हिंदी सेक्स कहानियो के पाठको का चुदाई की कहानी (Chudai Ki Kahani) की दुनिया में स्वागत है। मैं साक्षी आपके लिए अपनी पिछली कहानी “गाँव की सेक्सी देसी भाभी की चुदाई की कहानी” का अगला भाग 2 ले कर आई हूँ।
आगे की कहानी रिषभ ने लिखी है, इस सेक्सी देसी भाभी की चुदाई (Desi Bhabhi Ki Chudai 2) की कहानी के अगले भाग का मजा लीजिए…..
हेलो दोस्तो, मैं रिषभ दिल्ली से हूँ। आप सबका एक बार फिर से मेरी हिंदी सेक्स स्टोरी में स्वागत करता हूँ। उम्मीद है की आपको मेरी इस भैया भाभी की चुदाई की कहानी का पहला भाग पढ़ कर आपको मजा आया होगा।
पिछली कहानी में अपने पढ़ा था की कैसे भईया भाभी की चुदाई करके सो जाते है, और मैं भी अपने घर आकर मुठ मारके सो जाता हूँ।
इस कहानी में आप पढ़ेंगे, कैसे मैंने अपनी भाभी को पटाया और उनके साथ संबंध बना कर उनकी चूत की चुदाई की।
तो चलिए अपनी भाभी की सेक्स कहानी को आगे बढ़ाते है……..
तो उस रात तो मेरी लॉटरी लग गई थी, जब मैंने रात में भाभी के सोते समय उनके नंगे चूचे देखे और रात में भईया और भाभी की चुदाई (Bhaiya or Bhabhi Ki Chudai) देखी थी।
फिर उसके बाद अगले दिन कुछ खास नहीं हुआ, क्योंकि भईया भी घर पर ही थे।
लेकिन जब मैं सुबह भईया को दूसरे शहर में दुकान पर छोड़ कर आया, तो रास्ते भर मैं बस यहीं सोच रही थी, कि आज तो भाभी अकेली रहेंगी, तो उनके साथ खूब मस्ती करूंगा।
खैर यही सब सोचते हुए मैं घर पहुचा। वहा पहुंचा, तो मैंने देखा, कि भाभी बिस्तर पर लेट कर टीवी देख रही थी।
उर्वसी भाभी बिस्तर पर साड़ी पहने हुए उल्टी लेती थी। उस पोजीशन में उनकी उभरी हुई मोटी गांड बहुत मस्त और सेक्सी लग रही थी।
मैं भाभी की गांड को घूरते हुए उनके बगल में बैठ गया। मुझे देख कर भाभी बोली-
भाभी : और रिषभ, छोड़ आये भईया को? रास्ते में कोई परेशान तो नहीं हुई?
मैं: नहीं भाभी, कोई परेशानी नहीं हुई।
भाभी: तुम्हें भूख लगेगी? खाना निकल दू?
मैं: भूख तो मुझे आपके रसीले आमो की लगी है। लेकिन आप खाने ही नहीं दे रही हो।
भाभी : बहुत शरारती हो गये हो तुम, वैसे भी आमो का सारा रस तुम्हारे भईया पी गए हैं।
फ़िर भाभी ने खाना लगाया और हम दोनो ने खाना खाया। फिर मैंने बोला-
मैं: भाभी, बेबी को भी तो दूध पिला दो, उसको भी भूख लगेगी।
भाभी बोली: तुम्हें बड़ी चिंता है?
फ़िर उर्वसी भाभी बेबी को अपनी गोदी में लिटा कर, पल्लू से छुपा कर, ब्लाउज ऊपर करके, अपने चूचो का दूध पिलाने लगी।
लेकिन मैं भाभी के दूध नहीं देख पाया। और मेरा पूरा ध्यान उनके चुचो को घूरने में ही था। ये देख कर भाभी बोली-
भाभी: इतना क्या घूर रहे हो देवर जी?
मैने भी कहा: भाभी आप चीज ही ऐसी हो घूरने लायक। बेबी के तो मजे हैं भाभी, जो आपका मीठा दूध पीने को मिलता है।
उर्वसी बोली: अगर इतना ही मन है, तो जाओ तुम भी किचन से दूध पी लो।
मैं बोला: अरे भाभी जो मजा आपको दूध को सीधे मुंह लगा कर पीने में है, वो किचन वाले दूध में कहा।
फ़िर भाभी ने “धत पागल” बोल कर बेबी को फिर से पालने में सुला दिया। उसके बाद उर्वसी भाभी मेरे बगल में बिस्तर पर आ कर लेट गई।
थोड़ी देर मज़ाक मस्ती के बाद उन्हें नींद आ गई। लेकिन मुझे कहा नींद आने वाली थी, मैं तो भाभी की चूत चुदाई (Bhabhi Ki Chudai) के सपनो में खोया था।
वैसे भी जब बगल में इतना मस्त माल लेता हो, तो घंटा नींद आएगी। थोड़ी देर बाद जब भाभी अच्छे से सो गई।
तो मैंने उठा और भाभी के ब्लाउज के ऊपर से साड़ी को हटा दिया। फिर मैंने भाभी के चूचो को देखा, अपना लंड लोअर से बाहर निकाल लिया और उसको हिलाने लगा।
भाभी ने ब्लाउज के अन्दर ब्रा नहीं पहनी थी, जिसके उनके निपल्स का उभार दिख रहा था और एक निपल तो दूध निकलने की वजह से थोड़ा गीला भी था।
मैंने पहले हल्के से एक उंगली से उर्वसी भाभी के निपल को टच किया। फिर आराम से अपने मुँह से निपल्स पे किस किया।
उसके बाद मैंने अपने लंड को हल्के से उर्वसी भाभी के रसीले होठों पर टच कराया।
फिर मैंने दराज से भाभी की पैंटी निकाल ली और भाभी की मस्त जवानी देखते हुए वही मुठ मारने लगा।
उसके बाद मैंने थोड़ी देर में सारा पानी भाभी की पैंटी पर छोड़ दिया और अपने लंड पर लगे वीर्य को भाभी के पल्लू से पोंछ कर वही सो गया।
फिर जब मैं उठा, तो भाभी वहां से जा चुकी थी। मैंने किचन में देखा, तो भाभी वहां चाय बना रही थी।
मैं पीछे से गया और लंड को लोअर के अंदर से ही भाभी की गांड में सटा कर पूछा-
मैं: क्या बना रही हो भाभी जान?
इस पर भाभी ने कुछ रिएक्ट नहीं किया और बोली-
भाभी: अच्छा जी! भाभी जान? वाह्ह्ह्ह्ह्…
मैं: अपने दूध की चाय पिला देती तो मजा आ जाता भाभी।
ये सुन कर भाभी ने “हट शैतान” बोल कर मेरे पीछे की तरफ धक्का दे दिया। लेकिन इस बीच मैंने खूब मजे से अपने लंड को भाभी के दो मस्त चूतड़ों के बीच रगड़ा।
मैं: क्या भाभी, थोड़ी देर मजा भी नहीं लेने देती।
भाभी : अच्छा जी? कोन सा मजा चाहिए हमारे देवर जी को, जो हम नहीं दे रहे हैं?
मैं: भाभी जब तक आप चाय बना रही हो, तब तक मुझे आपके पीछे से गले लगाने दो। नहीं तो मैं आप से गुस्सा हो जाऊंगा।
भाभी : ठीक है बाबा, गले लगा लो, लेकिन केवल चाय बनाने तक।
फ़िर मैं ख़ुशी से भाभी को पीछे से चिपक गया और अपना लंड भाभी की गांड में गाड़ दिया। मैंने गैस की आंच धीमी कर दी, तो भाभी बोलीं-
भाभी: आंच क्यू कम कर दी?
तो मैने कहा: इससे चाय अच्छी बनेगी।
फ़िर भाभी बोली: अच्छा जी?
फिर मैंने दोनो हाथ आगे करके भाभी के पेट को सहलाना शुरू कर दिया और पीछे से हल्के-हल्के धक्के भी भाभी की गांड में देने लगा।
इस पर भाभी भी थोड़ी सिस्कारिया लेने लगी और बोली-
भाभी: लगता है, आज खूब मजा ले लोगे अपनी भाभी से।
मैंने बिना कुछ बोले भाभी की नाभि में उंगली डाल दी और गोल-गोल घुमाने लगा।
इसे भाभी के मुँह से धीमी-धीमी सिस्कारियाँ निकलने लगीं। फ़िर मैं पीछे से लंड से थोड़ा ज़ोर से धक्के देने लगा।
करीब 5 मिनट तक ऐसा करते हुए भाभी एक-दम से रुकने लगी और हिल-हिल कर झड़ने लगी।
उनकी बुर ने पानी छोड़ दिया था। मैंने भी मौका अच्छा देख कर भाभी के झड़ने के दौरान ही पीछे से एक हाथ डाला और भाभी की एक चूची पकड़ ली। क्या मस्त मुलायम सी चूची थी भाभी की।
लेकिन इससे पहले कि मैं आगे कुछ और कर पाता, तब तक चाय उबल गई और भाभी ने गैस बंद करके मुझे धक्का दिया और जल्दबाजी में भागने लगी। वो भागते हुए बोलने लगी-
भाभी: अब चाय बन गई देवर जी, अब आपकी मस्ती ख़तम।
मैं भी फिर से बाहर आ गया और फिर हम दोनों ने वैसे ही मस्ती करते हुए टीवी देखते हुए चाय ख़त्म की।
मुझसे रहा नहीं गया और मैं भाभी के चुचो को वही बैठ कर दबाने लगा, भाभी ने भी इसका विरोध नहीं किया।
फिर मैंने अपना एक हाथ उनकी चूत की तरफ ले गया लेकिन भाभी ने हाथ हटा दिया और बोली अभी के लिए इतना बहुत है कोई आ जाएगा।
दोस्तो इस देवर भाभी की चुदाई की कहानी (Bhabhi Ki Chudai Ki Kahani) में इतना ही। उम्मीद करता हूं, कि आप सबको ये भाग पसंद आया होगा।
अगले भाग में आप लोग पढ़ेंगे की कैसे मैंने उसी रात भाभी की चूत की चुदाई करके मजा लिया।
कोशिस करूँगा की अगला भाग मैं आप सबके साथ जल्दी-से-जल्दी शेयर करू तब तक के लिए अलविदा। हिंदी सेक्स स्टोरीज (Hindi Sex Stories) को readxxxstories.com पर पढ़ते रहिए।