पिछला भाग: Land Ka Chaska 2 भाग 2
नमस्कार दोस्तों, मैं रितिका आज मैं Hindi Sex Story प्यासी चूत को लगा पडोसी के लंड का चस्का ( Land Ka Chaska 3 ) भाग 3 लेकर आयी हूं।
ये Free Hindi Sex Kahani गरिमा की जीवन की सच्ची घटना है।
मैं गरिमा दिल्ली की रहने वाली हूं। आपने मुझे पहचान तो लिया ही होगा।
चलिए कहानी शुरू करते है – प्यासी चूत को लगा पडोसी के लंड का चस्का भाग 3 ।
अगर आपने पिछला भाग नहीं पढ़ा तो पहले आप वो पढ़े।
पिछले भाग में अपने पढ़ा, कैसे मेरी पड़ोसन पूजा ने तारीफ कर-कर के अपने मामा के लिए मेरे दिल में प्यार पैदा कर दिया।
फिर वो मुझे उनके साथ सेक्स करने के लिए बोलने लगी।
अब मैं धीरे-धीरे आगे बढ़ रही थी, और फिर मैं उनकी बाहों तक पहुंच गई। अब आगे की कहानी.
पूजा की आवाज से हम दोनों एक-दूसरे से अलग हुए।
मैंने अपनी साड़ी पहनी और हॉल में आके पूजा और जीत के साथ चाय पी।
जीत और मेरी आंखें एक-दूसरे से प्यार भरी बातें कर रही थीं। चाय पीने के बाद जीत अपने कमरे में जाते हुए मुझे बोला-
जीत: गरिमा जी, आप थोड़ा मेरे कमरे में आएंगी?
मैं: जी अभी आती हूँ.
इतना बोल के मैं अपनी चाय ख़तम करके जीत के कमरे में जाने लगी। तबी पूजा बोली-
पूजा: शुभकामनाएं गरिमा।
पूजा की बात पे मैं मुस्कुरा दी, और जीत के कमरे में चली गई।
कमरे में पहुँचते ही जीत मेरे पास आया, और मुझे अपनी बाहों में भर लिया।
मैं भी उसकी बाहों में समा गई। उसके बाद जीत ने मेरे माथे को चूमा।
फिर मेरे गालों को, और उसके बाद मेरे होठों को चूमने लगा। मैं भी जीत का पूरा साथ दे रही थी।
मेरे गले को चूमते हुए जीत बोला-
जीत: गरिमा तुम मेरी खुशियों की चाबी हो।
मैं बोली: जीत आपकी ख़ुशी में ही मेरी ख़ुशी है।
जीत ने अब मेरी साड़ी, पेटीकोट और ब्लाउज उतार दिया। अब मैं वापस से सिर्फ ब्रा-पैंटी में जीत के सामने थी।
फ़िर जीत ने मेरी ब्रा और पैंटी भी उतार दी। आज पहली बार अपने पति के अलावा किसी गैर मर्द के सामने मैं पूरी नंगी थी।
फ़िर जीत ने मुझे अपनी बाहों में उठाया, और बिस्तर पर पटक दिया।
उसके बाद जीत ने अपने कपड़े उतार फेंके, और पूरा नंगा हो गया।
जीत के मसल जैसे लंड को देख के मेरी आँखें चमक उठी। मेरे पति के लंड से कई गुणा लंबा और मोटा लंड था जीत का।
जीत ने अपना लंड मेरे हाथो में रखा. और मैं जीत के लंड को अपने हाथ से सहलाने लगी।
फ़िर जूनेद के कहने पे मैंने उसके लंड पे अपने होठों से चूमा। और फिर मैं लंड को मुँह में लेके चूसने लगी।
मेरी कामुकता ( Kamukta ) अलग ही आसमान में थी।
काफ़ी देर जीत का लंड चूसने के बाद जीत ने अपने लंड का टॉपा मेरी चूत के छेद पर रखा।
फिर उसने अपने लंड को धक्का दिया, और उसका लंड मेरी चूत से सरसराता हुआ अंदर चला गया।
उस वक़त ने मन ही मन अपने पति से माफ़ी मांगी और बोली-
मैं (मन में): इतने अच्छे सुख के लिए आज और अभी से मैं अपना पतिव्रत धर्म का त्याग करती हूं।
और मैं भूलभुलैया से जीत के लंड से चूत की चुदाई ( Chut Ki Chudai ) का आनंद लेने लगी।
मेरे मुँह से आआअम्म आआअहह आआअहह की सिस्कारिया निकल रही थी।
जीत ने मुझे आज सही मायने में चुदाई का मतलब सिखाया था। जीत के लंड से चुदवा के मैं बिल्कुल तृप्त हो चुकी थी।
अपने उमर के इतने सालों में भी मैंने कभी ऐसे मजे नहीं लिए थे बुर की चुदाई ( Bur Ki Chudai ) के।
लगभाग एक घंटे बाद पूजा कमरे में आई। तब जीत बाथरूम गया हुआ था, और मैं नंगी ही उसके बिस्तर पर पड़ी हुई थी।
मुझे देख के पूजा हंसी और बोली: क्या कहा था गरिमा चाची। तेरी यही जगह है.
और वो हस्ती हुई कमरे के बाहर चली गई। जूनेद बाथरूम से आया, और मुझे बाहों में भर के मेरे होठों को चूमने लगा।
मैंने भी उसके लंड को चूमा, और चूसा।
उसके बाद मैं अपने कपड़े पहनने लगी। कपडे पहनने के बाद जीत ने मुझे पीछे से अपनी बाहों में भर लिया।
वो मेरे गालो को किस करते हुए बोला-
जीत: मत जाओ ना गरिमा.
मैं उसके होठों को चूमने के बाद बोली: जाना तो मैं भी नहीं चाहती। लेकिन क्या करूं मजबूर हूं। अभी जाना पड़ेगा.
फ़िर मैं अपने घर आ गयी। आज जीत से चुदवा के मैं बहुत खुश थी।
रात में भी सोते समय जीत के साथ बिताए हसीन पालो को याद करके मैं उत्तेजित हुई जा रही थी।
अगली सुबह घर के काम निपटा के मैं जल्दी ही पूजा के घर चली गई।
पूजा मुझसे बोली: आज तो साड़ी की जगह मामा के पसंद की सलवार पहन के उनको मजे देना।
मैं बोली: तू चिंता मत कर पूजा. लगभाग एक घंटे बाद पूजा घर से निकल गई।
पूजा के जाते ही जीत ने मुझे अपनी बाहों में भर लिया। मैं जीत की बाहों में इठलाती हुई बोली-
मैं: थोड़ा सबर करो जीत। मुझे तुम्हारे लिए तैयार होके आने दो।
जीत बोला: जल्दी आना गरिमा रानी.
मैं जीत के होठों को चूमते हुए बोली: यू गई और यू आई।
फिर मैं कमरे में गई और अपनी साड़ी, ब्लाउज और पेटीकोट उतार के सलवार सूट पहन के जल्दी से हॉल में वापस आ गई।
वापस आते ही जीत ने मुझे बाहों में भर लिया, और मेरे होठों को चूमने लगा।
मैं भी जीत के होठों को चूमने और चूसने लगी। तबही डोरबेल बाजी. जीत हस्ता हुआ बोला-
जीत: लगता है अमित मिया आ गए।
मैं बोली: कोन अमित मिया?
जीत हस्सा और बोला: मेरा जिगरी दोस्त।
फिर जीत दरवाजे पे गया, और दरवाजा खोल दिया। एक 40 साल का सफेद दाढ़ी वाला इंसान जीत के साथ अंदर आया।
जीत ने उसको सोफे पर बिठाया, और फिर खुद सोफे पर बैठ गया।
उसने मुझे अपने गोद में बिठा लिया, और उसने अमित के सामने ही मेरे होंठ चूमने लगा और मेरे दूध भी दबाने लगा।
मुझे बहुत शर्म आ रही थी. लेकिन जीत मस्ती में मेरे होठों को चूस रहा था, और दूध दबा रहा था।
फ़िर जीत ने मेरी कुर्ती निकाल फेंकी, और अमित को इशारे से पास आने को बोला।
अमित हमारे पास आया और दोनो हाथ से मेरे दोनो दूध को ब्रा के ऊपर से मसलने लगा।
अब जीत ने मेरा हाथ अमित के पजामे पे उसके लंड पे रख दिया। मैंने अपना हाथ तुरंत हटा लिया।
फ़िर जीत ने मेरे हाथ से एक हाथ से मेरी सलवार खोल दी, और मेरी पैंटी नीचे सरका के मेरी नंगी चूत और चूत के दाने को सहलाने लगा।
ऊपर अमित मेरे दूध और निपल्स को रगड़ और मसल रहा था। अब मैं भी काम-वासना से तपने लगी थी।
मुझे गरम होता देख जीत ने फिर से मेरा हाथ अमित के पजामे पे उसके लंड पे रख दिया।
इस बार मैंने अमित के लंड को अपनी मुट्ठी में पकड़ के रखा, और धीरे-धीरे सहलाने लगी।
थोड़ी देर बाद अमित और जीत ने मुझे पूरी नंगी कर दिया, और खुद भी पूरे नंगा हो गए।
अब जीत का खड़ा लंड मेरे हाथों पर था, और अमित का लंड मेरे हाथों की मुट्ठी में।
अमित मेरे दूध और निपल को सहला रहा था, तो जीत मेरी नंगी चूत को अपने हाथ से सहला रहा था।
मैं भी होठों से जीत के लंड को सहला रही थी, और हाथों में अमित का लंड जिसे बड़े प्यार से मैं सहला रही थी।
अब जीत ने अपना लंड मेरे मुँह से निकाला, और मेरी गुलाबी चूत ( Gulabi Chut ) पर रख दिया।
वही अमित ने तुरंत अपना लंड मेरे मुँह में दे दिया।
अब जीत मजे से मेरी चूत चोद रहा था, और मैं भी पूरे जोश से अमित के लंड को चूस रही थी।
मेरे एक-एक दूध और निपल जीत और अमित के हाथों में थे, और दोनों मस्ती से मेरे दूध और निपल से खेल रहे थे।
मुझे भी सुख की अनुभूति हो रही थी। और मैं जीत और अमित दोनों का भरपुर साथ दे रही थी।
इतना मजा मिला मुझे चुत चुदाई का, कि कब रात के 9 बज गए मुझे पता ही नहीं चला।
अमित और जीत ने बहुत प्यार से कई बार मुझे चोदा, और मुझे चुदाई के मजे से रूबरू करवाया।
कल फिर से मिलने का वादा करके मैं अपने घर आ गई। मुझे अब मेरे पति की कोई चिंता नहीं थी।
मैं सीधे अपने कमरे में चली गई, और दिन भर के चुदाई और कल करने वाले चुदाई को सोचते हुए सो गई।
अगले दिन 11 बजे मैं फिर जीत के घर पहुँच गई। जीत अमित और मैंने तीनो ने चुदाई के भरपूर मजे किये।
रात के 10 बजे मैं अपने घर वापस आ गई। अगली सुबह मुझे जीत के साथ शादी में जाना था।
अगली सुबह 12 बजे जीत घर पर आ गया। मैं और जीत समान लेके घर से निकल गए।
लगभाग 1 घंटे बाद हम रेलवे स्टेशन पहुंच गए। ट्रेन आ चुकी थी. जीत ने एक बोगी बुक करवा रखी थी, जिसका 4 स्लीपर था।
हम हमारी डब्बे में चढ़ गये। बोगी का गेट लगाने के बाद जीत मुझपे टूट पड़ा।
उसने मेरी साड़ी उतार फेंकी, ब्लाउज और पेटीकोट फाड़ दिया। मैं हस्ती हुई बोली-
मैं: आज जीत काफ़ी जोश में लग रहे हैं।
इसके आगे की कहानी का इंतज़ार करें। कहानी अच्छी लगी हो तो लाइक और कमेंट जरूर करें।
ये कहानी आप readxxxstories.com पर पढ़ रहे थे। उम्मीद करती हूँ आप लोगो को पसंद आयी होगी।
कहानी कैसी लगी कमेंट में ज़रूर बताये। मिलते अगले किसी दिलचस्प कहानी के साथ।