आज की कहानी में पड़े: जीजा ने वर्जिन साली को चोदा और उसकी पुद्दी की धज्जियां उड़ा कर अपनी रखेल बना लिया
नमस्कार दोस्तों। मेरा नाम आयशा खान है और मेरी उम्र 19 साल है। मैं एक शादीशुदा लड़की हूं और मेरी शादी को 3 महीने हो गए हैं। किसी कारण से मेरे पति अभी बच्चे नहीं चाहते।
इसलिए हम दोनों ने अभी तक बच्चा प्लान नहीं किया है.’ दोस्तों मेरा फिगर 36-32-38 है और मेरी हाईट 5 फुट 4 इंच है. दोस्तो, आज की कहानी मेरे जीवन की एक बहुत ही गुप्त घटना है।
जो मैंने कभी किसी को नहीं बताया. मेरे कुछ खास दोस्त ही इसके बारे में जानते हैं. ये बात तब की है जब मैं 18 साल की थी और कॉलेज में एडमिशन लिया ही था.
घर में हम दो बहनें थीं. मेरी बड़ी बहन 25 साल की थी. उनके लिए कई जगहों से रिश्ते आते रहे लेकिन वह इतनी पतली थीं कि कहीं भी बात नहीं बनी।
मैं अपनी बहन की तुलना में दिखने में बहुत सुंदर और भरे हुए शरीर वाली थी. उस समय भी मेरी ब्रा का साइज़ 34 था और मेरी उभरी हुई गांड लोगों को बहुत आकर्षित करती थी.
शुरू से ही मेरे उभार काफ़ी सख्त और तने हुए थे। मेरे घर में मेरी माँ और पापा मेरी बहन की शादी को लेकर बहुत चिंतित थे। मैं सिर्फ अपनी पढ़ाई पर ध्यान देती थी.
कॉलेज में मेरे कई दोस्त बने जिससे मुझे सेक्स में दिलचस्पी हो गई। मैं हिंदी सेक्स कहानियां और वीडियो देखने लगी. मैं अक्सर छुप कर सेक्स वीडियो देखती थी और बाथरूम में जाकर अपनी चूत में उंगली करती थी।
मेरा भी बहुत मन हुआ करता कि किसी लड़के से दोस्ती करके अपनी गदराई जवानी की प्यास बुझा लूं।मगर ऐसा करने में मुझे बहुत डर लगता था कि किसी को पता चल गया तो क्या होगा।
कॉलेज और मेरे मोहल्ले के ऐसे कई लड़के थे जो मुझसे दोस्ती करना चाहते थे मगर मैंने कभी किसी को अपने पास नहीं आने दिया।ऐसे ही समय कटता रहा।
एक दिन मैं कॉलेज से जब घर आई तो घर में कुछ मेहमान बैठे हुए थे।मैं समझ गई कि जरूर ये लोग दीदी को देखने आए होंगे।मैंने सभी से नमस्ते की और अंदर चली गई।
अंदर जाकर देखा तो दीदी और माँ उनके नाश्ते का इंतजाम कर रही थी।मैं नाश्ते का ट्रे लेकर और दीदी चाय का प्लेट लेकर उनके सामने गई।वो 3 लोग थे, उनमें से एक तो 30 से 35 साल का था और दो लोग बुजुर्ग थे।
मैं समझ गई कि यही वो लड़का है जो दीदी को देखने आया है।वो दीदी को छोड़ बार बार मुझे ही गौर से देखे जा रहा था।मैंने नाश्ते की प्लेट रखी औऱ अंदर चली गई।
उन लोगों ने दीदी से कुछ बाते की और कुछ समय बाद चले गए।दो दिन बाद उनका फोन आया और उन्होंने बताया- हमें आपकी छोटी बेटी पसंद है मतलब कि मैं!
मगर पापा ने उनसे कह दिया- अभी वो काफी छोटी है और अभी उसकी शादी के लिए समय है। और लड़के की उम्र भी उससे दुगनी है इसलिए ये तो नहीं हो सकता।
उन्होंने बाद में बताने का बोला।पापा ने इस बार भी सोच लिया था कि रिश्ता नहीं होगा।कई दिनों बाद उनका फिर से फोन आया और उन्होंने रिश्ते के लिए हा कह दिया।फिर क्या था कुछ महीनों में ही दीदी की शादी हो गई।
शादी के 3 महीने बाद मैं दीदी के ससुराल घूमने के लिए गई।मैं वहाँ 15 दिनों तक रुकी थी, इस दौरान मैं जीजा से काफी घुलमिल गई थी।दीदी तो घर के काम में व्यस्त रहती और मैं और जीजा बाइक से कई जगह घूमने के लिए जाते।
जीजा मुझसे काफी मजाक करते थे और मजाक में मुझे आधी घर वाली बोलते थे और कहते थे कि अगर तुम्हारे पापा ने हा कर दी होती तो आज तुम मेरी बीवी होती।
वो जब भी मुझे बाइक पर लेकर जाते तो जानबूझकर ब्रेक मारते जिससे मैं उनकी पीठ पर चिपक जाती और मेरे बड़े बड़े दूध उनकी पीठ पर दब जाते।
घर पर भी जब मैं अकेली रहती तो वो मेरे पास आ जाते और कही मेरी बांहों को सहलाते तो कही अपने पैरों से मेरे पैरों को सहलाते।पता नहीं क्यों … मगर उनका ऐसा करना मुझे अच्छा लगने लगा |
मैं भी उनको कुछ नहीं बोलती।धीरे धीरे मैं उनकी तरफ आकर्षित होने लगी थी, मैं इस बात को वो भी समझ चुके थे और वो भी अब मेरे अकेले होने का फायदा उठाने लगे।
उन्होंने अब मजाक मजाक मेरे दूध में हाथ लगाना शुरू कर दिया।मेरी तरफ से किसी प्रकार का विरोध न पाकर वो पूरी तरह से निश्चिन्त हो गए थे कि मैं अब उनका विरोध नहीं करूंगी।
जिस दिन मुझे वापस अपने घर जाना था उसके ठीक एक दिन पहले रात में 10 बजे मैं खाना खाने के बाद ऊपर छत पर घूमने के लिए चली गई।दीदी की सास अपने कमरे में सो चुकी थी और दीदी और जीजा अपने कमरे में चले गए थे।
मुझे छत पर टहलते हुए कुछ समय ही हुआ होगा कि जीजा वहाँ पर आ गए।कुछ देर वो मुझसे बात करते हुए आसपास का जायजा लेने लगे और अचानक से मुझे पकड़ कर छत पर ही बने बाथरूम में ले गए।
इस बार भी मेरी तरफ से कुछ खास विरोध न पाकर उनका हौसला बढ़ गया था।उन्होंने मुझे बाथरूम में ले जाकर कहा- शुभी, मैं तुमको पसंद करने लगा हूं।
नहीं जीजा जी, ये गलत है किसी को पता चला तो भारी बदनामी हो जाएगी प्लीज आप ऐसा मत करिए।किसी को कुछ पता नहीं चलने वाला … बस तुम मुझ पर भरोसा रखो।
मेरी नजर झुक गई और मुँह से एक भी आवाज नहीं निकली.जीजा ने मुझे अपनी आगोश में लेते हुए मेरे मुलायम फड़कते होंठों पर अपने होंठ रख दिये।
मैं बिना कुछ सोचे समझे अपने आप को उनको सौम्प चुकी थी।वो मेरे होंठों को चूमने के साथ साथ मेरी जीभ को भी अपने होंठों और दांत में दबा दबा के चूस रहे थे।
उस वक्त मैं सारी दुनिया को जैसे भूल गई थी और उस पल का मजा ले रही थी।उनके दोनों हाथ मेरी पीठ को सहलाते हुए धीरे धीरे मेरी गांड तक पहुँच गए और मेरी गांड को सहलाते हुए मुझे अपनी तरफ चिपका लिए।
मैंने हाफ लोवर पहना हुआ था और मेरी पुद्दी उनके लंड से चिपक गई।पहली बार किसी मर्द के लंड का स्पर्श मुझे हुआ था।जीजा ने मेरी टीशर्ट को मेरे गले तक उठा दिया और साथ में मेरी ब्रा को भी ऊपर चढ़ा दिया।
मेरे दोनों दूध आजाद होकर उनके सामने आ गए।मेरे तने हुए दूध को देखकर वो उनपर टूट पड़े और जोर जोर से दबाते हुए मेरे निप्पल को अपने मुँह में भरकर चूसने लगे।
आहह उह आहह उम्म्ह हहह आह जीजाआआ … बससस्स … नहींईईई छोड़ो … ऊऊऊ बसस्स सस!मुझे उनके दबाने से बहुत दर्द हो रहा था और मैं तड़प रही थी।
जल्द ही मेरे दोनों दूध लाल हो गए।इसके बाद उन्होंने अपना एक हाथ मेरे लोवर के अंदर डाल दिए और मेरी पुद्दी को सहलाते हुए मेरे दूध को चूसते जा रहे थे।
धीरे धीरे उन्होंने अपनी एक उंगली मेरी पुद्दी में उतार दी।मैं एकदम से उछल गई मगर उन्होंने मुझे दूसरे हाथ से थाम लिया और आहिस्ते आहिस्ते उंगली से ही मुझे चोदने लगे।
बस कुछ पल में ही मैं झड़ गई और जीजा के ऊपर टिक कर खड़ी हो गई।वो समझ गए थे कि मैं झड़ चुकी हूं और उन्होंने अपनी उंगली निकाल ली।
इसके बाद जीजा मेरे कान के पास आकर बोले- तुम्हारा तो निकल गया अब मैं क्या करूँ?क्या मतलब?मेरा भी निकाल दो तुम!कैसे?अपने हाथ से हिला दो।पहले तो मैं मना करती रही फिर उन्होंने लंड बाहर निकाल कर मेरे हाथ में दे दिया।
कसम से इतना बड़ा लंड अपने हाथ में पाकर मैं डर गई।अच्छा हुआ उन्होंने मुझे लंड से नहीं चोदा था।नहीं तो पता नहीं उस वक्त मेरी क्या हालत होती।
मैं अपने हाथ से लंड को हल्के हाथों से आगे पीछे करने लगी और जीजा फिर से मेरे होंठों को चूमने लगे।जैसे जैसे वो मेरे होंठों को चूम रहे थे मेरे हाथ भी तेजी से चल रहे थे।
फिर कुछ समय बाद वो बोले- बैठकर हिलाओ।मैं अपने घुटनों पर बैठ गई और जोर जोर से लंड को हिलाने लगी।
लंड का बड़ा सा गुलाबी सुपारा बार बार चमड़ी से बाहर निकल रहा था|
मुझे उस वक्त पता नहीं अजीब सी कशिश होने लगी और मैं अपना चेहरा लंड के पास ले गई।उसमें से एक अजीब सी गंध आ रही थी जिससे मैं और भी मदहोश हो उठी।
मैं अपने होंठों से लंड को चूमने लगी और अचानक से ही लंड के सुपारे को मुँह में डाल लिया। मैं किसी आईस क्रीम की तरह लंड को चूसने लगी।जीजा के मुँह से आआह आहाह की आवाज आने लगी।
उन्होंने दोनों हाथों से मेरा सर पकड़ लिया और लंड पर आगे पीछे करने लगे।पूरा का पूरा लंड मेरे गले तक उतरने लगा।वो बहुत जोश में आ गए थे।मेरे मुँह से बहुत ही गंदी आवाज निकल रही थी।
मुँह से पानी और लार बह रही थी।जीजा अब जोर जोर से मेरे मुँह को ही चोदने लगे।अचानक से उनकी रफ्तार काफी तेज हो गई और उन्होंने लंड मेरे मुंह के अंदर तक डाल कर मेरे सर को जोर से पकड़ लिया |
जीजा ने पहले दिखाया प्यार ढेर सारा फिर बुर में मारी भरी पिचकारी सारारारा रा।
अपना पूरा वीर्य मेरे मुँह में भर दिया।रुक रुक कर तेज गर्म पिचकारी मेरे मुँह में निकल रही थी।ज्यादातर वीर्य तो मेरे अंदर चला गया और बाकी का मेरे गालों पर बह रहा था।
मेरा मुँह और मेरे गाल उसके चिपचिपे वीर्य से भीग गये। फिर उसने अपना लंड बाहर निकाला और अपना लोअर पहन लिया और मैं उठकर पानी से अपना चेहरा साफ करने लगी.
मैंने भी अपने कपड़े ठीक किये और नीचे चली गयी. मुझे पूरी रात नींद नहीं आई और अचानक घटी घटना के बारे में सोचते-सोचते किसी तरह रात गुजारी।
जीजाजी का वो लम्बा और मोटा लंड बार बार मेरे सामने आ रहा था. अगली सुबह मैं जल्दी नहा कर तैयार हो गयी और पापा मुझे लेने आ गये. मैं वहां से अपने घर आ गयी थी लेकिन जीजाजी से फोन पर जुड़ा हुआ था.
हम रोज फोन पर बात करते थे और जीजाजी फोन पर ही मेरी पैंटी गीली कर देते थे. जीजाजी मुझे चोदने का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे लेकिन हम दोनों को कोई सही मौका नहीं मिल रहा था.
मैं भी चुदने के लिए बेताब हो रही थी, रोज़ उँगलियाँ कर रही थी और अपने जीजा के मूसल जैसे लंड को याद कर रही थी। दोस्तो, कहानी अभी भी जारी है और आप Sali Sex Stories के अगले भाग में पढ़ेंगे कि मैं कैसे
जीजाजी को बढ़िया मौका मिल गया. ऐसी कयामत भरी सेक्सी कहानी पढ़ने के लिए Hindi Sex Story पर बने रहें. हम आपको विश्वास दिलाते हैं कि हम आपकी पसंद की सभी कहानियाँ आपके लिए लाएँगे। और चूत और लंड की गर्मी को शांत करता रहूँगा.