आज की हिंदी सेक्स कहानी है “पापा ने मेरी चुदाई करी माँ के मायके जाने के बाद” इस कहानी को पढ़ने के बाद आप अपना लंड हिलाने से नहीं रोक पाएंगे।
दोस्तों, मैं पूनम हूँ, मैं अपने घर में सब से चुदाई करवा चुकी हूँ। जब मैंने जवानी की दहलीज पर कदम रखा तो मैंने पहली बार अपने पापा को मेरी मम्मी को चोदते हुए देखा, तब से मैं हमेशा अपने पापा से चुदवाने के बारे में सोचती रहती थी।
मैं अपने घर और ससुराल में भी सभी से चुद चुकी हूँ। मेरी उम्र 19 साल हो चुकी है और मैं औरत-मर्द के रिश्ते को समझती थी। एक बार जब मैंने अपने पापा को मेरी माँ को चोदते हुए देखा तो मुझे इतना मज़ा आया कि मैं इसे हर दिन देखने लगी।
मैं अपने पापा की चुदाई देखने में इतनी खो गई थी कि मैंने अपने पापा को फंसाने के लिए जाल बुनना शुरू कर दिया और आखिरकार एक दिन मुझे सफलता मिल ही गई। मैंने अपने पिता को फँसा लिया।
अब जब भी मौका मिलता, मैं पापा की गोद में बैठ जाती और अपनी चूची दबवाने का मजा लेती। लेकिन अभी तक मैं सिर्फ चूची ही दबवा पाई थी, पूरा मजा नहीं आया था।
मेरे मामा की शादी थी इसलिए माँ अपने मायके जा रही थी। रात को पापा ने मुझे अपनी गोद में खड़े लंड पर बिठाया और बोले- बेटी, कल तेरी माँ चली जायेगी, फिर कल तुझे पूरा मज़ा देंगे और जवान होने का मतलब बताएँगे।
मुझे अपने पिता की बात सुनकर खुशी हुई। पापा अपने बेडरूम की कोई न कोई खिड़की खुली रखते थे ताकि मैं पापा को मम्मी को चोदते हुए देख सकूँ। वही जो मैने कहा।
फिर उस रात पापा ने माँ को कुर्सी पर बैठाया, उनकी चूत को चाटा और दो बार झाड़ा और फिर 3 बार चोदा, फिर दोनों सो गये।
अगले दिन मम्मी को जाना था। माँ आज जा रही थी। पापा मेरे कमरे में आये, मेरी चुचियाँ पकड़ कर मेरे होंठों को दो-तीन बार चूमा और मेरी चूत को अपने लंड से दबाया और बोले- मैं तुम्हारी माँ को स्टेशन छोड़ कर आया, फिर आज रात तुम्हें पूरा मज़ा दूँगा।
मैं बहुत खुश था।
जब मेरे पिता चले गये तो मैं घर में अकेली रह गयी। मैंने अपनी चड्डी उतार दी और पापा के लौटने का इंतज़ार कर रही थी। मैंने सोचा कि जब तक पापा नहीं आते, मैं पापा के लंड के लिए अपनी चूत को उंगली से फैला लूं।
तभी किसी ने दरवाज़ा खटखटाया। मैंने चूत में उंगली करते हुए पूछा- कौन है?
‘मैं अभय हूं।’ अभय का नाम सुन कर मैं गुदगुदी से भर गया। अभय 20 साल से मेरा पड़ोसी था। वो काफी देर से मुझे फंसाने की कोशिश कर रहा था लेकिन मैं उसे लाइन नहीं दे रही थी।
वो रोज मुझे गंदे इशारे करता था और पास आकर कभी चूची दबाता तो कभी गांड पर हाथ फेरता और कहता- रानी, बस एक बार चुद कर देख लो।
आज मैं अपनी चूत में उंगली डालने को बेताब थी। आज उसके आने पर इतना मज़ा आया कि मैंने बिना चड्डी पहने ही दरवाज़ा खोल दिया।
मुझे उसके हावभाव से पता चल गया था कि वो मुझे चोदना चाहता है। आज मैं उसे चुदने के लिए तैयार थी। अभय के आने पर मैंने सोचा कि जब तक पापा नहीं आते, क्यों न एक बार उससे चुदाई करवा कर मजा लिया जाये। ये सोच कर दरवाज़ा खोल दिया।
जैसे ही मैंने दरवाज़ा खोला, अभय तुरंत अन्दर आ गया और मुझे मेरी चुचियाँ पकड़ता हुआ देख कर खुश हो गया और बोला- हाय रानी, बहुत अच्छा मौका है।
मैं उसकी इस हरकत से हैरान थी। उसने मेरी चुचियाँ छोड़ कर दरवाज़ा बंद कर दिया और मुझे गोद में उठा लिया और मेरी चुचियाँ मसलते हुए मेरे होंठ चूसने लगा और बोला- हाय रानी, तुम्हारी चुचियाँ बहुत टाइट हैं। हाय, बहुत तड़पाया है तुमने मुझे, आज तो मैं तुम्हें जरूर चोदूंगा।
मैंने कहा- ‘हाय भगवान, रहने दो, पापा आ जायेंगे।’
उसने कहा- ‘डरो मत मेरी जान, मैं तुम्हें बहुत जल्दी चोदूंगा। मेरा लिंग मोटा नहीं है, दर्द नहीं होगा।’
उसने मेरी गांड को सहलाया और बोला- हाय, इसने चड्डी नहीं पहनी है, बहुत अच्छा है।
मैं नंगी बैठी अपने पापा से चुदवाने की कोशिश कर रही थी लेकिन ये सुनहरा मौका था। मैं पापा से चुदवाने के लिए पहले से ही गर्म थी।
जब अभय ने मेरी चुचियों और गालों को मसलना शुरू कर दिया तो मैं अपने पापा से पहले अभय से मजा लेने को तैयार हो गयी। उसकी छेड़खानी का मजा ले रही थी। मेरी चूत लंड खाने को बेताब थी।
मैंने कमर हिलाते हुए कहा- अरे अभय, जो करना है जल्दी करो, कहीं पापा न आ जाएं!
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तो मेरा इशारा पाकर अभय बिस्तर पर लेटते ही अपनी पैंट उतारने लगा और नंगा होकर बोला- रानी, बहुत मजा आएगा।
‘तुम तो चुदने के लिए तैयार हो। देखो, मेरा लिंग छोटा है, है ना?’
जब उसने मेरा हाथ अपने लंड पर रखा तो मैं उसका 3 इंच का तना हुआ लंड पकड़ कर उत्तेजित हो गयी। यह मेरे पिता के लंड से आधा था।
मैंने उसके लंड को सहलाते हुए कहा- हे राम, जो करना है जल्दी करो।
जैसे ही अभय ने उसका लंड पकड़ा तो मेरा बदन तड़पने लगा। पहले तो मैं डर गयी लेकिन लंड पकड़ कर मचल उठी।
मेरे कहने पर वो मेरी टांगों के बीच आ गया और अपना छोटा सा लंड मेरी कसी हुई कुंवारी चूत पर रख कर धक्का लगाया तो सुपाड़ा थोड़ा अन्दर चला गया। फिर 3-4 झटके देकर पूरा अन्दर पेल दिया। (पापा ने मेरी चुदाई करी)
कुछ देर बाद उसने धीरे से चोदते हुए पूछा- मेरी जान दर्द तो नहीं हो रहा? क्या आपको मजा आ रहा है?
‘हाय, मारो, मजा आ गया।’
मेरी बात सुन कर वो तेजी से धक्के लगाने लगा। मुझे उससे चुदने में बहुत मजा आ रहा था, उसकी चुदाई मुझे जन्नत की सैर करा रही थी।
मैं नीचे से गांड हिलाते हुए सिसकने लगी- हाय अभय, जोर से चोदो, तुम्हारा लंड छोटा है। थोड़ा ताकत लगाकर चोदो राजा।
मेरी बात सुन कर अभय जोर जोर से चोदने लगा। उसका छोटा सा लंड मेरी चूत के करीब आ रहा था।
मैं पहली बार चुद रही थी इसलिए मुझे अभय के छोटे लंड का भी मजा आ रहा था। वो मुझे चोदते हुए जन्नत का मजा देने लगा।
10 मिनट बाद वो मेरी चुचियों पर लुढ़क गया और कुत्ते की तरह हांफने लगा। उसके लंड से गर्म पानी मेरी चूत में गिरने लगा।
मैं पहली बार चुदी थी और लंड की मलाई भी पहली बार मेरी चूत में गिरी थी इसलिए मैं मस्ती से भर कर उससे चिपक गयी। मेरी भी चूत टपकने लगी।
हम कुछ देर के लिए अलग हो गए। वह कपड़े पहन कर चला गया। मेरी चूत चिपचिपी हो गयी थी।
अभय तो मुझे चोद कर चला गया, लेकिन मैं उसकी इस साहसी हरकत से मंत्रमुग्ध हो गयी। उसने चोद कर बता दिया कि चुदने में बहुत मज़ा आता है।
अभय ठीक से चोद नहीं पा रहा था, बस ऊपर से ही चूत को रगड़ रहा था लेकिन मुझे पता चल गया था कि चुदने में अनोखा मजा है।
जब वह चला गया तो मैंने चड्डी पहन ली। मैं सोच रही थी कि जब मुझे अभय के छोटे लंड से इतना मजा आया है तो अगर पापा को उनका बड़ा लंड मिलेगा तो कितना मजा आएगा।
अभय के जाने के 6-7 मिनट बाद ही पापा स्टेशन से वापस आ गये। अंदर आते ही मेरे तने हुए मम्मों को फ्रॉक के ऊपर से पकड़कर बोले- आओ बेटी, अब हम तुम्हें जवान होने का मतलब बताते हैं।
‘ओह पापा, आपने तो कहा था कि रात को बताएंगे।’
‘अरे, अब तो माँ चली गई, अब तो हर वक्त रात ही रहती है। माँ के कमरे में ही आ जाना। आओ क्रीम ले आओ। पापा ने मेरी चुचियाँ मसलते हुए कहा।
मुझे तो अभय से चुदने के बाद ही पता चल गया था। मैं जानता था कि क्रीम का क्या होगा, पर मैं अनजान बन गया और बोला- पापा, क्रीम क्यों?
‘अरे लाओ, हम बता देंगे।’ पापा मेरी चुचियों को इतनी जोर से मसल रहे थे मानो उखाड़ ही डालेंगे।
मैं क्रीम और तौलिया लेकर मम्मी के बेडरूम में पहुंची। मैं बहुत खुश थी और जानती थी कि क्रीम का ऑर्डर क्यों दिया गया था।
अभय से चुदने के बाद क्रीम का मतलब समझ आया। पापा मुझे लड़की से औरत बनाने के लिए बेताब थे। मैं भी पापा का मोटा केला खाने के लिए तरस रही थी।
जब वह कमरे में पहुंची तो पापा ने कहा- बेटी, क्रीम टेबल पर रख कर बैठ जाओ।
मैं गुदगुदाते मन से कुर्सी पर बैठी तो पापा मेरे पीछे आये और अपने दोनों हाथ मेरी सख्त चुचियों पर ले आये और दोनों को प्यार से दबाने लगे।
पापा के हाथ से चूची दबवाने में बहुत मजा आ रहा था। तभी पापा ने अपना हाथ गर्दन के ऊपर से फ्रॉक के अंदर डाल दिया और नंगी चुचियों को दबाने लगे।
मैंने फ्रॉक के नीचे कुछ भी नहीं पहना हुआ था। पापा मेरे सख्त सख्त चूचों को अपनी मुट्ठी में लेकर दबा रहे थे और साथ ही दोनों चुचियों को मसल भी रहे थे। पूरा मजा आ रहा था।
तभी पापा ने पूछा- क्यों बेटी तुम्हें यह पसंद आया?
‘हाय पापा, बहुत मजा आ रहा है।’
‘थोड़ी देर ऐसे ही बैठो, आज तुमको शादी वाला मजा देंगे।’ अब तुम जवान हो गयी हो।
अब तुम्हारी लेने लायक होगयी है। आज तुम्हें खूब मजा दूँगा।
‘आहहहह ऊऊहह पापाआआ।’ (पापा ने मेरी चुदाई करी)
‘जब मैं तुम्हारे स्तन इस तरह दबाता हूँ तो तुम्हें कैसा लगता है?’
पापा ने मेरी सख्त चुचियों को भींच कर कहा तो मैं हड़बड़ा गई और बोली- हाय पापा, उहह सस्से, मुझे तो ऐसे ही और भी अच्छा लगता है।’
‘जब तुम अपने कपड़े उतार कर नंगी होकर मजे करोगी तो और भी ज्यादा मजा आएगा। ‘हाय, तुम्हारे स्तन छोटे हैं।’
‘पापा, मेरे निपल्स छोटे क्यों हैं? ‘मम्मी के तो बड़े है।’
चिंता मत करो बेटी। मैं तेरी चुचियों को तेरी माँ जितनी बड़ी कर दूंगा।
‘हाय बेटी, तुम अपने कपड़े उतार कर नंगी बैठोगी तो बड़ा मज़ा आएगा।’
‘पापा, मुझे अपनी चड्डी भी उतारने दो।’ मैं अनजान थी।
‘हाँ बेटी, चड्डी भी उतार दो।’
‘लड़कियों का असली मजा तो चड्डी में ही है।’
‘आज मैं तुम्हें सब कुछ बताऊंगा। जब तक तुम्हारी शादी नहीं हो जाती, मैं तुम्हें शादी का सुख देता रहूंगा। मैं तुम्हारे साथ ही हनीमून मनाऊंगा।’
‘तुम्हारे स्तन बहुत तंग हैं।’
‘नंगी हो जाओ बेटी।’ पापा ने फ्रॉक के अंदर हाथ डाला और दोनों को दबाते हुए कहा।
जब मेरे पापा ने मेरी चुचियाँ मसलते हुए मुझसे अपने कपड़े उतारने को कहा तो मुझे यकीन हो गया कि आज मुझे अपने पापा के लंड का मजा लेने को मिलेगा।
उनका लंड खाने के ख्याल से ही मुझे गुदगुदी होने लगी। मैं मम्मी की रंगीन चुदाई को याद करते हुए कुर्सी से नीचे उतर गयी और अपने कपड़े उतारने लगी।
मैंने अपने कपड़े उतारे और कुर्सी पर अपनी मां की तरह पैर फैलाकर बैठ गयी। मेरी छोटी छोटी चुचियाँ तनी हुई थी और मुझे बिल्कुल भी शर्म महसूस नहीं हो रही थी।
मेरी जाँघों के बीच बालों से भरी चूत पापा को साफ़ दिख रही थी। पापा मेरी गोल-मटोल चूत को ध्यान से देख रहे थे। गुलाबी चूत का छेद मस्त था।
पापा एक हाथ से मेरी गुलाबी कली को सहलाते हुए बोले- हाय राम बेटी, तेरी चूत तो जवान हो गयी है।
‘अरे बेटी तेरी चूत।’ पापा ने चूत दबा दी। जब पापा के हाथ से मेरी चूत दब गयी तो मैं चौंक गयी। मैं मस्ती से भरी हुई अपनी चूत को देख रही थी।
फिर पापा ने अपने अंगूठे पर क्रीम लगा कर मेरी चूत में डाल दिया। वो मेरी चूत को क्रीम से चिकना कर रहा था। अंगूठा जाते ही मेरा शरीर सुन्न हो गया। (पापा ने मेरी चुदाई करी)
तभी पापा ने अपना अंगूठा चूत से बाहर निकाला, फिर उस पर लगे चूत के रस को देख कर बोले- हाय बेटी, ये क्या, किसी से चुद कर मजा आया क्या?
मैं अपने पिता के अनुभव से स्तब्ध था। मैं घबरा गया और बोला- कैसा मजा पापा?’
‘बेटी, यहाँ कोई आया क्या?’
‘नहीं पापा, यहां कोई नहीं आया था।’
‘तो फिर तुम्हारी चूत में ये गाढ़ा रस कैसा?’
‘क्या मैं जान सकता हूं? पापा, जब आप मेरी चूची मसल रहे थे तो शायद कुछ गिर गया होगा।’ मैंने बहाना बनाते हुए कहा।
‘लगता है तुम्हारी चूत ने पानी छोड़ दिया है। इसे तौलिए से साफ कर लो।’
पापा मुझे तौलिया दो और निपल्स रगड़ते हुए बोली
पापा से तौलिया लिया और चूत को रगड़ कर साफ किया। पापा को अभय के बारे में पता नहीं चलने दिया।
मैं अपनी चूंचियाँ मसलवाते समय अपने पापा से खुल कर गंदी गंदी बातें कर रही थी ताकि मुझे सब पता चल जाये।
‘बेटी, जब मैं तुम्हारी चूची दबाता हूँ तो तुम्हें कैसा लगता है?’
‘हाय पापा, फिर तो स्वर्ग जैसा मजा मिलता है।’
‘बेटी, क्या तुम्हारी चूत में भी कुछ होता है?’
‘हां, पापा गुदगुदी हो रही है।’ मैंने कहा बेशर्म।
‘अगर मैं तुम्हारे चूचे और दबाऊंगा तो तुम्हारी चूत का भी मजा लूंगा।’
‘बेटी, किसी को मत बताना।’
‘नहीं पापा, बहुत मजा आ रहा है, किसी को पता नहीं चलेगा।’
पापा मेरी चुचियाँ मसलते रहे और मैं जन्नत का मजा लेती रही।
कुछ देर बाद मैं तड़फ कर बोली- ओह्ह्ह्ह पापा, अब चूची दबाना बंद करो और अब अपनी बेटी की चूत का मजा लो।
अब मैं भी अपने पापा से खुलकर बात करने लगी थी। इस वक्त हम दोनों बाप-बेटी नहीं थे। पापा मेरी चूँचियाँ छोड़ कर मेरे सामने आ गये। पापा का खड़ा लंड मोटा हो गया और मेरी आँखों के सामने फुदकने लगा।
पापा का लंड तो मैंने पहले भी देखा था, लेकिन आज इतने करीब से देख रही थी। मेरा मन उसे पकड़ने को हुआ तो मैंने उसे पकड़ लिया और दबाने लगी। पापा का मस्त लंड देख कर चूत से लार टपकाने लगी।
मैंने पापा का केला पकड़ते हुए कहा- श्श्श पापा, आपका लंड बहुत मोटा है। इतना मोटा मेरी चूत में कैसे जायेगा?’
‘अरे पगली लंड तो ऐसा ही होता है। मजा तो तभी है जब तुम मोटे लो।
‘लेकिन पापा, मेरी चूत छोटी है।’
‘ठीक है बेटी। देखना पूरा हो जायेगा।
‘लेकिन पापा फट जाएगी।’
‘अरे, फटेगी नहीं बेटी। एक बार चुदवाओगी तो रोज चुदवाने के लिए तरसोगी।
‘अपनी टाँगें फैलाकर अपनी चूत खोलो, पहले मैं अपनी बेटी की चूत चाटूँगा और फिर तुम्हें चोदूँगा।’
मैं समझ गयी कि पापा मम्मी की तरह मेरी चूत चाटना चाहते हैं। जब से मैंने अपनी मां को अपनी चूत चटवाते हुए देखा है, तब से मैं तरस रही थी कि काश मेरे पापा भी मेरी चूत चाटें। (पापा ने मेरी चुदाई करी)
अब जब पापा ने चूत को फैलाने के लिए दोनों हाथों से छेड़-छाड़ कर चूत की दरार को खोला। पापा घुटनों के बल बैठ गये और मेरी बालों से भरी चूत पर अपने होंठ रख कर चूमने लगे।
जब पापा ने मुझे चूमा तो मैं गुनगुनाने लगी। एक दो बार चूमने के बाद पापा मेरी चूत पर जीभ फिराते हुए चाटने लगे। वो मेरे हल्के बालों को भी चाट रहा था। मुझे मज़ा आ रहा था।
पापा चूत चाटते-चाटते क्लिट भी चाट रहे थे। मैं शांत थी अभय बस जल्दी से चला गया। चूची भी नहीं दबायी, मजा नहीं आया।
लेकिन पापा एक चतुर खिलाड़ी की तरह पूरा मजा दे रहे थे। पापा ने चूत को चाट चाट कर गीला कर दिया था। अब पापा चूत की दरार में अपनी जीभ चला रहे थे।
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कुछ देर तक ऐसा करने के बाद पापा ने मेरी गुलाबी चूत के गोंद वाले छेद में अपनी जीभ डाल दी। जब जीभ बुर में गयी तो मेरी हालत खराब हो गयी। मैं मजे से तड़प उठी। पहली बार चूत चटवा रही थी।
इतना मजा आ रहा था कि मैं नीचे से अपनी गांड उछालने लगी। कुछ देर चाटने के बाद पापा अलग हुए और मेरी चूत पर लंड रख कर मेरी चूत पर रगड़ने लगे।
चूत चटाई के बाद लंड की रगड़ से मैं पागल हो गई और मैंने झट से पापा से कहा- पापा, अब मेरी चूत में पेल दो, आह्ह्ह्ह ऊऊह्ह्ह्ह!!’
मेरी तड़पती हुई आवाज पर पापा ने मेरी चुचियाँ पकड़ लीं और कमर उठा कर धक्का मारा तो एक जोरदार शॉट लगते ही पापा का आधा लंड मेरी चूत में घुस गया।
पापा का मोटा और लम्बा लंड मेरी छोटी सी चूत में खीरे की तरह घुस गया। जैसे ही आधा गया, मैंने दर्द में कहा – आआआआआआआआआआआआ
पापा का मोटा और लम्बा लंड मेरी चूत में कसा हुआ था। मेरे कराहने पर पापा ने धक्का लगाना बंद कर दिया और मेरी चुचियों को मसलने लगे। अब मजा है। 6-7 मिनट बाद दर्द ख़त्म हो गया।
अब पापा बिना रुके धक्के लगा रहे थे। धीरे धीरे पापा का पूरा लंड चूत की झिल्ली को फाड़ता हुआ अन्दर घुस गया। मैं दर्द से छटपटाने लगी। ऐसा लगा मानो चूत में चाकू घुस गया हो।
मैं कमर हिलाते हुए बोली- हाय पापा, मेरी तो चूत फट गयी। ‘बाहर निकालो, मुझे मत चोदो।’
पापा अपना लंड फैलाते हुए मेरे गालों को चाट रहे थे। पापा ने मेरे गालों को चाटते हुए कहा- मत रो बेटी, अब तो ये पूरी तरह से चला गया है। हर लड़की को पहली बार दर्द होता है और फिर मजा आता है।
कुछ देर बाद मेरा कराहना बंद हो गया, पापा धीरे-धीरे चोदने लगे। पापा का लंड टाइट हो रहा था। अब सच में बहुत मजा आ रहा था।
अब जब पापा ऊपर से धक्का लगाते तो मैं नीचे से अपनी गांड उछाल देती। अभय बस ऊपर से ही रगड़ कर चला गया। पापा तो असली चुदाई कर रहे थे।
पापा ने लंड पूरा अन्दर पेल दिया था। पापा का लंड तो अभय से भी ज्यादा मजेदार था। जब पापा शॉट मारते थे तो सुपाड़ा मेरी बच्चेदानी तक चला जाता था। मुझे जन्नत के मजे से भी ज्यादा मजा आ रहा था।
तभी पापा ने पूछा- बेटी, अब दर्द तो नहीं हो रहा।
‘हाय पापा, अब तो बहुत मजा आ रहा है। आह्ह्ह्ह पापा और जोर से चोदो पापा।’
इसी तरह 20 मिनट के बाद पापा के लंड से गर्म मलाईदार वीर्य मेरी चूत में गिरने लगा। जब पापा का वीर्य मेरी चूत में गिरा तो मैं पापा से चिपक गयी और मेरी चूत भी झड़ने लगी। हम दोनों एक साथ झड़ रहे थे।
फिर पापा ने मुझे पूरी रात चोदा।
तो दोस्तो, आपको मेरी यह कहानी कैसी लगी, जरूर बताएं।
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