नमस्कार मेरे प्यारे दोस्तों कामुकता और हिंदी की सेक्स कहानियो की दुनिया में आपका स्वागत है। आज मैं आपके लिए एक बेहतरीन और सेक्सी चुदाई की कहानी लेकर आया हूँ। इस कहानी का शीर्षक कामवाली की जवानी और मालिक का प्यासा लंड है।
रेशमा एक बहुत ही खुशहाल जिंदगी गुजार रही थी, वो दिन भर शर्मा जी के घर पर उनका सारा काम करती थी और रात को अपने परिवार के साथ उनके काम में हाथ बटाती थी।
उसकी उम्र करीब 20 साल की थी, और उसका जिस्म एक दम भरा हुआ था। अब रस्ते में लोगो की नजरो में वो चुभने लग गयी थी। उसके उपर अपने परिवार की जमीदारी थी, कुछ साल पहले एक हादसे में उसके माँ बाप गुजर गए थे।
तब से उसने ही अपने चार छोटे भाई बहन को संभालना शुरू कर दिया था। हर रोज की तरह आज का दिन भी था, आज शर्मा जी की छुट्टी थी और उनकी पत्नी अपने बच्चों के साथ मयके में गई थी।
आज वो रेशमा की साड़ी से हल्के नीले रंग में अपनी नज़र हटा नहीं पा रही थी। ये साड़ी शर्मा की पत्नी की थी, जो उसे एक महीने पहले उसने ही दी थी। (मालिक का प्यासा लंड)
आज का मौसम उमस भरा था, जिस वजह से रेशमा आज पसीने से तार बतार हुए जा रही थी। पसीने की वजह से रेशमा की आँखों का काजल भी अब बिखर गया था।
पर रेशमा बस अपने काम में मगन थी, शर्मा जी बस आराम से कुर्सी पर बैठ कर उसकी सुंदरता को निहार रहे थे। उसके बिखरे हुए काजल अब पसीने के साथ बह रहा था।
कामवाली की जवानी और मालिक का प्यासा लंड – Desi Hindi Sex Story
जैसे किसी नदी की धारा शुरू होती है, उसके बहुत सारे नाज़ुक से गालो से होते हुए उसका काजल उसके गर्दन तक आ पहुंचा था। जैसे किसी नदी की धरा ने अपना रास्ता बना लिया हो।
अब ये लड़की अपना सफर शुरू कर चुकी थी, पर जिस प्रकार किसी पर्वत की राह में आने पर नदी अपनी धारा बदल लेती है। वेसे ही ये बुँदे भी अपने रास्ते से हट जाते हैं।
जैसे ही वो बुंदे रेशमा के पहाड़ों(बूब्स) में प्रवेश करती है, तो शर्मा जी भी अपनी गर्दन ऊपर करके उन बूंदो के अंतिम दर्शन करने के लिए पागल से हो जाते हैं।
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पर जल्दी ही पसीने की वजह से रेशमा का ब्लाउज पूरी तरह से भीग गया, और उसका ब्लाउज अब पूरी तरह से पारदर्शी हो गया। (कामवाली की जवानी)
शर्मा जी की तो मन की मुराद पूरी हो गई थी। उसके नाज़ुक बूब्स अब साफ अंदर से दिख रहे थे।
काम की वजह से रेशमा अपनी साड़ी अपनी जांघो तक करी हुई थी। शर्मा जी की व्याकुलता अब बढ़ती ही जा रही थी, उसके कूल्हों का ऐसा हिलना शर्मा जी के लंड में एक तूफ़ान सा ला रह था।
बार बार वो अपने लंड को अपने हाथ से मसल कर शांत करने की कोशिश कर रहे थे। पर ये तो अब भड़काता ही जा रहा था।
अचानक से रेशमा की नजर शर्मा जी से जा मिली, और तब उसे अपनी गलती का एहसास हुआ। उसने अपने कपड़े ठीक किये और कमरे के अंदर काम करने चली गयी।
अब उसके दिल की धड़कन तेज़ हो गई थी, उसको तो लोगो की नज़र का एहसास था। पर आज उसके पारदर्शी कपड़ो ने उसे बेबस कर दिया था।
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एक मर्द के स्पर्श का सुख उसे पता नहीं था, पर वैसे भीड में लोगो ने उसके जिस्म को अच्छे से मसाला था और ये उसे अच्छे से पता था।
आज तो उसे किसी भीड़ ने नहीं मसला था, पर फिर आज एक नज़र भर देख लेने से इसका एहसास हुआ। उसका जिस्म मानो अब उसके बस से बाहर जा रहा था।
उसके जिस्म पर उसके कपड़े कांटो की तरह चुब रहे थे। शर्मा जी के लिए खुद को संभालना अब मुश्किल हो रहा था। जब से बच्चे बड़े हुए थे, तब से उन्होंने शायद ही कभी अपनी पत्नी को ऐसा देखा था। और उनके साथ सेक्स किया था।
वो अब कुर्सी से उठे और बेडरूम की तरफ चल पड़े, जहां पर रेशमा पोछा लगा रही थी। इधर रेशमा के मन में भी विचारो का तूफान आ चुका था। (कामवाली की जवानी)
उसकी हमेशा से ही एक ख्वाहिश थी, अगर उसके सपनों का राजा हो तो वो एक दम शर्मा जी जेसा ही हो। आख़िर वो अपने परिवार से कितना प्यार करते हैं, वो उनके यहाँ इतने दिनों से काम कर रही है।
पर कभी उसको उन्होंने गलत नजर से नहीं देखा था। पर आज की घटना के ने रेशमा के मन को हिला दिया था। उसके जिस्म में आग सी लग चुकी थी, जिसका पूरा जिस्म कांप रहा था।
शर्मा जी अब रूम पर दस्तक दे चुके थे, और रेशमा अपना सिर झुकाए पोछा लगा रही थी। उसे भी ये एहसास हो चुका था, कि शर्मा जी वहा आ गए हैं।
शर्मा ने भी अपने कांपते हाथो को अब रेशमा के कंधे पर रख दिया। रेशमा की नज़रें अभी भी झुकी हुई थीं, रेशमा की बेचनी अब अपनी चरम सीमा पर थी।
अब एक अजीब सा सरनाटा सा छा गया था, शर्मा जी अपने कांपते हाथ अब उसकी पीठ पर फेरना शुरू कर दिए थे।
उसके स्पर्श की कठोरता इतनी थी, कि उसकी कमर पर उंगली के निशान पड़ गए थे।
रेशमा की दबी हुई सिस्किया अब शर्मा जी के कानो तक पहुंच गई थी, शर्मा जी ने अब अपने दोनों हाथो को उसकी पीठ पर रगड़ते हुए उसकी कमर तक ले गए। (मालिक का प्यासा लंड)
अब उसने अपने पीछे से अपना हाथ साड़ी के अंदर घुसा दिया और वो उसके कुल्हो को अपनी मुट्ठी में मसलने लग गया।
उसके कुल्हो को मसलते हुए उसने अपनी एक उंगली से उसकी चूत को छेद को छेड़ना शुरू कर दिया। शर्मा जी की हरकत से रेशमा के जिस्म में एक आग सी लग गई थी।
अब वो सब लाज शर्म भूल चुकी थी, अब वो बिना किसी परवाह के उठ कर शर्मा जी के गले से लग गई। अब दोनों के होठ एक दूसरे से जा मिले।
एक तरफ शर्मा जी के जो काफी सालो से प्यासे थे, और दूसरी तरफ रेशमा का उनकी तरफ प्यार था।
अब शर्मा जी का एक हाथ रेशमा के चूतड़ों को मसल रहा था और बिच वाली उंगली को उसकी चूत में डालने की कोशिश कर रहे थे।
उनका दूसरा हाथ अब रेशमा के कपड़ो को उससे अलग करने में लग गया था।
जल्दी ही रेशमा के जिस्म से सारे कपड़ो को अलग कर दिया था।
आज इतने सालो बाद शर्मा जी खुद को जवान महसस कर रहे थे। आज तो रेशमा की जवानी का वो सारा रस निचोड़ कर पीना चाहता था।
शर्मा जी ने अब अपने कपड़े खुद उतार दिये। रेशमा अभी तक चुप चाप खड़ी हो कर ये सब देख रही थी। उसके लिए ये सब एक नया ही एहसास था।
शर्मा जी ने अब उसके जिस्म के हर अंग से खेलना शुरू कर दिया। वो उसके पुरे जिस्म को चाट रहे थे। जब वो उसकी चूत तक आ गए, तो वो अपनी उंगलियों से रेशमा के निपल्स को मसलने लग गए।
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अब शर्मा जी नीचे जमीन पर बैठ गए, और उन्होंने रेशमा की टांग अपने कंधे पर राखी और अपना मुंह उसकी चूत पर रख लिया।
रेशमा भी अभी गर्म हुई थी, तो वो उसका सर अपनी चूत पर दबा रही थी। उसकी इतनी गर्मी ने उसका काम बहुत ही जल्दी खत्म हो गया और वो झाड़ गयी।
शर्मा जी एक माहिर खिलाड़ी थे, उन्होंने बड़े प्यार से रेशमा को अपनी गोद से उठाया और बिस्तर पर पटक दिया। बिस्तर पर रेशमा का मुलायम जिस्म अंगड़ाई लेता हुआ मानो शर्मा जी को चैलेंज दे रहा था।
अब वो रेशमा के ऊपर आ गए, और अपने हाथों से रेशमा के चुचो को मसलना शुरू कर दिया था। अब उन्हें अपने होठो से रेशमा के होठों को मिला दिया था। (मालिक का प्यासा लंड)
रेशमा के नाखुन अब शर्मा जी के जिस्म पर गड़ कर अपना निशान बना रहे थे। शर्मा जी ने रेशमा की बाजू को पकड़ कर उसके कोमल हाथ को अपने लंड पर रख दिया।
रेशमा के टच से ही शर्मा जी को एक अलग ही मजा आया था। अब बारी चुदाई की थी, तो शर्मा जी ने रेशमा की टांगो को उठा कर अपने कंधे पर रख लिया।
अब वो रेशमा की चूत को चूसने लग गए। और चूत गीली करने के बाद अब बारी थी चूत चोदने की।
आंखो ही आंखों में शर्मा जी ने रेशमा से उसकी सहमती मांगी, और एक ही धक्के में उसने अपना लंड उसकी चूत के अंदर डाल दिया। रेशमा की आँखों में दर्द शर्मा जी को साफ दिखायी दे रहा था।
अब शर्मा जी ने उसे चूमना शुरू कर दिया था, क्योंकि रेशमा की दर्द की आवाज सिसकियों में बदल रही थी। जैसे-जैसे शर्मा जी धक्को की स्पीड भी तेज हो रही थी। (कामवाली की जवानी)
थोड़ी ही देर में शर्मा जी ने अपनी स्थिति बदल ली। अब उसके बालो को पकड़ कर पीछे से चोदने लग गए। अब रेशमा की सिसकियाँ और तेज़ हो गयी थी।
फिर एक दबी हुई चीख के साथ शर्मा जी ने अपना सारा पानी उसकी चूत के अंदर निकाल दिया। अब रेशमा भी निहाल हो कर बिस्तर पर गिर गई थी।
शर्मा जी ने भी अपने बरसों की प्यास आज शांत की थी, और आज उन्हें अपने जीवन का एक अलग ही सुख मिला।
आज रेशमा ने सब कुछ खो कर खुद को जिंदा होने का एहसास पाया था। जब वो शाम को अपने घर गई, तो पीछे से शर्मा जी के लिए एक लेटर छोड़ दिया था।
प्रिये, मैंने आज अपने प्यार को पा लिया है। मुझे पता है कि दुनिया में सब हमारे रिश्ते को नाजायज़ कहेंगे और ना जाने कितनी बदनामी होगी।
कहीं लोग ये ना समझ बैठे, कि मैंने अपने फायदे के लिए अपने प्यार का इस्तेमाल किया है। इसलिए मैं अब आपके घर कभी नहीं आऊंगी।
सिर्फ और सिर्फ आपकी रेशमा।
रेशमा अब तो चली गई थी, पर शर्मा जी को अब बाहर मुंह मरने की आदत लग गई थी।
दोस्तो आपको मेरी ये सेक्स कहानी कैसी लगी, कमेंट में जरूर बताए। धन्यवाद।