हाय, मेरा नाम सोहिल है, आज मेरी उमर 30 साल है। मैं दिल्ली से हूं, मेरी बॉडी नॉर्मल है। चिकनी और कम बाल वाली, भूरी आंखें, काले बाल और मेरी ऊंचाई 5’6 है और रंग भी गोरा है। इस कहानी का शीर्षक गांड मराने का सुहाना सफर है।
तो शुरू करते हैं अपनी हिंदी गे कहानी……………….
ये तब है जब मैं 18 साल का था। हम परिवार में शामिल होते हैं, मेरे 2 चाचा परिवार में रहते थे। जिनमे से एक अंकल के 3 बेटे थे, और दूसरे अंकल का 1 बेटा था। मेरा भी 1 छोटे भाई था, और एक बड़ी बहन थी।
हमारा परिवार काफी बड़ा था, इसलिए हमारा घर भी काफी बड़ा था। मेरे पापा सिंगापुर में काम करते थे। एक दिन मेरा एक चचेरा भाई आशु जिसकी उम्र करीब 21 साल थी।
वो मुझे एक रूम में ले गया, और वो मुझे बोला – यार एक काम करेगा?मुझे तब तक पता नहीं था, सेक्स क्या होता है लंड क्या होता है।
क्योंकि मैं जब तक साधारण जीवन गुजार रहा था, फिर
मैंने बोला – ठीक है बोलो क्या करना है?
आशु – वादा करो कि इस बारे मैं तुम किसी को नहीं बताओगे?
मुझे लगा कि शायद ये चोरी से हमारे कमरे में से कुछ लेना चाहता है। वो मुझसे उमर में काफी बड़ा था, इसलिए मैंने उसे मना नहीं किया।
उस समय मैं काफी शर्मिला और डरपोक टाइप का भी था।
मैं- ठीक है बोलो.
आशु- ठीक है अब तुम खड़े हो जाओ। मैं खड़ा हो गया, हम लोग उस टाइम घर में सलवार कमीज पहनते थे। और अंडरवियर का उस समय कोई खास सवाल नहीं था।
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उसने मुझे खड़ा किया, फिर वो मुझे पीछे से गले लगाने लग गया। साथ ही वो अपना लंड मेरी गांड पर रगड़ने लग गई, सलवार के बाहर से भी मुझे लंड बहुत अच्छा लग रहा था।
मुझे बहुत अजीब लग रहा था, पर मैंने कुछ नहीं कहा। कुछ समय बाद लंड मेरी गांड पर रगड़ने के बाद उसने मेरी सलवार को उतार दिया।
फिर वो मेरी गांड को मसलने लग गया, एक जवान लड़के की गांड की कोमलता का आप भी अंदाज़ा लगा सकते हैं।एक दम मुलायम चिकनी, और बाल रहित और ऊपर से गोरा रंग।
मुझे वो अपनी गोद में उठा कर मेरी गांड से खूब खेलता है, वो मेरी गांड को चूम कर और सुंघ कर उसे बहुत प्यार करता है।उल्टा लेटे होने कि वजह से मेरा लंड उसके लंड से टच हो रहा था।
फिर उसने मुझे नीचे बिठाया और उसने अपनी सलवार को उतार दिया। फिर मैंने उसका मोटा और बड़ा लंड देखा। मैं तो कभी सोच भी नहीं सकता था, कि लंड इतना बड़ा भी हो जाता है।
उस समय मेरा लंड उससे छोटा था। वेसे भी एक 21 साल के लड़के का लंड मेरे लंड से काफी बड़ा ही होना था। उसका लंड करीब 7 इंच लंबा था, और कितना मोटा था वो तो पूछो ही मत।
ऊपर से उसका लंड का टोपा भी इतना मोटा था, मैं आपको बता नहीं सकता। फिर आशु ने मुझे वो लंड चूसने के लिए बोला, मैंने उसे गंदा कह कर मना कर दिया।
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आशु – यार ऐसा कुछ नहीं होता, इसे मैं धो कर लाया हूँ। तुम बस इसे थोड़ा सा चूस लो। मैं ना चाहता हुए भी उसका टोपा चूसने लग गया, पर वो मेरे मुँह में नहीं आया।
बहुत मुश्किल से मैंने थोड़ा सा अंदर लिया, और उसे ही मैं लॉलीपॉप की तरह चूसने लग गया। पर मेरे मुँह में लंड ना जाने की वजह से आशु को कुछ खास मजा नहीं आ रहा था। (गांड मराने का सुहाना सफर)
इसलिए उसने मुझे मना कर दिया, और उसने मुझे बिस्तर पर उल्टा लेटने को कह दिया। मुझे नहीं पता था कि ये अब क्या करने वाला है, क्योंकि मुझे उस टाइम तक सेक्स का बिल्कुल भी पता नहीं था।
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मुझे उल्टा लेता कर उसने मेरे सारे कपड़े उतार दिए, फिर उसने अपनी जेब से एक तेल की डब्बी निकाली। और वो मेरी सील पैक गांड के छेद पर तेल लगाने लग गया, मेरी गांड पर दर्द से तेल लगाने के बाद वो तेल अपने लंड पर लगाने लगा।
एक हाथ से वो मेरी गांड की मालिश कर रहा था, तो दूसरे हाथ से वो अपने लंड को तैयार कर रहा था। तेल लगाते हुए उसने धीरे से अपनी एक उंगली मेरी गांड में देनी शुरू कर दी, मैं एक बांध से ऊपर को हिला और-
मैं बोला – भाई ये क्या कर रहे हो, मुझे अभी दर्द हुआ। और ये गलत है और ये गंदी जगह है।
पर उसने मुझे बहुत प्यार से समझा कर चुप करा दिया और वो बोला – देखो शुरू शुरू में थोड़ा सा दर्द होगा, पर मेरा यकीन मानो उसके बाद तुम्हें बहुत ज्यादा मजा आएगा।
पर अब मुझे यहां से निकलना था, क्योंकि मुझे ये सब बिल्कुल भी अच्छा नहीं लग रहा था। उसने फिर से उंगली मेरी गांड में डालनी शुरू कर दी, मुझे बहुत ज्यादा दर्द हो रहा था।
पर वो मुझे कुछ बोलने ही नहीं दे रहा था, थोड़ा सा तेल और लगा कर उसने मेरी गांड में अपनी पूरी उंगली डाल दी। फिर वो उंगली को मेरी वर्जिन गांड में अंदर बाहर करने लग गया, कुछ समय बाद एक से दो उंगली मेरी गांड में जाने लग गई।
अब मैं दर्द से रोने लग गया, पर उसे फिर से मुझे प्यार से चुप करवा दिया और वो मुझे किस करने लग गया। जब मुझे थोड़ा हौसला हुआ तो फिर से तेल लगा कर वो उंगली करने लग गया। (गांड मराने का सुहाना सफर)
वो शायद मेरी गांड का छेद थोड़ा सा नुकसान करना चाह रहा था। उसे पता था, कि पहली बार मैं उसका लंड नहीं ले पाऊँगा। काफ़ी देर की उंगली करने के बाद वो मेरे ऊपर आ कर अपना लंड मेरी गांड पर सेट करने लग गया।
बहुत सारा तेल लगाने की वजह से उसका टोपा खुद ही रास्ता ढूंढता हुआ मेरी गांड के छेद तक आ गया। अब धीरे-धीरे वो जोर लगाने लग गया, बस फिर आगे मैं आपको क्या बताऊं।
जैसे ही उसके लंड का टोपा मेरी गांड को थोड़ा हुआ सा अंदर गया, तभी मेरी जान निकल गयी। मैं उठ कर खड़ा हो गया, और रोते हुए मैं बोला।
मैं- भाई प्लीज़ मुझे बहुत दर्द हो रहा है।
आशु की हवस उस दिन मुझे छोड़ने का नाम नहीं ले रही थी, पता नहीं लोग इतने जालिम केसे हो जाते हैं। मुझे समझा कर उसने अपनी स्थिति और अपनी जगह पर ले लिया।
फिर से उसने तेल लगाया और उसने अपने मोटे लंड को मेरी पतली गांड में घुसाने की कोशिश की। इस बार उसने मेरे मुँह पर हाथ रख दिया, और उसने मुझे कस कर बड़ी मज़बूती से पकड़ लिया।
अब मैं हिल भी नहीं पा रहा था, फिर वो धीरे-धीरे जोर लगाता हुआ अपना लंड मेरी गांड में डालने लग गया। मुझे इतना दर्द हो रहा था, कि मुझे अब लग रहा था मानो आज मेरी मौत का दिन है।
मुझे नहीं लग रहा था, कि आज मैं बच पाऊंगा। आख़िर आशु कामयाब हो गया, उसके लंड का टॉप अब मेरी गांड में जा चुका था। और मैं दर्द से मछली की तरफ उसके जिस्म के नीचे तड़प रहा था।
उसने भी कसम खाई थी, कि इस बार पूरा अंदर घुसा कि ही वो मुझे बिना लेने देगा।और मैं उसे आगे भीख मांग रहा था, कि भाई प्लीज मुझे छोड़ दो।
और प्लीज अभी बाहर निकल लो, मुझे काफी दर्द हो रहा था। पर तोपा अंदर जाने के बाद उसने लंड को और अंदर घुसाया था। पर एक बार मेरा दर्द देख कर उसने लंड बाहर निकाल लिया, और फिर प्यार से वो मेरी गांड को सहलाने लग गया।
कुछ देर बाद मुझे राहत मिली, और फिर से उसने काफी सारा तेल मेरी गांड में भर दिया। और फिर से वो लंड मेरी गांड में घुस गया, अभी भी दर्द वेसा ही था।
पर आशु आज किसी भी हालत में रुकने वाला नहीं था, अब वो बिस्तर के किनारे खड़ा हो गया। और उसने मुझे अपने सामने घोड़ी बना लिया। (गांड मराने का सुहाना सफर)
अब वो धीरे-धीरे अपना लंड मेरी गांड में घुसाने लग गया, उसने मुझे जोर से गले लगाया हुआ था। साथ ही वो मेरे होठों को चूस रहा था, उसके लिए मेरे होठों और जीब काफी भारी हुई थी।
ऐसा लग रहा था, मानो वो मेरा पूरा मुँह ही चूस जाएगा। इस दर्द दर्द सहते हुए उसने अपना पूरा लंड मेरी गांड में डाल दिया। अब मैं बात को छोटा करता हूं और ख़तम करता हूं।
फिर उसने काफी तरीकों से मुझे चोदा, और फिर उसने अपना माल मेरी गांड में निकाल दिया। इस सब के बाद उसने मुझे बहुत प्यार से सहलाया, और उसने मुझे धोने को बोला।
आशु – इस बारे में किसी को मत बताना, वरना सब से बहुत मर जाएगी। और मैं भी इतना कम कॉन्फिडेंस था, कि मैं किसी को भी नहीं बताता। पापा नहीं और माँ के आगे मैं चुप रहा।
एक ही घर में रहने की वजह से आशु हर समय इसी मोके की तलाश में रहता था, कि कब वो मेरी कामुक गांड मार पाये। और मैं उससे भागता था, उससे हर समय छुपता रहता था।
क्योंकि मुझे पता था, जब भी उसके सामने आऊंगा तो वो मुझसे गलत काम करवाएगा। पर फिर भी मैं उसकी हवा का शिकार हो ही जाता था, पर अब मुझे उतना दर्द नहीं होता था।
जितना मुझे शुरू-शुरू कर हुआ था, क्योंकि मैं 2-3 दिन बाद अपनी गांड से मरवाता था। इसलिए अब मेरी गांड पहले वाली टाइट नहीं रह रही थी, वो मुझे स्टोर रूम, छत, गैलरी, बिस्तर के नीचे हर जगह चोद चुका था।
घर में कोई ऐसी जगह नहीं थी, जहां उसने मुझे छोड़ा न हो। पर अभी तक भी मुझे ये सब पसंद नहीं था, इसलिए अभी भी मैं उससे प्यार करता था।
फिर ऐसा हुआ कि हमारे पापा ने पास दुबई में बुला लिया, और मैं काफी खुश हो गया था। क्योंकि अब वो यहां से चला गया था, पर किस्मत इतनी अच्छी नहीं थी।
उसके जाने के कुछ महीने बाद उसके छोटे भाई शकील की मेरे ऊपर नजर आ गई। और ये सब कैसे हुआ शुरू हुआ, ये मैं आपको इस गे सेक्स कहानी के अगले हिस्से में बताऊंगा।