हाय दोस्तो, मैं इशिका वापस आ गई हूं अपनी कहानी का अगला भाग (प्रोफेसर और माँ के साथ लेस्बियन थ्रीसम सेक्स का मज़ा लिया। )लेके। उम्मीद है कि आप सबको पिछला भाग पसंद आया होगा। अगर आपने पिछला भाग नहीं पढ़ा है, तो कृपया जाके पहले उसको पढ़ें।
कहानी का पिछला भाग : प्रोफेसर के साथ लेस्बियन सेक्स भाग-2
पिछले हिस्से में आप सब ने पढ़ा था, कि किस तरह मैं शिखा मैडम को सॉरी बोलने गई थी। लेकिन वाहा जाके मेरा और शिखा मैम का सेक्स हो गया। हम दोनो को बहुत मजा आया।
अब कहानी में आगे बढ़ते हैं।
अब हम दोनो बिस्तर पर नंगे पड़े हुए थे। किसी के मुँह से कोई बात नहीं निकल रही थी। मेरे दिमाग में ये चल रहा था कि हम यहां तक तो आ गए थे, लेकिन आगे हमारे रिश्ते का कोई भविष्य था या नहीं। शायद शिखा भी यही सोच रही होगी।
फ़िर वो बोली-
शिखा: इशिका हम यहां तक तो आ गए हैं। और ये भी जान गए हैं कि भगवान ने हमें कैसा बनाया है। लेकिन अब आगे क्या? ये समाज हमारा इस रिश्ते को कभी नहीं मानेगा। समाज छोड़ो हमारे घर वाले ही नहीं समझेंगे।
मैं: लेकिन हमें कोशिश तो करनी होगी। मैं बिना कोशिश किये हार नहीं मानूंगी। मुझे अपनी माँ से बात करनी होगी।
मेरे घर में मेरे अलावा सिर्फ मेरी माँ है। मेरे बाबा की मौत का समय पहले हो गया था, और मैं अपने घर की अकेली लड़की थी। अब मेरी माँ के बारे में जान लीजिये।
मेरी माँ की उमर 40 साल है, और उनकी शादी 20 साल की उमर में हो गई थी। पापा की मौत जब हुई थी, तब मैं सिर्फ 3 साल की थी। और उनकी मौत के बाद मेरी मां सिर्फ अपनी जिम्मेदारी पूरी करती आई थी।
माँ दिखने में अपनी उम्र से 10 साल कम लगती है। उनका फिगर 36-30-38 है. रंग उनका गोरा है, और मर्द आज भी उन पर लाइन मारते हैं।
मैंने शिखा को अपने साथ लिया, और घर पर ले आई। फिर मैंने माँ को सामने बिठाया, और बात शुरू की।
मैं: माँ ये शिखा है. मेरी कॉलेज प्रोफेसर.
माँ: अच्छा, कैसी हो शिखा बेटा. बहुत प्यारी हो तुम. क्या खाओगी?
शिखा: जी नहीं आंटी कुछ नहीं.
मैं: मां हम दोनों को आप से कुछ जरूरी बात करनी है।
माँ: हाँ बोलो, क्या बात है?
मैं: माँ दरअसल.
मेरा मन घबरा रहा था. मैं सोच रही थी, अगर मां मुझसे नाराज हो गई तो मैं क्या करूंगी, क्योंकि मैं अपनी मां से बहुत प्यार करती हूं।
माँ: हाँ बोलो बेटा, रुक क्यों गई?
मैं: मां मैं शिखा से प्यार करती हूं, उससे शादी करना चाहती हूं।
मेरी ये बात सुन कर माँ चुप हो गई। फिर कुछ सोचने के बाद वो बोली-
माँ: ये नहीं हो सकता. हमारा समाज ये कबूल नहीं करेगा.
फिर मैं और शिखा दोनो माँ को समझाने की कोशिश करने लगे।
माँ बोली: जो प्यार तुम्हें एक मर्द देता है, वो एक औरत नहीं दे सकती। तो ये नहीं हो सकता, और मैं इसकी मंज़ूरी कभी नहीं दूंगी।
ये बोल कर माँ जाने लगी. तभी शिखा ने मां का हाथ पकड़ा, और उसको खींच कर अपनी बाहों में भर लिया। इस पहले की मां कुछ बोल या समझ पति शिखा ने अपने होंथ मां के होंथो के साथ लगा दिये।
माँ उससे दूर होने की कोशिश करने लगी, लेकिन शिखा ने उनको कस के पकड़ रखा था। वो माँ के होंथ चूस रही थी। तभी मैंने भी पीछे से माँ को पकड़ लिया, और उनका दूध दबने लग गई।
कुछ देर तो माँ ने विरोध किया, लेकिन फिर माँ ने हार मान ली। अब वो हम्म हम्म कर रही थी, और शिखा का किस में साथ देने लगी। मैं अपने हाथ उनके दूध से उनकी जाँघों पर ले गई, और उनकी चूत को सहलाने लगी। इससे मां और उत्तेजित हो गई, और शिखा के होंथ काट-काट कर चूसने लगी।
माँ ने शिखाया के कपडे उतार दिये, और मैंने माँ के कपडे उतार दिये। अब वो दोनों सिर्फ ब्रा और पैंटी में थी। फिर माँ ने शिखा का हाथ पकड़ा, और उसको अंदर ले गई।
मैंने भी अपने कपड़े उतारे, और उनके पीछे चली गई। माँ ने शिखा को बिस्तर पर लिटाया, और उसकी पैंटी उतार कर उसकी चूत चाटने लग गई। मैं और शिखा हेयरां थे, कि मां ये कैसे कर रही थी।
फिर मैंने भी माँ के पीछे आके उनकी पैंटी उतारी, और उनकी चूत चाटने शुरू कर दी। माँ अपनी गांड हिला कर अपनी चूत चटवाने लगी, और उधर शिखा भी मजा ले रही थी।
फ़िर शिखा ने अपनी ब्रा उतार दी, और माँ को अपनी ऊपर खींच लिया। माँ उसके स्तनों को चूसने लग गई। फिर माँ ने भी अपनी ब्रा उतार दी, और अपने स्तनों को शिखा के स्तन के साथ रगड़ने लग गई।
मैंने भी अपनी पैंटी उतार दी, और उनके पास लेट कर अपनी चूत में उंगली करने लगी। फिर वो दोनों 69 पोजीशन में आई, और एक दूसरे की चूत चूसने लगी। मैं अपने स्तन दबा रही थी, और चूत सहला रही थी। कुछ देर बाद वो दोनों अलग हुई, और मेरी टैंगो के बीच आई।
उन डोनो ने मेरी चूत चाटनी शुरू कर दी। उन दोनों ने अपनी एक-एक उंगली मेरी चूत में डाल दी, और एक साथ अंदर-बाहर करने लगी। मैं तो अपनी चरम सीमा पर थी, और जल्दी ही मेरा पानी निकल गया।
फिर वो दोबारा एक दूसरे की चूत में उंगली डाल कर चोदने लग गई। वो दोनो एक दूसरे की गोद में बैठी थी, और किस करते हुए एक दूसरे की चूत में उंगली कर रही थी।
फ़िर माँ ने शिखा को खड़ा किया, और उसके सामने घुटनो पर बैठ गयी। माँ ने अपना मुँह उसकी चूत पर लगाया, और अंदर डाल कर उसकी चुदाई करने लगी। शिखा और बर्दाश्त नहीं कर पाई, और उसने मां के मुंह पर अपनी पिचकारी निकाल दी।
फिर दोनों ने पोजीशन चेंज की, और अब शिखा गुटनो पर थी, और माँ खड़ी थी। मैं भी शिखा के साथ माँ की चूत चोदने लगी। हम कभी जीभ डाल रहे थे, और कभी उंगली डाल रहे थे।
फ़िर माँ आह्ह आह्ह करने लग गई, और उनकी चूत से जोर की पिचकारी निकली। उनका माल इतना ज्यादा था, कि हम दोनो के मुँह भीग गये।
फिर हम तीनो वही लेट गए, और माँ ने कहा: मुझे भी शुरू में लड़कियाँ अच्छी लगती थीं। लेकिन घर वालो के दबाव की वजह से मुझे तुम्हारे पापा से शादी करनी पड़ी। इसमें कोई शक नहीं कि उन्होंने मुझे बहुत प्यार किया, लेकिन मुझे कभी वो मजा नहीं आया। अब से हम तीनों साथ रहेंगे, और मैं तुम दोनो की शादी करवाउंगी।
दोस्तों ये थी हमारे प्यार की जीत। और यहाँ कहानी ख़त्म होती है।