पिछला भाग: Land Ka Chaska भाग 1
नमस्कार दोस्तों, मैं रितिका आज मैं Hindi Sex Story प्यासी चूत को लगा पडोसी के लंड का चस्का ( Land Ka Chaska 2 ) भाग 2 लेकर आयी हूं।
ये Free Hindi Sex Kahani गरिमा की जीवन की सच्ची घटना है।
मैं गरिमा दिल्ली की रहने वाली हूं। आपने मुझे पहचान तो लिया ही होगा।
चलिए कहानी शुरू करते है – प्यासी चूत को लगा पडोसी के लंड का चस्का भाग 2 ।
पिछले भाग में आपने पढ़ा, कि किस तरह मैं अपनी पड़ोसन पूजा के मामा जीत की बातें सुन-सुन कर इम्प्रेस हो गई।
अब मेरे मन में उसके लिए प्यार आने लगा था। फिर मैं उसके बारे में सोच कर सो गई।
सुबह मैं उठी और अपने काम में लग गई। 12 बजे तक मैं खाना बना के फ्री हो गई।
मेरे पति जीत को खाना खाने के लिए बुलाने गए, लेकिन जीत नहीं आया।
फ़िर मेरे पति मुझे बोले: मीना एक काम करना, तुम जीत को टिफिन दे आना।
मैंने पति को खाना खिलाया, और फिर टिफिन लेके गई। जीत मुझे देख के बोले-
जीत: मीना जी, इसकी क्या ज़रूरत थी। आप बेकार में ही परेशान हो रही हो।
मैने बोला: इसमे परेशानी की कौन सी बात है?
ऐसे ही 4 दिन भी निकल गये. ना चाहते हुए भी मैं जीत की तरफ झुकती जा रही थी, और अपने पति से दूर होती जा रही थी।
मैंने खुद को संभालने की बहुत कोशिश की, लेकिन मैं नाकाम रही। मेरे दिल और दिमाग पे जीत पूरी तरह चा चूका था।
मैं मन से जीत की हो चुकी थी। लेकिन मैं अपना तन जीत को चाह कर भी नहीं सोंप रही थी।
मैं अपने पति को धोखा नहीं देना चाहती थी। विचारों के भँवर जाल में फँसी हुई थी मैं।
लेकिन मैं भी पूरी पक्की पतिव्रता औरत थी।
मैंने कहा था, कि मैं अपना तन अपने पति के अलावा किसी गैर मर्द को नहीं दूंगी। पूजा भी वापस आ चुकी थी।
जीत अब अधितर घर पर ही रहता था। अब तो मैं रोज़ ही पूजा के घर जाती थी।
अब पूजा के साथ काम, और जीत के साथ ज्यादा समय बिताती थी मैं, और जीत से ही ज्यादा बात-चीत होती थी।
कुछ दिनों बाद पूजा मेरी चुटकी लेते हुए जीत के लिए मुझे छेड़ने लगी।
मैं उसको मना करती हूं, लेकिन शर्मा भी जाती है। धीरे-धीरे पूजा की छेड़-छाड़ बढ़ने लगी। मैं उसको कुछ नहीं बोलती, बस मुस्कुरा देती।
अब तो पूजा सीधे ही मुझे चिढ़ाने लगी “मीना मामी जान” बोल के।
और मैं शर्म से लाल हो जाती हूं. पूजा मुझे उक्सा रही थी। वो कई बार इशारे-इशारे में मुझे जीत से चुदवाने के लिए उकसाती है, और मैं शर्मा जाती हूं।
मुझे पूजा का जीत देखने और चोदने के लिए अब अच्छा लगने लगा था।
मेरा रोज़ 12 से 4 का समय पूजा के घर ही बीतने लगा था जीत और मेरे पति भी अच्छे दोस्त बन गए थे।
ऐसा ही समय गुज़र गया, और 15 दिन बीत गये। एक दिन दोपहर में पूजा और उसके पति मेरे घर आये शादी का निमंत्रण लेके।
शादी गुजरात में थी 7 दिन बाद. पूजा 3 दिन बाद ही जाने वाली थी।
पूजा ने मुझे और मेरे पति को शादी में पक्का आने को कहा था।
मेरे पति तो अगले हफ्ते 10 दिनों के लिए गांव जाने वाले थे। पूजा ने मेरे पति से मुझे शादी में भेजने के लिए मना लिया।
शादी में जाने से पहले-पहले उसको शॉपिंग करनी थी। अगला दोपहर हमने शॉपिंग का प्लान बनाया।
फ़िर दोपहर 12 बजे मैं, पूजा और जीत ऑटो से बाज़ार के लिए निकले। मैं जीत और पूजा के बीच में बैठी थी।
पूजा जान-बूझ के मुझे जीत की तरफ़ धक्का देती, और हस्ती। जीत और मेरी जाँघें एक-दूसरे से सत्ती हुई थी।
मैं पूजा की हरकतों पर मुस्कुरा रही थी। हम मार्केट में चले गए, और शॉपिंग की।
पूजा ज़िद पे विज्ञापन देख कर बोली: मीना चाची आप शादी में आओगी तो क्या ये साड़ी पहनोगी?
नहीं, आपको सलवार सूट पहनना पड़ेगा।
मैं बोली: तू पागल हो गई है क्या? मैंने कभी नहीं पहनी.
पूजा बोली: नहीं मीना आंटी, तुमको तो सलवार-सूट ही पहनना पड़ेगा।
उसकी ज़िद के सामने मेरी एक ना चली। फिर हम दुकान पे गए. वहा पूजा चुटकी लेके जीत से बोली-
पूजा: मामा आप ही सेलेक्ट करो ना मीना आंटी के लिए.
और पूजा मेरी तरफ देख के आंख मारी, और वो मुस्कुरा दी।
मैं भी मुस्कुरा दी. जीत ने 5-6 सलवार सूट पसंद किये, और पूजा ने सारे ले लिये।
पूजा और जीत को सारे दुकान वाले जानते थे, क्योंकि उनका भी गारमेंट्स का ही बिजनेस था।
दुकान से हम टेलर की दुकान पे गए जहां मैंने अपना नाप दिया, और पूजा ने उस दर्जी को पैटर्न बताया कि किस पैटर्न में सलवार-सूट बनाना था।
दूसरे दिन तक बना के तैयार करने का भी बोल दिया पूजा ने।
फिर हम बाहर खाना खाने गए, और रात के 10 बजे तक घर पहुंचे।
मैं पूजा से बोली: चलो ठीक है पूजा मैं भी घर जाती हूं।
वो मेरा हाथ पकड़ के बोली: कहां जा रही हो मीना चाची?
और वो मुझे खींचते हुए जीत के कमरे में लेके गई। वहा वो मुझे बिस्तार पे गिराते हुए बोली-
पूजा: आज रात यहीं मामा के साथ उनके बिस्तार पे गुज़ार लो।
इतना बोल के वो ज़ोर-ज़ोर से हँसने लगी। मैं भी मुस्कुरायी और बोली-
मैं: पूजा तू पूरी पागल है.
फिर मैं बाहर निकलने लगी, तभी पूजा बोली: हां जाओ-जाओ, एक दिन लौट के मामा के इसी बिस्तार पे आना है।
मैं पलट के मुस्कुरा रही हूं और घर की तरफ चली गई। मेरे पति सो चुके।
मैंने भी हाथ मुँह धोये, और कपड़े बदल के बिस्तर में लेट गयी।
आज मैं बहुत खुश थी. साथ ही पूजा की हरकत और बातों पर मुझे शरम और उत्तेजाना के मिले-जुले भाव आ रहे थे।
थकां के कारण मैं सो गई। अपनी दैनिक दिनचर्या के हिसाब से मैं 12 बजे पूजा के घर पहुंच गई।
जीत घर पे नहीं था. मैंने 2-3 बार पूजा से पूछा जीत कहा था, और कब तक आएगा।
लेकिन पूजा ने ठीक से जवाब नहीं दिया।
अगली बार मैंने फिर पूछा तो पूजा बोली: क्यों जीत मामा के बिना तड़प हो रही है क्या?
और मामा को तुम इतना तड़पा रही हो, उसका ज़रा भी ख्याल नहीं तुमको?
दिन भर जीत चाहिए तुमको और रात को टाटा बाय-बाय। कभी सोचा दिल से जीत मामा के लिए?
मैं पूजा की बात सुन के चुप-चाप हो गई। वैसे पूजा ने कुछ ग़लत भी नहीं कहा था।
थोड़ी देर बाद पूजा मेरे पास आई, और मेरा हाथ पकड़ के बोली-
पूजा: सॉरी मीना चाची.
मैं कुछ बोलती थी, पहले ही डोरबेल बज गई। पूजा मेरे गाल पकड़ के बोली-
पूजा: लो आ गए तुम्हारे शौहर.
जीत के लिए शौहर शब्द सुन के मेरे ऊपर बिजली सी गिर पड़ी, और पूरे शरीर में सिहरन होने लगी।
जीत मुझे देख के मुस्कुराया। उसने पूजा को ठेलिया पकड़ाई और सोफे पर बैठ गया।
फिर पूजा मुझको अंदर वाले कमरे में ले गई, और उसने मुझसे सलवार सूट निकाला, और मुझे देती हुई बोली-
पूजा: लो मीना आंटी, अपने शौहर की पसंद का सूट पहन के तो दिखाओ।
मैं उसकी बात पे शर्मा के बैठ गई, और उसके सूट लेके बाथरूम में जाने लगी। तभी पूजा मुझे छेड़े हुए बोली-
पूजा: हाय मीना आंटी, हमसे इतनी शर्म? हमारी जगह जीत मामा होते तो यहीं अपने कपड़े बदल लेती, और बाथरूम में जाने की तकलीफ़ नहीं उठती।
मैं मुस्कुराती हुई बोली: पूजा तू बिल्कुल पागल है, कुछ तो भी बोलती है।
फिर मैं बाथरूम में चली गई, और अपनी साड़ी ब्लाउज और पेटीकोट उतार के सलवार सूट पहन लिया।
सलवार सूट बहुत ही पारदर्शी था। उसकी कुर्ती गहरी गले वाली थी,
और बहुत टाइट थी, जिसके मेरे बड़े-बड़े दूध बहुत हाय पागल लग रहे थे,
और मेरी काले रंग की ब्रा साफ-साफ दिख रही थी। मैं शरमाती हुई बाथरूम से बाहर निकली।
पूजा मुझको देख के बोली: मीना चाची तुम तो बिल्कुल हूर की परी लग रही हो।
जीत मामा तुमको देख लेंगे तो उनका तो खड़ा हो जाएगा। मैं समझ गई पूजा क्या खड़ा होने की बात कर रही थी।
फिर पूजा मुझे हॉल में जीत के पास ले गई।
जीत मुझे देख कर देखता ही रह गया। पूजा ने इशारे से मुझे जीत के पजामे की तरफ देखने को कहा।
मैंने देखा, तो वाकयी में जीत का लंड खड़ा हो गया था, और उसके पजामे में टेंट की तरह तन के खड़ा था।
मुझे बहुत शर्म आई, साथ में मुझे मस्ती और खुमारी का मजा भी आया।
मैंने बदल-बदल कर सारे सूट पहन के जीत और पूजा को दिखाया। मुझ पर खुमारी और वासना का रंग चढ़ चुका था।
पूजा ने मुझे छेड़-छेड़ के बहुत उत्तेजित कर दिया था।
आख़िर में पूजा ने कुछ ऐसा किया जिसे मैं जीत के सामने आधीनंगी ब्रा पैंटी में थी।
जीत मुझे और मेरे जिस्म को घूर रहा था, और मैं किसी मूर्ति की तरह चुप-चाप खड़ी थी।
हुआ यू कि जब मैं आखिरी सूट पहन के दिखाने के बाद कमरे के बाथरूम में जाने लगी। तबी पूजा बोली-
पूजा: अब यू ना शर्माओ मीना आंटी, आपको इतनी ही शर्म आ रही है तो हम चले किचन में ये रही आपकी साड़ी और बाकी के कपड़े यहीं कमरे में इतिमिनान से बदल लो।
इतना बोल के पूजा चली गई. लेकिन उस शातिर ने बाहर जाकर जीत को कमरे में भेज दिया,
ये बोल कि मीना आंटी आपको कमरे में बुला रही है। जब जीत कमरे में आया, तो मैं सिर्फ काली ब्रा और पैंटी में थी।
जीत ने मुझे इस अधनंगी हालात में देखा, और एक तक देखता ही रहा।
मैं भी चुप-चाप अपने अधनंगे जिस्म की नुमाइश करती रही।
फिर जीत मेरे करीब आया और मुझे अपनी बाहों में भर लिया।
मैं भी चुप-चाप उसकी बाहों में सिमट गई। जीत की बाहों में मुझे अजीब सा सुकून और सुख की अनुभूति मिली।
अब जीत के हाथ मेरे दूध पे थे। मैं भी बिना परेशानी के जीत की आगोश में सुख के मजे ले रही थी।
जीत और मैं ऐसे ही 10-15 मिनट तक एक-दूसरे की आगोश में रहे।
10-15 मिनट में जीत के हाथ मेरे दूध और चूत का जायज़ा ले चुके थे।
इसके आगे की कहानी आपको अगले भाग में मिलेगी।
ये Real Hindi Sex Kahani आप readxxxstories.com पर पढ़ रहे थे। उम्मीद करती हूँ आप लोगो को पसंद आयी होगी।
कहानी कैसी लगी कमेंट में ज़रूर बताये। मिलते अगले किसी दिलचस्प कहानी के साथ।
अगला भाग: Land Ka Chaska 3