मेरा पहला अनुभव उभयलिंगीपन की तरफ…
यह हिंदी गे सेक्स कहानी आपको बहुत पसंद आएगी क्योकि इस कहानी में अपना पहला गे चुदाई का अनुभव बताने जा रहा हूँ।मेरी उम्र 15 साल पतला शरीर, रंग गोरा और चिकना बदन बिना कोई बाल के। गांड का छेद गुलाबी और लंड लंबा पतला गोरा। मेरी गांड देखकर हर कोई इसे मारने के लिए सोचता रहता है। कहानी शुरू करते हैं…
ये बात 2010 की है जब मैं 10वीं कक्षा का छात्र था। नया नया शौक था पोर्न देखने का तब कोई इंटरनेट या एंड्रॉइड नहीं हुआ करता था। 40-50 रुपये की पोर्न सीडी आती थी जिसको ब्लू फिल्म कहते थे। वही देखा करता था, वो भी जब घर पर कोई नहीं होता था क्योंकि एक ही सीडी प्लेयर था घर में और एक ही टेलीविजन।मुझे पड़ाई में कोई खास नहीं था बस औसत छात्र था।मुझे एक और शौक था वीडियो गेम खेलने का। तो घर पर मारियो वगेरा खेलता था पर उससे भी जल्दी बोर हो गया।
फिर मुझे दूसरे गेम्स के बारे में पता चला जैसे टेकेन 3 , मुस्तफा आदि। मेरे स्कूल के पास एक रेजिडेंशियल कॉलोनी थी वहा एक 50 साल की उम्र वाले अंकल गेम्स खिलवाया करते थे। 1 रूपए में 2 टोकन आते हैं गेम्स के। मैं वाहा जाने लगा और गेम्स का आनंद लेने लगा। जिस कमरे में अंकल ने गेम्स रखे थे वो थोड़ा छोटा था, वहा सिर्फ 2 लोग ही गेम खेल सकते थे। बाकी पीछे पड़ी बेंच पर अपना मौका आने का इंतज़ार करते। (गे चुदाई का अनुभव)वही साइड एक कुर्सी और टेबल थी जिस पर मालिक बैठा करता था। उसके बगल में एक रूम था जहां एक बिस्तर था और दूसरी चीज जैसी अलमारी आदि।
उन अंकल को सब बाबा कहते थे उनकी उम्र करीब 50 की होगी छोटी हाइट मोटा पेट और हल्की दाढ़ी भरी हुई मुछे। वो हमेशा धोती और बनियान में रहते थे।
घर में कोई और नहीं था उनका एक बेटा था जो आर्मी में था और एक बेटी जिसकी शादी हो चुकी थी। बीवी मर गई थी बहुत पहले।
तोह मैं रोज पहुच जाता था गेम खेलने और करीब 1 घंटा खेलता था। और भी बचे और बड़े भईया आते थे गेम खेलने के लिए पर मैं ज्यादा गेम खेलता था और पैसे भी होते थे तो खेलता रहता था।
मैंने कभी किसी मर्द को कभी हवस की नज़र से नहीं देखा था और हमें उस वक़्त नहीं पता था कि भारत में भी गे हो गए हैं। पर बाबा ने मेरे अंदर वो हवस जगा दी थी।
मैं हमेशा दीवार के साइड वाले गेमिंग कंट्रोल पर खेलता था। उस तरफ दीवार पर एक आलमारी थी बाबा बार बार किसी बहाने से आता और आलमारी में कुछ ढूंढने लगते।
वो जान बुझकर अपना लंड मेरे मुँह के पास करता तब मुझे कुछ समझ नहीं आता था।
फिर कभी कभी मजाक में मेरे कंधे पर हाथ रख लेता मेरे गाल को नोच लेटा था। कभी पूजा करके आता तो प्रसाद अपने हाथ से खिलाता और अपनी उंगली को मेरे मुंह में डाल देता। फिर उसी उंगली को अपने मुँह में डाल कर चुसता है।
फिर बाबा ने एक दिन कहा दिलीप अब तू जब यहां से जाए तो मुझे गाल पर किस करके जाया कर।तो मैंने कहा अच्छा बाबा ठीक है, मुझे लगा वैसे ही मज़ाक कर रहा है बाबा। (गे चुदाई का अनुभव)
एक दिन मेने जाता वक्त किस किया फिर दूसरे दिन किया ऐसे ही 2-3 दिन चला। फिर एक दिन में अकेला ही बचा था गेम खेलने वाला तो मैं जाने लगा बाबा ने कहा आज किस नहीं करेगा? मैने कहा ओह भूल गया।
मैं किस करने के लिए आगे बढ़ा और बाबा के गाल पर किस किया। बाबा ने कहा दिलीप क्या बच्चों वाली कर रहा है।
आजा मैं सिखाता हूं। फिर बाबा ने मेरा सिर पकड़ा और सिर्फ 2 सेकंड के लिए चूम लिया। शायद मेरा रिएक्शन देखना चता था।
मैने बोला बस बाबा खुश जाऊ अब? बाबा समाज गए कि मुझे कोई समस्या नहीं है तो बाबा ने फिर मेरा सिर पकड़ा और मेरे होठों पर चूमना शुरू कर दिया।
पहले मेने खूब पीछे हटाया उसको लेकिन उसके बाज़ू मज़बूत थे वो मेरा सिर दबाए जा रहा था। फिर उसने अपनी जीभ मेरे मुँह में घुसा दी।
ये मेरी जीवन की पहली लिप टू लिप किस थी। मुझे मजा आने लगा। बाबा के मुँह की बदबू उसकी मूछों के बाल उसका थूक सब मुझे एकदुम से अच्छा लगने लगा। ये करीब 1 मिनट तक चला फिर बाबा ने मुझे जाने दिया और मैं घर आ गया घर। पर
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मैंने सोचा कितना गंदा आदमी था अब वहां कभी नहीं जाऊंगा..
अगले दिन..
मैं सारा दिन बाबा के बारे में सोचता रहा। जब भी मुझे उस चुम्मे की याद आती थी मेरा जिस्म गरम हो जाता था और लंड कड़ा हो जाता था।
मैं नहीं चाहकर भी बाबा के घर चला गया। मानो जैसे कदम खुदबा खुद चल दिये। मैं वहां पहुंचा तो बाबा अपने पारिवारिक समारोह की वजह से बाहर जा रहे थे और घर पर ताला लगा रहे थे। उन्हें मुझे देखा और कहा अरे बेटा 2 दिन के लिए बाहर जा रहा हूं फिर मिलेंगे।
उनके कुछ दोस्त भी साथ में खड़े थे वाहा तो बहुत शराफत से बोलने लगे बेटा बेटा करके सबके सामने..
अब मैं 2 दिन तक सिर्फ बाबा के बारे में सोच रहा हूं। एक दिन बड़ी मुश्किल से गुज़रा। मैंने पहली बार किसी मर्द को सोच कर मुट्ठी मारी और 2 दिन तक सिर्फ बाबा के बारे में सोच कर मुट्ठी मारता रहा।
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उसका वो मुझे कसके पकड़ना मेरे होठों को चुमना अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल कर चलना अपना थूक मेरे मुँह में डालना ये सारी बाते मुझे याद अति और मैं मुठी मरने लगता। (गे चुदाई का अनुभव)
तीसरे दिन स्कूल से आकर सीधा वाहा पहुंच गया। मैंने देखा आज ज्यादा बच्चे गेम खेलने आये हैं। तो मैं इंतजार कर रहा हूं अपने मौके का। मैंने बाबा को देखा तो बाबा मेरी तरफ देख कर मुस्कुराये।
मैं बैठा रहा और इंतजार करता रहा, गेम तो बहाना था मुझे एक बार और वेसी ही चुम्मा लेनी थी।
फिर मेरे पेट में गुडगुड होई मुझे पॉटी आने लगी। तोह मैने बाबा से बोला कि बाबा टॉयलेट किधर है? तो बाबा मुझे बोले के वाहा आंगन में है।
मैं चला गया, मैंने देखा टॉयलेट में गेट नहीं था सिर्फ परदा था और कोई पानी की टंकी नहीं था खाली पानी की टूटी थी।
मैं वही बहार खड़ा रहा फिर पीछे से बाबा ऐ और बोले खड़ा क्यू है? तो मैं बोला बाबा गेट नहीं है और पानी भी। बाबा बोला लड़का होकर शर्मा रहा है, पर्दा डाले और यहां धूप में कोन तुझे देखना आएगा। टॉयलेट गेमिंग रूम से 20 फीट का फासला था
और थोड़ा और दीवार से सटा हुआ था तो रूम से टॉयलेट दिखाई नहीं देता था।
फिर मैंने बोला पानी कहा से लूं बाबा ने मेरे कंधे पर हाथ रखा और बोला तू बैठ जा मैं हैंडपंप से लेकर आता हूं।
दबाव तेज़ था मैंने कहा ठीक है।मुझे फिर टॉयलेट में परदा डालकर पॉटी करनी पड़ी। फिर बाबा आया और परदा हटा दिया, मैं शर्माया नहीं बस डर गया और मैं बोला बाबा लाओ पानी रख दो।
बाबा बोले करले हम भी तो देखे तो मुझे देखते रहे। फिर वो अपनी धोती के लंड वाले हिस्से को मसलने लगे। जब उसका लंड खड़ा हो गया तो धोती से बाहर निकल कर मुझे दिखाने लगा और हिलाने लगा।
उस दिन मैंने पहली बार लाइफ में अपना सिवा किसी और का लंड देखा था। लंड ज़्यादा लंबा तो नहीं था लेकिन मोटा बहुत था। बाबा का लंड देख कर मैं भी गरम हो गया। लेकिन उससे ज्यादा मेरी फट रही थी कि कोई हम दोनों को देख ना ले।
तो मैने बाबा को बोला लाओ पानी मैंने कर लिया। बाबा बोला और करले, मैं बोला करली लाओ जल्दी पानी। तोह बाबा बोला ला तुझे धूला देता हूं।
ये बात बड़ी अजीब और गंदी लगी मुझे तो मैंने मन किया पर बाबा नहीं माना और बोला उल्टा होजा। फिर मैं उल्टा होकर बैठ गया दीवार की तरफ मुँह करके। (गे चुदाई का अनुभव)
बाबा ने पानी डालना शुरू किया। एक हाथ से पानी डालता दूसरे से गांड धुला मेरी। गांड पूरी साफ होने के बाद भी अपना हाथ फेरता रहा मेरी गांड पर। मुझे बहुत मजा आ रहा था पर मेरी फटभी रही थी कि कोई हमें देख ले।
मैंने खड़ा होना चाहा तो बाबा ने एक हाथ मेरे कंधे पर रख कर मुझे बिठा दिया और दूसरे हाथ से गांड मसल रहा था।
बाबा टॉयलेट सीट पर बिल्कुल मुझसे चिपक कर बैठ गया और मेरी गांड मसलता जा रहा था और मेरे पूरे शरीर में एक अजीब सी बिजली दौड़ने लगी।फिर बाबा ने अपनी जीभ मेरे पीछे से ही मेरे कान में घुसाने लगा और मेरा कान चुमने लगा। मुझे और मज़ा आने लगा, मेरी गरम हवा का फ़ैदा उठते हुए बाबा ने एक उंगली मेरी गांड में घुसा दी।
मैं एकदुम से उठ गया और खड़ा हो गया अपना निकर ऊपर करने लगा। बाबा भी खड़ा हो गया और मुझे कसके पकड़ लिया और दीवार से लगा दिया। और ऐसे ही ऊपर से झटके मारने लगा बाबा मानो कि जैसे चोद रहा हो।
वो ऐसे ही 10-12 झटके मारके रुक गया। शायद अपनी धोती में ही लंड का पानी निकाल दिया उसने और फिर में टॉयलेट से निकल आया।
गेमिंग रूम में जाकर बैठ गया और गेम खेलने लगा और फिर अपने घर आ गया।