October 12, 2024
लड़की की चुदाई

हेलो, दोस्तों, मैं आपकी पिया, आज फिर आपको एक लड़के की सेक्स स्टोरी सुनाने आई हूँ जिसका नाम "खेत में अनजान लड़की की चुदाई करी" है।

हेलो, दोस्तों, मैं आपकी पिया, आज फिर आपको एक लड़के की सेक्स स्टोरी सुनाने आई हूँ जिसका नाम “खेत में अनजान लड़की की चुदाई करी” है आगे की कहने उस लड़के की ज़ुबानी।

हेलो दोस्तों मेरा नाम अभिषेक है और में इंदौर का रहने वाला हूँ। मैं आपको एक ऐसी घटना बताने जा रहा हूँ जो मेरे साथ इंजीनियरिंग की पढ़ाई के फाइनल ईयर में घटी।

वो भी एक ऐसी लड़की के साथ जिसे मैं पूरी तरह से जानता भी नहीं था हुआ यूँ कि एक दिन जब मैं होस्टल में थी तो पापा से फोन पर मेरी रोज बातचीत हो रही थी। उस वक्त पापा एक अंकल के पास बैठे थे। कुछ ही दिनों में उस अंकल की शादी होने वाली थी।

उन्होंने पापा से कहा की मेरी उनसे भी बात करवाए। इस तरह की बातें करते-करते उसने मुझ पर दबाव डाला कि मुझे शादी में पक्का आना है।

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मैंने पापा से बात की…और अंकल की शादी में जाने का मन बनाया। मैंने तुरंत घर जाने के लिए टिकट बुक किया। फिर सोचने लगे कि इस बार शादी में क्या मजा है।

साथ ही गांव के बाहर रहने वाले सभी साथियों से भी बात की कि भैया मैं आ रहा हूं, आप सभी को भी आना है।

शादी के दो दिन पहले मैं शाम को गांव पहुंचा। मुझे लेने बड़ा भाई आया था। घर आकर सबसे मिला, थोड़ी बातचीत हुई।

फिर मां ने थोड़ी देर में खाना बनाया और मैं खाना खाकर सोने चला गया।

अगले दिन मैंने सोचा चलो अंकल से मिल लेते हैं। मैं उसके घर की ओर गया तो देखा कि एक लड़की किसी को मेंहदी लगा रही है। (लड़की की चुदाई)

मैंने अपने बड़े भाई से पूछा- यह कौन है?

उसने कहा कि वो एक रिश्तेदार है।

मैंने कहा- भाई मस्त है यार… देखिए, कुछ सेटिंग हो सकती है क्या?

भाई और मैं एक दूसरे के साथ काफी खुले हुए थे।

भाई ने कहा – नहीं यार शादी में कोई झगड़ा मोल मत लेना।

मैंने कहा- फिर रहने दो, कोई बात नहीं।

लेकिन मैं उस लड़की को भूल नहीं पाया।

अगले दिन पूरे गांव को दावत के लिए आमंत्रित किया गया तो अंकल ने कहा कि आज सारा काम संभालना है।

मैंने भी कहा- ठीक है अंकल।

काम के साथ-साथ मैं उस लड़की की भी तलाश करने लगा। वो रिश्तेदार हैं तो जरूर कहीं होंगी। मैंने पूरे घर में, छत पर…चारों ओर… हर जगह देखा, लेकिन वो नहीं मिली।

फिर मैंने गांव वालों को भोजन करवाने में मदद करना शुरू किया। जैसे ही मैं गर्म पूरियाँ लेने गया तो मैंने उसे वहाँ देखा।

मेरा भाई भी वहीं बैठा था। मैं सब समझता हूं कि क्या हो रहा है।

फिर मैंने सोचा कि छोड़ो यार अपनी गर्लफ्रेंड है… इसे रहने देते हैं। इस बार भाई को मौका देते हैं।

अगले दिन हम सब बारात में गए तो परिवार की कुछ लड़कियां भी साथ आ गईं।

अचानक उस लड़की को मेने लहंगे और चुनरी में देख लिया। एक बार फिर मेरा दिमाग डगमगाया, लेकिन मैंने काबू कर लिया। मुझे पीछे से उसकी ब्रा का स्ट्रेप दिख रहा था, तो मुझसे कण्ट्रोल नहीं हुआ।

मैं गया और उससे कहा कि अपने कपड़े ठीक करो, कोई कुछ भी कमेंट कर रहा है।

तो वो लड़की साइड में जाकर ठीक करवा कर वापस आ गई। फिर वो मेरे पास आकर बैठ गई और बोली- तुम बहुत गंदे आदमी हो… तुम जहां भी जाते हो अपनी नजर डालते हो। (लड़की की चुदाई)

मैं- अच्छा हुआ जो बता दिया… नहीं तो चारों तरफ से इतने गंदे कमेंट्स सुनती कि फूट-फूट कर रो पड़ती।

वो- ओहो… तो तुम्हे बुरा क्यों लग रहा है… गाली और कमेंट देने दो!

मैं- ठीक है फिर से उसी कोने में जाओ और इस बार पीछे से नहीं…थोड़ा सामने से दिखाओ…और सुनो सबके फनी कमेंट्स।

यह कहकर मैं उठकर चला गया। मुझे उसके नखरों पर बहुत गुस्सा आ रहा था। पहले तो मैंने अच्छा किया और उसने मुझे ही सुना रही थीं।

तभी दोस्त आये और बोले – क्या भाई… इतने दिन बाद मिले हो और सूख गए हो?

मैंने कहा – देखो भाइयो, मैं शरीफ आदमी हूं… लेकिन बड़ों की नजर में ही… ये लो पैसे और बीयर का पेटी ले आओ। आज फिर बैठेंगे दोस्तों के साथ।

सभी दोस्तों के पास बाइक थी तो दस मिनट में ही माहौल सेट हो गया। मैंने बीयर पी। मुझे सिर हल्का लगने लगा।

फिर सभी मित्र इस प्रकार की बातें करने लगे। थोड़ी देर में खाने का न्यौता आया कि सब बाराती खाना खा लें।

मैं भी दोस्तों के साथ गया था। मेरी नजर एक टेबल पर पड़ी, जिस पर सिर्फ एक सीट खाली थी. मैं जल्दी से जाकर उस पर बैठ गया।

मेरे बैठते ही एक आवाज आई-आओ, तुमने मुझे बहुत देर तक इंतजार कराया है

यह आवाज सुनकर मैं पूरी तरह से चौंक गया।

उसने आँखें झुकाईं और बोलीं- कहाँ चले गए थे तुम?

मैं हैरान रह गया। मैंने मन ही मन सोचा कि उसकी कितनी खूबसूरत आंखें हैं… मैं यहीं किस कर लू उसे लेकिन अचानक मुझे याद आया कि आस-पास हमारे लोग भी हैं, जो उम्र में बड़े हैं।

लेकिन अब मुझे विश्वास होने लगा था कि इस लड़की के साथ मेरी देसी कहानी परवान चढ़ने वाली है।

वो – अरे तुम तो आते ही खो गए, अब भी गुस्सा हो? बात भी नहीं करोगे?

मैं – सच कहूँ तो, तुम्हारी प्यारी आंखे देखते ही मेरा सारा ग़ुस्सा चूर होगया। ये सरोवर रूपी आँखें तुम्हारी बड़ी हसीन हैं… मैं उनमें कहीं खो गई थी। (लड़की की चुदाई)

मैंने शेर पढ़ा – चाँद जैसा खूबसूरत अगर कोई है… तो वो सिर्फ तुम हो कोई और नहीं।

वो -वाह, आप बड़े सिद्धहस्त शायर लगते हो…आप तो प्यार के मूड में हो रहे हो।

मैं – शायर तो नहीं हूँ…मगर हसीना…तुम्हें देखकर शायरी आ गई।

वो – क्या बात है आज तो शायरी की बारिश हो रही है।

मैं – ये कौन सा जाम था, जो तूने अपनी आँखों से मुझे पिला दिया… बड़ा सीधा आदमी था, तूने सारे सिस्टम हिला दिया।

वो- हाहाहाहा… अब बहुत हो गया, खाना खा लो…ठंडा हो रहा है।

मैं- खाना खा लूंगा लेकिन एक शर्त पर आज रात खत्म होने से पहले आप हमें किस करोगे।

वो- पागल हो गए हो तुम… अभी दुल्हन के पास जाना है, फिर रात भर बिजी रहूंगी।

मैं- ठीक है… फिर आप खाना खा लीजिए… मैं चलता हूं।

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तभी उसने मेरा हाथ पकड़ कर मुझे वापस बिठाया और निवाला तोड़ा और कहा- अगर तुम ये नहीं खाऊंगा तो कभी किस नहीं करूंगी।

मैंने उसकी आँखों में देखा तो वो शर्मा गई। कितना खूबसूरत पल था वो… दिल तो किया आज सबको देखने दो, बस मैं तुम्हें किस कर लूं। जो होगा देखा जाएगा।

लेकिन जैसे ही उनकी इज़्ज़त का ख्याल आया, मन बदल गया और सोचा, चलो थोड़ा इंतजार करते हैं और फिर ठीक है।

फिर खाना खाकर मैं अपने दोस्तों में बिजी हो गया और वो अपनी पार्टी में बिजी हो गई। (लड़की की चुदाई)

रात के दो बज रहे थे, लेकिन वो कहीं दिखाई नहीं दे रही थी। अचानक एक गाँव की लड़की ने मुझे फोन किया।

मैं उसके पास गया तो देखा कि वो गांव की एक लड़की के साथ दुल्हन के घर के पीछे खड़ी थी। उस लड़की का नाम पूनम था।

उसने पूनम से कहा- देखो उधर… क्या काम है, बस चली जाओ।

पूनम ने उसी दिशा में देखा तभी उसने मुझे अपने पास खींच लिया। मैं दंग रह गया कि गांव की यह लड़की क्या सोचेगी? गांव का सबसे शरीफ लड़का इस लड़की के साथ क्या कर रहा है।

मैंने कहा- अरे पूनम है!

उसने कहा – उसे अपने बारे में पता चल गया है और पूनम मुझे घर के पीछे ले आई है।

फिर मेरा मूड भी बदल गया और मैंने उसे कमर से पकड़ लिया और पीछे एक दीवार से धक्का दे दिया। फिर उसकी आँखों में देखने लगा।

उसने अपनी आँखें बंद कर लीं, तो मैंने उसकी आँखों को हल्के से चूमा। फिर उसने धीरे से आँखें खोलीं और अपनी सहमति जताई।

फिर मैंने उसके दोनों गालों को चूम लिया। वो एकदम शांत खड़ी थी। एक बार पूनम को देखा तो वो दूसरी तरफ देख रही थी कि कहीं कोई ना आ जाए.

मैंने तुरंत अपना दूसरा हाथ अपनी बाबू की गर्दन पर रखा और अपने होठों को उसके होठों पर रख दिया। वो एहसास मुझे आज भी रोमांचित करता है।

मुझे लगा जैसे मैंने अपने होठों पर चमचम लगा लिया हो। फिर मैंने हल्की सी हरकत की और उसके निचले होंठ को हल्के से अपने होठों में दबा लिया।

अब मेरी जान हरकत में आ चुकी थी। उन्होंने मुझे पूरा सपोर्ट किया और अपने शरीर को पूरी तरह से मुझसे चिपका लिया। उसके भारी-भरकम चूचे मेरे सीने में दब गए।

फिर मैंने उसे फ्रेंच किस करना शुरू कर दिया। मैंने अपनी जीभ उसके मुँह में दे दी। वो भी बड़े प्यार से उसे चूसने लगी। मैं अब दुगुना उत्साहित था।

एक तो उसका चूचे मेरे सीने से चिपका हुआ था और दूसरा उसका एक हाथ मेरे नीचे चल रहा था। वो बहुत ज्यादा किस कर रही थी।

इस तरह चूमते हुए सिर्फ पांच मिनट ही हुए होंगे कि उसने मेरा एक हाथ लेकर अपने एक चूचे पर रख दिया।

मैं किस करते-करते भूल ही गया था कि इसके आगे बहुत कुछ है। मैंने उसकी जीभ को चूसा और उसकी एक चूची मसालदी, वो सिसकते हुए बोली- आह आह आह आह… धीरे करो।

फिर पूनम मुड़ी और हमारी तरफ देखने लगी। हम दोनों अपनी-अपनी मस्ती में खो रखे थे… हमें पता ही नहीं चला कि कोई हमें देख रहा है। पूनम ने बाद में बताया था। (लड़की की चुदाई)

हम दोनों आपस में उलझे जा रहे थे। सब भूल गए थे कि यहां कोई और भी आ सकता है।

अब उनका एक हाथ मेरे लंड पर था और मेरा एक हाथ उनके चूचे पर हरकत कर रहा था। मैं में अब और नहीं रुक सकता था, इसलिए मैंने उसे लेटा दिया। वहां तिरपाल जैसा कुछ पड़ा थ

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। मैंने उसे उस पर लिटा दिया… ताकि उसके कपड़े गंदे न हों। फिर मैंने अपना दूसरा हाथ उसकी गर्दन से हटा कर उसकी चूत पर रख दिया। जैसे ही हाथ लहंगे के अंदर गया तो वो सिसकने लगी।

मैंने उसे चुप रहने का इशारा किया तो वो शांत हो गई और आनंद लेने लगी।

फिर मैं उसे किस करते हुए उसका ब्लाउज खोलने लगा। जैसे ही मैंने दोनों बटन खोले उसने मेरा हाथ रोका और अपने बूब्स ऊपर कर के बहार निकल दिए।

मैं मस्ती में था तो एक हाथ से दाएं चूचे को दबाने लगा और बाएं बॉब को चूसने लगा।

उसके निप्पल बहुत सख्त थे और उसके बूब्स का साइज मेरे हाथ में फिट आ रहा था।

वो धीरे-धीरे सिसक रही थी और मुझे आसपास किसी का कोई पता नहीं था। मैं बस अपने आप का आनंद ले रहा था।

तब मुझे एहसास हुआ कि अब बहुत देर हो चुकी है, कोई भी इसे खोजने नहीं आएगा, तो मैंने सोचा कि क्यों न बाकी का काम भी पूरा कर लिया जाए।

मैं धीरे से उसके दाहिने बूबा को चूसते हुए उसके पेट की ओर बढ़ा, जहाँ उसकी प्यारी सी नाभि सांसों से धड़क रही थी।

फिर मैंने उसकी नाभि को हल्के से चूमा और अपनी जीभ अंदर कर ली। कामुक साँसें लेते हुए वो लगातार सुबक रही थी। मैं किला जीतने की ओर बढ़ रहा था।

फिर मेरे सब्र का बांध टूट गया। जैसे ही उसने मेरी पैंट खोली, लंड उछल कर बाहर आ गया। मेरे लंड के गोरे रंग को देखकर वे मोहित हो गईं और उसे चूमने लगीं।

जैसे ही मैंने उनका चुम्बन लंड पर लिया, और मैंने लंड को थोड़ा आगे बढ़ाया, जिससे उनका मुँह भर गया। वो गंदी-गंदी शक्लें बनाने लगी तो मैं उसके चूचे को चूसने लगा। वो फिर सिसकने लगी।

फिर मैंने बिना देर किए उसका लहंगा ऊपर कर दिया, जिसे उसने कमर पर पकड़ा हुआ था। मैंने उसकी पैंटी को थोड़ा नीचे किया और चूत के ऊपर एक छोटा सा किस कर लिया। वो पूरी तरह हिल गई थी।

मैंने कहा- अभी से क्या हिलाती है… पिक्चर अभी बाकी है… अभी तो बस किस किया है।

वो उठी और मेरी गर्दन पकड़ कर मुझे किस करने लगी। मैं नशे में चूर था। मैंने एक हाथ से अपना लंड को पकड़ा और उसकी चूत के छेद में डालने लगा। (लड़की की चुदाई)

जैसे ही लंड ने चूत को छुआ, मेरी जान ने उसे अपने हाथ से पकड़ कर चूत का रास्ता दिखाया। मैंने थोड़ा धक्का दिया तो लंड का ऊपर का हिस्सा अंदर चला गया।

जानू की हल्की सिसकियां निकलीं- आह… मर गयी।

मैं समझता हूं कि इसमें कोई देरी नहीं होनी चाहिए। फिर मैंने एक और धक्का दिया। बेबी ने मेरे पूरे लंड को अपने काबू में कर लिया है।

मैंने ऊपर देखा तो जानू की आंखें बंद थीं और वो बेहोशी की हालत में पड़ी थी। इस बात को उनका कबूलनामा मानकर मैंने अपना काम शुरू किया और हल्के-फुल्के धक्का देने लगा।

मेरे हर धक्का पर वो थोड़ा ऊपर नीचे हो रही थी। फिर मैंने उनकी एक टांग उठाई और साइड से धक्का देना शुरू किया। उन्होंने भी मुझे पूरा सपोर्ट किया और मुझे हर पुश का रिटर्न अपनी जांघों पर महसूस होने लगा।

करीब पांच मिनट के बाद मैंने लंड को चूत से बाहर निकाला और उन्हें देखते हुए चूसने का इशारा किया। वो बिना किसी रोक-टोक के लंड की ओर बढ़ी और एक झटके से पूरा लंड अपने मुँह में ले लिया।

एक बार फिर मुझे उसके होठों की गर्माहट महसूस हुई, जो उसकी लार से भीगे हुए थे। मेरा लंड अंदर चला गया। जानू ने फिर से पूरा लंड निकाल लिया और थोड़ा थूकते हुए फिर से लंड को अपने मुँह में भर लिया।

फिर बोलीं- अब तुम लेट जाओ… मैं खेलूंगी। (लड़की की चुदाई)

मैं लेट गया और उसकी तरफ देखने लगा। उसने लहंगा उठा लिया और मेरी जांघों पर बैठ गई और झुक कर फिर से लंड चूसने लगी। मैंने अपनी आँखें बंद कर लीं और आनंद लेने लगा।

फिर उसने अपना लहंगा लपेटा और एक हाथ से मेरा लंड अपनी चूत पर सेट करके बैठ गई।

यह सब इतनी जल्दी हुआ कि मुझे पता ही नहीं चला। जैसे ही मेरा लंड अंदर गया तो मुझे लगा जैसे उसकी चूत में कोई ज्वालामुखी फटने वाला है।

वो धीरे-धीरे खुदने लगी और मैं भी नीचे से धक्का देने लगा।

थोड़ी देर बाद वो थक गई तो अपने दोनों हाथ मेरी कमर पर रख कर ऊपर ही रुक गई। मैंने नीचे से धक्का देना शुरू किया। फिर मैं उत्तेजित हो गया और जोर से धक्का देने लगा।

अचानक वो उठी और एक तरफ लुढ़क गई। मैं समझ गया कि या तो झाड़ चुकी है…या झड़ने ही वाली है।

मैं तुरंत उठा और उसके ऊपर चढ़ गया। अपना लंड मसलते हुए लंड को चूत पर सेट करने लगा। लंड के अंदर जाते ही मैं जोर से धक्का मारने लगा।

वो लगातार सिसक रही थी। अब मेरे साथ भी ऐसा ही होने वाला था तो मैं उसे किस करने लगा और जोर से धक्का मारने लगा।

कुछ ही समय में, उसने मुझे बहुत तेजी से चूमना शुरू कर दिया और मुझसे बहुत जुड़ गई।

मैंने भी धक्के देना जारी रखा और धीरे से उससे पूछा- बताओ सामान कहां निकलू?

तो उसने चूत की तरफ ही इशारा किया। मैंने फिर चूत में ही झाड़ दिया।

जैसे ही मैंने स्खलन शुरू किया, उसने मुझे बहुत जोर से चूमना शुरू कर दिया और मुझे बहुत आराम महसूस हुआ।

थोड़ी देर बाद मैंने लंड को चूत से बाहर निकाला और उसके चूचे को चूसने लगा। वो मेरे बालों में हाथ फेरने लगी। मुझे अब उसके लिए असीम प्यार महसूस हो रहा था। (लड़की की चुदाई)

मैं मन ही मन कल्पना कर रहा था कि काश ये पल यहीं रुक जाए।

तभी पूनम की आवाज आई- चलो… बहुत देर हो गई… अब वापस चलते हैं।

मैंने जानू की तरफ देखा और उसे हल्का सा चूमा और उठ खड़ा हुआ। मैंने उसे भी खड़ा कर दिया। फिर वो अपना लहंगा ठीक करने लगी और मैं पास खड़ा पेशाब करने लगा।

लाडली, पूनम पर शर्म करो।

मैंने कहा- पूनम खुद मुंह में लेने का सपना देख रही है और आप उसे देखने से भी रोक रहे हैं, ये गलत है… है न पूनम?

पूनम हंसते हुए वहां से भाग गई।

अब जानू भी तैयार थी तो मैंने उसे बाहों में भर कर पूछा- अब कब मिलेंगे?

जाते जाते बोली – जब भी तुम हमें याद करोगे।

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