नमस्कार दोस्तों हिंदी गे सेक्स स्टोरीज की दुनिया में आप सभी का दिल से स्वागत करती हूँ। मैं साक्षी आपके लिए एक मजेदार गे सेक्स स्टोरी लाई हूँ। ये गे स्टोरी विक्की की है जिसमे आप पढ़ेंगे की कैसे विक्की ने रूममेट के साथ गांड चुदाई (Roommate Ke Sath Gand Chudai) का मजा लिया।
आगे की हिंदी गे सेक्स स्टोरी (Hindi Gay Sex Story) अब विक्की जी आपको बताएंगे…….
हाय मेरे प्यारे दोस्त, मैं विक्की आज अपने साथ हुई एक अजीब सी घटना, आपके साथ शेयर करने जा रहा हूं। ये घटना एक दम सच्ची है, इसलिए इसे आप मजाक में मत लेना।
तो चलिए अब मैं अपनी रियल गे सेक्स कहानी (Real Gay Sex Story) शुरू करता हूं। पर उसे पहले मैं अपने बारे में थोड़ा बता देता हूं।
मेरा नाम विक्की है, और मेरी उमर 21 साल की है। मैं देखने में ठीक-ठाक हूं। शुरू से ही लड़कियों की तरह मेरे जिस्म पर एक भी बाल नहीं था। मैं जब भी ब्लू फिल्म देखता था, तो मेरी गांड में खुजली होने लगती थी।
कहीं न कहीं मेरा दिल गांड की चुदाई करवाने का होता था, पर आज तक मैंने गांड में सिर्फ पेन, और भिंडी ही ली थी।
अभी तक मेरी गांड में लंड नहीं गया था, जब मैंने और मेरे साथ पढ़ाई करने वाले लड़के जिसका नाम सूरज है, हमने एक साथ कॉलेज की पढाई पूरी की।
तो हम दोनों दिल्ली की एक ही कंपनी में नौकरी मिल गई। हम दोनो उत्तर प्रदेश के रहने वाले थे।
हम दोनों अपना थोड़ा थोड़ा सामान ले कर दिल्ली की तरफ निकल पड़े।
हमने कंपनी देखी, और हमें सैलरी भी काफी अच्छी मिल रही थी। सब कुछ बहुत अच्छा चल रहा था।
पर रहने को कोई जगह नहीं थी। इसलिए हमने किराए पर रहने के लिए कोई कमरा देखना शुरू कर दिया।
हम दोनों की किस्मत काफी अच्छी थी, कंपनी से थोड़ी ही दूर हमें एक घर मिल गया।
जिसमें एक अंकल आंटी रहते थे, वो पंजाब से थे।
उनका एक ऊपर वाला रूम खाली था। जो देखने में भी काफी ठीक था, साथ ही बाथरूम भी था।
हमने अंकल से कहा कि हम यहां पर पेइंग गेस्ट बन कर रहेंगे। क्योंकि हम दोनों को खाना बनाना नहीं आता था।
हम दोनो ने अपने खाने की बात भी उनके साथ कर ली। आंटी को हमारी ये बात काफी अच्छी लगी।
क्योंकि ऐसे हम उनके घर के सदस्यों की तरह ही रहने वाले थे।
सब कुछ ठीक-ठाक हो गया, हम दोनों काफी खुश थे। हम दोनों रोज टाइम पर ऑफिस जाते थे, और टाइम से अपने रूम में आ जाते थे। रात का डिनर हम आंटी के साथ ही करते थे।
आंटी की उम्र 36 साल थी और अंकल की उम्र 39 साल थी। उन दोनों की एक बेटी थी, जो दिल्ली के महिपालपुर में ही एक हॉस्टल में पढ़ रही थी।
वो दोनों घर में अकेले रहते थे, अंकल का मार्केटिंग का काम था। इसलिए वो हर दूसरे हफ्ते 4-5 दिन के लिए बाहर चले जाते थे।
हमें यहां रहते हुए एक महीना होने वाला था। मेरा दोस्त सूरज दिखने में मैं काफी हैंडसम और गुड लुकिंग वाला था। देखने से ही वो एक असली मर्द लगता था।
उसका शरीर काफी सुडोल था जिस पर कई लड़किया और आंटीया फ़िदा हो जाती थी।
हमारे कमरे में कोई टीवी नहीं था, इसलिए सूरज बाहर से सेक्सी किताबें ले आता था। जिसे पढ़ कर उसका दिमाग खराब हो जाता था।
हम काफी बार डिनर के बाद दारू भी पीते थे। दारू पी कर सोने में बहुत मजा आता था।
एक दिन की बात है, मैं और सूरज आराम से अपने कमरे में बैठे थे। तभी सूरज का मूड शराब पीने का हो गया। वो बाहर मार्केट में से दारू ले आया।
मैं- क्या हुआ भाई, आज डिनर से पहले से ही दारू तू ठीक तो है न?
सूरज- यार आज मैं नई किताब लाया, तो आज उसे मैं दारू पी कर ही पढ़ूंगा। चल तू आजा दोनो भाई दारू पी कर मजे करेगा।
हम दोनों ने दो पैग मारे और आराम से बैठ कर किताब पढ़ने लग गए। वो बुक हिंदी में गे सेक्स कहानी की थी, वो एक दूसरे की गांड मार रहे थे।
ये पढ़ कर मेरी गांड में खुजली होनी शुरू हो गई और सूरज का लंड खड़ा होने लग गया।
सूरज- भाई क्या मस्त कहानी है, मेरा लंड तो पूरा खड़ा हो गया है।
मैं- भाई मेरा भी।
सूरज- अच्छा चल दिखा कितना खड़ा हुआ है तेरा लंड?
मैं- नहीं भाई पहले तू दिखा अपना।
मेरे ये कहने की देर थी, सूरज ने अपना पायजामा नीचे किया और अपना लंड निकाल कर मेरे सामने कर दिया।
फिर मजबूरन मुझे भी अपना लंड बाहर निकालना पड़ा। मेरा लंड पूरी तरह से खड़ा नहीं था, हम दोनों एक आंखें एक दूसरे से बहुत कुछ कह रही थीं।
तभी सूरज का हाथ मेरे लंड पर आ गया, और मेरा हाथ सूरज के लंड पर आ गया। हम दोनों एक दूसरे के लंड को जोर जोर से ऊपर नीचे करने लग गए। हम दोनो अब पुरे गरम हो गये थे, और जोश में आ गए थे।
सूरज- भाई तू बहुत चिकना है।
मैं – हां भाई शुरू से ही मैं ऐसा हूं।
सूरज- अच्छा एक बात सच सच बता?
मैं- हां भाई बोल क्या बात है।
सूरज- तेरा मन गांड मरवाने का होता है?
मैं- हां भाई थोड़ा थोड़ा होता है।
सूरज- हाय मेरी जान चल अब घोड़ी बन जा, आज मैं तेरी चिकनी गांड को बहुत मजा दूंगा, और तेरी गांड की चुदाई करके अपने लंड को शांत करूंगा।
मैं समझ गया कि अब जरूर मेरी गांड मारी जाएगी। मैं चुप चुप नंगा हो कर सूरज के आगे घोड़ा बन गया। पीछे से सूरज ने मेरी गांड पर अपना थूक लगाया।
और अपना लंड मेरी गांड पर सेट करके धीरे धीरे मेरी गांड में डालने लग गया। उसका लंड मेरी गांड को फाड़ता हुआ अंदर जा रहा है। मुझे ऐसा मजा कभी भी नहीं आया।
मैं बहुत मजा लेते हुए अपनी गांड मारवा रहा था। तभी मैंने अपना एक हाथ नीचे किया और अपना लंड पकड़ लिया। अब पीछे से सूरज मेरी गांड में अपना लौड़ा डाल रहा था।
और मैं अपने हाथ से अपना लंड पकड़ कर जोर जोर से ऊपर नीचे कर रहा था। हम दोनों पुरे गरम हो चुके थे।
सूरज मेरी नंगी कमर को अपनी जीभ से पूरी तरह से चाट रहा था। मैं बहुत ही पागल हो रहा था, मैं अपना लंड छोड़ कर उसके टट्टे पकड़ कर जोर जोर से मसलने लग गया।
ऐसे करने से सूरज एक दम मस्त हो गया, और फिर उसने मेरी गांड को अपने लंड के पानी से भर दिया। वो थक कर मेरे ऊपर लेट गया, मैं काफी खुश था। क्योंकि मुझे ऐसा मजा कभी नहीं आया था।
मेरे लंड से अपना पानी खुद ही निकल गया था। तबी निचे से आंटी ने डिनर के लिए आवाज लगा दी। हम दोनो ने अपने अपने कपडे डाले और नीचे जाने लगे।
जब हम निचे गए तो आंटी के खाना तैयार करके टेबल पर रखा था और हमने साथ में खाना खाया और फिर हम दोनों ऊपर अपने कमरे में आ गए।
ऊपर आने के बाद सूरज का लंड फिर से खड़ा होने लगा और उसने मुझे अपने लंड की चुसाई करने के लिए बोला।
मैंने कभी लंड नहीं चूसा था तो मैंने उसे मना नहीं किया और उसका लंड चूसने लगा, उसका लंड थोड़ा-थोड़ा पानी छोड़ रहा था।
मैं फिर भी उसका लंड मुँह में ले कर उसको मजे से चूसने लगा, मुझे उसका लंड चूसने में बहुत मजा आ रहा था।
थोड़ी देर बाद उसका लंड एकदम टाइट हो गया और उसने मुझे घोड़ी बनने के लिए बोला।
मैं भी बिना किसी देरी के घोड़ी बन गया और उसने एक बार फिर से मेरी गांड की चुदाई करनी शुरू कर दी।
मुझे अपनी गांड की चुदाई (Gand Ki Chudai) कराने में बहुत मजा आ रहा था। सूरज भी मेरी गांड को जोर-जोर से चोदे जा रहा था।
10 मिनट की गांड चुदाई के बाद सूरज के लंड ने मेरी गांड को अपने पानी से भर दिया और वो मेरे ऊपर ही लेट गया।
इसके बाद हमारा ये सब रोज का हो गया उसे भी मेरी गांड मरने में मजा आता था, और मुझे अपनी गांड मरवाने में।
तो दोस्तों कैसी लगी मेरी देसी गे सेक्स कहानी, मुझे कमेंट में जरूर बताये। धन्यवाद।