आज की जो हिंदी सेक्स कहानी है, वो हमारी कहानियो के एक पाठक दिलीप जी की है। आइये इस कहानी को शुरू करते है। जिसमे एक टीचर ने स्कूल की Kamwali Ki Chut or Gand Ki Chudai की।
नमस्ते दोस्तो, मेरा नाम दिलीप है। मैं 28 साल का हूं, और तलाकशुदा आदमी हूं। मेरी हाइट 5’6″ है और लंड 6 इंच का है।
मैं एक शिक्षक हूं, हमारा स्कूल दिल्ली के द्वारका में स्थित है जहा मैं हिंदी का विषय पढ़ता हूं। ये कहानी पिछले 2020 की है, जब कोविड की वजह से स्कूल बंद थे।
पहले हमारे स्कूल में काफी सारी सफाई वाली लड़किया और औरत थी। जब लॉकडाउन हुआ, तो काफी लोगों को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा।
उन लोगों में से बहुत साडी कामवाली औरतें भी थीं। फिर जब सब कुछ सामान्य हुआ, तो फिर से नये लोगो भर्ती शुरू हुई।
उन लोगो में 3 नयी कामवाली भी थीं, पिछले महीने जब स्कूल बंद हुए, तो सिर्फ बच्चों को छुट्टी दी गयी थी। लेकिन स्कूल स्टाफ को स्कूल में आ कर ही काम करना था।
हमारे स्कूल में भी ऐसा ही था, सारे शिक्षकों को एक-एक कमरा दिया गया, जहां बैठ कर उनको ऑनलाइन कक्षाएं संचालित करनी थीं।
मैं भी पूरा दिन एक कमरे में ही बैठ कर अपना काम करता था। फिर एक दिन मेरी नज़र एक कामवाली पर आ गयी।
उसका नाम कोमल था, और वो मेरे कमरे के बाहर सफाई कर रही थी। रंग उसका सांवला था, लेकिन फिगर ज़बरदस्त था।
उसका साइज 34″32″36″ होगा। जब वो झुक कर पोछा लगा रही थी, तो उसकी गांड जबरदस्त लग रही थी मेरा तो मन हुआ की अभी जा कर कामवाली की चुदाई (Kamwali Ki Chudai) करना शुरू कर दू।
तभी उसने मुझे देखा, और मैंने अपना ध्यान दूसरी तरफ कर लिया। उस दिन से मैं उसको नोटिस करने लगा। वो आते-जाते बार-बार मुझे देखती थी।
बड़ा ही कामुक अंदाज़ था उसका मुझे देखने का। फिर मैंने जब अपने सहकर्मियों के साथ उसके बारे में बात की, तो उन्होंने भी कहा कि वो बड़ी कामुक हॉर्नी तरीके से देखती है।
अब मुझे यकीन हो गया था, कि मैं अपने लंड की प्यास को उसकी चूत की चुदाई (Chut Ki Chudai) करके शांत कर सकता था।
अब मैंने भी उसको आते-जाते देखना शुरू कर दिया था। वो भी ये समझ गई थी, कि मैं उसके बूब्ज़ और मोटी गांड देखता था।
फिर वो जान-बूझ कर मेरे सामने कभी अपने सेक्सी बूब्स (Bigg Boobs) दिखाती, तो कभी अपनी मस्तानी गांड।
एक दिन वो मेरे कमरे में पोछा लगाने आ गई। मैं जानता था कि वो जान-बूझ कर आई थी। क्यूकी रूम में पोछा टीचर्स के आने से पहले लगा दिया जाता था। जब वो पोछा लगते हुए मेरे पास आई, तो मैंने उसको सीधा ही बोल दिया-
मैं: कोमल।
कोमल: जी सर.
मैं: देगी?
कोमल: क्या सर?
मैं: देगी मुझे?
कोमल: क्या दूंगी सर?
मैं: अब इतनी भोली मत बन।
ये सुन कर वो मुस्कुरायी और बोली-
कोमल: फ्री में कुछ नहीं मिलता सर।
मैं: कितने पैसे चाहिए?
कोमल: 1000 रुपये।
मैंने उसी वक्त अपनी जेब से पर्स निकाला, और उसको 1000 रुपये दे दिये। वो उठी, और बाहर से हाथ धोके आई। फिर आके उसने 500-500 के नोट पकडे, और बोली-
कोमल: कब करना है सर?
मैं: अभि।
कोमल: अभि? यहा पर?
मैं: हां यहीं पर।
फिर मैंने उसको क्लास के कोने में दीवार के साथ लगा लिया, जहां कैमरा नहीं पहुँचता था। मैं पागलों की तरह उसके हाथों को चुसने लगा। उसके मुँह से थोड़ी बदबू आ रही थी, लेकिन मेरे दिमाग में चुदाई की हवस चढ़ी हुई थी।
मैं किस करते हुए अपने दोनों हाथ उसकी गांड पर ले गया। उसकी गांड बहुत मोटी थी, और उसको दबाने में बड़ा मजा आ रहा था।
उसने सलवार सूट पहना था। फिर मैंने उसका दुपट्टा उतार कर साइड में फेंक दिया, और उसकी गर्दन छूने लगा।
मैं अपना हाथ उसके सूट के अंदर ले गया, और उसके बूब्स दबाने लगा। उसने ब्रा नहीं पहनी थी, और उसके निप्पल एक-दम कड़क थे। फिर मैंने उसको बोला-
मैं: अपना सूट उतार दो।
कोमल: सर सूट नहीं उतार सकती। कोई आ गया तो इसको जल्दी से पहन नहीं पाऊँगी।
मैं: ठीक है।
फिर मैं एक कुर्सी पर बैठ गया, और उसको अपनी गोद में बिठा लिया। मैंने उसको उसका सूट ऊपर उठाने को बोला।
और उसने सूट गले तक चढ़ा लिया। अब मेरे सामने उसके काले निपल्स वाले बूब्स थे। मैं जल्दी से उसके निपल्स चुसने लगा।
बहुत मजा आ रहा था मुझे, क्योंकि मैंने इतने दिनों से किसी औरत को टच नहीं किया था। फिर मैंने उसको खड़ा किया।
और उसका चेहरा दीवार की तरफ घुमा दिया। मैंने उसकी सलवार का नाड़ा खोल दिया, जिसकी सलवार नीचे गिर गई।
अब पैंटी में उसकी मोटी गांड मेरे सामने थी। मैंने उसकी गांड को मसला और उसकी पैंटी भी नीचे कर दी। अब उसकी सलवार और पैंटी उसके पैरो में थी। मैंने उसकी चूत पर हाथ लगाया, तो वो गीली हो चुकी थी।
फिर मैंने अपना लंड बाहर निकाला, और हाथ पर थूक कर अपने लंड पर लगाया। मैंने अपना लंड उसकी चूत पर सेट किया, और एक ज़ोर का झटका मारा। उसकी चीख निकल गयी, और मेरा पूरा लंड उसकी चूत में समा गया।
आह्ह.. क्या मजा आया मेरी चूत में लंड डाल कर। इतने दिन के प्यासे लंड को आज चूत की गर्मी मिली थी।
फ़िर मैंने उसकी चूत की चुदाई अपने जोरदार धक्को के साथ शुरू कर दी। वो आअहह आह्ह करने लगी, मेरी जांघो के उसकी गांड से टकराने से फच-फच की आवाज आ रही थी।
मैं अपने हाथ उसके बूब्स पर ले गया, और ज़ोर-ज़ोर से धक्के मारता गया। उसके निपल्स को मैं ज़ोर-ज़ोर से मसल रहा था, और उसकी कमर को नोच रहा था। लंड और चूत के पानी से चप-चप की आवाज आनी शुरू हो गई थी।
7-8 मिनट बाद मुझे अपने लंड पर उसकी चूत का गरम-गरम पानी महसूस हुआ। उसका पानी उसकी जाँघों पर बहने लगा था। लेकिन मेरा काम अभी नहीं हुआ था। मैंने अपने धक्को की स्पीड तेज़ कर दी, और उसको दर्द होने लगा।
वो मुझे रोकने लगी, लेकिन मैंने उसकी एक बात भी नहीं सुनी। अगले 5-6 मिनट में मैंने उसको कस के पकड़ रखा था।
और उसकी चूत चोदता रहा, फिर मैंने अपना माल उसकी चूत में ही निकाल दिया। बड़ा सुकून मिला था मुझे उस दिन।
फिर मैंने अपने कपड़े ठीक किये, और उसने भी अपनी सलवार पैंटी पहन कर अपना सूट ठीक कर लिया। उसके बाद वो फिर से पोछा लगाने लगी। मैं बाहर जाके मूत के आया, और उसको देख कर मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया।
मुझे अब उसकी गांड चुदाई (Gand Ki Chudai) की इच्छा हुई। जब वो खड़ी हुई तो मैंने उसको फिर पकड़ लिया। फिर वो बोली-
कोमल: हाँ क्या सर? काम तो हो गया ना आपका।
मैं: मैंने 1000 पूरे दिन के दिए थे रंडी, एक बार की चुदाई के नहीं।
कोमल: ये ग़लत है सर।
मैं: फिर वापस करदे मेरे पैसे। चल अगर एक बार के है वो पैसे, तो मैंने एक बार तेरी चूत तो मार ली। लेकिन गांड कहा मारी।
कोमल: गांड नहीं सर, मैंने आज तक गांड नहीं मरवाई।
मैं: तो आज मरवा ले।
ये बोल कर मैंने उसको दीवार के साथ लगा लिया, और उसकी सलवार और पैंटी नीचे कर दी। फिर मैंने अपने लंड को थूक से गीला कर दिया। थोड़ी थूक मैंने उसकी गांड के छेद पर भी लगाई।
वो मना करती रही, लेकिन मैंने उसकी गांड पर अपना लंड सेट किया, और ज़ोर के धक्के से लंड का टोपा उसकी गांड में घुसा दिया। वो दर्द से कराहने लगी, लेकिन मैं ज़ोर लगाता रहा। 1 मिनट में मैंने अपना पूरा लंड उसकी गांड में डाल दिया।
वो बोली: सर बहुत दर्द हो रहा है, निकाल लो न बाहर।
मैं: पगली तुझे अब चुदाई का मजा (Chudai Ka Maja) आने वाला है।
ये बोल कर मैं उसकी गांड में लंड अंदर-बाहर करने लगा। कुछ ही मिनट में उसकी गांड का छेद एडजस्ट हो गया, और वो आहेन भरने लग गई। मैं धीरे-धीरे अपनी स्पीड तेज़ करता गया, और उसके बूब्स दबाता गया।
बड़ा मजा आ रहा था मुझे कामवाली की गांड चुदाई करने में। 12 मिनट मैं लगातर उसकी गांड चोदता रहा, और फिर मेरा माल निकलने वाला था। मैंने अपना माल उसकी गांड में ही भर दिया।
फिर मैं शांत हो गया, और अपने कपड़े ठीक करने लगा। मैंने देखा, उसकी गांड का खून मेरे लंड पर लगा हुआ था। उसने भी अपनी सलवार और पैंटी ऊपर की, और सफाई करके जाने लगी। जाते हुए वो बोली-
कोमल: सर अगली बार से पैसे देने की ज़रूरत नहीं है। क्योंकि आपके साथ चुदाई में बहुत मजा आ रहा था।
मैं ये सुन कर खुश हो गया। फ़िर जितने दिन तक स्कूल बंद रहे, मैंने रोज़ उसकी चूत और गांड का मज़ा लिया। अब स्कूल में बच्चे आने लगे हैं, तो कुछ नहीं हो पाता था। लेकिन मैं कभी-कभी बाथरूम में जाके उसे लंड जरूर चूसवा लेता हूं।
दोस्तो, कामवाली से ज्यादा मजा सेक्स में, ना तो बीवी, ना गर्लफ्रेंड, और ना ही कोई और दे सकता है। तो आप भी देखिए अगर कोई मिल जाए तो।
तो ये थी मेरी हिंदी सेक्स स्टोरी, अगर आपको कहानी पसंद आए तो कमेंट जरूर करें। SexyStories Hindi में पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।