September 9, 2025
Safar Main Gand Chudai

आप की सेक्सी काजल आप सभी हिंदी गे सेक्स स्टोरी ( Hindi Gay Sex Story ) को पढ़ने वालो को नमस्कार करती हूँ। 

मैं आप सब के लिए एक ऐसे hindi gay sex kahani ले कर आई हूँ , readxxxstories.com पर 

जिसे पढ़ कर आप सब को खूब मजे आने वाले है. 

तो चलिए शुरू करते है 

आज की कहानी का शीर्षक है – 50 रु. के लिए करवानी पड़ी बीच सफर मैं गांड चुदाई ( Safar Main Gand Chudai

तो दोस्तों आज की कहानी राहुल जी की है ,तो आप सभी को आगे की कहानी राहुल जी बतायेंगे 

मेरा नाम राहुल है। और मैं दिल्ली के Malviya Nagar का रहने वाला हूँ मेरी उमर 26 साल की है,

मगर ये कहानी तब की है जब मैं 22 साल का था। मेरा रंग गोरा है, और मैं एक-दम दुबला-पतला हूं, और मेरा फिगर बिल्कुल  लड़किओ वाला है।

और अब तो मुझे गांड चुदवाने की आदत पड़ गयी है। मगर जब मैं 22 साल का था, तब मैं सब चीजों से बिल्कुल अंजान था।

तो सीधा कहानी पर आता हूँ।

मैं दिल्ली से अमृतसर पंजाब जाने के लिए बस में सफर कर रहा था। ना-जाने क्यों, मगर सफ़र में भी कुछ लोग मेरे भूलभुलैया लेने की कोशिश कर रहे थे। उन्हें शायद लग रहा था कि मैं लड़की हूं।

देर रात हमारी बस खाना खाने के लिए  होटल में रुकी।

मुझे काफ़ी भूख लगी थी, मगर मेरे पास कैश नहीं था। मुझे ढाबे के पास ही एटीएम दिखा। मैंने सोचा पहले खाना खा लेता हूं, फिर एटीएम से पैसे निकाल लूंगा। फिर मैंने खाना ऑर्डर कर दिया।

खाना जल्दी ही आ गया था, मगर खाना अच्छा नहीं था। लेकिन भूख के कारण जैसे-तैसे मैंने खा लिया।

जब मैं एटीएम से पैसे निकालने गया, तो एटीएम सेवा से बाहर था। मैंने ढाबे वाले को स्थिति समझाने की  कोशिश की, मगर वो नहीं समझा। उसको तो पैसे पूरे ही चाहिए.

खाने का बिल 350 रुपये हुआ था, और मेरे पास 300 रुपये ही थे। मैंने बस के यात्रियों से भी बात करने की कोशिश की, मगर किसी ने नहीं दिया। वही बैठे 2 लोग मुझे शुरू से नोटिस किये जा रहे थे।

उन्होंने  मुझे बुलाया और कहा-

व्यक्ति 1: होर जी, की गैल है मैनु दस्सो।

मैं: पाजी खाने के बिल में 50 रुपये कम पड़ रहे हैं।

व्यक्ति 1: लो इतनी सी बात. आओ मेरे साथ मेरा पर्स मेरे ट्रक में है। मैं देता हूं आओ.

फिर उन दोनों ने खुद का नाम बताया। ड्राइवर का नाम जीते और कंडक्टर का नाम गुलप्रीत था। दोनों हट्टे-कट्टे पंजाबी थे।

दोनों का कद लाग भाग  7 फुट का होगा, और पूरे मुंह में लंबी दाढ़ी।

मैं उन दोनो के साथ ट्रक के पास गया। उनका ट्रक ढाबे की दूसरी तरफ लगा था। उन्होंने मुझे ऊपर केबिन में आने को कहा, और मैं भी  बेवकुफो की तरह चढ़ गया।

मेरे ऊपर चढ़ते ही पीछे से गुलप्रीत भी चढ़ गया, और दोनों ने गेट बंद कर लिया। मैं थोड़ा घबरा गया.

जीते : ये लो जी आपके 50 रु.

मैं: धन्यवाद पाजी.

मेरे मन से डर थोड़ा निकल गया. मैं केबिन से निकल ही रहा था कि गुलप्रीत ने मुझे धक्का दिया, और मैं दोबारा सीट पर जा बैठा।

गुलप्रीत : ओजी किथे? पाजी किसी को फ्री में पैसे नहीं देते।

मैं: ठीक है, तो आप मुझे अपनी यूपी आई डी दे दीजिए। मैं आपको यूपी आई से भेजता हूं।

जीते : ओजी ना पैसे के बदले कुछ सर्विस देनी होगी।

मैं: कैसी सर्विस?

जीते : ओजी आपको पहली बार देखते ही आप मुझे पसंद आ गए। आपकी गांड की चुदाई ( Gand Ki Chudai ) करनी है बस.

मैं: पाजी मैं ये सब काम नहीं करता.

गुलप्रीत : देख लो जी, केबिन से निकलना है तो पाजी की बात मान लो।

मैं घबरा गया, और मेरी बस भी कुछ देर में छूटने वाली थी।

मैं: ठीक है जी, पर मैंने पहले कभी नहीं किया है। तो थोड़ा आराम से करना.

इतना सुनते ही दोनो मेरे पर टूट पड़े। जीते पाजी मेरे होठों पर चुंबन करने लगे, और गुलप्रीत पाजी मेरे कपड़े खोलने लगे। दोनों के करीब आने पर पता चल रहा था कि शायद उन्होंने कुछ दिनों से नहाय भी नहीं था।

फिर उन्होंने मुझे उठा के पलटा दिया, और मुझे पूरी तरह से नंगा कर दिया। साथ ही साथ उन्हें अपने पैजामे भी खोल दिये। दोनों के लंड लगभाग 8 इंच के रहे होंगे.

मैं देख कर और घबरा गया। मगर उनके बदन की खुशबू से मैं गरम होने लगा था, और उनका लंड देख के ना-जाने क्यों मुझे ख़ुशी सी हुई।

जीते पाजी: चल अपना मुँह खोल और चूस इसको।

मैंने पहले कभी किसी का लंड नहीं चूसा था, लेकिन मैं मना नहीं कर सका और मुँह खोल के उनका लंड चुसाई ( land Chusai ) करने लगा। उनकी झांट के बाल तक मेरे सर के बाल जितने बड़े थे।

पीछे से गुलप्रीत पाजी मेरी गांड चाटने लगे। इन सब से ना जाने क्यों मुझे अच्छा लग रहा था।

जीते पाजी फिर अपना लंड मेरे मुँह में ज़ोर-ज़ोर से डालने लगे। उनका लंड इतना बड़ा था, कि मेरे मुँह में नहीं जा रहा था। जीते पाजी ने मेरे बाल पकड़े, और एक ज़ोर का झटका मारा।

उनका लंड मानो सारी परतों पार  करता हुआ मेरे गले तक चला गया। मुझे बहुत ज़ोर का दर्द हुआ, मगर आवाज़ तक नहीं निकल रही थी। मेरी आँखों में आँसू आ गये।

पीछे से गुलप्रीत पाजी ने अपनी जुबान से चाट-ते हुए मेरी गांड के छेद को थोड़ा फेला दिया था। इन सब से ना जाने क्यों मेरा लंड खड़ा हो गया.

गुलप्रीत : देखो पाजी, मुंडे नू भी मजा आ रहा है।

अभी भी जीते पाजी का लंड मेरी गले में ही था. मगर उन्होंने मेरे सर को इतने ज़ोर से जकड़ के रखा था, कि मैं हिल तक नहीं पा रहा था।

फिर जीते पाजी ने लंड मेरे गले से निकाला तब जा कर मुझे सांस आई। अब जीते पाजी ने दोबारा मुझे घुमा दिया। मानो उनके लिए मैं कोई खिलोना था।

फ़िर गुलप्रीत पाजी ने अपनी गांड मेरे मुँह पर रख दी, और उसको चाटने को कहा।

मैं उनकी गांड चाटने लगा, और वो मेरे मुँह पर उछलने लगे। उनकी गांड में भी काफी बाल थे. तभी जीते पाजी ने मेरे खड़े लंड को ज़ोर से पकड़ लिया, और दो उंगली मेरी गांड में डालने लगे।

गुलप्रीत पाजी ने मेरे लंड को इतना दर्द दिया था, कि जीते पाजी की उंगली मेरी गांड में आराम से चली गई। मगर मुझे गांड में जलन सी हो रही थी।

कुछ देर के बाद जीते पाजी ने मुझे अपनी तरफ खींचा, और गुलप्रीत पाजी को मुझ पर से हटा दिया।

जीते पाजी: हट, मैं इसकी सील तोड़ता हूं, इसका चेहरा देखना चाहता हूं।

मैं: पाजी आराम से. मैंने पहले कभी गांड नहीं मरवाई है.

मैं इतना बोल ही रहा था कि जीते पाजी ने पूरा लंड एक झटके में मेरी गांड में घुसा दिया। मैं दर्द से चीख उठा. तुरत हाय गुलप्रीत पाजी ने मेरा मुँह बंद कर दिया।

गुलप्रीत पाजी: चिल्ला मत, आस-पास के ड्राइवर लोग सुन लेंगे तो वो भी आ जायेंगे।

फ़िर गुलप्रीत पाजी ने मेरे मुँह में अपनी चड्ढी भर दी। उनकी चड्डी काफ़ी ख़राब थी। मैने तुरंत ही मुंह से निकाल कर कहा-

मैं: आह आह, काफी बदबुदार है ये चड्डी. आपका लंड ही देदो मुँह में, मैं सह लूँगा।

दोनो मेरी बात सुन कर हँसने लगे।

जीते पाजी: लौंडा तेरा लंड चूसना चाहता है, चूसा दे थोड़ा।

फ़िर गुलप्रीत पाजी ने अपना लंड मेरे मुँह में दे दिया। एक तरफ मैं जीते पाजी से चुद रहा था, तो दूसरी तरफ गुलप्रीत पाजी का लंड चूस रहा था। मेरी गांड से थोड़ा खून भी निकल गया था।

मगर ये उन लोगों ने हमें उस वक्त नहीं बताया।

जीते पाजी का लंड मानो मेरी गांड को फाड़ कर ही मानने वाला था। लगभाग 10 मिनट ऐसा ही चला। फ़िर जीते ने मुझे चोदते हुए ही मेरी गांड पर ज़ोर का थप्पड़ मारा।

जीते पाजी ने फिर मेरी गांड से लंड निकाला, और गुलप्रीत पाजी मुझे चोदने आये। गुलप्रीत पाजी ने मुझे पेट के बल लिटा दिया, और मेरे गांड में लंड सेट किया। मेरे बालों को पकड़ के मेरा सर उठाया, और मुझे चोदना शुरू किया।

गुलप्रीत पाजी जीते पाजी से भी रफ था। मगर जीते पाजी की चुदाई के कारण गांड का छेद थोड़ा फ़ैल गया था, जिसके  कारण मैं थोड़ा आराम से गुलप्रीत पाजी का लंड ले रहा था।

फिर जीते पाजी ने  अपना लंड गुलप्रीत पाजी की गांड पर सेट किया और उनकी गांड में डालने लगे।

गुलप्रीत पाजी: आज तो ना चोदो, आज ये है ना.

जीते पाजी: ओए  ये तो अभी के लिए है. तू तो मेरी परमानेंट रखेल है.

ऐसा बोल कर दोनों ने किस किया, और जीते पाजी गुलप्रीत पाजी की गांड मारने लगे, और गुलप्रीत पाजी मेरी। दोनों का वजन मेरे पे ही आ रहा था, क्योंकि मैं सबसे नीचे था।

ऐसे ही कुछ देर चोदने के बाद जीते पाजी गुलप्रीत पाजी की गांड में ही अपना सारा माल गिरा दिया। गुलप्रीत पाजी अभी मुझे चोद ही रहे थे, मगर मुझे घूम के उनकी गांड साफ करने को कहा।

मैं इतना लचीला था, कि मैंने घूम के उनकी गांड चाट कर साफ कर दी। थोड़ी देर बाद गुलप्रीत पाजी ने मुझे घुटनो पे बिठाया, और सारा माल मेरे मुँह में गिरा दिया। माल के कुछ छींटे उनकी सीट पर भी गिर गई थी।

मैंने उनके बिना कहे ही उसको भी चाट कर साफ कर दिया। सब के बाद मैं काफ़ी थक चुका था। सच पूछो तो मुझे भी सब में काफी मजा आया था। बाहर देखा तो मेरी बस मुझे छोड़ कर जा चुकी थी।

मैं: अब मैं अमृतसर कैसे जाऊंगा?

जीते पाजी: तू चिंता मत कर, हम तुझे फ्री में अमृतसर छोड़ देंगे। मगर किराया हम रास्ते में वसूल कर लेंगे।

मैं समझ गया था कि रास्ते भर मेरी चुदाई चलने वाली है। मगर मेरे पास और कोई चारा नहीं था, और मैं खुद अपनी ये साइड एक्सप्लोर करना चाहता था।

रास्ते भर मेरी और जबरदस्त चुदाई हुई.

मगर वो कहानी  फिर कभी बताऊंगा।

तो दोस्तों उम्मीद करता हूँ की आप सब को मेरी Gand Chudai Ki Kahani पसंद आई होगी, कॉमेंट कर के बताए।


दोस्तों जल्दी ही वापस आती हूँ एक और new hindi gay sex stories के साथ।

 
धन्यावद।

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