November 23, 2024
ड्राइवर ने मेरी चूत और गांड की सील तोड़ी

नमस्ते दोस्तो, मेरा नाम काजल है। मैं 20 साल की हूं, और ग्रेजुएशन कर रही हूं। मेरा फिगर 34″28″36″ है, और मैं काफ़ी लड़को से चुद चुकी हूँ। आज मैं जो हिंदी सेक्स कहानी आपको बताने जा रही हूं, इस कहानी का शीर्षक ड्राइवर ने मेरी चूत और गांड की सील तोड़ी है।

बात 7 साल पहले की है। तब मैं बहुत भोली थी, और मुझे चुदाई के बारे में कुछ नहीं पता था। उस वक्त वो मेरी पहली चुदाई थी। और उसके बाद मैं कभी नहीं रुकी, और चुदती जा रही हूँ। तो चलिए कहानी शुरू करते हैं।

हमारे घर में एक रमेश नाम का ड्राइवर था। वो पिछले 12 सालो से हमारा ड्राइवर था। जब मैं छोटी बच्ची थी, तब वो मुझे स्कूल छोड़ने जाया करता था। मैं उसके साथ दिन-रात खेलती रहती थी। मेरे लिए, तो वो मेरे बाप जैसा ही था। फिर मैं बड़ी हो गई, और वो मुझे अंजान की तरह ट्रीट करने लगा।

एक दिन मम्मी-पापा घर से बाहर गए थे, और भाई कॉलेज गया हुआ था। मैं घर पर बोर हो रही थी, तो मैं रमेश काका के पास जाके बैठ गई। वो गाड़ी के पास ही बैठे थे, मैं जाके उनके पास बैठी, तो वो खड़े हो गए। ये देख कर मैं बोली-

मैं: क्या हुआ काका?

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रमेश काका: कुछ नहीं बेटा, मैं आपके बराबर नहीं बैठ सकता।

मैं: क्यू? पहले तो आप मुझे गोद में लिए रहते थे।

रमेश काका: बेटी पहले आप छोटी बच्ची थी। अब आप बड़ी हो गई हो।

मैं: फिर क्या हो गया?

रमेश काका: छोटे होने में और बड़े होने में बहुत फर्क है।

मैं: ये क्या बात हुई, मेरे लिए तो आप वही मेरे प्यारे रमेश काका हो।

ये सुन कर वो मुस्कुराने लग गए, फ़िर वो बोले-

रमेश काका: आप समझ नहीं रहे हो।

मैं: तो समझो आप।

रमेश काका: आप जवान हो गये हो। अब आप मेरे पास भी नहीं बैठ सकते, गोद में बैठना तो दूर की बात है।

मैं: चलो आप बैठो यहाँ।

रमेश काका: लेकिन बेटा…

मैं: मैने बोला ना बैठो यहाँ।

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ये सुन कर रमेश काका वाह बैठ गए, फ़िर मैं उनकी गोद में जाके बैठ गई। हमारा वक्त मेरा फिगर 34″28″36″ था। मैं 2-3 मिनट उनके गोद में ही बैठी रही। तभी मुझे अपनी गांड पर कुछ महसूस हुआ। फ़िर मैं बोली-

मैं: ये क्या है रमेश काका?

रमेश काका: कुछ नहीं बेटा।

मैं: ये तो सख्त लग रहा है, ये आपका वो है क्या?

रमेश काका: हा बेटा।

मैं: ये इतना सख्त कैसे हो गया?

रमेश काका: बेटा तुम जो बैठी हो मेरी गोद में, उसकी वजह से हुआ है।

मैं: ऐसे कैसे?

रमेश काका: बेटा ऐसा ही होता है। जब तुम्हारी गर्मी इसको लगेगी, तो ये खड़ा हो जाएगा।

मैं: वाह! ऐसा तो मैंने पहली बार देखा है।

रमेश काका: अब तुम्हें मेरी गोद से उठ जाना चाहिए।

फ़िर मैं उनकी गोद से उठ गई। मैंने उनके लंड की तरफ देखा, तो उनका बड़ा सा लंड मुझे खड़ा हुआ दिख रहा था। मैंने बिना सोचे उनके लंड को पैंट के ऊपर से पकड़ा। ये देख कर वो कांप गए, और बोले-

रमेश काका: बेटी तुम मेरे यहाँ टच नहीं कर सकती।

मैं: मैं अब अपने रमेश काका के साथ कुछ भी कर सकती हूँ।

ये सुन कर रमेश काका चुप हो गये। फिर अगले दिन मैंने फिर वही किया, और जाके रमेश काका की गोद में बैठ गई। आज भी उनका लंड मेरी गर्मी से खड़ा हो गया था। 3-4 दिन ऐसे ही चलता रहा।

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फिर 5वें दिन कुछ अलग हुआ, आज जब मैं उनकी गोद में बैठी, तो उन्होंने मेरे कमर को पकड़ लिया। उसके बाद उन्हें मेरे बूब्सों पर हाथ रख लिया, और हल्के से सहलाने लगे। ये देख कर मैंने उनको बोला-

मैं: रमेश काका, आप क्या कर रहे हो?

रमेश काका: ऐसा ही खेलते है, मैं बचपन में तेरे साथ ऐसे ही तो खेलता था। तू देखेगी, कि लंड इतना बड़ा कैसा हो जाता है।

मैं: हा जरूर।

रमेश काका: चल मेरे रूम में चल फिर।

और मैं काका के साथ उनके कमरे में चली गई। मैंने पजामी सूट पहना था। अंदर जाते ही रमेश काका ने अपनी पैंट नीचे की, और उनका 7 इंच लंबा, और 3 इंच मोटा देहाती लंड मेरे सामने आ गया।

मैं: वाह! कितना बड़ा लंड है।

उनका लंड काला सा था, देखने में काफी भद्दा था उनका लंड, लेकिन फिर भी मुझे अच्छा लग रहा था। फ़िर काका बोले-

रमेश काका: टच नहीं करोगी?

उनकी ये बात सुन कर मैं एक्साइट हो गई, और मैंने जाकर लंड पकड़ लिया। फ़िर उन्हें अपना एक हाथ मेरे हाथ पर रखा, और लंड को ऊपर नीचे करने लग गये। मुझे ये सब करने में बड़ा अच्छा लग रहा था। रमेश काका ने मुझसे पूछा-

रमेश काका: कैसा लग रहा है?

मैं: बहुत अच्छा।

तभी रमेश काका ने अपना एक हाथ मेरे एक बूस पर रख लिया। इससे मेरी सिस्की निकल गई, और मैं बोली-

मैं: काका ये क्या?

रमेश काका: इससे तुम्हें ज्यादा मजा आएगा।

ये बोल कर उन्हें मेरा बूब्स को दबाना शुरू कर दिया। मेरी सांसे तेज़ हो रही थी, और मुझे मज़ा भी आ रहा था। फ़िर काका बोले-

रमेश काका: और मजा करोगी?

मैं: हा काका।

मेरे ये बोलते ही काका ने मुझे गले लगा लिया, और अपने होठों से चिपका दिया। वो बड़े प्यार से मेरे होंथ चूसने लगे।

मैं ये पहली बार कर रही थी। पहले-पहले तो सिर्फ वो मेरे होंठ चूस रहे थे, लेकिन 2-3 मिनट में मैं भी उनको कॉपी करने लगी।

साथ ही साथ वो अपने हाथ मेरी गांड पर रख लिए, और दबाने लगे। मुझे इन दोनों चीज़ो में बहुत मज़ा आ रहा था।

फिर से मेरे गर्दन पर आ गए। वो मेरी गर्दन को छूने लगे, और मेरी क्लीवेज में मुँह मारने लगे।

फिर उन्होंने मेरा शर्ट ऊपर करके उतार दिया। मैंने उनको मना नहीं किया क्योंकि मुझे बहुत मजा आ रहा था। वो मेरे पीछे गए, और मेरी पीठ पर किस करने लगे। फिर उन्हें मेरी ब्रा खोली, और आगे आके मेरे बूब्स पकड़ लिये।

उसके बाद उन्हें मेरे निपल्स चूसने शुरू कर दिए। मेरी सांसे बहुत तेज चल रही थी, और मेरे बूब्स काफी सख्त हो चुके थे।

उसे पहले मेरे बूब्स कभी इतने सख्त नहीं हुए थे। काका मेरे निपल्स चूस रहे थे, और चूसते-चूसते वो मुझे बिस्तर के पास ले गये।

फिर उन्होंने मुझे बिस्तर पर लिटा दिया, और मेरी कमर पर किस करने लगे। उनका एक हाथ अब मेरी जाँघों में था।

मुझे अपनी पैंटी पर कुछ गीला-गीला महसूस हो रहा था। फ़िर काका ने मेरी पजामी नीचे करके उतार दी। मेरी जाँघों को देख कर वो बोले-

रमेश काका: बिटिया तुम कमाल की हो।

मैं ये सुन कर शर्मा गई, काका ने मेरी जाँघों को चूमना शुरू कर दिया। मेरी सिसकियाँ तेज़ होती जा रही थी। फिर जैसे ही उन्होंने मेरी चूत को छुआ, तो मेरी आह निकल गई।

वो पैंटी के ऊपर से मेरी चूत में मुँह मारने लगे। ये बड़ी अजीब सी फीलिंग थी, और ऐसी फीलिंग मुझे पहले कभी नहीं हुई थी।

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फ़िर काका ने मेरी पैंटी नीचे की, और मेरी चूत पर किस किया। इससे मैं उछल पड़ी, फिर उन्होंने मेरी चूत पर एक बार फिर से किस करना शुरू कर दिया। मुझे ये गंदा लग रहा था, और मैंने काका को बोला-

मैं: काका आप ये मत करो, ये जगह गंदी होती है।

रमेश काका: मेरे लिए तो ये जन्नत है बेटी।

जब उन्हें मेरी गंदी जगह को जन्नत कहा, तो मुझे बड़ा अच्छा महसूस हुआ। फ़िर वो मेरी पूरी चूत पर जीभ फेरने लग गए। मुझे बड़ा मजा आ रहा था, और मैं उनके सर को अपनी चूत में दबा रही थी।

थोड़ी देर चूत चाटने के बाद, वो मेरी टांगो के बीच आये, और अपने लंड को मेरी चूत पर रगड़ने लग गये। मेरी तो सांसे फुल स्पीड पर चल रही थी। फिर अपने लंड को चूत के छेद पर सेट किया, और एक धक्का मारा।

उनके धक्के से उनका लंड का आगे का हिस्सा अंदर चला गया, और मेरी दर्द भरी जोरदार चीख निकलने लगी। मैं उनको बोली-

मैं: काका ये मत करो, दर्द होता है इसमें।

रमेश काका: अभी देखना कितना मजा आएगा।

ये बोल कर रमेश काका ने मेरे होठों को अपने होठों से बंद कर लिया, और नीचे से धक्के देने लगे। मेरी हम्म हम्म की आवाज निकल रही थी, लेकिन काका ने मेरी एक न सुनी। फिर जब उनका पूरा लंड मेरी चूत में समा गया, तब वो 2 मिनट के लिए रुक गए।

जैसा ही मेरा दर्द कम हुआ, तो अपना लंड मेरी चूत से बाहर निकाल लिया। मैंने नीचे देखा, तो मेरी चूत खून से लाल थी, क्योकि मेरी चूत की सील टूट गई थी। फिर काका ने बड़े प्यार से मेरी चूत को साफ किया, और अपना लंड भी साफ किया। उसके बाद उन्होंने लंड दोबारा मेरी चूत पर सेट किया, और दबाव बनाने लगे।

इस बार लंड आराम से अंदर चला गया, और दर्द भी कम हुआ। फिर काका मुझे किस करने लगे, और नीचे से लंड अंदर-बाहर करने लगे।

अब मुझे भी मजा आना शुरू हो गया था, और मैं भी गांड उठा-उठा कर उनका साथ दे रही थी। और अपनी पहली चुदाई का मजा ले रही थी।

वो मुझे चोदते हुए मेरे बूब्स भी मसल रहे थे। मैं आह्ह आह्ह करते हुए चुद रही थी, और थप-थप की आवाज आ रही थी।

तभी मुझे अपनी चूत से कुछ निकलता हुआ महसूस हुआ। मुझे लगा वो सुसु था, लेकिन वो कुछ और ही था।

जैसी ही वो गढ़े पानी जैसी चीज मेरी चूत से निकली, तो मैं ढीली पड़ गई। लेकिन काका मुझे चोदते रहे। 5 मिनट बाद उनके लंड ने भी कोई गरम चीज़ मेरी गर्म चूत में छोड़ दी।

फिर थोड़ी देर वहीं लेट गए और थोड़ी देर लेटने के बाद, मैंने अपने कपड़े पहने और वहां से आ गई।

उस रात मेरे मन ने चुदाई के ही ख्याल चलते रहे, और मेरी चूत पानी छोड़ती रही। अगले दिन फिर से मैं काका के पास चुदने पहुंच गयी। अगले 4 दिन यहीं चलता रहा. फिर पांचवे दिन काका बोले-

रमेश काका: बिटिया और मजा करना चाहेगी?

मैं: इससे भी ज्यादा?

रमेश काका: हा। लेकिन उसमे भी पहले थोड़ा दर्द होगा।

मैं: कोई बात नहीं, बाद में मुझे मजा भी आएगा न।

फ़िर रमेश काका ने मुझे नंगी करके बिस्तर पर उल्टा लिटा लिया। उनके पीछे से मेरे चूतड खोले, और मेरी गांड के छेद को चाटने लगे। मुझे काफ़ी मज़ा आ रहा था, और मेरी गांड उनके मुँह में दबा रही थी।

जब गांड पूरी तरह से गीली हो गई, तो काका मेरी जांघों पर बैठ गए, और गांड के छेद पर लंड रगड़ने लग गए।

फिर उन्हें एक ज़ोर का धक्का मारा, जिसमें मुझे काफ़ी दर्द हुआ। उनके जोरदार धक्के से उनके लंड का टोपा गांड में गया भी, और बाहर भी निकल आया।

मैं बोली: काका इसमें तो बहुत दर्द होता है।

रमेश काका: मजा भी आता है।

फिर उन्हें एक उंगली गांड में डाल कर अंदर-बाहर करनी शुरू की। पहले मुझे दर्द हुआ, लेकिन फिर मजा आने लगा। फिर एक उंगली से 2 उंगली हो गई, और 2 से 3 उंगली हो गई। अब मेरी गांड का छेद थोड़ा खुल गया था।

काका ने फिर से लंड सेट किया, और ज़ोर का धक्का लगाया। इस बार उनका आधा लंड मेरी गांड में चला गया।

दर्द के मारे मेरी तो जान पर बन आई। वो मेरे ऊपर लेट गए, और मुझे बिस्तार में दबा दिया। मेरा मुँह अब तकिये में दबा हुआ था।

वो लंड पर प्रेशर बढ़ गया, जिसका लंड सरकता हुआ अंदर जाता रहा। 2 मिनट में उनका पूरा लंड मेरी गांड में चला गया। मेरे दर्द के मारे पसीने छूट रहे थे। फिर काका ने मेरी पीठ पर किस किया, और धक्के देने लगे।

5 मिनट के दर्द के बाद मुझे मजा आने लगा। अब मेरी गांड खुल चुकी थी। उनको मुझे घोड़ी बना लिया, और मेरी गांड चोदने लगे।

उनकी जांघे मेरे चूतडो से टकरा रही थी, और लंड पूरा अंदर जा रहा था। मुझे बड़ा सुकून और मजा मिल रहा था। 10 मिनट गांड चुदाई के बाद उन्होंने मेरी गांड अपने माल से भर दी। उसके बाद उनको मेरी चूत भी चोदी।

फिर जब तक मेरा कॉलेज में बॉयफ्रेंड नहीं बन गया, तब तक मैं रमेश काका से चुद रही थी। उसके बाद मैंने बहुत से लड़के से अपनी चुदाई करवाई, और आज भी कर रही हूँ।

दोस्तों ये थी मेरी सेक्स कहानी, अगर आपको कहानी अच्छी लगी हो तो कमेंट जरूर करें। धन्यवाद।

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