पिछला भाग पढ़े:- Parivarik Chudai ki kahani-1
हेलो दोस्तों काफी दिनों बाद इस कहानी का अगला हिस्सा लिख रहा हूं। मैं अपनी पढ़ाई में व्यस्त हूं, समय-समय पर आपके लिए कहानी लिखता रहूंगा। पिछले भाग में आपने पढ़ा कि कैसे मैंने अपनी सगी बहन को नंगा देखा और उसके बाद हम दोनों एक दूसरे से शर्मा रहे थे, और नज़र नहीं मिल पा रहे थे।
भाई बहन और मम्मी की चुदाई की कहानी – पारिवारिक चुदाई की कहानी-2
हम दोनो कॉलेज के लिए तैयार होके डाइनिंग टेबल पर मिलते हैं। पर हम दोनो एक-दूसरे से बिल्कुल बात नहीं कर रहे थे। मैं मनु दीदी से बहुत ज्यादा प्यार करता था (जो प्यार एक भाई अपनी सगी बहन से करता है)। उनसे दूर नहीं रह सकती थी मैं, और ना ही दीदी मुझसे दूर रह सकती थीं।
दीदी से बिना बात किये मैं एक दिन नहीं रह सकता। मुझे काफ़ी बुरा लग रहा था, और खुद पे गुस्सा भी आ रहा था कि ये मैंने क्या कर दिया।
नाश्ता करके हम दोनों स्कूटी से कॉलेज चले गए। पहली बार ऐसा हुआ कि हमने कॉलेज जाते हुए बात नहीं की। मुझे लगा कि दीदी अब मुझसे बात नहीं करना चाहती थी, तो मैं घर जल्दी आ गया। घर आते ही मैं कमरे में जाके सो गया।
फिर करीब 4 बजे दीदी घर आई तो उन्हें देखा कि मैं सो रहा था। शाम को मैं बाहर घूमने चला जाता हूं, ताकी दीदी की सामने ना आउ। रात को डिनर के टाइम हम मिलते हैं, और डिनर करने लगते हैं। हम दोनों को चुप-चुप देख के मम्मी पापा पूछते हैं-
पापा: क्या हुआ आज तुम दोनो को? इतना चुप-चुप क्यों बैठे हो?
दीदी: कुछ नहीं हुआ पापा मुझे तो, आरुष को ही हुआ है शायद।
पापा: क्यों अरुष, क्या हुआ?
मैं: ऐसे ही पापा, थोड़ा सा दर्द कर रहा है।
मम्मी: कोई नहीं बेटा, खाना खा के जल्दी सो जाना।
डिनर करके सब अपने-अपने कमरों में चले जायेंगे। दीदी और मैं एक ही कमरे में और एक ही बिस्तर पर सोए हुए थे। आज पूरे दिन दीदी से बात नहीं हुई, तो मैं काफ़ी उदास हो गया था। दीदी भी मेरे को ऐसे नहीं देख पा रही थी, तो दीदी ने छुपी तोड़ी।
दीदी: तूने ठीक से डिनर क्यों नहीं किया? और ना ही सुबह से कुछ बोल रहा है?
मैं दीदी की बात का कोई रिप्लाई नहीं करता, और दूसरा तरफ फेस करके लेट जाता हूं।
दीदी: अरुष मैं कुछ पूछ रही हूं. डिनर क्यों नहीं किया?
मैं फिर से कोई रिप्लाई नहीं देता हूं। दीदी मेरा चेहरा अपनी तरफ करती है, और मेरी आँखों में देखती है। तभी मैं बहुत इमोशनल हो जाता हूं, और दीदी को गले लगा लेता हूं, और रोने लगता हूं।
मैं: दीदी आई एम सॉरी, मुझसे गलती हो गई। कृपया मुझे माफ़ कर दो। मेरा कोई गलत इरादा नहीं था आपको लेके। मैं आपसे बहुत प्यार करता हूं।
दीदी: अरुष तेरी कोई गलती नहीं थी. मेरा ही ध्यान नहीं था, और गेट खुला छोड़ दिया।
मैं: फिर भी दीदी, मुझे गेट नहीं खोलना चाहिए था।
दीदी: हां मानती हूं कि तुझे गेट नहीं खोलना चाहिए था, पर कोई बात नहीं। मैंने माफ़ कर दिया तुझे.
मैं : धन्यवाद दीदी.
दीदी मुझे गले लगाती है और मेरे गाल पर किस कर लेती है। दीदी ने पहली बार मुझे किस किया था, और दीदी के किस करते ही मेरे शरीर में अजीब सा करंट दौड़ने लगा। मेरा लंड धीरे-धीरे खड़ा होने लगा।
मैं सिर्फ लोअर में टेंट छुपाने की कोशिश करता हूं, पर दीदी को पता चल जाता है। उनकी नज़र मेरे निचले हिस्से पर पड़ती है, और मुझे नकली गुस्सा दिखाते हुए मुझसे पूछती है-
दीदी: ये क्या है, तू अपनी दीदी के बारे में ये सब सोचता है?
मैं: नहीं दीदी, मैं आपके बारे में गलत नहीं सोचता। ये पता नहीं कैसा हो गया.
दीदी: पता तो तुझे सब है. सुबह भी जब तूने मुझे बिना कपड़ों के देखा था, तब भी तेरा (चुप हो जाती है)।
ये सुन के मैं भी थोड़ा नॉर्मल और ओपन होता हु दीदी के साथ।
मैं: वो दीदी आपको नंगे देख के अपने आप हो गए। अब मेरे नियंत्रण में थोड़ी है। ये अपनी मर्जी से खड़ा होता है, और बैठ जाता है।
दीदी: सब समझ रही हूँ मेरे स्तन और बट देख के तुझे अच्छा लग रहा था।
मैं: दीदी यार मुझे नहीं पता उस टाइम मुझे क्या हुआ। आप इतनी सुंदर हो कि मेरा (चुप हो जाता हूँ), पर बुरा भी लगा बाद में।
दीदी: अच्छा बेटा तुझे मैं अब सुंदर दिखने लगी हूँ। रुक तेरी तो शिक़ायत करनी पड़ेगी मम्मी पापा को।
मैं: दीदी अब छोड़ो ना, हो गया अब, सॉरी ना।
दीदी: बहन हूं मैं तेरी, गर्लफ्रेंड नहीं हूं. अपनी गर्लफ्रेंड को देखना जैसा देखना है।
मैं: नहीं दीदी, अब तो बहुत महीनो से सिंगल हूँ। कोई डर की लड़की नहीं मिल रही.
दीदी: हां तभी तेरा ये हाल हो रहा (मेरे लंड की और इशारा करते हुए और हसने लगी)।
मैं: दीदी आप भी ना, क्यों परेशान हो रही हो?
फिर दीदी ने मुझे गाल में किस किया, और गुड नाइट बोल के सो गई। पर मेरा लंड अभी भी बिल्कुल खड़ा था, और मुझे नींद नहीं आ रही थी। मेरे ऊपर हवास चढ़ने लगी थी, और मुझे बस अब किसी की चूत चोदने का मन कर रहा था।
साइड में दीदी दूसरी तरफ फेस करके लेती हुई थी, और मुझे सुबह जो दीदी को नंगा देखा वो दिमाग में आने लगा। दीदी के स्तनों की मैं कल्पना कर सकता था। हवस इतनी चढ़ चुकी थी, मैं वही दीदी की साइड में लेट गया अपने बॉक्सर में हाथ डाल के लंड सहलाने लगा।
अब मुझे पहली बार दीदी के लिए गलत ख्याल आया। पर उसको चोदने के बारे में मैंने अभी भी नहीं सोचा था। मुझे लगा दीदी सो गई थी, तो मैं लंड बाहर निकाल के और बिना आवाज किए लंड हिलाने लगा। 5 मिनट तक लंड हिलाने के बाद मेरा पानी निकलने वाला था। मेरी सांसे भी तेज़ हो चुकी थी। बाद में मुझे पता चला कि दीदी सू नहीं रही थी।
मेरी सांसों की और हिलने की आवाज दीदी को सुनायी दे रही थी। पर वो अंजान बन के चुप-चाप सोती रही। तभी मैं चरम पर पहुंच गया, और मेरा सारा पानी वही अपने पेट पे निकल दिया, और ऐसा ही बिना साफ किये सो गया।
पिछले हिस्से में आप लोगों ने बहुत सपोर्ट किया। उसके लिए धन्यवाद. और आपके कमेंट पढ़ के मुझे बहुत अच्छा लगा। अब मैं जल्दी से अगला भाग लिखने की कोशिश करूंगा। अगले भाग में पढ़े क्या हुआ और टिप्पणी अनुभाग में कहानी पढ़ के फीडबैक जरूर दे।
अगला भाग पढ़े:- भाई बहन और मम्मी-3