नमस्कार readxxxstories.com के सभी पाठको, मैं साक्षी आप सभी का हिंदी सेक्स स्टोरीज (Hindi Sex Stories) की दुनिया में स्वागत करती हूँ। आज मैं जो कहानी लेकर आई हूँ वो एक जीजा साली सेक्स स्टोरी है और इस कहानी का शीर्षक है: जीजा साली का अनोखा मिलन भाग 1 (Jija Sali Ka Anokha Milan)।
आगे की यह देसी फॅमिली सेक्स स्टोरी हमारे इस कहानी के लेखक दीपक के शब्दों में लिखी गयी है।
हेलो दोस्तो, मेरा नाम दीपक है मैं दिल्ली से हूं। मेरी उमर 30 साल है, और मैं शादीशुदा हूं। मुझे xxx सेक्स कहानी पढ़ने में बहुत मजा आता है, अक्सर सुबह की चाय के बाद मैं इंटरनेट पर देसी चुदाई कहानी पढ़ता हूं।
इतनी सारी कहानी पढ़ने के बाद मैंने सोचा, क्यों ना मैं भी आपके लिए अपनी एक सच्ची सेक्स कहानी (Real Hindi Sex Story) लिखूं। तो आज मैं आप सब के लिए एक अपनी सच्ची कहानी लिख रहा हूँ।
जैसे की मैंने लिखा कि मैं शादीशुदा हूं, और मेरी शादी को 6 साल हो गए हैं। मेरी एक साली है, वो 19 साल की है। 2-3 साल पहले तक तो मैंने उसे इस तरह कामुकता की नज़र से नहीं देखा था।
पर उसकी तरफ से मुझे ग्रीन सिग्नल मिलने पर मैं उत्साहित होने लग गया। पर अब समस्या थी कि ये पहले कौन करेगा। मैं दिल्ली में था, और वो दिल्ली से दूर रोहतक करीब 75 किमी दूर एक छोटे से गांव में थी।
उससे मेरी बात फोन पर होती थी, उसको तो मैं फोन पर ही सब कुछ करने के लिए मना लिया था। पर मुझे शक था, कि लड़कियों की आदत होती है वो पहले ना करती है पर अंदर से उनकी हाँ होती है।
इसलिए एक दो बार जब उसकी खुली हंसी मजाक से आगे बढ़ कर, मैं उसे एडल्ट (18+) चुटकुले उसको सुनाने लग गया। अब ये तय हो गया था, कि अब पक्का ये चुदाई करवा सकती है। पर वो बात करते करते मुझे मना करते हुए बोली – नहीं जीजा जी अगर किसी को पता चल गया तो।
मैं – किसी को पता नहीं चलेगा, मैं मोका देख कर ही काम करूंगा।
वो मुझे पर भरोसा भी करती थी, और मुझे पसंद भी करती थी। मेरी पसंद नापसंद का सब कुछ पता था, और वो उसका ख्याल रखती थी।
ऐसे ही बात होती रही, और हम दोनों खुल कर बाते करने लगे थे। फिर उसे मिलने की चाहत मुझे ज्यादा हो गई, इसलिए मैं एक दिन में अपने सुसराल आ गया। मेरी सुसराल में मेरे सास ससुर दो साले, और दो सलिया और सालो की पत्नी है।
उस समय मेरे पास हुंडई की सेंट्रो कार थी, मैं उसमें अपने सुसराल गया था। जब मैं ससुराल जाता हूं, तो दो-तीन दिन वही रुकता हूं। इस दौरान सब लोग मेरी कार में ही बाहर घूमने जाते हैं, इस बार भी ऐसा ही हुआ।
वो मेरे बगल की सीट पर आगे बैठ गई थी, पीछे दोनों मेरी सालो की बीविया बैठी थी। जहां पर वो मोका लगते ही वो मेरे करीब आ जाती है, और मैं उससे सेक्सी बातें करने लग गया।
सच बताऊँ तो मैंने अभी तब तक उसे छुवा भी नहीं था, मैं उससे बोला – जब तक तुम खुद नहीं चाहोगी, तब तक मैं उसे नहीं छूने वाला नहीं हूँ।
इसलिए मैं उससे सिर्फ बात ही करता था, मैंने उसे पर कोई जोर नहीं दिया ताकि वो जल्दी से जल्दी मान जाए।
पर वो चाहती थी, और खुद सही मोके का इंतज़ार कर रही थी। और इस बार मैं खाली हाथ वापस नहीं जाने वाला था, मैं अपनी साली को अपने लंड के नीचे लाना चाहता था।
इस तरह मैंने दो तीन बार सुसराल के चक्कर लगाए, पर वो मुझसे चुद ना सकी। आख़िरी बार अभी तीन महीने पहले जब मैं अपने ससुराल गया, तब तक मैंने उसे छुवा नहीं किया था और न ही कर सका था।
पर मैं उससे सेक्सी बातें करके उसे गर्म जरूर कर देता था। इस बार मैं अपने ससुराल गया, तो हम लोग वहां से एक धार्मिक जगह पर घूमेंने गए।
जहा से वो 2-3 घंटे की दूरी पर था, अब आपको पता ही है कि सेंट्रो कार में कितनी जगह होती है। फिर भी आगे तीन और पीछे 4 लोग बैठे थे, मेरे ससुर और बड़ी वाली सहज को छोड़ कर बाकी सब गए थे।
वो हमेंशा की तरह मेरे बाजू में आगे बैठी थी, मतलब मैं आगे ड्राइवर सीट पर मेरे साथ मेरी साली बैठी थी। और उसके साथ मेरा छोटा साला बैठा था।
यानी बिच में वो थी, बिच में होने की वजह से जहां पर कार के गियर होते हैं, वो दोनों तरफ टांगे खोल कर बैठी हुई थी, उसकी एक टांग मेरी टांग से सटी हुई थी। और उसकी दूसरी टांग मेरे साले की टांग के साथ लगी हुई थी।
उसकी दोनो टांगो के बीच कार का गियर था, मैं पहले से ही काफी गर्म था। उधर से वो भी मुझे बड़ी ही नशीली आँखों से देख रही थी, मैं कार ड्राइव कर रहा था।
तो जब मैं गियर लगा रहा था, तो मैं उसकी जांघ को टच कर रहा था। वो सलवार सूट में थी। लड़कियों का पजामा ढीला ही होता है, उसमे से ही मैं उसकी जांघ को रगड़ कर टच कर रहा था।
फिर अपना हाथ गियर पर रखते ही, मैं मोका देख कर अपना हाथ उसकी चूत के पास रख कर रगड़ देता था।
जिस समय हम जा रहे थे, तो वह समय दिन था। तो मैंने ज्यादा जोखिम लेना ठीक नहीं समझा। इसलिए मैं उसको सिर्फ टच ही कर रहा था, जब भी मैं गियर लगाता था तो मैं उसकी चूत को सहला देता था।
इसे वो कस्मका जाति थी, और वो मेरी तरफ झुकी नज़र से देख रही थी। गियर बदलते हुए भी मैं अपनी कोहनी से उसके बूब्स को सहला रहा था, ये सब पुरे रास्ते चल रहा था।
फिर हम वहां पहुंच गए, वो मुझसे वहां नजर मिलाती और मुस्कुरा देती थी। मैं भी नॉटी स्माइल दे रहा था, हम दोनों किसी को कुछ नहीं कह रहे थे।
अब वापस आते समय शाम हो चुकी थी, और अंधेरा हो चुका था।
हमें अँधेरे में मैं अपने आप उसकी चूत को गियर लगाते हुए रगड़ने लग गया।
उसने खुद अपनी टांग खोली हुई थी, अब मैं अपना पूरा हाथ उसकी चूत पर ले जाने लग गया।
तो वो कुछ ज्यादा ही उत्तेजी हो रही थी, मेरी कोहनी उसके चुचो को रगड़ रही थी।
इससे मेरा लंड भी अब कड़क हो रहा था।
फिर मैं थोड़ी देर बाद उसकी चूत को सलवार के ऊपर से ही अपनी उंगली को रब करने लग गया।
मैं अपनी उंगली अंदर धक्का देने लग गया, कुछ देर बाद मैंने महसुस किया कि उसकी चूत गीली हो चुकी है।
अब वो और भी मस्त लग रही थी, मैं उससे कुछ बोल नहीं रहा था।
और ना ही वो मुझे कुछ बोल रही थी, बाकी सब कार में आपस में बातें कर रहे थे।
किसी को भी हमारी इस रास-लीला का कुछ पता नहीं था, क्योंकि वो लोग सब मुझे शरीफ मानते हैं।
जब हम सब घर पहुंचे, तो वो मुझसे कुछ नहीं बोल रही थी।
तो मैंने उसे मुस्कुराते हुए आँखों से इशारा किया, फिर वो मुस्कुरा कर बाथरूम में चली गई।
फ़िर मैं अपने कमरे में चला गया, और वो भी वहा आ गई।
ये कोई पहली बार नहीं था, वो पहले भी मेरे पास बैठी थी जब मैं अपने कमरे में सोता था।
फिर वो मुझसे बातें करने लग गई, इसलिए वो दिन भी वो मेरे पास आ गई।
मैं बिस्तर पर लेता हुआ था, उससे मैं कोई बात नहीं कर रहा था।
पर मैं उसकी बेचनी को समझ सकता था, उसने आँखो ही आँखो में मुझसे बहुत कुछ बोल दिया था।
मैंने मोका देखा कर उसका हाथ पकड़ लिया, और मैं उसे दबाने लग गया।
वो कुछ भी नहीं बोली, तो मैंने उसका हाथ सहलाना शुरू कर दिया।
अब मैं अपना हाथ उसके कंधों पर ले गया, और उसे सहलाने लग गया।
उसने अपना सिर झुका दिया, तो मैंने थोड़ा और आगे बढ़ते हुए मैंने उसके चुचो को दबाया और सहलाना शुरू कर दिया।
वो- जीजू कोई देख लेगा।
मैं- सब सो गए हैं, कोई नहीं देखेगा।
वो नहीं मानी, तो मैं बोला – मैं ऊपर छत वाले बाथरूम में जा रहा हूं, तुम भी वही पर आ जाना।
उन दिनों गर्मी के दिन थे, और मैं ऊपर चला गया। कुछ देर बाद वो भी आ गई, मैंने उसे वहां पकड़ लिया और मैं उसे चूमने लगा और उसे सहलाने लग गया।
वो नाइटी में थी, और उसने अन्दर ब्रा भी नहीं डाली थी। मुझे तो उस रात जन्नत ही मिल गई थी, पर मैं उसे उस जगह पर केसे चोदूं मुझे ये समझ नहीं आ रहा था।
क्योंकि वहा कोई भी आ गया, तो मेरी वाट लग जायगी। तो वो डरी हुई थी, पर मैं ये मोका अपने हाथ से जाने नहीं देना चाहता था।
मैंने अपना हाथ उसकी नाइटी में डाल दिया और उसके बूब्स को दबाना शुरू कर दिया, फिर मैंने उसकी नाइटी ऊपर करके उसके बूब्स को चूसना शुरू कर दिया।
इसके साथ-साथ मैं अपना हाथ उसकी पैंटी में डाल कर उसकी चूत को रगड़ रहा था।
उसकी चूत पहले से ही गीली थी और वो अब वो बहुत ही मस्त हो गई थी।
वो – जीजू अब और नहीं रह जाता।
मैंने फर्श पर बैठ कर उसे अपनी गोद में उसके दोनों टांग इधर-उधर करके बैठा लिया।
फिर मैंने अपना लंड बाहर निकाला और उसकी चूत पर लगा दिया, और मैं धीरे-धीरे अपना लंड अन्दर डालने लगा।
पर मेरा 7 इंच का लंड उसकी चूत में घुस नहीं रहा था, उसमें दर्द भी हो रहा था।
इसलिए उस रात की चुदाई नहीं हो सकी, पर उस रात वो अच्छे मेरा लंड चूसती रही, और मैं उसके साथ मजा करता रहा।
उस रात हम दोनों पूरा मजा नहीं ले पाए थे, इसलिए मेरी बेकरारी और भी ज्यादा बढ़ गई थी।
दूसरे दिन हम दोनों ने फिर कभी मिलने का वादा किया, और फिर मैं उसे अलविदा कह कर वहा से चला आया।
अब मैं वहां से जल्दी निकलने की तैयारी करने लग गया, अब आगे की देसी सेक्स कहानी फिर कभी मैं आपको बताऊंगा। तब तक के लिए अलविदा और चुदाई की कहानियों (Chudai Ki Kahani) का मजा लेते रहे।