नमस्कार मेरे प्यारे दोस्तों मैं साक्षी आपके लिए आज एक और धमाकेदार हिंदी गे सेक्स स्टोरी (Hindi Gay Sex Story) लेकर आई हूँ। जिसका शीर्षक है करीबी दोस्त की ख्वाहिस (Karibi Dost Ki Khwahis)।
इस गे सेक्स कहानी के लेखक आकाश है, और आगे की कहानी आकाश के शब्दों में है। कहानी का पूरा मका लीजिए दोस्तों।
हेलो दोस्तो, मैं आकाश हूँ और दिल्ली के पहाड़गंज में रहता हूँ, मैं आज आपको अपनी एक सच्ची घटना को अपनी देसी गे सेक्स कहानी के रूप में बताने वाला हूँ। मेरा रंग गोरा, मोटे निपल्स और उभरी हुई गोल गांड है, जिसका हर कोई दीवाना हो जाता है।
तो सीधे अपनी रियल गे सेक्स स्टोरी (Real Gay Sex Story) पर आता हूँ।
मुझे नॉएडा जाना था एक महीने के लिए। मुझे नॉएडा में एक महीने के लिए अपने रहने की व्यवस्था करनी थी।
फिर मुझे याद आया कि मेरा करीबी दोस्त विकाश नॉएडा में ही नौकरी करता था।
मैंने और विकाश ने दो साल तक एक साथ काम किया था। उसके बाद वो नॉएडा चला गया।
मैंने उनको कॉल किया और पूरी बात बताई। वो मान गया, क्योंकि वो अकेला ही रहता था फ्लैट में।
मैं रात को 10 बजे दिल्ली पहुंचा।
विकाश मुझे स्टेशन पर लेने आया, उसके फ्लैट पर हमने खाना खाया, थोड़ी देर बातें कि और फिर सो गए।
सुबह हम दोनों तैयार हो कर काम के लिए निकल गये। दोपहर को हम वापस आये।
खाना हम बाहर रेस्टोरेंट में खा कर आये। इतनी गर्मी थी, कि मेरा अंडरवियर भी पसीने से गीला हो गया था।
विकाश ने अपने सारे कपड़े उतार दिए, और कमर पर गमछा लपेट लिया।
उसने मुझे भी गमछा दिया लपेटने को। फिर उसने फ्रीजर से दारू निकाली, और हम दोनों ड्रिंक करने लगे।
दो पैग पीने के बाद हम दोनों थोड़े नशे में हो गए।
विकाश: तेरे निपल्स तो लड़कियों के चुचो जैसे हैं।
मैं भी नशे में था, और अपने निपल्स पर हाथ रख कर शर्माने की एक्टिंग करने लगा।
एक पैग और पीने के बाद उसने अपना गमछा उतार कर मेरे स्तन पर रख दिया।
विकाश: सच कहूँ जब हम साथ काम करते थे, तो हर रात मैं तेरे नाम की मुठ मारता था।
कब तेरी गांड में लंड डालूंगा, यही सोचता रहता था।
थोड़ी ही देर बाद उसने मेरे जिस्म से दोनो गमछे हटा दिये।
फ़िर विकाश ने मेरे होठों पर अपने होठों को रख दिया और मुझे लिप किस करने लगा।
उसके बाद उसने मुझे बिस्तर पर लिटा दिया, और मेरे ऊपर आ कर लेट गया।
वो फिर मेरे होठों को चुसने लगा। उसने अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी।
वो मेरी गर्दन, ईयरलोब पर किस और बाइट करने लगा।
फ़िर वो मेरे स्तनों को सहलाने लगा। स्तन सहलते हुए वो बोला-
विकाश: मेरी जान, आज तेरे मम्मे चूस-चूस के लाल कर दूंगा।
मैं: मेरे राजा, चूस ले आज अच्छे से, निचोड़ दे आज इनको।
विकाश मेरे दोनों निपल्स को चूसने और मसलने लगा, मैं आहेन भरने लगा।
उसने मेरे निपल्स पर अपनी जीभ घुमानी शुरू कर दी। मैं ऐसे आहेन भर रहा था, जैसे एक औरत को एक मर्द प्यार कर रहा हो।
मेरे निपल्स चुसने के बाद, वो मेरे पूरे बदन को चूसने और काटने लगा।
उसका मेरे जिस्म को चूसना, मेरे गर्म जिस्म को ठंडक देने जैसा था।
फिर विकाश सीधा लेट गया, मैंने उसके लंड को पकड़ा, और उसको सहलाने लगा।
उसका लंड तन कर खड़ा हो गया, फिर मैंने उसके लंड के सुपाड़े को किस किया। तभी वो बोला-
विकाश: मेरी जान, अच्छे से प्यार कर इसको। बहुत ज़्यादा तड़पा है ये तेरी गांड के लिए।
मैं उसके लंड के टोपे को जीभ से चाटने लगा, फिर मैंने उसके लंड को मुँह में ले लिया।
मैंने लंड को जैसे ही मुँह में लिया, उसके मुँह से आआह निकलने लगी।
मैं प्यार से उसका लंड चुसने लगा। बड़ा मजा आ रहा था हम दोनों को। मैंने उसके लंड को खूब चूसा।
विकाश: आआआह आआआह जान बहुत मजा आ रहा है, ऐसे ही करते रहो।
फिर विकाश ने मुझे घुटनो पर बिठा दिया, और खड़े हो कर लंड मेरे मुँह में पेलने लगा।
वो मेरे सर को पकड़ कर मेरे मुँह में झटके पर झटके दे रहा था।
एक ज़ोर के झटके के साथ ही उसने अपने लंड का सारा माल मेरे हलक में उतार दिया।
मैं उसका सारा माल निगल गया। फिर मैंने उसके लंड को जीभ से चाट कर साफ किया।
विकाश ने मुझे उल्टा लिटा दिया, और अपने हाथों से मेरी चूतड फेला कर मेरी गांड के छेद को अपनी जीभ से चाटने लगा।
उफ्फ्फ क्या मस्त मजा आ रहा था, मैं नीचे से उसका लंड चुसने लगा।
फिर उसने लंड पर तेल लगा कर उसको चिकना कर दिया।
विकाश ने अपने लंड के टोपे को मेरी गांड के छेद पर सेट किया, और मुझे कमर से पकड़ लिया।
फिर उसने एक ही झटके में अपना पूरा मूसल जैसा लंड मेरी गांड में पेल दिया।
मुझे बहुत दर्द हुआ, और मैं चीखने लगा आअह आअहह।
उसका लोडा बहुत कड़क था, उसका लोडा मेरी गांड चीरते-फाड़ते हुए पूरा अंदर चला गया।
विकाश ने मुझे घोड़ी बना कर कमर से पकड़ लिया, और बिना रुके घपा-घप मेरी गांड चोदने लगा।
मैं अधमारा हो रहा था, चिल्ला रहा था दर्द से।
लेकिन वो मेरी चीख सुन कर और जोश से चोद रहा था।
वो मस्त हो कर झटके पर झटके मारते हुए मेरी गांड को पेल रहा था। फ़िर वो बोला-
विकाश: मेरी जान, दो साल से प्यासा था मैं तेरी गांड का।
अपने लोडे से पेल कर आज तुझे अपनी रंडी बनाउगा साले।
मेरा दर्द भी अब कम हो गया था। उसकी ऐसी बातो से मेरी मस्ती बढ़ रही थी।
मैं भी गांड उछाल-उछाल के उससे अपनी गांड की चुदाई करवाने लगा। फ़िर मैं बोला-
मैं: चोद मेरे राजा, फाड़ दे अपने इस मोटे लंड से मेरी इस गांड को।
विकाश: है बेटा आज तू खूब मजे से मेरे लोडे से अपनी गांड फड़वा।
तेरी इस मक्खन जैसी गांड के लिए मैं बहुत तड़पा हूँ, आज से जबतक तू यहाँ मेरे फ्लैट में रहेगा तू मेरी रंडी बनकर रहेगा।
विकाश ने मेरी टांगे अपने कंधों पर रख ली, और मुझे गोदी में उठा कर चोदने लगा।
वो पूरी स्पीड से अपने कमर को हिलाते हुए, अपने लंड से मेरी गांड को पेल रहा था।
कमरे में थप-थप की आवाज गूंज रही थी। उसका हर झटका मुझे मदहोश कर देता।
विकाश ने अपने झटकों की स्पीड एक-दम बढ़ा ली, और हांफ्ते हुए मेरी गांड में अपना गर्म लावा निकाल दिया।
वो मेरी कमर को खींचते हुए लंड को अन्दर जड़ तक ले गया, और अपना सारा माल निकाल दिया।
फिर वो मेरे ऊपर ही लेट गया और हम दोनों नंगे सो गए।
उस दिन के बाद से लेकर पुरे एक महीने तक विकाश ने मेरी गांड की अच्छी खातिरदारी करी।
बड़े दिन के बाद मुझे गांड मरवाने में इतना मजा आया था। उसके लंड की बात ही कुछ और थी मेरी गांड उसके लंड को जब भी मिस करती मैं उसके पास अपनी गांड की खुजली मिटाने के लिए चला जाता।
ये थी मेरी हिंदी गे सेक्स स्टोरी अगर आप सभी को पसंद आई हो तो कमेंट करके जरू बताएं। धन्यवाद।