नमस्कार दोस्तों मैं आपकी अपनी साक्षी आपका readxxxstories.com पर स्वागत करती हूँ। हमारी हिंदी सेक्स स्टोरीज (Hindi Sex Stories) का मजा लेते रहिए, हमारी आज की देसी कहानी का शीर्षक बर्षो से सुखी चूत (Barso Se Sukhi Chut) को मिला लंड का स्वाद है
आज की कहानी की लेखिका चांदनी जी है जो आगे की xxx कहानी बताएंगी, कहानी का मजा लीजिए…….
हेलो दोस्तों, मैं हूँ 36 साल की चांदनी, मैं दिल्ली में रहती हूँ। नाम के अनुरूप मैं चाँद की चांदनी की तरह ही सुंदर हूँ। मैं चंदन की तरह शीतल हूं, और खुशबुदार हूं।
मेरे बदन की खुशबू के दीवाने बहुत हैं। लेकिन किसी भी दीवाने को आज तक मैंने अपने बदन की खुशबू लेने के लिए बदन से सटाया तक नहीं।
मेरी काया भी कमाल की है, मेरी बड़ी-बड़ी गोरी दमकती चूचियो और उभरी हुई मोटी गांड (Moti Gand) के साथ एक-दम हाई वोल्टेज सेक्सी काया है।
मेरी मदिरा से भरी नशीली आंखें शराब की बंद बोतल के समान है। मेरे रस-भरे गुलाबी होंथ जिसके रस के लिए तड़पते भंवरे मेरे इरद-गिर्द घूमते रहते है। लेकिन मैंने किसी भी भवरे को अपने पास तक नहीं आने दिया।
पर नियति का खेल देखिए, अब 36 की उम्र में ऐसी आग बदन में जागी है, कि मैंने सब कुछ उस 20 साल के कुंवारे लड़के पर अपनी काया न्योछावर कर दिया।
अब मैं अपनी हिंदी सेक्स स्टोरी पर आती हूँ……….
इस देसी सेक्स कहानी में लड़के का नाम दिनेश है। बिलकुल कामदेव की तरह उसकी काया है, जिस पर कोई भी अप्सरा मर-मिट जाए।
वो पूरे 5’8” फीट लंबा एक-दम सुडोल बदन वाला है। ना ज्यादा गोरा ना काला रंग है उसका, दिनेश के सिर पर उसके काले घुघराले बाल उसको और भी आकर्षक और सुन्दर बनाते हैं।
दिनेश मेरे ही गांव का लड़का है। उसकी आकर्षण देह दृष्टि है, पर बेचारा गरीब माँ-बाप की संतान है।
कॉलेज बी.टेक के पहले वर्ष का छात्र है वो, उसकी माँ मनोरमा ने दिनेश को मेरे पास भेजवा दिया।
ये कहते हुए कि वो मेरे घर का काम-काज कर देगा, और शहर में रह कर अपनी पढ़ाई भी पूरी कर लेगा।
मैंने जब दिनेश को देखा, तो पहली ही नज़र में ही मैं उस पर मोहित हो गई। मैं दिनेश को अपने साथ रखने को राजी हो गई।
मेरे पति की आज से 8 साल पहले सड़क दुर्घटना में मौत हो गई थी। मेरी एक बेटी थी, जिसका नाम शालू है। रिश्तेदारों ने बहुत कहा की दूसरी शादी कर लो, पर मैंने दूसरी शादी नहीं की।
साथ ही सती धरम का पालन करते हुए मैंने सोचा की मैं किसी से भी नहीं चुदवाउंगी।
मेरी चूत लगभाग सूखी पड़ चुकी थी। दिनेश को साथ रखने का फैसला भी मैंने इसी बात को ध्यान में रखते हुए लिया था।
फिर दिनेश मेरे साथ रहने के लिए आ गया। पहले ही दिन से मैं दिनेश पर मोहित थी। दिनेश भी मुझे बार-बार घूरता रहता था।
हम दोनों की नज़र मिलती है, और फिर झुक जाती है। रात में दिनेश ने खाना बना के टेबल पर लगाया। फिर हम लोग साथ बैठ कर खा रहे थे।
इस समय भी हम दोनों की नज़र टकराती है, और फिर झुक जाती है। फिर मैं दिनेश से पूछ बैठी-
मैं: दिनेश बताओ तो, तुम मुझे बार-बार क्यों घूर रहे हो?
दिनेश बोला: पता नहीं मैडम, मेरी नज़रें बार-बार आपकी कामुकता की तरफ खिंची चली जाती हैं। जितना मैं अपने आप को रोकने की कोशिश करता हूं, उतना ही आपको करीब आता हूं।
फिर मैं बोली: मेरे साथ भी यही हो रहा है। मैं पिछले 8 सालों से किसी मर्द की तरफ इतनी आकर्षण नहीं हुई, जितनी तुम्हारी तरफ हो रही हूं।
मेरी बातों से दिनेश को हरी झंडी मिल गई, और अब तक वो जो दूर बैठा था, अब वो मेरे और करीब आ गया। फ़िर वो बोला-
दिनेश: आपके बदन की खुशबू मुझे पागल किये जा रही है। मेरी सुध-बुध ठिकाने पर नहीं रह पा रही है। लगता है मैं इस खुशबू में बस डूब जाउ।
फिर मैंने आगे बढ़कर दिनेश को सीने से लगा लिया। मेरी पागल कोमल चूचियों के एहसास ने दिनेश के होश उड़ा दिये।
अब बस वो मेरी सुंदरता में डूब जाना चाहता था। और मैंने अपने नाज़ुक कोमल बदन को उसकी मजबूत बाहो में समर्पित कर दिया।
दिनेश मेरे रस से भरे गुलाबी होठों का रस अपने होठों से चूस रहा था। मुझे इससे बहुत सुकून मिल रहा था।
मेरी बरसों से सूखी पड़ी चूत अब गीली होने लगी थी। बड़ी-बड़ी मेरी चूचियाँ टाइट होने लगी थी।
मैं दिनेश से और चिपकी चली गई, और दिनेश मेरे होठों का रस पी रहा था। उसके हाथ मेरी चूचियों पर थे।
मैं अपनी चूचियों पर दिनेश की उंगलियां के खिलवाड से उत्तेजना से आहे भरती चली गई।
मेरी चूत का रस लगतार टप-टप निकल रहा था। दिनेश ने मेरी नाज़ुक हथेलियों को अपने हाथों में लिया, और अपने लंड पर रख दिया। अब तक इतने सालो से मैंने लंड को ना तो छुआ था, और ना ही देख पाई थी।
विशाल, मोटे और लम्बे लंड को हाथो में पा कर मेरा पूरा के पूरा बदन झंझना गया। क्या मस्त लौड़ा था, एक दम फौलाद की तरह।
फिर दिनेश मेरे जिस्म को नंगा करने लगा। सबसे पहले उसने मेरा ब्लाउज खोला और ब्रा के ऊपर से चूचियों को रगड़ा।
फिर उसने मेरी चूचियों पर मुँह लगाया। इस बीच मैंने खुद से अपनी साड़ी उतार दी। मैं अब पेटीकोट और ब्रा में थी।
मेरी अर्धनगना काया का असर ये हुआ, कि दिनेश बार-बार अपने कड़कते लंड को पेटीकोट के ऊपर से ही मेरी चूत पर रगड़ने लगा।
मुझे अब असीम सुख का एहसास हो रहा था। दिनेश मेरी ब्रा को खोल रहा था। फिर मैंने दिनेश की पैंट उतार दिया।
उसके बाद मैंने उसके अंडरवियर को भी उतार दिया। अब लंड महाराज साक्षात मेरी चूत महारानी को सलामी दे रहे हैं।
मैं अब अपने से आधी उम्र के लड़के के सामने बिल्कुल नंगी खड़ी थी। मुझे लाज भी नहीं आ रही थी, और लग रहा था, कि कितनी जल्दी ये फौलाद रूपी लौड़ा मेरी बुर में समा जाए।
मेरी चिकनी सपाट चूत जिसमें से लगतार मदन-रस टपक रहा था, दिनेश के सामने उसके लंड के स्वागत के लिए तैयार थी।
फिर तपते हुए मदन रस का स्वाद चखने के लिए दिनेश नीचे झुका। उसने मेरी चूत पर अपने मुंह को लगाया, और चाट-चाट कर चूसने लग गया।
दिनेश रह-रह कर अपनी जीभ को चूत में घुसा देता है।
जब चूत के अंदर जीभ का स्पर्श होता है, तो मैं मस्ती से उछलती हूं। दिनेश मेरी चूत चाटने में मशगूल था उसको झकझोरते हुए बोली-
मैं: मेरे प्यारे राजा, अब और मुझसे रहा नहीं जाता। अब सब छोड़ो, और डाल दो इस कड़कदते लंड को मेरी चूत में।
एक बार रस से भर दो मेरी चूत को। फ़िर जैसे मन करे वैसे चोदते रहना। ये रात सिर्फ तुम्हारी है।
मेरी बात सुन कर दिनेश को मुझ पर दया आ गई। फिर उसने मुझे बिस्तार पर चित लिटाया, और मेरी टांगो को फेलाया।
उसके बाद वो मेरी दोनों टांगो के बीच बैठ कर अपना लौड़ा मेरी बुर पर रगड़ने लगा। वो लौड़ा बुर पर रगड़ रहा था, और रगड़ते-रगड़ते लौड़ा बुर की दरार पर आ गया।
तभी मैंने नीचे से गांड उछाल दी, और उसका लौड़ा घप से मेरी बुर के अंदर चला गया।
ठीक उसी वक्त दिनेश ने अपने लंड को नीचे दबाया, और पूरा का पूरा लौड़ा मेरी बुर में समा गया।
कितना मजा मिल रहा था मुझे उस पल में, मैं शब्दों में बयान नहीं कर पाऊंगी।
जब लौड़ा बुर में हो, मुँह में जीभ हो, और चूचियाँ पर आशिक का हाथ हो, तब तो जन्नत कहीं और नहीं है। तब जन्नत इसी बिस्तार पर है।
अब दिनेश मुझे धीरे-धीरे चोद रहा था। मुझे बड़ा मजा मिल रहा था, लेकिन मेरी आत्मा कह रही थी। जोर से चुदवा।
मैं: धीरे-धीरे मत चोद मुझे, लोडे को चाबुक लगा, और जोर-जोर से मेरी बुर की चुदाई करनी शुरू कर दे।
दिनेश: अभी भी मेरी बुर की चुदाई धीरे-धीरे ही कर रहा था।
मैं: अरे मादरचोद, तुझे चोदना नहीं आता क्या? धुकुर-धुकुर मत कर, और कस-कस के ठोकर मार कर चोद। ये दिन मेरे नसीब में पूरे 8 साल बाद आया है।
मेरी बात सुन कर दिनेश को ताव आ गया, और वो धक-धक कर के मेरी चूत को पेलने लगा। दिनेश धक-धक चोद रहा था मुझे, और मैं गांड उछाल-उछाल कर मस्ती से चुदवा रही थी।
दिनेश ने पूरे 20 मिनट तक मेरी बुर की जोरदार चुदाई करके मुझे मजा देता रहा।
इन 20 मिनट में मैंने 02 बार चरम सुख को प्राप्त कर लिया गया था। दिनेश अब पूरी ताक़त से मुझे फ़चा-फ़च चोद रहा था।
अब उसका लंड चोदते-चोदते फूल कर 1.5 गुना ज्यादा मोटा हो गया था। और मेरी चूत सिकोड़ कर छोटी हो गई थी।
मोटे लंड और चिकनी चूत में जंग जारी थी। लेकिन लंड महाराज थक कर अब पसीना-पसीना हो चुके थे।
चूत महारानी भी लंड महाराज की फुहार के लिए तैयार थी, फ़िर दिनेश आह आह करता हुआ चूत के अंदर ही झड़ गया।
मैं असीम सुख को पा कर गहरी नींद में चली गई। जब मेरी आँख खुली, तो मैंने दिनेश को देखा मेरी बुर को चाट रहा था।
अब मेरी जिंदगी में बाहर ही बाहर है। कोई भी दिन ऐसा नहीं गुजारता, जब चुदाई का खेल ना हो।
आज की मेरी रियल हिंदी सेक्स स्टोरी (Real Hindi Sex Story) बस यहीं तक दोस्तो। कहानी अच्छी लगी हो तो मुझे कमेंट करके जरूर बताए। धन्यवाद।