November 30, 2024
Pehli Chudai Ka Sapna 3

पिछला भाग: Pehli Chudai Ka Sapna 2

मेरा नाम जैस्मिन है और मैं दिल्ली की रहने वाली हूँ। मैं अपनी Hindi Sex Story मेरी पहली चुदाई का सपना मेरे ड्राइवर ने पूरा किया का भाग-3 लेकर आई हूं।

मैं उम्मीद करती हूं पिछला भाग आपको पसंद आयी होगी और अगर आपने अभी तक पिछला भाग नहीं पढ़ा है तो पहले वो पढ़े।

हाय दोस्तो, मैं जैस्मिन। इस कहानी में मेरे ड्राइवर जीतेन्द्र ने मुझे बेवकूफ बनाया और मुझे चोदा अपने दोस्त के साथ मिलके। ( Pehli Chudai Ka Sapna 3 )

पहले की Hindi Sex Kahani में मैंने बताया कि हर रात जीतेन्द्र भैया के कमरे में जाती थी उनसे चुदवाने।

मुझे अब चुदाई का चस्का लग गया था। जीतेन्द्र भैया की रंडी बनके चुदवाने में मुझे मजा आने लगा था।

एक बार पापा को कहीं बाहर टूर पर जाना था। तो पापा जीतेन्द्र भैया को लेके 10 दिन के टूर पर चले गए।

मैं अपनी चूत की प्यास बुझा नहीं पा रही थी। बड़ी मुश्किल से 10 दिन बीते।

जिस दिन उन्हें वापस आना था, उस दिन पापा तो दिन में आ गए पर जीतेन्द्र भैया कहीं चले गए।

मैं खुद को रोक नहीं पा रही थी तो मैंने उन्हें फोन करके पूछा की आप कब आओगे।

उन्होंने बोला, “आज मेरे दोस्त का जन्मदिन है, तो शाम तक की छुट्टी ले ली है।

मैं रात तक आ जाऊंगा. तुम आज रात ठीक 11.45 बजे कमरे में आना।

और एक बात, तुम आज दिन में सो लेना, क्योंकि आज की रात बहुत लंबी होने वाली है।”

मैं रात का इंतज़ार करने लगी। मुझे एक्साइटमेंट हो रही थी कि आज रात को क्या होगा।

रात को सब अपने कमरे में जा चुके थे और सो चुके थे। रात के 11.30 बजे, मैंने हमेशा की तरह अपने सब कपड़े उतारे। बस एक पटला सा टॉप और निक्कर पहन के निकल गई।

मैंने बाहर जाते हुए देखा के हमारा सुरक्षा गार्ड विजय, गेट पर नहीं था।

फिर मैंने ज़्यादा ध्यान नहीं दिया और जीतेन्द्र भैया के कमरे की तरफ चली गई।

मैंने ठीक 11.45 पे जीतेन्द्र भैया के कमरे पर दस्तक दी, तो विजय ने दरवाजा खोला। हम दोनों एक दूसरे को देख के चौंक गए।

विजय एकदम से बोला, “अरे जैस्मिन बेबी आप यहां क्या कर रही हो?” मुझे समझ नहीं आया की मैं क्या बोलू।

मैं हकलाते हुए बोली, “वो मैं बस कुछ काम से आई थी जीतेन्द्र भाई से बात करने…”

मैं ये सब बोल ही रही थी, के जीतेन्द्र भैया ने बोला, “अरे अंदर आ जा,”

और उन्होंने विजय को दरवाजा बंद करने को कहा। मैं अंदर आ गई और विजय ने दरवाजा बंद कर दिया।

जीतेन्द्र भैया ने ऊँची आवाज़ में बोला, “जैस्मिन, तू अभी तक नंगी नहीं हुई?

क्या तुझे पता नहीं, मेरे कमरे में तेरा कपड़ा पहनने की इजाजत नहीं है?” । मैं विजय को देख के सदमे में थी। पर मेरे पास और कोई रास्ता नहीं था।

ना तो मैं जीतेन्द्र भैया को मना सकती थी और ना ही कमरे से बाहर जा सकती थी।

उनके नियम के मुताबिक, मैं जीतेन्द्र भैया के कमरे में आ तो अपनी मर्जी से पर जा नहीं सकती हूं,

पर सिर्फ उनकी मर्जी से जा सकती हूं। इससे पहले कि जीतेन्द्र भैया मुझे थप्पड़ लगाते, मैंने अपने कपड़े उतार दिए और नंगी हो गई।

जीतेन्द्र भैया बोले, “शाबाश जैस्मिन नंगी, अब जा और टेबल पर घोड़ी बन जा।”

विजय ये सब देख के हेयरां था. उसको विश्वास नहीं हो रहा था कि जैस्मिन बेबी जीतेन्द्र के कमरे में नंगी खड़ी है।

विजय सामने सोफे पर बैठ गया और मेरे गोरे नंगे बदन को घूर रहा था। जीतेन्द्र भाई आये और पीछे से मेरी गांड पे चांटे लगते हुए मेरी चूत चाटने लगे।

जीतेन्द्र भैया ने विजय को बोला, “तुम भी मजे लो।” विजय हिचकिचाते हुए बोला, “पर जैस्मिन बेबी?

” जीतेन्द्र हस के बोले, “अरे ये जैस्मिन बेबी नहीं जैस्मिन नंगी है।”

जीतेन्द्र ने मेरे गांड पे ज़ोर का चांटा लगाया और बोला, “बता तेरा नाम क्या है?

” मैंने धीमी आवाज़ में बोला, “जैस्मिन नंगी।” विजय ये सुनके डंग रह गया। जीतेन्द्र ने विजय से कहा, “चल तू भी शुरू हो जा।”

विजय आया और चूचे मसलने लगा। वो बोला, “वाह जैस्मिन बेबी आपके चूचे तो बहुत बड़े और मस्त हैं।

जब भी आप बाहर जाती तो मेरी नज़र आपके चुचो पे पड़ती थी। पर मैंने कभी सोचा नहीं था कि इन्हें दबाने का मौका भी मिलेगा।”

जीतेन्द्र ये सब सुन रहा था, वो बोला, “विजय तू बस देखता रह आज क्या हो गया है।”

इतने में घड़ी में 12 बज गए। जैसे ही 12 बजे, जीतेन्द्र ने विजय को जन्मदिन की शुभकामनाएं दीं।

मेरी गांड पर हाथ मारता हुआ बोला, “ये ले तेरा बर्थडे गिफ्ट।” वो खुश हो गया, उसकी खुशी उसकी पैंट में नजर आ रही थी।

अब मैं समझ चुकी थी। ये सब जीतेन्द्र का प्लान था, आज उसके दोस्त विजय का जन्मदिन है और मैं उसका उपहार हूं।

जीतेन्द्र ने मुझे बोला, “जैस्मिन नंगी, विजय को विश करो।” मैंने विजय को जन्मदिन की शुभकामनाएं दीं।

जीतेन्द्र ने मेरी गांड पर मरते हुए बोला, चल विजय का लंड चूस।

” मैं विजय की पैंट खोलने लगी और उसका लंड बाहर निकाल के चूसने लगी। विजय का लंड भी कुछ कम नहीं था. वो भी मोटा और 8” लम्बा लंड था।

अब दो तरफ से मेरी चुदाई चल रही थी। जीतेन्द्र ने मेरी गांड में लंड डाल रखा था,

और सामने से विजय मेरे मुँह को चोद रहा था। विजय ने मेरे चूचे मसल मसल के लाल कर दिये थे.

विजय बोला, “जीतेन्द्र भाई मुझे अब जैस्मिन बेबी की चूत मारनी है।” जीतेन्द्र ने बोला आ जाओ. जीतेन्द्र ने मुझे पीछे से अपनी गोद में उठा लिया।

उसका लंड अभी भी मेरी गांड में था. जीतेन्द्र ने विजय को बोला, “आजा डाल दे अपना लंड जैस्मिन की चूत में।”

मैं देख रही थी ये सब क्या हो रहा है। इतने में विजय आया और मेरी चूत में लंड घुसाने लगा।

मेरी आवाज़ निकल गयी. मैं पहली बार अपने दोनो छेदो में एक साथ लंड ले रही थी। मुझे दर्द हो रहा था. दोनों ने चोदना शुरू कर दिया।

मेरी चूत और गांड दोनो में संसनाहट हो रही थी। मुझे लग रहा था आज मेरी चूत और गांड दोनों फट जाएंगी।

पर थोड़ी देर बाद मुझे मजा आने लगा। अब जीतेन्द्र भैया मुझे लेके बिस्तर पर लेट गए। विजय ऊपर से आया और चूत में लंड डाल के चोदने लगा।

दोनों ने मिलके मुझे आधे घंटे तक चोदा। फिर मुझे नीचे बैठा कर, दोनों ने अपना अपना माल मेरे ऊपर झाड़ दिया।

मैंने हमेशा की तरह सारा माल चाट लिया। मैं थक के वही बैठ गयी. जीतेन्द्र ने बोला वो बाहर जा रहा है, सिगरेट लाने। विजय वही बैठा रहा.

विजय मुझसे बोला, “जैस्मिन बेबी, मैंने आज आपको मुँह चोदा और चूत भी चोदी, पर गांड रह गयी है।

देखो तुम मुझे मना नहीं कर सकते, मेरा जन्मदिन है आज।”

मैं मुस्कुरा रही हूं और बोली, “हां विजय भैया आप भी मेरी गांड मार लो। आपका लंड बहुत मस्त चुदाई करता है।”

वो मेरे पास आया और लंड मेरे मुँह में घुसाया। मैं लंड चूस रही हूं और चूस चूस के फिर से खड़ा कर दिया।

मैं देख कर हेयरन हो गई कि इतनी जल्दी तो जीतेन्द्र भैया का लंड भी वापस खड़ा नहीं हुआ। वो बोला, “जैस्मिन बेबी, कुतिया बन जाओ।”

मैं बिस्तर पर कुतिया पोज़ में आ गई, विजय ने एक ही बार में अपना लंड मेरी गांड में उतार दिया।

अभी इतनी देर से जीतेन्द्र मुझे चोद रहा था तो विजय का लंड लेने में मुझे ज्यादा परेशानी नहीं हुई।

विजय का लंड जैसा मेरी गांड में जा रहा था। मैं समझ गई थी, की।

विजय का लंड, जीतेन्द्र के लंड से भी मोटा है. विजय ने मेरी गांड मरनी शुरू करदी। मेरी सिस्कारियाँ निकल रही थी.

वो इतने ज़ोर से मेरी गांड मार रहा था, ऐसा लग रहा था मेरी आंखें बाहर आ जाएंगी।

उसने मेरे बाल पकड़े और मुझे खींच खींच कर चोदने लगा। मैं इस चुदाई का भरपूर मजा ले रही थी।

आज की रात मैं कितनी बार झड़ चुकी थी मुझे कुछ याद नहीं था।

विजय मुझे 20-25 मिनट तक चोदता रहा और फिर उसने मेरी गांड में ही झाड़ दिया।

सारा माल मेरी गांड में छोड़ दिया. मैं बिस्तार पे ही लेट गई और वो सोफे पर जाके बैठ गया।

हम दोनो ऐसे ही पड़े हुए थे कि इतने में जीतेन्द्र भी आ गया। वो विजय के लिए केक लेने गया था।

आते ही बोला, “यहां क्या चल रहा था?” मैंने बोला, “विजय भैया मेरी गांड मार रहे थे।”

उसके बाद जीतेन्द्र ने क्या किया वो हम अगले xxx Kahani पार्ट में जानेगे।

अगला भागः Pehli Chudai Ka Sapna 4

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