हेलो, दोस्तों, मैं आपकी पिया, आज फिर आपको एक चुदाई की कहानी सुनाने आई हूँ जिसका नाम “दोस्तों के साथ मिलकर बड़ी बहन को चोदा” है।
दोस्तों, मेरी कहानी का पहला भाग
दोस्तों के साथ मिलकर बड़ी बहन को चोदा भाग – 1
आपने पढ़ा कि कैसे मैंने दीदी को मेरे और विवेक के साथ सेक्स करने के लिए मना लिया।
आज आप पढ़ेंगे कि कैसे मैंने दीदी की प्यासी जवानी की चुदाई की और अपने कुछ दोस्तों से चुदवाया।
चलो अब शुरू करते हैं।
अब मैं झड़ चूका था लेकिन दीदी को गर्म करना भी जरूरी था। अब मैं दीदी की चूत देखना चाहता था। इसलिए मैंने दीदी की सलवार खोल दी है।
दीदी ने काली पेंटी पहन रखी थी। जो गीला हो गयी थी। इससे मुझे पता चला कि दीदी भी मजे ले रही हैं और मेरा लंड लेने को तैयार हो गई हैं।
अब मैंने अपनी बहन की पैंटी भी खोल दी। मेरी बहन की चूत बहुत साफ थी; चूत पर एक बाल भी नहीं था।
मैंने दीदी से कहा- दीदी, आपकी चूत बहुत प्यारी है। अब समझ में आया कि अंशु तुमसे इतना प्यार क्यों करता है।
अब मुझे दीदी की चूत की महक आ रही थी। दीदी की चूत से बहुत ही मोहक महक आ रही थी। पहले मैंने दीदी की चूत को अपने हाथों से सहलाया;
पूनम दीदी की चूत को महसूस किया, फिर मैंने अपनी जीभ निकाल कर दीदी की चूत में डाल दी और ऊपर-नीचे, अंदर-बाहर करने लगा।
मुझे बहुत मज़ा आ रहा था और दीदी उम्म… आह… हाय… ये… हे… आह… आह… मैं… ओह… कर रही थी और मदहोश हो गई। दीदी ने आंखें बंद कर ली थीं और इस पल का आनंद ले रही थीं।
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मैंने दीदी की चूत को 10 मिनट तक चाटा। अब मुझसे रहा नहीं जा रहा था। मेरा लंड फिर से खड़ा होने लगा था। अब मेरा लंड पूनम दीदी की गुफा में जाने को बेताब था।
मैंने दीदी की तरफ देखा तो दीदी मुझे ही देख रही थी। दीदी सेक्स के लिए बेताब दिख रही थी। यह वह क्षण था जिसका मुझे वर्षों से इंतजार था।
अब मैंने अपना लंड दीदी की प्यारी सी चूत पर रख कर रगड़ा। दीदी और मैं इससे मदहोश हो गए।
दीदी ने अपनी आँखें बंद कर लीं और मेरा लंड अपनी चूत के अंदर जाने का इंतज़ार करने लगी। मैंने भी पूरी ताकत से जोर से धक्का मारा और पहले झटके में आधा लंड अंदर चला गया और दूसरे झटके में पूरा लंड अंदर चला गया।
उस समय ऐसा लगा जैसे जीवन की सारी इच्छाएं पूरी हो गई हों। मैं एकदम पागल हो गया और दीदी की चूत में जोर जोर से धक्का मारने लगा।
वैसे तो मैं पहले भी 1-2 बार सेक्स कर चुका था लेकिन अपनी बहन को चोदने का मजा ही कुछ और है दोस्तों।
मैं दीदी की चूत पर इतनी जोर से मार रहा था कि पुरे कमरे में पट-पट की आवाज गूंज रही थी। दीदी को इतना दर्द हो रहा था कि उन्होंने मुझे उतरवाने के लिए धक्का देना शुरू कर दिया।
दीदी चीखने ही वाली थी कि मैंने दीदी का हाथ पकड़ कर दीदी के मुंह पर रख दिया और जोर से दबा दिया ताकि हमारे मकान मालिक दीदी की आवाज न सुन सकें।
इतनी जोर से चोदने के बाद दीदी की चूत लाल हो गई थी। दीदी को इतना दर्द हो रहा था कि दीदी रोने लगी और मुझे अपने से दूर करने की कोशिश कर रही थी। (बड़ी बहन को चोदा)
मैं जानता था कि दीदी को बहुत दर्द हो रहा है लेकिन मैं रुकना नहीं चाहता था। मैं मजा नहीं छोड़ना चाहता था।
मैंने दीदी की 15 मिनट तक चुदाई की और दीदी की चूत में झाड़ कर दीदी के ऊपर लेट गया।
अब दीदी का भी मुँह खुल गया। मुंह खोलते ही दीदी दर्द के मारे जोर-जोर से रोने लगीं।
फिर मैं दीदी से दूर हट गया और दीदी को चुप कराने लगा। मैंने कहा- दीदी रो मत, नहीं तो कोई आ जाएगा।
फिर दीदी कुछ देर के लिए चुप हो गईं और दुबक कर बैठ गईं और दबी आवाज में रोने लगीं।
मैं बहुत डर गया था; मैंने कहा- मुझे माफ कर दो दीदी। आपको दर्द तो नहीं हो रहा है ना?
दीदी ने रोते हुए कहा- तुम सच में पागल जानवर हो। अगर तेरा बस चले तो तुम तो मुझे मार ही देगा। कुत्ता कहां है। और तुम बार-बार अपना वीर्य मेरी चूत में क्यों डालते हो।
मैंने कहा सॉरी दीदी गलती से हो गया। चिंता मत करो, मैं कल विवेक से दवा लेकर आऊंगा। डरो मत!
तो दीदी मान गईं और चुप हो गईं।
तभी मैंने विवेक को मैसेज किया कि दवा ले आओ।
अब हम दोनों बिस्तर पर नंगे पड़े थे। दीदी ने पैंटी से अपनी चूत साफ की और लेट गयी।
तभी मैं उठा और सामने से तेल की बोतल ले आया और दीदी से कहा- मैं मालिश करवा देता हूं।
दीदी की मालिश करते हुए मैंने कहा- दीदी, तुमको यकीन नहीं होगा लेकिन मैं बहुत पहले से तुमको चोदना चाहता था और आज वो इच्छा पूरी हो गई। आज तुमको चोद कर मेरी बहन का सेक्स का सपना पूरा हो गया।
इस पर दीदी कुछ नहीं बोलीं।
मैं दीदी की मालिश करता रहा; पहले स्तनों का और बाद में चूत का भी।
अब जब मैंने दीदी से कहा कि उलटी हो जाओ और घोड़ी बन जाओ तो दीदी झट मान गई। क्योंकि दीदी को पता था कि मेरा लंड फिर से चोदने को तैयार है।
फिर मैंने दीदी की चूत और गांड पर खूब तेल लगाया। फिर मैंने अपने लिंग पर भी तेल लगाया।
अब मैंने तेल की बोतल पास में रखी और अपना लंड पूनम दीदी की गांड पर रख कर अंदर कर दिया। तेल की वजह से मेरा राजा लंड जल्दी ही दीदी के गांड की गुफा में चला गया।
इस बार मैंने दीदी की गांड आराम से मारी लेकिन वीर्य उनकी गांड में ही डाल दिया।
उस रात मैंने दीदी को 4 बार चोदा।
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सुबह करीब 10:30 बजे किसी ने हमारे दरवाजे पर दस्तक दी।
दीदी इतनी थक गयी थी कि उन्हें दरवाजे की आवाज भी सुनाई नहीं दे रही थी। तो मैं जल्दी उठा और कपड़े पहन कर दरवाजा खोला तो देखा कि मेरा दोस्त विवेक आया हुआ था और मेरा दोस्त कार्तिक भी उसके साथ था।
मैंने दोनों को अंदर बुलाया। मैंने विवेक से कहा- विवेक यार, कार्तिक तुम्हारे साथ कैसे है?
विवेक- यार, घबराओ मत। मैं आपको सब कुछ बता दूँगा। देखिए, कार्तिक को सब पता है। उस दिन भी उन्होंने पूनम के पीछे चलकर तुम्हारी मदद की थी, सो अब ये और सौरव (मेरा एक और दोस्त) भी इस मनोरंजन का हिस्सा बनना चाहते हैं।
मैंने कहा- यार ये क्या है। (बड़ी बहन को चोदा)
मैं अपनी बहन को सबसे कैसे चुदवा सकता हूँ?
सुनो दोस्त बस एक बार की बात है। मैं तुमसे वादा करता हूँ कि वह तुम्हारी बहन को केवल एक बार चोदेगा और मैं भी तुम्हारी बहन को केवल एक बार चोदूँगा।
मैंने सोचा यह सही है। मेरे सभी दोस्तों को एक बार दीदी के साथ सेक्स करने दो। अगर मैं मना करता तो विवेक मेरी बहन को रोज चोदता।
तो मैंने कहा- ठीक है। कार्तिक यहाँ है और सौरव को बुलाओ। आज बहन को जोर से चोदो और बाद में यहां से चले जाना।
विवेक- यार सौरव आज नहीं है, कल आ जाएगा। उसका काम कल पूरा करो।
तो मैंने कहा- ठीक है। वैसे भी, दीदी एक साथ 3 लोगों से चुदाई करने के लिए कभी राजी नहीं होंगी। तुम लोग यहीं रुको, मैं दीदी को सब कुछ समझाकर ले आता हूँ।
अन्दर जाते ही देखा दीदी उठी और दीदी ने सब कुछ सुन लिया। मेरे कुछ बोलते ही दीदी बोलीं- सब सुन लिया। मेँ तेयार हूँ। वैसे भी इसके बाद इन सब से पीछा तो छूट जाएगा। आकाश, उन्हें अंदर आने के लिए कहो।
मैं अंदर ही अंदर खुश था कि दीदी बिना कुछ कहे मान गईं। मैं बाहर गया और विवेक और कार्तिक को अंदर आने को कहा।
अंदर आते ही उन्होंने देखा कि दीदी पहले से ही बिस्तर पर नंगी बैठी हैं।
दोनों खुश हो गए और सीधे दीदी के पास जाकर बैठ गए और दीदी की चूत और स्तनों को सहलाने लगे।
मैं अपनी सगी बहन को अपने सामने अपने दोस्तों द्वारा चुदाई करते हुए नहीं देखना चाहता था, इसलिए मैंने बाहर जाकर उनसे कहा- ज्यादा शोर मत करो, नहीं तो कोई आ सकता है।
इतना कहकर मैंने दरवाजा बंद कर दिया और वो अंदर ही अंदर दीदी को चोदने का मजा लेता रहे।
मैंने बाहर देखा तो विवेक एंटी प्रेग्नेंसी टैबलेट लेकर आया था।
तभी कार्तिक बाहर आया और बोला – यार आकाश ! मैं समझ सकता हूँ कि तुम अपनी बहन को इस हालत में नहीं देख पाओगे। इसलिए तुम कुछ देर बाहर घूमने चले जाओ।
मुझे लगा कि कार्तिक सही कह रहे हैं। इसलिए मैं 1 घंटे के लिए बाहर गया।
1 घंटे बाद मेरे पास विवेक का फोन आया और उसने कहा- हम जा रहे हैं और आप आ जाओ।
तो मैं तुरंत कमरे में आ गया। (बड़ी बहन को चोदा)
वापस आकर मैंने देखा कि कार्तिक और विवेक दोनों बाहर बैठे थे और जाने की तैयारी कर रहे थे।
मैंने उससे पूछा- कैसा लगा?
तो वो लोग हंसते हुए बोले- बहुत मजा आया भाई। तेरी बहन सच में एक नम्बर की रांड है। हम दोनों ने उसकी बहुत अच्छे से चुदाई की।
मैंने कहा- ठीक है, सौरव को कल भेज देना और फिर कभी दीदी को चोदने की बात मत करना। दीदी को चोदने का हक अब सिर्फ मेरे पास है।
अब वो लोग मान गए और चले गए।
मैं दीदी के अंदर गया तो देखा कि दीदी बिस्तर पर लेटी हुई थी और दीदी के पास 2 कंडोम पड़े थे जो मैं पिछले दिन लेकर आया था। मुझे ये देखकर अच्छा लगा कि वो लोग दीदी को बिना प्रोटेक्शन के चोद नहीं रहे थे।
मैंने दीदी से कहा- दीदी… सब ठीक तो है ना?
दीदी- हां सब ठीक है लेकिन इतनी देर चुदाई के बाद हिम्मत नहीं हो रही उठने की। मैं नहाना चाहती हूं लेकिन उठने की ताकत नहीं है।
मैंने कहा- कोई बात नहीं दीदी, मैं आपको बाथरूम में ले जाकर नहला देता हूं।
इतना कहकर मैंने भी अपने कपड़े उतारे और नंगा हो गया और दीदी को उठाकर बाथरूम में ले गया। वहाँ मैंने शावर चालू किया और दीदी के बदन पर साबुन लगाने लगा और साथ में खुद भी साबुन लगाने लगा।
दीदी का भीगा बदन देखकर मेरा मन फिर से दीदी को चोदने का हो गया। लेकिन मुझे पता था कि दीदी की चुदाई बहुत हो चुकी है इसलिए मैंने अपना लंड दीदी के मुँह में डाल दिया और दीदी के मुँह की चुदाई की।
मैंने नहा-धोकर अपनी बहन को कपड़े पहनाए और मैं बाहर से खाना लेकर आया था। हम दोनों ने साथ में खाना खाया और बाद में मैंने वह दवाई दीदी को दे दी। (बड़ी बहन को चोदा)
उसके बाद दीदी ने पूरे दिन आराम किया।
रात में बहन को अंशु का फोन आया और बहन डर के मारे मुझसे पूछने लगी- अब क्या करूं?
तो मैंने कहा- उससे कह दो कि आज तुम्हारी तबीयत खराब है और आकाश मेरे साथ है। इसलिए मैं 2-3 दिन आपको नहीं मिल सकती।
दीदी ने अंशु से ये सब बातें कीं और दीदी अपनी चूत को और भी ज्यादा फटने से बच गईं।
अगले दिन मैंने सौरव को कॉल किया और वो भी रात के 1 बजे घर आ गया और उसने दीदी की चूत और गांड भी खूब मरी।
इसके बाद वो सभी दीदी से दूर हो गए। लेकिन हम दोस्तों के बीच ऐसी गंदी बातें चलती रहती थीं। पूनम दीदी की चुदाई के बाद भी हम सभी दोस्तों ने कई लड़कियों को चोदा था लेकिन मैं उनके साथ ज्यादा नहीं गया क्योंकि मेरे घर में सेक्स की दुकान थी।
मैंने एक साल तक हर दिन दीदी की चुदाई की है। हम एक साथ एक ही बिस्तर पर सोते थे। मैं हर रात अपनी बहन को चोदता था और हम एक दूसरे के साथ नंगे सोते थे।
मैं कभी बाथरूम में नहाते समय, कभी किचन में खाना बनाते समय और कभी सफाई करते हुए अपनी बहन को चोदता।
वह एक साल मेरी जिंदगी का बहुत खूबसूरत साल था।
उसके बाद दीदी का कॉलेज खत्म हो गया और दीदी गाँव चली गईं और नौकरी की तलाश करने लगीं। उसके बाद जब भी हम अकेले मिलते तो मैं को दीदी को चुदाई में एन्जॉय करते थे।
कभी-कभी गांव के घर में रात को चुपके से दीदी के कमरे में चला जाता और चुदाई करके अपने कमरे में लौट आता।
कुछ सालों बाद दीदी की अंशु से शादी हो गई और मुझे नौकरी मिल गई। वक्त के साथ हमारे सारे दोस्त दूर होते गए और अब हमें मिले हुए काफी समय हो गया है।
अब भी पूनम दीदी जब अकेली मिलती है तो मैं दीदी की चूत चाटता हूँ। फर्क सिर्फ इतना है कि अब दीदी की चूत की जगह भोसड़ा हो गया है।
तो दोस्तों आपको मेरी बहन की सेक्स स्टोरी कैसी लगी? मुझे जरूर बताएंगी।
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