पिछला भाग पढ़े:- क्लास की लड़कियों के साथ थ्रीसम-1
हाय दोस्तो, मैं रिताश अपनी कहानी का अगला भाग लेके आप सब के सामने हाजिर हूं। उम्मीद है कि आपको पिछली कहानी पसंद आएगी। अगर आपने पिछली कहानी नहीं पढ़ी है, तो कृपया पहले जाके वो पढ़ें।
आज की कहानी में पड़े कॉलेज की दोनों गर्लफ्रेंड को एक साथ सेक्स करने के लिए मनाया और कॉलेज में ही कॉलेज में क्लास की लड़कियों के साथ थ्रीसम किया
पिछले हिस्से में आपने पढ़ा था, कि मैंने अपनी गर्लफ्रेंड शहनाज़ को चोदने के लिए बुलाया था। लेकिन वाहा मेरी दूसरी गर्लफ्रेंड कृतिका भी आ गई। फिर जैसे-तैसे मैंने दोनों को एक साथ सेक्स के लिए मनाया। अब आगे बढ़ते हैं.
अब शेहनाज मेरा लंड चूस रही थी, और कृतिका और मैं किस कर रहे थे। तभी शहनाज़ ने मेरा लंड अपने मुँह से बाहर निकाला, और खड़ी हो गई। फिर उसने मुझसे पूछा-
शेहनाज: बेडरूम किधर है?
तो मैंने अपने बेडरूम की तरफ इशारा किया। फिर वो बेडरूम की तरफ जाने लगी. उसने सिर्फ जींस पहनी थी, और ऊपर से वो नंगी थी। वो गांड मटका कर बेडरूम की तरफ जा रही थी। जैसे ही वो बेडरूम के दरवाजे पर पहुंचूं, उसने पीछे मुड़कर देखा, और एक स्माइल पास की।
मैं कृतिका को किस कर रहा था, और एक आंख से उसको देख रहा था। फिर वो मेरी तरफ घूम गई, और अपनी जींस का बटन खोलने लगी। फिर उसने ज़िप खोली, और अपनी जींस उतारने लगी। जींस उतारते हुए वो दूसरी तरफ घूम गई, ताकि मुझे उसकी सेक्सी काली गांड का नजारा मिल सके।
नीचे झुकते हुए उसकी गांड बहुत सेक्सी लग रही थी। उसने गुलाबी पैंटी पहनी थी. फिर उसने अपनी पैंटी भी उतार दी। अब मुझे उसकी नंगी गांड और गांड के चियर में छुपा चूत का छेद नजर आ रहा था। इधर जोश में मेरी किस वाइल्ड होती जा रही थी।
फिर शहनाज़ मेरी तरफ घूमी और अपनी चूत पर हाथ फेरते हुए मुझे देखने लगी। उसने मुझे कमरे में आने का इशारा किया, और कमरे में चली गई। मैंने कृतिका को किस करते हुए ही अपनी बाहों में उठाया, और बेडरूम की तरफ ले गया। बेडरूम पाहुंच कर देखा, तो शहनाज़ बेड पर सीधी लेती हुई थी। मुझे देखते ही शहनाज़ उठी, और घोड़ी बन कर बिस्तर पर बैठ गयी।
उसकी सेक्सी गांड देख कर मुझसे रहा नहीं गया। मैंने कृतिका को बेड पर लिटाया, तोदी को किस किया और शहनाज की गांड में अपना मुंह डाल लिया। अब मैं शहनाज़ की चूत में बिल्कुल फिर से लग गया। शहनाज़ आह आह करने लगी, और मस्ती में अपनी गांड हिलाने लगी। क्या मस्त स्वाद आ रहा था. Uski chut se.
फिर मैंने उसकी चूत में अपनी जीभ डालनी शुरू कर दी। इसे तो वो पागल ही हो गई। तभी कृतिका ने भी अपनी जींस और पैंटी निकाल दी, और बिस्तर पर शहनाज़ के साथ ही घोड़ी बन गई, और अपनी गांड मेरे सामने कर दी। मैं अब अपने आप को दुनिया का सबसे भाग्यशाली इंसान मान रहा हूं।
मेरे सामने 2 लड़कियाँ थीं, घोड़ी बनी हुई, जो कुछ भी करने को तैयार थी। अब इसे ज्यादा लकी कौन हो सकता है? कृतिका की गांड देखते ही मैंने उसकी चूत पर अपना मुँह लगा लिया, और उसको चाटना शुरू कर दिया। दोनों की चूत का स्वाद अलग-अलग था, लेकिन मजा बहुत आ रहा था।
अब मैं कृतिका की चूत चूस रहा था, और शहनाज़ की चूत के दाने को अपने हाथ से मसल रहा था। दोनों ही लड़कियाँ चुदासी हो कर आहेन भर रही थी, और मजा ले रही थी। अब दोनो की चूत पूरी गीली थी, और लंड लेने के लिए एक दम तैयार थी।
मुझे शेहनाज की गांड ज्यादा अच्छी लग रही थी, क्योंकि उसका साइज कृतिका की गांड से ज्यादा बड़ा था। तो मैंने अपना लंड हाथ में लिया, और शहनाज़ की चूत पर लंड रगड़ने लगा। फिर जैसा ही मेरा लंड उसकी चूत के छेद पर अटका, मैंने ज़ोर का धक्का मार कर लंड को अंदर घुसा दिया।
पहली बार में मेरा सिर्फ आधा लंड उसकी चूत में गया। वैसे तो वो वर्जिन थी, लेकिन चूत में उंगली कर-कर के उसने चूत थोड़ी खोल रखी थी। लेकिन लंड उंगली से कहीं ज्यादा मोटा था, तो उसकी चूत से खून निकलना शुरू हो गया। मैंने परवा ना करते हुए ज़ोर लगाना शुरू किया, और मेरा पूरा लंड उसकी चूत में घुसा दिया।
वो गालें मार रही थी, और उसकी चूत मेरा लंड जकड़ रही थी। फिर मैंने धीरे-धीरे लंड चूत में अंदर-बाहर करना शुरू कर दिया। मेरा लंड उसकी चूत की दीवारों से रगड़ खा कर अंदर-बाहर हो रहा था। बड़ा मजादार अनुभव था.
तभी कृतिका बेड पर हमारी साइड में खड़ी हो गई, और उसने मेरा सारा पकड़ कर मेरे मुँह को अपनी चूत में लगा लिया। मेरी तो चाँदी ही चाँदी थी. एक चूत में मेरा लंड था, और दूसरी चूत में मुँह। जिंदगी का असली मजा इसी को कहते हैं दोस्तो।
अब मैंने शहनाज़ की चूत में धक्के तेज़ कर दिया। अब वो भी आह्ह आह्ह करके मजे से चुद रही थी। इधर कृतिका की चूत धड़-धड़ मेरे मुँह में पानी छोड़ती जा रही थी। कुछ देर ऐसा ही चलता रहा. अब शेहनाज़ की चूत पानी छोड़ने लगी थी, और वो आह्ह आह्ह करके झड़ गयी।
जब मैंने लंड उसकी चूत से निकाला, तो मेरे लंड पर उसकी चूत का सफ़ेद पानी लगा हुआ था। फिर शहनाज़ सीधी होके लेट गईं। अब बारी थी कृतिका की. कृतिका भी शहनाज के साथ सीधी लेट गई, और उसने अपने तांगे मेरे स्वागत में खोल दी। मैं कृतिका के ऊपर आया, और अपना लंड रगड़ते हुए उसकी चूत में डाल दिया।
कृतिका की चूत शहनाज़ से भी टाइट थी, लेकिन उसकी चूत से खून नहीं निकला। मैंने उसके होठों को अपने होठों से बंद कर लिया, और शुरुआत में ही उसको तेजी से चोदने लग गया। मुह बंद होने की वजह से वो चीख नहीं पा रही थी। मेरे धक्के इतने ज़ोर के थे, कि उसकी आँखों से आँसू निकल रहे थे।
कुछ देर बाद जब मुझे लगा कि उसका दर्द कम हो गया, तो मैंने उसके होंठ छोड़ दिए, और स्तन चूज़े हुए उसको चोदने लगा। वो अब मस्त आहें भर रही थी। 20 मिनट की चुदाई के बाद उसकी चूत ने भी पानी छोड़ दिया। अब मेरा भी निकलने वाला था.
उसने मुझे अंदर ही झड़ने को कहा। मैंने भी अपनी स्पीड बढ़ाई, और उसकी चूत में ही अपना माल भर दिया। फिर मैं साइड होके लेट गया. शहनाज़ उठी, और मेरे लंड को चूस कर साफ़ करने लगी। उस दिन के बाद अक्सर हम थ्रीसम करते हैं। लाइफ सेट है दोस्तों.
दोस्तों ये थी मेरी कहानी. अगर आपको कहानी पढ़ने में मजा आया हो, तो इसे अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें।