November 21, 2024
भरी बस में हवस जागी

हेलो मेरे दोस्तों, मैं गे नहीं हूं लेकिन मुझे गे और लेस्बियन कहानियां पढ़ना पसंद है, दोस्तों अगर आप गांड चुदाई की कहानी सर्च कर रहे हैं तो कृपया ये कहानी जरूर पढ़ें। इस कहानी में मैं आपको बताऊंगा की कैसे मेरी और एक और लड़के की भरी बस में हवस जागी को मिटाने की सोची और हमारी हवस हम पर भारी होने लगी। 

मेरा नाम मिन्टू है और मैं इंजीनियरिंग कॉलेज का स्टूडेंट हूं। मेरी उमर 20 साल की है और मेरी हाइट 5’8 फीट है। मेरा घर कॉलेज से 35 किमी की दूरी पर है, तो रोज मैं शाम को बस पकड़ कर ही कॉलेज से घर आता जाता हूं।

तो दोस्तों अपनी हिंदी गे सेक्स कहानी को आगे बढ़ाते है…………………………..

उस दिन मौसम बहुत ज्यादा खराब था, और आने जाने की बहुत ज्यादा समस्या हो रही थी। उस दिन मुझे 2 घंटे तक कोई भी बस नहीं मिली, क्योंकि बारिश बहुत ही तेज़ हो रही थी।

बस स्टैंड पर खड़े खड़े मेरी जींस और टीशर्ट पूरी तरह से भीग चुकी थी। रात के 8:30 हो गए थे, बस मुझे 8:30 बजे की आखिरी बस का इंतज़ार था। पुरा बदन भीगने की वजह से मुझे अब ठंडक भी लग रही थी।

पुरी रोड पर अँधेरा था, अचानक रोड पर लाइट पड़ी वो लाइट बस की थी। जिसका मुझे इंतजार था, मैंने बस को हाथ दिया और बस रुक गयी। पर आज बस में इतनी भीड़ थी, कि बस में चढ़ना ही बहुत मुश्किल हो रहा था।

भरी बस में हवस जागी और लंड की लड़ाई हुई

खैर मैं हिम्मत करके बस में चढ़ गया, बस की हालत काफी खराब थी। बस में कोई भी लाइट नहीं जल रही थी, मैं किसी तरह से जा कर खड़ा हो गया और बस चल पड़ी।

मेरे ठीक सामने एक लड़का खड़ा था, जो कि मेरी ही उम्र का लग रहा था। शायद वो भी किसी कॉलेज का ही स्टूडेंट लग रहा था, उसके चेहरे पर हल्की-हल्की रोशनी आ रही थी। तब मैंने उसका चेहरा देखा तो उसने मेरी तरफ देख कर मुस्कुराने लग गया था।

फ़िर मैंने भी उसे देख कर मुस्कुरा दिया, और मैंने उसे कहा – आज बस में बहुत ज्यादा गर्दी है।

वो – आज तो ठीक से खड़ा भी नहीं हुआ जा रहा है।

अचानक ही बस ड्राइवर ने जोर से ब्रेक मारी, और हम दोनों का बैलेंस अचानक से बिगड़ गया। हम एक दूसरे के बहुत पास आ गए और पीछे से भिड़ का धक्का भी बहुत जोर से आया।

हम दोनों एक दूसरे के काफी करीब हो गए थे कि हम दोनों की जींस आपस में चिपक गई थी। भीड बार-बार धक्का मार रही थी, जिसे हमारी जींस में बंद हमारा लंड अब जागने लग गया था। (भरी बस में हवस जागी)

जो हम दोनों महसुस कर रहे थे, दोनों के लंड अब खड़े हो गए थे। मैं गे नहीं हूं, और शायद वो भी नहीं था। पर हम दोनो को इस रगड़ में बहुत ही मजा आ रहा था।

हम दोनो अब जानबुझ कर जींस को एक दूसरे से रगड़ रहे थे। अचानक धक्का आ गया और मैं उसके करीब आ गया। हम दोनों ने एक दूसरे की कमर को थाम लिया, और पहली बार एक दूसरे की आँखों में देखा।

हम दोनो की आँखों में हवस दिख रही थी, और दोनो इस खेल को आगे बढ़ाना चाहते थे। बस में अंधेरा होने की वजह से हम दोनो को कोई नोटिस भी नहीं कर रहा था।

भरी बस में हवस जागी

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धीरे-धीरे हम दोनों एक दूसरे से एक दम से कस कर चिपक गए और धीरे-धीरे जींस को एक दूसरे से रगड़ रहे थे। हमारी नाक आपस में चिपकी हुई थी, और एक दिन एक दूसरे के बहुत ही पास थे।

हम दोनों की सांसें आपस में घुल रही थीं, दोनों एक दूसरे की आंखों में देख रहे थे। हम दोनों अपनी अपनी वासना में जल रहे थे, हम दोनों एक दूसरे को चूमना चाहते थे पर हम मजबूर थे। (भरी बस में हवस जागी)

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अचानक मैंने मेहसूस किया कि उसका हाथ मेरी जींस की ज़िप पर है। फिर मैंने चौंकाने वाले नजारों से देखा और मैंने उसका हाथ हटा कर उसके बाल खींच कर मैं गुस्से में बोला।

मैं- साले हरामी मैं गे नहीं हूं।

उसने भी मेरे बाल पकड़े और बोला – साले हरामी गे तो मैं भी नहीं हूं, पर तेरे लंड ने मेरे लंड को जगा दिया है।

फिर उसने मेरा हाथ झटका दिया और उसने मेरी ज़िप खोली और अपना हाथ मेरी जींस के अंदर डाल कर, उसने मेरा लंड थाम लिया। मैं एक दम सिसक गया मैं भी अब जोश में आ गया था।

मैंने भी उसकी ज़िप खोली और अपना हाथ उसकी जींस में डाल लिया, और अब मैंने भी उसका लंड थाम लिया था। हम दोनो भीड़ से भारी बस में एक दूसरे के लंड को मसल रहे थे। (भरी बस में हवस जागी)

कभी वो मेरे लंड को कस के दबाता तो कभी मैं उसके लंड को कस कर दबा देता। हम एक दूसरे की तरफ अब गुस्से से देख रहे थे, एक दूसरे के बदन को निचोड़ रहे थे।

हम दोनों के लंड से प्रीकम निकल रहा था, उसने धीरे से मेरे कान में बोला – साले मादरचोद तेरा लंड तो गीला हो गया है।

मैं भी धीरे से बोला – बहनचोद तेरा भी तो गंदा हो रहा है।

फिर हम दोनों ने एक दूसरे को कस कर जकड़ लिया, और हम दोनों एक दूसरे के लंड को जोर जोर से मसलने लग गए।

अचानक जोर से ब्रेक लगी और बस रुक गई, हम दोनों हड़बड़ा गए और दोनों ने एक दूसरे की जींस से हाथ बाहर निकाल लिया।

कंडक्टर आ कर बोला- सभी पैसेंजर नीचे आ गए, टायर चेंज करना पड़ेगा।

हम दोनो ने एक दूसरे को देखा और हम दोनो भी नीचे उतर गये। अभी भी बारिश हो रही थी, हम पूरी तरह से भीगे चुके थे, दोनों एक दूसरे की तरफ हवस की नज़रों से देख रहे थे। (भरी बस में हवस जागी)

वो मेरे पास आ कर धीरे से बोला – क्यों बे हरामी क्या तेरा लंड भी मेरे लंड से भिड़ने के लिए मचल रहा है।

मैंने गुस्से में उसकी तरफ देखा और बोला – हां मादरचोद तेरे लंड को तोड़ने के लिए मेरा लंड मचल रहा है। तो साले अब सोच क्या रहा है, चल देखते हैं कि हम दोनों मर्दों की जंग में किसके लंड में दम है और आज कौन जीतेगा।

फिर उसने मेरा हाथ पकड़ा और हम दोनों जंगल की तरफ चल दिये। दोनों ऐसी जगह ढूंढ रहे थे, जहां हम दोनों को कोई देख न सके। और कुछ समय पर हम दोनो एक जगह भी मिल गई।

हम दोनों एक दूसरे की तरफ देख रहे थे, वो मेरे पास आया और उसने मुझे एक पेड़ के शहारे खड़ा कर दिया। फ़िर वो मुझे घूरने लग गया, मैं उसे घूर रहा था।

हम दोनों ने एक दूसरे को टूट पड़े हम दोनों ने एक दूसरे को जकड़ लिया था। हम दोनों के जिस्म एक दूसरे से रगड़ने लग गए थे। उसने मेरे बालों को पकड़ कर अपने होठों को मेरे होठों के पास लाया।

वो – मादरचोद साले। बहुत उछल रहा था बस में। अब बताता हूँ तुझे। (भरी बस में हवस जागी)

फिर वो मेरे होठों को चूसने लग गया, मैंने उसको अपने से अलग किया और मैंने उसे जोर से एक थप्पड़ मारा। मैंने उसके बाल पकड़ कर उसको अपना पास खींच लिया और मैं उसके होठों को मैं भी चूमने लग गया।

हम दोनों जानवरों की तरह एक दूसरे को चूम रहे थे। साथ ही हम एक दूसरे के गालों पर थप्पड़ मार रहे थे, और एक दूसरे को गालियां भी दे रहे थे।

दोस्तों आगे क्या हुआ वो मैं आपको अपनी गे कहानी के अगले भाग में बताऊंगा तब तक के लिए अलविदा। 

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