नमस्कार दोस्तों, मैं 32 साल की हूं और आप लोगो की पसंद रेशमा हूँ। मैं कहानियां सुना-सुना कर लंबे समय से आप सब लोगो का मनोरंजन करती आ रही हूं। और इस सेक्सी और कामुक कहानी में मैं आपको बताउंगी की कैसे मैंने एक फौलादी लोडे से रातभर चुदवाई और चूत की आग को शांत किया, जवान लंड का मजा ही कुछ और होता है दोस्तों।
फिर भी जो नए बंदे हैं, वो मेरी हिंदी सेक्स कहानियों (Hindi Sex Stories) का मजा readxxxstories.com पर जाकर ले सकते हैं।
नए पाठकों के लिए मैं बता दूं। मेरा गोरा, लंबा और भरा हुआ गदराया बदन है। मेरी कामिनी सी काया बेहद आकर्षक और सेक्सी है। ये मैं नहीं कह रही, बाल्की मेरे दीवानों की बातें सुन कर मुझे अंदाज़ा होता है।
मुझे आगे से देखने वाले छोरे हाये-हाये करते हुए अपनी छाती-पीटते हैं और पीछे से देखने वाले कहते हैं, कि मेरी चाल बड़ी मस्तानी है और मेरी जालिम गांड उनके जिस्म में आग सी लग जाती है।
ये बाते और पंक्तिया मुझे मेरी 32 बसंत पार करने के बाद सुनाने को मिल रही है। बाकी आप खुद से अंदाज़ा लगा लीजिये, मैं कैसे तबाही मचा सकती हूँ। अब अपनी नई हिंदी चुदाई की कहानी पर आती हूँ।
24 अप्रैल में मेरे घर में शादी थी और बहुत से मेहमान आये थे। 25 को लड़की विदा होके चली गई और उसके बाद सारे मेहमान भी धीरे-धीरे जाने लग गए।
25 को पूरा घर खाली हो चुका था और घर में सिर्फ मैं और दिलीप रह गए थे।
दिलीप 20 साल का और लम्बी हाइट वाला एक स्मार्ट लड़का है। वो मेरे गाँव से, काम-काज में मेरी मदद करने के लिए मेरे घर में आया हुआ था।
शादी ख़त्म होने के बाद मैंने दिलीप को रोक लिया था, क्योंकि मुझे भी उसके साथ गाँव जाना था।
रात को मैंने दिलीप को सोने के लिए बोला और मेरे साथ वाले कमरे में सोया हुआ था, रात के तकरीबन 12 बज चुके थे और मुझे अभी पूरी तरह से नींद नहीं आई थी।
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सब कुछ एक दम शांत था, फिर दिलीप दबे पाव मेरे बिस्तर के पास आया और मैं सोच रही थी, कि वो मेरे पास क्यों आया है। मैं अभी सोच ही रही थी, कि वो क्यू दबे पाव मेरे पास आया था और वो वापस भी चला गया।
मुझे उत्सुक्ता हुई और मैं फिर उसके वापस आने का इंतजार करने लग गई। 15-20 मिनट के बाद, दिलीप फिर मेरे पास आया। इस बार वो मेरे पैरो तक मेरे लम्बे गाउन को धीरे-धीरे से ऊपर उठाने लग गया।
मैं सब कुछ जानते हुए भी शांत पड़ी रही और देखने लगी, दिलीप क्या-क्या करता है। दिलीप धीरे-धीरे मेरे गाउन को मेरी गांड के ऊपर तक उठा चुका था।
मेरी बिल्कुल साफ गोरी और गोल-गोल गांड को देख कर, दिलीप का लंड पूरा खड़ा हो गया था और अपने आपे से बाहर हो चुका था।
मेरे पैर मोड़ कर करवट लेकर लेटे होने की वजह से, गांड की और मेरी क्लीन शेव चूत बाहर को निकली हुई उसको साफ दिखाई दे रही थी।
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दिलीप अपने लंड को मेरी चूत पर रगड़ता हुआ मेरे साथ लेट गया। मैं हरकत में आई और उसको डांटे हुए बोली-
मैं: अरे ये क्या कर रहा है? तू यहाँ कैसे आ गया?
दिलीप डर गया और बोलने लगा: प्लीज़ मैम, आपको देख कर मैं अपने आप को रोक नहीं पा रहा था। कृपया मुझे मत रोको एक बार कर लेने दो।
दिलीप का काला और मोटा लंड, काले नाग की तरह हवा में लहराता हुआ फुंकार मार रहा था। मेरा चुदक्कड़ मन, मस्त और कड़क लंड से चुदवाने के लिए मचल रहा था।
मैं जानती थी कि 20 बरस का लौड़ा बड़ा मज़ेदार और काफी देर तक चुदाई कर सकता है।
मैं टुनक कर बोली: ठीक है, देखो जैसा मैं कहती हूं वैसा ही करो।
दिलीप को पहले मैंने ये बात समझाई, हमारे बीच में जो कुछ भी होगा, वो किसी को पता नहीं चलना चाहिए और हम दोनों तक ही सीमित रहना चाहिए। उसने मुझे हा बोल दिया।
मैं: जैसी-जैसी मैं कह रही हूं, वैसे-वैसे ही आगे बढ़ना।
दिलीप बोला: हां मैम, बिल्कुल आपके गुलाम की तरह काम करूंगा।
मैं: चलो फिर सब ठीक है, सबसे पहले मेरे पैरो की मालिश करो।
दिलीप खड़े लंड को हिलाता हुआ तेल ले आया और फिर मेरे पैरो की मालिश करने लग गया।
मालिश करते-करते दिलीप अपने हाथ मेरी जाँघों तक लेके जाने लगा। कभी-कभी उसकी उंगली मेरी चूत तक को टच कर रही थी।
दिलीप के हाथों की मालिश से, मेरी चूत में सनसनी होने लग गई थी। जब भी उसका हाथ मेरी चूत को छूता, मेरा पूरा बदन तड़प जाता। मुझे मजा आ रहा था।
दिलीप पैरो की मालिश करने के बाद, मुझे चित लेटा कर मेरी टांगो को अपनी टांगो के बीच में लेकर ऐसे बैठ गया।
जिसका उसका लंड मेरी चूत के ऊपर लंड खाने लग गया और वो फिर मेरे पेट से होता हुआ, मेरी चूची तक की मालिश करने लगा और मेरे साथ मेरे बूब्स मसलने भी लग गये।
मैं टू सी.. सी.. ऊह्ह्ह उह्ह अह्ह्ह आह करने लगी और मेरी चूत से अमृत रस टपकने लग गया।
दिलीप को मेरी चूत में से रस रपकने का एहसास हो गया था। वो झट से अपना मुँह मेरी चूत पे ले गया और मेरी चूत चाटने लग गया।
दिलीप की जीभ का स्पर्श मेरी चूत में आग लग रही थी। मैं बार-बार अपनी गांड उछालने लग गई और दिलीप समझ गया, कि अब चूत को लंड की ज़रूरत है।
मेरी चूत की दोनो फाँके आपस में रगड़ खाने लग गई। मैं दिलीप से बोली-
मैं: अब देर ना कर दिलीप और डाल दे अपने बंपर लोडे को मेरी बुर में और चोद-चोद कर बुझा दे मेरी चूत की आग को।
दिलीप ने अपने लंड को मेरी चूत के मुँह पर रखा और ज़ोरदार धक्का मारा। मैं चीखा निकल उठी और उसका विशाल और फौलादी लोडा मेरी चुत की दीवारों को चीरता हुआ एक ही धक्के में मेरी चुत में समा गया।
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मुझे तो जैसे जन्नत मिल गई। मैं आह्ह.. आआह्ह.. कर रही थी और दिलीप उछल-उछल कर अपने लंड से मेरी चूत की चुदाई (Chut Ki Chudai) करने लग गया। मैं भी गांड उछाल-उछाल कर उसके फौलादी लोडे से अपनी चूत चुदवा रही थी।
दिलीप मेरी चूत को चोदते हुए, जितनी तेजी से धक्के मार रहा था, उतना ही मुझे मजा आ रहा था। जब मैं ज्यादा हॉर्नी हो गई, तो ज़ोर-ज़ोर से चिल्लाने लगी।
मैं: आह्ह.. आह्ह… और जोर से चोदो आह… और जोर से चोद साले।
मेरी गालियाँ सुन कर दिलीप का जोश बढ़ गया और धका-धक वो मेरी चूत को चोदने लग गया। चूत के अंदर लंड तूफानी स्पीड में दौड़ रहा था। मैं लगतार आह्ह… आह्ह.. कर रही थी।
मेरे बदन में अकडन हुई और मेरी चूत की फाँके आपस में बैठ कर, चूत की गली को और तंग कर रही थी। इसके विपरीत लंड तीन गुना ज्यादा मोटा हो चुका था।
आख़िर वो वक़्त आ गया, जब दिलीप का बदन मुश्किल में पड़ गया। दिलीप आअहह.. आअहह… करते हुए, मेरी चूत के अंदर गरम-गरम रस छोड़ने लगा। मैं तो इस वक्त जन्नत की सैर कर रही थी।
दिलीप के लंड को मेरी चूत की फाँके अभी भी मसल रही थी। मानो चूत लंड से निकलने वाली एक-एक बूंद चूसना चाहती हो। दिलीप निहाल होकर मेरे बूब्स पर सोया हुआ था।
मैं भी शांत हो चुकी थी, पूरी संतुष्टि होने के बाद और मुझे भी संतुष्टि वाली नींद आ चुकी थी। लेकिन ये क्या, दिलीप नीचे गया और मेरी चूत को कुत्ते की तरह चबा-चबा कर चाटने लगा।
वो अब दूसरे राउंड की तैयारी कर रहा था। वो इसी तरह से मुझे रातभर चोदता रहा, बस चोदता रहा। इसलिए मैं कहती हूं कि 20 बरस के लंड का मजा ही कुछ और होता है।
मैंने उस रात उसके साथ इतनी जबरदस्त चुदाई की, जिससे मेरी प्यास तृप्त हो गई। मेरी तड़पती चूत कि आग शांत हो गयी।
दोस्तों आपको हिंदी सेक्स कहानी कैसी लगी, मुझे आप अपना कमेंट करके जरूर बताए। धन्यवाद।