हेलो, दोस्तों, मैं आपकी पिया, आज फिर आपको एक गे सेक्स स्टोरी सुनाने आई हूँ जिसका नाम “पढ़ाई करने आए रूममेट को चोदा और किराया वसूला” है आगे की स्टोरी उस लड़के की ज़ुबानी।
नमस्कार दोस्तों, मेरी गे सेक्स कहानी में आपका स्वागत है। आप सभी को मेरा सलाम। सबसे पहले मैं आपको अपने बारे में बता दूं।
मेरी लंबाई 5 फीट 6 इंच है और मेरा लंड 6 इंच का है। मैं इन्दोरिया हूं। मुझे बिल्लियों से बहुत प्यार है।
मैं यह कहानी अपने मित्र बाबा को समर्पित करना चाहूँगा।
यह कहानी उन दिनों की है, जब मैं इंदौर में ग्रेजुएशन कर रहा था। मैं एक छोटे से कमरे में किराये पर रहता था।
मैं पढ़ाई में बहुत होशियार था। मेरे जीवन में एक ही चीज़ की कमी थी कि मेरी कोई लड़की नहीं थी।
मेरे सभी दोस्तों ने लड़की को पटा लिया था और जब भी उनका मन होता तो उसे चोदते थे। वो लड़कियाँ भी उससे खुश थी।
जबकि इधर मैंने अभी तक चूत देखी भी नहीं थी। जिसका नतीजा ये हुआ कि मुझे हस्तमैथुन की आदत पड़ गई।
लकिन काफी देर तक लंड हिलाने के बाद भी मेरा लंड बिल्कुल भी नहीं झड़ा। इससे मुझे अपने लंड की खासियत समझ आ गई कि मेरा लंड एक दिन में 6-7 बार भी चुदाई कर सकता है।
मेरा लंड बिल्कुल मूसल जैसा है, एकदम जवान है, जिसकी भी चूत ले लेता है, उसकी माँ चोद देता है।
लेकिन जब तक ये कहानी है तब तक मुझे ऐसा मौका कभी नहीं मिला था। इसलिए मैं मुठ मार कर ही काम चला रहा था।
मैं सोचता था कि कब मैं भी सेक्स का मजा लूंगा, कब वो वक्त आएगा। मैं कब तक ऐसी पोर्न फिल्में देख कर मुठ मारता रहूंगा।
मैं रोज अपने एक दोस्त से बात करता था कि मेरी जिंदगी में कोई लड़की नहीं है यार… मुझे लड़की कब मिलेगी।
मैं हर रात आंटियों को चोदने के सपने देखता था, लेकिन सुबह उठने के बाद मुझे पता चला कि यह तो बस एक सपना था और उसके बाद मैं तैयार होकर कॉलेज के लिए निकल जाता था।
मैं रोज अपने दोस्त बाबा से बात करके सो जाता था। वह मेरा बहुत अच्छा दोस्त था। उसका नाम विवेक था।
हम उन्हें प्यार से बाबा कहते थे क्योंकि उनका पारिवारिक नाम विवेक बाबा था। उनके घर पर सभी लोग उन्हें विवेक बाबा कहकर बुलाते थे।
मैं अक्सर उससे कहता था कि अब मेरी जवानी पूरे उफान पर है, लेकिन ऊपर वाला मेरे लिए कुछ नहीं सोच रहा है।
उसके बाद कुछ इधर उधर की बातें होती थीं, फिर मैं सो जाता था।
मुझसे बात करते-करते एक दिन बाबा पढ़ाई के लिए इंदौर आये। मैंने उससे कहा कि तुम भी मेरे कमरे में ही रुको।
हम दोनों एक साथ रहने लगे क्योंकि हम बहुत अच्छे दोस्त हैं इसलिए हमारी आपस में काफी बॉन्डिंग हो गई थी। हमारे बीच न तो कोई पर्दा था और न ही कोई राज़। (रूममेट को चोदा)
एक दिन सुबह मुझे कॉलेज जाने की जल्दी थी। उस दिन मेरा पेपर था और मैं देर से उठा। मेरा दोस्त बाथरूम में घुस गया था, लेकिन मुझे नहाना था।
मैं बाहर से ही उससे बार-बार कह रहा था- जल्दी निकलो यार, मुझे नहाना है। लेकिन वह बाहर नहीं आ रहा था। आज न जाने क्यों… वह दरवाज़ा नहीं खोल रहा था।
चूँकि मुझे देर हो रही थी, मैंने सोचा कि वह बाथरूम से देर से निकलेगा, इसलिए मैं अभी नहाना रद्द कर देता हूँ।
पहले मैं चाय बनाता हूँ, चाय पीकर नहाऊँगा और पेपर देने निकल जाऊँगा। मुझे कॉलेज जाने में काफी देर हो चुकी थी।
मेरा दोस्त भी थोड़ा रंगीन मिजाज था, उसे आंटियाँ चोदने का बहुत शौक था। उसकी पहली पसंद आंटियाँ थीं, उसने कुछ लड़कियों का भी लुत्फ़ उठाया है।
यहां तक कि उसने एक के साथ यौन संबंध भी बनाए। जैसे उसने मुझे ये सब बताया। मुझे लगा कि साला शरारत कर रहा होगा, किसी आंटी को चोदने का प्लान होगा।
मैंने खिड़की से बाथरूम के अन्दर झाँकने की कोशिश की कि ये दरवाज़ा क्यों नहीं खुल रहा है।
सोचा था कि एक-दो गालियाँ दूँगा, लेकिन जब खिड़की से झाँककर देखा तो वो अपने सुपारे को साबुन से अच्छी तरह रगड़ रहा था।
मैंने उसका पूरा शरीर देखा, उसका छोटा पेट बाहर निकला हुआ था, जो बहुत प्यारा और कामुक लग रहा था।
उसके और उसके चिकने बदन से बूंद बूंद करके पानी गिर रहा था। उसे देख कर मुझे अजीब सा लगा। मानो मेरा लंड उसका बदन मांग रहा हो।
उसके लंड की गोलियाँ भी इतनी मस्त लग रही थीं मानो चोदने के लिए ही बनी हों। मेरा मन तो कर रहा था की मैं इसके लंड पर दो थप्पड़ मारूँ और इसे चोद दूँ।
मैं कुछ देर तक उसे देखता रहा और उसके बाहर आने के बाद मैं जल्दी से नहाने घुस गया।
नहाते समय मैंने अपने फड़फड़ाते हुए लंड से एक बार मुठ भी मारी। मुझे कॉलेज जल्दी जाना था इसलिए मैं उस दिन निकल गया। (रूममेट को चोदा)
उस दिन के बाद से मैं रोज़ जब भी वो नहाता तो खिड़की से झाँकने लगता।
ये सिलसिला अगले एक हफ्ते तक चलता रहा। ऐसा लग रहा था जैसे मेरा दोस्त मेरे लिए तोहफ़ा बनकर आया हो।
फिर एक दिन मैंने सोचा कि चाहे कुछ भी हो अब दोस्ती की कीमत चुकाने का समय आ गया है। मैं अपने मित्र से कुछ माँगूँगा और उसे वह मुझे देना होगा। शायद इसी को सच्ची दोस्ती कहते हैं।
फिर एक दिन मुझे भी मौका मिल गया। शायद यह मेरी किस्मत थी कि विवेक बाथरूम से नहाकर मेरे पास आया और अपना तौलिया निकालकर नीचे झुककर अपने कपड़े ढूंढने लगा।
मैं बाहर से दूध ला रहा था। मैंने उसे खिड़की से देखा कि वह नीचे झुक कर अपने कपड़े निकाल रहा था।
मुझे उसके कूल्हे और उसकी गांड इतनी मस्त लग रही थी, मानो उन्होंने मुझे मदहोश कर दिया हो।
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उसे ऐसे देख कर मेरा लंड हिलोरे लेने लगा। ऐसा लगा मानो मेरा लंड कह रहा हो कि आज बरसों की प्यास बुझा लो, थोड़ा प्यार अपने दोस्त से उधार ले लो और थोड़ा प्यार अपने दोस्त को दे दो।
मैंने झट से अपना लंड खोला और बाहर निकाल लिया। उसने उस पर थूक कर उसे चिकना कर दिया। इसके बाद मैं कमरे में गया और अपना लंड उसकी गांड में डाल दिया।
वो दर्द से बिलबिला उठा, चिल्लाने लगा- उम्म्ह… अहह… हय… याह… क्या कर रहा है… बाहर निकालो।
लेकिन मैंने उसकी बात नहीं मानी। मुझे चुदाई का बुखार चढ़ रहा था। मैंने बगल में टेबल पर रखी नारियल तेल की बोतल उठाई और उसकी गांड पर लगा दी और तेल डाल दिया।
गांड में चिकनाई आ गयी और मैं चोदने लगा।
वह कुछ देर तक चिल्लाता रहा, उसके मुँह से जोर-जोर से आहें निकल रही थीं। कुछ देर बाद उसने भी मेरा साथ देना शुरू कर दिया तो ऐसा लगा कि शायद उसे भी मजा आ रहा है।
मैंने उसे करीब 20 मिनट तक चोदा। बीच-बीच में कुछ थप्पड़ भी मारे। उसके बाद उसकी गांड में ही अपना माल निकाल कर छोड़ दिया।
उस दिन उसने शाम तक मुझसे बात नहीं की, शायद वो सदमे में था।
दूसरे दिन से फिर वही सब शुरू हो गया। मैं उसे रोज चोदने लगा। उसके स्तन भी दबाता था, उसकी गांड के गोलों पर थप्पड़ मारता था और उसका प्यारा पेट इतना सेक्सी था कि क्या कहूँ।
मजा आ गया दोस्तो, उसकी गांड को भी मेरे लंड की आदत हो गयी थी।
वह भी एक सच्ची महिला बन गया था। उसकी गांड को भी चुदाई का मजा महसूस हो चुका था।
मेरा सेक्स का सपना भी पूरा हो गया और मुझे किसी लड़की की चूत चोदने के लिए पैसे भी खर्च नहीं करने पड़े।
हर दिन मैं उसकी गांड को चोदता, उसके स्तनों को दबा देता, उसके निपल्स को रगड़ता। उसके मुँह में अपना लंड डाल कर उससे मुख मैथुन करवाता है। (रूममेट को चोदा)
कभी कभी मैं अपना लंड उसके मुँह में ही निकाल देता था। हालाँकि ये बात उन्हें पसंद नहीं थी।
गांड चुदाई का ये सिलसिला करीब एक साल तक चला। उन एक साल में मैंने जो मजा किया, जो प्यार मुझे मिला, मैं उस दिन को कभी नहीं भूल सकता।
सच में दोस्तो, एक दोस्त जो करेगा वो दुनिया में कोई और कभी नहीं करेगा। बाबा जैसा मित्र दुनिया के हर व्यक्ति के जीवन में होना चाहिए।
एक बार हम बाथरूम में एक साथ नहाये और नहाते समय सेक्स किया। उस दिन भी मैंने जमकर उसकी गांड पानी से मारी।
वो उसके शरीर पर गिर रहा था और मैं पीछे से उसके शॉट पर शॉट लगा रहा था। बीच-बीच में कुछ थप्पड़ों से उसके नितम्ब लाल हो जाते।
मैंने आपको अपने बारे में एक बात नहीं बताई कि मुझे चूतड़ पर मारना बहुत पसंद है।
मैं जब भी किसी कजरैली माल को देखता तो सोचता कि अगर इसके चूतड़ों पर थपकी मार दूं तो कितना मजा आएगा।
मुझे भरे हुए नितंब पसंद हैं। मेरा मन करता था कि उसकी गांड के गोलों को लाल कर दूं।
मैं अपने दोस्त बाबा को हर रोज एक नये स्टाइल में चोदता था, कभी डॉगी स्टाइल में, कभी उल्टा लेटाकर,
कभी-कभी मैं उससे यह भी कहती थी कि जब तक मेरा नहीं निकल जाता, तब तक मुझे अपने मुँह में लेकर चूसते रहो।
मैं ऐसे ही लेटे हुए आराम से मैगजीन पढ़ता रहता था, वो भी मेरा लंड खूब मन लगाकर चूसता था … पूरा लंड मुँह में मजे से रखता था।
लेकिन खाली मुँह में लंड चूसने का पूरा मज़ा कहाँ, मैं थोड़ी देर बाद उठ कर उसे चोद देता।
अब ये बातें हमारे लिए आम हो गई थीं, लेकिन मेरा मन अभी भी नहीं भरा था।
क्या करूँ, मेरे मूसल लंड की जान ही ऐसी थी कि जितना मैं अपने दोस्त को चोदता था, उतना ही मन करता था कि बाबा से भी ज्यादा चोदूँ। (रूममेट को चोदा)
फिर कभी-कभी मेरे मन में यह भी आता है कि मैं अपने दोस्त बाबा के साथ गलत तो नहीं कर रहा हूं।
अगले ही पल मेरे मन में यह बात भी आ जाती कि यह तो मेरा अपना दोस्त है और दोस्तों के बीच न तो कोई पर्दा है और न ही कोई झिझक। मैं सिर्फ उसके साथ प्यार बांट रहा हूं।’ यह मेरा हक़ है।
उसे भी अब कोई आपत्ति नहीं थी, वो भी पूरा मजा ले रहा था। लेकिन उसकी भी चूत के प्रति दीवानगी ख़त्म नहीं हुई। बाबा अब भी इसी मौके की तलाश में था कि कैसे भी करके उसकी चूत चोद सके।
इंदौर आने के बाद उसने पड़ोस की आंटी को सेट कर लिया था और कभी-कभी उसे चोद भी लेता था। मेरे साथ इंदौर में रहते हुए विवेक बाबा को लागव हो गया था।
फिर एक दिन बाबा ने कहा- अब मैं शहर छोड़ रहा हूं।
मैंने भी उसे नहीं रोका। वह इंदौर से निकले, लेकिन जाने से पहले उन्हें लागव हो गया। शायद ये मेरे प्यार का नतीजा था।
लेकिन उसके जैसा दोस्त मुझे शायद इस जन्म में और किसी भी जन्म में कभी नहीं मिलेगा।
मैं भगवान से प्रार्थना करता हूं कि मुझे हर जन्म में बाबा जैसा दोस्त मिले, जो मेरी हर जरूरत को समझे और पूरे दिल से मेरी जरूरत पूरी करे।
वो आज भी मेरे प्यार का उबाल अपनी गांड में लेकर घूम रहा है।
अब मुझे भी एक लड़की मिल गयी है, उसका नाम नेहा है। मैंने उसे खूब चोदा। हम दोनों के बीच बहुत अच्छा है। लेकिन आज भी मुझे अपने दोस्त बाबा की बहुत याद आती है।
मुझे वैसा प्यार फिर कभी नहीं मिला। आज भी जब भी मुझे अपने दोस्त की याद आती है तो मैं उससे फोन पर बात कर लेता हूं।
अब उसकी शादी हो चुकी है। उन्होंने अपनी जिंदगी में एक नई शुरुआत की है। वह अपने रास्ते पर आगे बढ़ चुका है।
मैं प्रार्थना करता हूं कि उनका वैवाहिक जीवन बहुत सुखी रहे और उन्हें अपनी पत्नी से ढेर सारा प्यार मिले।’ जितना प्यार उन्होंने मुझे दिया है.. उससे 10 गुना ज्यादा प्यार उन्हें अपनी पत्नी से मिलता है।’
तो दोस्तो, आपको मेरी यह गे सेक्स कहानी कैसी लगी, जरूर बताएं।
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