कैसे है दोस्तों आप सब लोग, मैं साक्षी आज फिर आप सभी हिंदी गे सेक्स स्टोरीज (Hindi Gay Sex Stories) पढ़ने वालो के लिए एक और धमाकेदार कहानी ले कर आई हूँ। कहानी का शीर्षक गाँव में पहली गैंगबैंग चुदाई की कहानी (Pahli Gangbang Chudai Ki Kahani) है।
मेरा नाम साजिद है मैं दिल्ली के पहाड़गंज में रहता हूँ। मेरी ये गे सेक्स कहानी काफी साल पुरानी है। मैं एक वर्जिन सा शरीफ सा लड़का था।
मैं सेक्स के बारे में मैं थोड़ा बहुत जानता था। गे सेक्स की बिल्कुल जानकारी नहीं थी मुझे।
मेरी बॉडी किसी भी लंडबाज को पागल करदे। बड़ी गांड थी, थोड़ी गोल-मटोल थी तो स्तन भी लटके हुए थे।
ख़ैर अपनी देसी गे सेक्स कहानी की तरफ़ आता हूँ…….
मैं गर्मी की छुट्टियों में अपने गांव गया हुआ था। मैं अपने चाचू के यहाँ रुका था। उनका घर एक पेट्रोल पंप स्टेशन के करीब था तो करीब मैं बहुत सारे तेल के टैंकर होते थे।
अक्सर वो टैंकर पठान चलाते थे। तो कभी-कभी पेट्रोल की कमी की वजह से सारी रात पठान वहीं होते थे। अब उनके लिए वहां एक होटल खुल गया था। होटल के करीब टेंट था जहां वो ड्राइवर सारी रात गुजारते थे।
चाचू का बेटा नदीम मेरी उम्र का था। वो और मैं सारा दिन साथ मैं होते थे। वो और मैं साथ में सोते थे। उसकी गांड मेरे से बड़ी थी, उसके अंदर लड़कियों वाली आदत थी एक रात मेरी आंख खुली क्योंकि नदीम बिस्तर पर नहीं था।
मुझे लगा बाथरूम जाएगा लेकिन वो कमरे से बाहर चला गया। मैं उसका पीछा करने लगा। उसका पीछा करते हुए मैं घर के गेट तक पहुंचा। वो घर का दरवाज़ा आराम से खोल रहा था कि आवाज़ ना हो।
मैं उसका पीछा करता रहा तो देखा वो टेंट के अंदर गया। मैं एक टैंकर के पीछे छुपके उसका इंतजार किया। थोड़ी देर बाद वो निकला और उसके साथ-साथ एक पठान निकला।
उसने उसकी गांड दबाने लगा। रात के 1 बजे दूर दूर तक कोई नहीं था। सिर्फ वो टैंकर था जिसमें लोग थे। वहा कितने लोग थे ये मुझे नहीं पता था। नदीम पठान के साथ टेंट के पीछे गया।
थोड़ी देर बाद आया तो उसने कपड़े बदले हुए थे। वो लाल रंग की लेडीज़ ड्रेस पहन के निकला। नदीम बहुत चिकना था बिल्कुल लड़की लग रहा था।
मैं हैरान हुआ ये सब देख के। नदीम फिर टेंट के अंदर गया। और उसके घुसते ही ज़ोर ज़ोर से सीटी सुनी मैंने। उसके बाद एक पठान निकला और उसने टेंट के गेट पर एक गाड़ी लगा दी।
अब मैं उत्सुक था सब के बारे में, मैं मौका देख के करीब गया। पीछे की तरफ अंधेरा था बहुत, लेकिन टेंट के होल से मैं अंदर देखने लगा।
अंदर गाने चल रहे थे, मैंने जो देखा उसके बाद मैं चौंक गया। अंदर नदीम लाल ड्रेस में 10-12 पठानों के सामने नाच रहा था। सब उसके डांस का मजा ले रहे थे। नदीम बड़े मजे से नाच रहा था।
पठान बार-बार उसकी गांड को थप्पड़ भी मार रहे थे। 20 मिनट नाच गाने के बाद काफी पठानों ने शलवार खोल दी अपनी। फिर एक ने गाने बंद किये और अपनी भाषा में कुछ बोला।
उसके बाद सब उठे, और नदीम के कपडे फाड़ने लगे, उसके स्तन और गांड दबाने लगे। नदीम तुम सब एन्जॉय कर रहे थे। थोड़ी ही देर में नदीम नंगा उनके सामने खड़ा था और उनका लंड चूस रहा था।
एक लंड मुँह में एक गांड में, उसकी गांड की चुदाई देख के मेरा भी खड़ा होने लगा। मैं गे नहीं था बल्कि ये पहली बार देखा मैंने मर्दों के साथ भी सेक्स किया जा सकता है।
नदीम उस समय मासूम सी लड़की जैसा लग रहा था जिसका गैंगबैंग हो रहा था। मैंने लंड निकाला और ये सब देख के मुठ मारने लगा।
अब मैंने नोटिस नहीं किया कि एक पठान पेशाब करने के लिए टेंट के पीछे आ गया। मैं अपना मजे ले रहा था और नदीम का गैंगबैंग देख रहा था। उस पठान ने मुझे देखा और चुप चाप मेरे पीछे खड़ा हुआ।
जैसे मुझे फीलिंग आई के कोई पीछे खड़ा है उस पठान ने मुझे दबा लिया। उसने मेरे मुँह को पकड़ लिया। अब मुझसे सांस ना ली जाए। कोई 10 मिनट तक मैंने संघर्ष किया लेकिन उसने ऐसे पकड़ रखा था के मुझे सांस नहीं आ रही थी। और मैं बेहोश हो गया।
मेरी आंख जब खुली तो मैं नंगा था और मेरे हाथ पांव बांध दिये थे। मेरे मुँह में मेरी अंडरवियर घुसाई हुई थी। मेरे सामने नदीम की चुदाई चल रही थी, सब नंगे खड़े थे।
मेरे जगने के बाद कुछ पठान आके मुझे टच करने लगे। नदीम को चुदते देख मेरा पानी निकल गया। एक पठान ने नदीम को बालों से पकड़ा और मेरे लंड को उसके मुँह में घुसा दिया। और नदीम मेरा वीर्य चाटने लगा, फिर नदीम को वापस चोदने लगे।
एक पठान ने अपने लंड पर तेल लगाया, मेरी टांगे ऊपर की और अपना लम्बा लंड मेरी गांड के छेद पर सेट किया। वो ज़ोर देने लगा लेकिन लंड स्लिप कर रहा था मेरी गांड टाइट थी।
उसने कोशिश की लंड ना गया फिर दूसरे ने उसे धक्का दिया। और वो ट्राई करने लगा। अब इसका लंड ज़्यादा लंबा था लेकिन पतला था। बड़ी मुश्किल से उसका टोपा अंदर गया।
मैं दर्द से कांप रहा था चिल्ला भी नहीं पा रहा था। आँखों से आँसू आ गए। दर्द बहुत ज़्यादा था। आहिस्ता आहिस्ता उसका पूरा लंड अन्दर चला गया। उसके बाद वो स्पीड से चोदने लगा। मैं दर्द से मर रहा था। लेकिन उनको फ़र्क नहीं पद रहा था, उनको एक नया शिकार जो मिल गया था।
मुझे बाद में पता चला ये पठानों का ग्रुप हफ़्ते में 3 दिन यहीं से गुज़रता था। ऐसी ही ज़बरदस्ती उन्होंने नदीम की गांड मारी और उसको इतना चोदा के वो उनकी रखैल बन गया।
नदीम को भी इतना सेक्स करने का बाद मजा आने लगा और वो खुद इनके पास आता था। अब नदीम को मैं ढूंढने आया और मेरी भी गांड फाड़ के चुदाई करने लगे।
पठान ने 15 मिनट तक चोदा और गांड में ही झड़ गया। ऐसे कर कर के आधे ड्राइवर्स ने मेरी गांड मारी और हाधो ने नदीम की। कुछ कुछ पठानों ने तो 2 – 2 राउंड भी हमारी गांड की चुदाई की।
मुझे चुदते-चुदते सुबह का सूरज निकल आया था। अब दर्द नहीं हो रहा था। लेकिन ये सब मुझे पसंद नहीं आ रहा था।
मुझे चोदते वक़्त एक ने मेरी वीडियो रिकॉर्ड की। सुबह को जब सब दूर हुए थे नदीम ने मेरे हाथ खोले और मुँह से अंडरवियर निकला। नदीम ने मुझे उठाया और मुझे कपड़े पहनाए और खुद भी कपडे बदले।
पठान ने मुझे वीडियो दिखाया और बोला-
“कल से तू भी यहाँ आएगा इसके साथ वरना तेरी वीडियो नेट पर जाएगी।”
मैं डर गया फिर नदीम आया और मुझे उठा कर बेडरूम तक ले गया। मैंने सारा दिन सो कर गुजारा, मेरी गांड का छेद इतना खुल चूका था के पूरा हाथ अंदर चला जाये।
इसके बाद हमारी हर हफ्ते में 3 रात गांड की चुदाई होती और वो सब मजे से हम दोनों की गांड को चोदते।
दोस्तों ये थी मेरी रियल हिंदी गे सेक्स स्टोरी (Real Hindi Gay Sex Story) जो मैंने आज आप के साथ शेयर की है। मेरी कहानी पसंद आई हो तो कमेंट करके जरूर बताए। धन्यवाद।