मैं आज जो आपको हिंदी गे सेक्स कहानी बताने जा रहा हूं, वो आज से 4 साल पुरानी है। पब्लिक टॉयलेट में ग्रुप सेक्स – Do Land Ek Gand.
मैं 24 साल का लड़का हूं और थोड़ा मोटा सा हूं।
मेरी गांड बहुत बड़ी है. तब मैं एक सीधा-सादा लड़का था। मैं अक्सर सारा दिन पोर्न देख कर मुठ मारने में गुजार देता था।
तब मुझे पॉर्न में लड़कियों से ज्यादा लड़के में दिलचस्पी थी। पता नहीं क्यों मुझे लड़के के बड़े-बड़े लंड देख के मजा आता था।
मैं कभी-कभी सोचता था, कि काश मुझे भी कोई चोदे। अब ये बता दूं, कि मुझे हमारा वक्त बिल्कुल आइडिया नहीं था कि लोग गे भी हो गए हैं।
अब मैं डेली सुबह को वॉक पे जाता था। हमारा घर एक सुनसान इलाके में था।
एक दिन मैं सुबह को चल रहा था और मुझे ज़ोर से पेशाब लगा।
अब रास्ते में एक ट्रेन स्टेशन था, जिसके अंदर बाथरूम था। मैंने सोचा, कि वाहा जाके पेशाब करता हूं।
फिर मैं स्टेशन के बाथरूम की तरफ गया। जब मैं अंदर गया, तो वहां कोई नहीं था। फ़िर मैं एक स्टॉल में गया और मूतने लगा।
तभी मेरी नज़र पड़ी, कि स्टॉल में छेद था, जिसके साथ वाला स्टॉल पूरा नज़र आ रहा था।
फिर मैंने सोचा, कि क्यू ना वेट करु, ताकि कोई आए और उसका लंड देखने का मौका मिल जाए।
मैंने वेट किया और कुछ 10-15 मिनट बाद एक अंकल स्टॉल में घुस गये। अंकल ने अपनी ज़िप खोली और काला सा और मोटा सा लंड बाहर निकाला।
मैं तो उनका लंड देख कर हैरान रह गया। मैंने पहली बार किसी का लंड देखा था और वो भी इतना बड़ा।
उनका लंड मेरे लंड से डबल साइज़ का होगा। फिर उसके लंड से पेशाब की धार निकलने लगी और उसको देख कर मेरा लंड खड़ा होने लगा।
अब मुझे पता नहीं चला, लेकिन उसने नोटिस कर लिया था, कि मैं उसको छेद से देख रहा था।
फिर वो पेशाब करने के बाद लंड को सहलाने लगा और थोड़ी देर में उसका लंड बिल्कुल टाइट हो गया।
वो मेरी तरफ मुड़ गया और लंड को हिलाने लगा।
( पब्लिक टॉयलेट में ग्रुप सेक्स – Do Land Ek Gand )
अब उससे भी रहा नहीं गया और वो हमसे छोटे से छेद के सामने लंड ले आया।
ये देख कर मैं झट से पीछे हो गया, क्योंकि मैं पकड़ा गया था।
फ़िर वो होले से अंदर झनकने लगा। मैं डर गया और मैंने जल्दी से अपनी पैंट ऊपर कर ली।
मैं स्टॉल से बाहर निकला ही था, कि वो भी बाहर निकल आया।
मैं शर्म से उसकी तरफ देख ही नहीं पा रहा था। फिर उसने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे चुप रहने को बोला।
फिर वो मेरा हाथ पकड़ कर मुझे स्टॉल में ले गया। उसने मुझे टॉयलेट पर बिठा दिया और मेरे सामने खड़ा हो गया।
फ़िर वो अपनी पैंट खोलने लगा। मैंने उसको मन किया और बोला-
मैं: ये क्या कर रहे हो?
उसने मुझे चुप करवा दिया और अपना लंड बाहर निकाला, जो फुल टाइट था।
यकीन मानो, उसका लंड इतना बड़ा था, कि मेरे पूरे मुँह को कवर कर लेता। वो लंड मेरे मुँह के करीब लाने की कोशिश कर रहा था और मैं थोड़ा पीछे हो गया।
फिर उसने मेरा सर पकड़ लिया और अपना लंड मेरे होठों पर रख दिया। वो नीचे झुका और बोला-
वो आदमी: मुँह खोलो और इसको चुनो।
मुझे ये सब अजीब लग रहा था? लेकिन उसके लंड से जो खुशबू आ रही थी, वो मुझे पागल कर रही थी।
( पब्लिक टॉयलेट में ग्रुप सेक्स – Do Land Ek Gand )
मैंने मुँह खोला और उसका टोपा मुँह में ले लिया।
फिर उसने धक्के मारने शुरू कर दिए और लंड ज़बरदस्ती मेरे मुँह के अंदर घुस रहा था।
मैं उसका आधा लंड ही चूस रहा था। फिर उसने मेरा सर पकड़ा और मेरे मुँह को स्पीड से चोदने लगा।
इतने में साथ वाले स्टॉल में कोई दूसरा आदमी आ गया था।
अब मेरे मुँह की चुदाई हो रही थी और चप-चप की आवाज़ निकल रही थी।
साथ वाले स्टॉल में बैठे बुद्ध ने ये नोटिस किया और चेड से देखने लगा।
उसने हमें इशारा देने के लिए छेद में उंगली घुसा दी। फिर अंकल ने हमारा स्टॉल खोला और वो बुड्ढा अपने स्टॉल से निकल कर हमारे स्टॉल में घुस गया।
उसने भी अब लंड निकाला और मेरे मुँह के पास लेके आया।
बूढ़े का लंड अंकल से थोड़ा छोटा था और अब मैं दोनों के लंड चूस रहा था।
अंकल ने मेरी पैंट खोल दी और नीचे उतार दी। फिर वो मेरी जांघों को छू रहा था और मेरे टाइट लंड को मसल रहा था।
मैं इतना हॉर्नी हो गया था, कि मुझसे रहा नहीं गया और मेरी मूत निकल गयी।
फिर उसने मुझे खड़ा किया और मेरी गांड फेला दी।
फ़िर वो मेरी गांड के छेद को चाटने लगा। उफ़! अब मैं मजे से पागल हो रहा था।
( पब्लिक टॉयलेट में ग्रुप सेक्स – Do Land Ek Gand )
फ़िर हमें बूढ़े ने मुझे लंड चूसने से रोका और मेरे होठों पर किस करने लगा। पीछे से अंकल मेरी गांड चाट रहा था।
फ़िर अंकल ने अपने लंड पर थोड़ा थूक लगाया और लंड को गांड के छेद पर सेट किया।
उसने मुझे टाइट पकड़ा और ज़ोर से धक्का मारा।
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यकीन मानो, मुझे इतना दर्द हुआ, कि मेरे जोड़े के नीचे से ज़मीन निकल गई थी।
मैं दर्द से गाल भी नहीं पा रहा था। क्योंकि दूसरे बूढ़े ने मुझे कस के पकड़ा हुआ था और मेरे होठों को अपने होठों से पकड़ लिया था।
फ़िर अंकल पीछे से ज़ोर से धक्के मारने लगा और अब वो मुझे स्पीड से चोद रहा था।
दर्द से मेरा जिस्म कांप रहा था, लेकिन 15 मिनट के बाद मेरा दर्द कम हुआ और फिर जैसा ही उसका लंड अंदर जाता था, तो मुझे थोड़ा-थोड़ा मजा आने लगा।
फिर बूढ़े ने मुझे छोड़ा और टॉयलेट सीट पर बैठ गया।
फिर अंकल ने मेरी गांड से लंड निकाला और बूढ़े ने मुझे अपने लंड पर बैठा लिया।
उस बूढ़े का लंड अंकल से छोटा था, तो आराम से मेरी गांड के अंदर चला गया।
मुझे अभी भी दर्द हो रहा था, लेकिन मजा भी आ रहा था। वो बुद्धा मुझे अपने लंड पर उछाल रहा था।
अंकल ने अपने लंड को साफ किया, क्योंकि उसपे खून लगा हुआ था और मेरे मुँह में घुसा दिया।
अब एक मेरी गांड चोद रहा था और दूसरा मेरा मुँह चोद रहा था। फिर 15 मिनट बाद वो दोनों ठीक होने वाले थे।
उनको मुझे घुटनो पे बैठा लिया।
फ़िर दोनो ने अपना लंड मेरे मुँह के सामने कर लिया और हिलाने लगे। फिर उन्होंने मुझे ज़ुबान बाहर निकालने को बोला।
मैंने वैसा ही किया, जैसा उनको मुझे करने को बोला था। फिर पहले बूढ़े ने अपना माल निकाला और मुझे पीने को बोला।
उसका बहुत कड़वा मुँह था, लेकिन मैं पी गया। फिर 2 मिनट बाद अंकल ने अपना माल निकाला वो बहुत टेस्टी था, जो मैंने मजे से पी लिया।
( पब्लिक टॉयलेट में ग्रुप सेक्स – Do Land Ek Gand )
फिर पहले बुड्ढा कपड़े पहन कर बाहर निकल गया और फिर 5 मिनट का इंतजार करके अंकल भी निकल गया। अंकल ने जाते-जाते मुझे 500 रुपये दिए।
अब मेरी गांड में बहुत दर्द हो रहा था। उन दोनों ने मेरी गांड फाड़ दी थी.
खैर उस दिन के बाद मुझसे रहा नहीं गया और मैं ऑनलाइन एक अंकल से दोस्ती की और फिर उसके घर गया।
उस अंकल ने मुझे खूब चोदा और उसके बाद मैं रोजाना उस अंकल से चुदवाती थी।
मैंने दूसरे मर्दों से भी काफी चुदाई करवाई थी और एक बार तो एक साथ 4 लोगो से गांड मरवाई थी।