीं किया था।
जब मैं किचन में ज्योति के स्तनों के साथ खेल रहा था, अचानक से मां किचन में आ गई और उन्होंने मुझे और ज्योति को इस हालत में देख लिया। माँ बहुत गुस्से में चिल्लाई-
माँ: ये सब क्या हो रहा है?
ज्योति ने जल्दी से अपना टॉप ठीक किया, और हम चुप-चाप खड़े रहे। माँ बहुत गुस्से में बोलती रही।
मैं बिना कुछ कहे किचन से बाहर चला गया, और अपने कमरे में जा कर बैठ गया। ज्योति किचन में माँ को सॉरी बोलने लगी। पर माँ बिना कुछ सुने गुस्से में बोलती रही। फ़िर माँ लॉबी में आके सोफ़े पर बैठ गई और रोने लगी।
ज्योति मां के पैरो में आकर बैठ गई, और माफ़ी मांगती रही। कुछ देर में माँ शांत हो गई और ज्योति से पूछा-
माँ: ये सब कब से चल रहा है और क्यों?
ज्योति ने बताया: ये पिछली बार जब आप अंबाला गए थे, तब पहली बार हुआ था, और आज दूसरी बार।
माँ ने फिर पूछा: क्यों?
तो ज्योति ने रोते हुए कहा: मां मैं अपने घर पर बहुत परेशान रहती हूं। मेरे पति को भी मुझमें कोई दिलचस्पी नहीं है। उसके दिल में मेरे लिए कोई प्यार नहीं है। जब मेरे साथ सेक्स भी करता है, तो ऐसा करता है जैसे मुझे खरीद के लाया हो। मुझे गलियाँ देता है, उसके दिल में मेरे लिए ना तो प्यार है, और ना ही इज़्ज़त।
फ़िर ज्योति ने कहा: बताओ मैं जाउ तो काहा जाउ? मेरा तो मन करता था कि मैं मर ही जाउ। वो तो अब भाई से प्यार मिलने के बाद मुझे दोबारा जीने का मन कर रहा है। बताओ माँ, मैं क्या करू?
और वो रोने लगी.
माँ भी ये सब सुन कर रोने लगी, और ज्योति को गले से लगा लिया। मैं ये सब अपने कमरे से सुन रहा था। फ़िर माँ ने ज्योति से कहा-
माँ: चाहे तुम परेशान हो, पर अपने भाई के साथ ये सब करना सही नहीं है।
फ़िर ज्योति ने कहा: माँ तो तुम क्या चाहती हो, कि मैं बाहर किसी से ये प्यार का सुख लू? और वैसे भी बहार अगर किसी के साथ मेरा ऐसा रिश्ता हो, तो वो तो मुझे इस्तमाल करके छोड़ सकता है। हां और तो और मुझे ब्लैकमेल भी कर सकता है। ऐसे में तो मेरा घर ख़राब भी हो सकता है।
ज्योति: भाई के साथ अगर मैंने ऐसा किया, तो मुझे ये विश्वास है कि वो कभी मेरा नुक्सान नहीं करेगा। और वैसे भी भाई के साथ मुझे सच्चे प्यार का भरोसा है। और ये बात घर में ही है, बाहर किसी को पता भी नहीं लगेगी।
फिर माँ कुछ देर शांत रही, और बोली: बेटा, फिर भी मुझे ये सब ठीक नहीं लग रहा।
और फिर माँ अपने कमरे में चली गई। ज्योति भी बिना मुझसे कुछ कहे कैब करके वापस अपने घर चली गई। एक हफ्ता ऐसा ही निकल गया. मैं और माँ एक-दूसरे से कोई बात नहीं कर रहे थे, और ना ही एक-दूसरे से नज़र मिला रहे थे।
फिर एक हफ्ते बाद मैंने ज्योति को फोन किया और उसका हाल पूछा। वो रोने लगी और बोली-
ज्योति: मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा कि मैं क्या करूँ।
उसने मुझसे पूछा: क्या माँ ने तुझसे कुछ कहा?
तो मैंने बताया: हम तो एक-दूसरे से बात ही नहीं कर रहे।
फिर अगले दिन ज्योति दोबारा हमारे घर आई। वो माँ से मिल कर बहुत रोई, और माँ को कहा-
ज्योति: आप और भाई एक दूसरे से बात क्यों नहीं कर रहे हो?
तो माँ ने कहा: क्या बात करु मैं तेरे भाई से? वो तो तुझसे बड़ा है. उसको तो ये सब समझना चाहिए था। वो ये सब कैसे कर सकता है.
तो ज्योति ने कहा: मेरी वजह से आप भाई से नाराज़ ना हो। अगर आपको हमारे प्यार से इतनी परेशानी है तो मैं आज के बाद यहां नहीं आऊंगी, और खुद घुट-घुट के मर जाऊंगी।
ये सुन के माँ रोने लगी और ज्योति को गले से लगा के कहा-
माँ: ऐसा मत बोल बेटा, सब ठीक हो जाएगा।
तो ज्योति ने कहा: कैसा ठीक होगा? आपके दोनों बच्चे एक दूसरे के साथ ऐसे खुश हैं, और आप ये समझना ही नहीं चाहते हो।
तो माँ ने कहा: अगर समाज को ये सब पता लगेगा तो हम सब कैसे जियेंगे?
ज्योति ने कहा: समाज को कौन बताएगा. क्या आप सब को जाके बताओगे ये सब?
ये सब घर में ही रहेगा, बाहर किसी को कुछ पता नहीं होगा। माँ शांत राही.
फ़िर माँ ने कहा: मैं तो यही चाहती हूँ कि मेरे बच्चे खुश रहे। पर ध्यान रखना, इस घर की इज्जत पर कोई दाग ना लगे।
ज्योति ने माँ को गले से लगाया। फ़िर ज्योति ने मुझे बुलाया और मैंने जाके माँ से सॉरी कहा। माँ ने मुझे गले से लगाया।
अब सब ठीक हो गया था. शाम को पापा ने एक दिन बिजनेस टूर से दिल्ली जाना था। इसलिए ज्योति ने हमारे यहां ही रुकने का सोचा। पापा शाम को घर आये और अपना बैग पैक करके करीब 5 बजे घर से चले गये। आज माँ, ज्योति और मैंने एक साथ डिनर किया।
डिनर के बाद ज्योति ने अपने बच्चों को माँ के कमरे में माँ के साथ सुला दिया। बच्चों के सोने के बाद ज्योति ने माँ से कहा-
ज्योति: मैं थोड़ी देर में आती हूं।
माँ समझ गई कि ज्योति मेरे कमरे में जायेंगी, पर माँ ने कुछ नहीं कहा।
ज्योति फिर मेरे कमरे में आई, और कमरे को अंदर से लॉक कर लिया। हम दोनों बहुत खुश हैं। हमने अपने कपड़े उतारे, और एक दूसरे को प्यार करना शुरू किया।
हमने पूरी रात में 3 बार सेक्स किया और नंगे ही एक-दूसरे से चिपक कर सो गए। सुबह माँ ने हमारे कमरे का दरवाज़ा खटखटाया तो हमारी आँख खुली।
हम जल्दी से कपड़े पहन के कमरे से बाहर आये। सुबह के 10 बज चुके थे. माँ अब रसोई में थी, और नाश्ता बन रही थी। हमने साथ में नाश्ता किया।
फिर नहा के तैयार हो गए. मैं ज्योति और उसके बच्चों को लेके अपनी कार से निकल गए , और उनको उनके घर छोड़ के आपने ऑफिस चले गए।
रात को जब वापस घर आया, तो पापा भी आ चुके थे, और माँ भी अब मेरे साथ नॉर्मल थी। पर जब मुझसे बात करती तो मुझे मां की आवाज में कुछ बद्लाव लगा कि जैसे मां के मन में अभी भी कुछ शिकायत थी।
पर मैंने इग्नोर किया कि ये सोच कर कि धीरे-धीरे पूरी तरह नॉर्मल हो जाएगा।
अब आगे की कहानी अगले भाग में बताऊंगा।
तो दोस्तों कैसे लगी
कॉमेंट करके बताये
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धन्यवाद।