पिछला भाग: Pehli Chudai Ka Sapna 4
मेरा नाम जैस्मिन है और मैं दिल्ली की रहने वाली हूँ। मुझे उम्मीद है आपने मेरी Hindi Sex Story के सभी पिछले भाग जरूर पढ़े होंगे।
आज मैं लेके आई हूं, अगले दिन की Hindi Sex Kahani। मेरी पहली कहानी में आपने पढ़ा के कैसे जीतेन्द्र भैया ने मुझे दोस्त के साथ चोदा।
चलिए आगे कहानी में पढ़ते है। ( Pehli Chudai Ka Sapna 5 )
अगले दिन, मैं ऑफिस के लिए तैयार हो गयी जीतेन्द्र भैया के साथ निकल गई।
गाड़ी चलते हुए जीतेन्द्र ने कहा, “जैस्मिन ऑफिस ड्रेस में तू बहुत सेक्सी लगती है।” मैंने कुछ नहीं कहा, बस मुस्कुरा के धन्यवाद बोल दिया।
जीतेन्द्र ने मुझसे पूछा, “आज कौन से रंग की पैंटी पहन के आई हो?” मैंने फिर कुछ नहीं कहा. जीतेन्द्र बोला, “वैसे क्या फ़ायदा तेरा रोज़ रोज़ पैंटी पहनने का।
मैं तो रोज़ तेरी पैंटी उतारवा देता हूँ।” मैंने कहा, “जीतेन्द्र भैया प्लीज़ ऐसा मत किया करो, मुझे बहुत शर्म आती है।”
जीतेन्द्र बोला, “चल ठीक है, मैं आज तेरी पैंटी नहीं उतारूंगा।” मुझे विश्वास नहीं हो रहा था कि जीतेन्द्र ने मेरी बात मान ली है। मैं खुश हो गई और ऑफिस पहुंचकर अपने केबिन में आ गई।
पर मेरी ख़ुशी ज़्यादा देर तक नहीं चलने वाली थी। दोपहर के 2 बजे थे, लंच का समय था।
अमित, हमारे ऑफिस का चपरासी, मेरे केबिन में आया, और बोला, “मैम, लंच लगा दू?” मैंने कहा, “हां लगा दो।”
अमित सुन्न के भी वहीं खड़ा रहा. मैंने पूछा अमित से, “खड़े क्यों हो, जाओ।” अमित बोला, “मैडम, जीतेन्द्र भैया ने आपकी पैंटी मंगवाई है।
” मुझे बहुत तेज़ गुस्सा आया। मैं चिल्ला के अमित से कहा, “शर्म नहीं आती तुम्हें, जाओ यहां से।”
अमित फिर भी नहीं गया. वो बोला, “मैडम, जीतेन्द्र भैया ने कहा था, अगर आप अपनी पैंटी देने से मना करो, तो ये वीडियो दिखा देना।” अमित ने अपने मोबाइल में एक वीडियो चलाया।
वीडियो मेरे केबिन की ही थी. उसमें जीतेन्द्र मेरी गांड मार रहा था और मैं ज़ोर ज़ोर से कह रही थी, “हां, मुझे गांड मरवाना अच्छा लगता है।
” मैं फिर से जीतेन्द्र के जाल में फंस गई थी। अगर मैं उसे अपनी पैंटी नहीं देती तो वह वीडियो ऑफिस में वायरल कर देता।
मेरे पास और कोई चारा नहीं था। मैंने अपनी पैंटी उतारी और अमित को दे दी, और वहां से जाने को कहा। पर अमित अभी भी वहीं खड़ा है।
मैंने पूछा, “अब क्या चाहिए?” अमित बोला, “मैडम, आपकी फोटो लेनी है। जीतेन्द्र भैया ने बोला है. पैंटी लेने के बाद फोटो लेके आनी है।”
मैंने पूछा कैसी फोटो, तो वो बोला आपकी चूत की फोटो। मुझे बहुत गुस्सा आया. पर मैं मजबूर थी.
अमित ने कहा, “आप सीट पर बैठे अपनी स्कर्ट ऊपर करलो और अपनी टांगे फेला दो, मैं फोटो खींच लूंगा।” मैंने वैसा ही किया. अमित ने मेरी चूत की 2-3 फोटो खींच ली।
मैं मन में सोच रही थी. मैं अपने ऑफिस में मेरे ऑफिस का चपरासी मेरी चूत की फोटो ले रहा है, और मैं कुछ नहीं कर पा रही हूं। मैं बस अपमानित हो कर रह गई थी।
मैं शायद जीतेन्द्र के लंड की गुलाम बन गयी थी। मुझे जीतेन्द्र के लंड की ऐसी लत लग चुकी थी के मैं उसके लिए किसी भी हद तक गिरने को तैयार हो जाती थी। जीतेन्द्र से चुदवाने का एक नशा सा हो गया था मुझे।
जीतेन्द्र की चुदाई के माया जाल में मैं ऐसी खो चुकी थी की मैं खुद ही नहीं निकलना चाहती थी।
मैं ये सब सोचते हुए, अपना काम कर रही थी। काम करते-करते कब शाम के 6.45 हो गए थे, मुझे पता ही नहीं चला।
ऑफिस की छुट्टी हो चुकी थी और सब लोग जा चुके थे।
जीतेन्द्र आया मेरे केबिन में। उसके हाथ में मेरी पैंटी थी. वो मुझे देख के परेशान हो रहा था।
मैंने कहा, “जीतेन्द्र भैया ये गलत बात है, आपने अमित को क्यों भेजा, मेरी पैंटी के लिए?”
उसने बोला, “अमित अपना ही बंदा है। उसे भी मौका मिलना चाहिए तेरी जैसी चिकनी चूत देखने का।” मैंने कहा, “मुझे अच्छा नहीं लगेगा।
” जीतेन्द्र बोला, “मुझे कोई फ़र्क नहीं पड़ता तुझे क्या अच्छा लगता है या क्या बुरा लगता है। मैं वो करता हूं जो मुझे अच्छा लगता है।”
उसने मुझसे कहा, “चल आजा, यहाँ टेबल पर कुतिया बन जा।” मैं टेबल पर डॉगी पोजीशन में आ गई।
फ़िर जीतेन्द्र ने वो किया जिसका मुझे ज़रा भी अंदाज़ा नहीं था।
उसने वहां अमित को बुलाया। मैं टेबल पर घोड़ी बनी हुई थी। अमित मुझे इस पोजीशन में देख के चौंक गया। उसने सोचा नहीं था कि वो मुझे ऐसी पोजीशन में देखेगा।
जीतेन्द्र ने अमित को पास बुलाया और बोला, “चल मैडम की स्कर्ट ऊपर कर।
” वो थोड़ा घबराया, और बोला, “मैं ये नहीं कर सकता।” जीतेन्द्र ने बोला, “अरे डर मत। जैस्मिन किसी को कुछ नहीं कहेगी. हैना जैस्मिन?”
मुझे मजबूरी में सर हिलाना पड़ा। तभी जीतेन्द्र ने मेरी गांड पर ज़ोर से थप्पड़ लगाया, और बोला, “ज़ोर से बोल।” मैंने कहा, “हां अमित उतार दो मेरी स्कर्ट।”
मेरे मुँह से ये बात सुनकर अमित की हिम्मत बढ़ गई, और उसने मेरी स्कर्ट ऊपर कर दी। अब मेरी नंगी गांड और चूत अमित के सामने थी। वो मेरी गांड की तरफ घूर रहा था।
तभी जीतेन्द्र ने मेरी गांड पे 3-4 ज़ोर के थप्पड़ लगाए, और अमित को भी मारने को बोला।
अमित भी मेरी गांड पर थप्पड़ बजा रहा था। दोनों ने मिलके मेरी गांड लाल कर दी थी।
जीतेन्द्र ने मुझे खड़े होने को कहा। मैं खड़ी हो गयी. वो दोनों वहीं कुर्सी पर बैठ गए।
जीतेन्द्र ने कहा, चल उतार अपने कपड़े और नंगी होजा। ऐसा नहीं था के ये सब मेरे लिए पहली बार था।
पर आज मेरे ऑफिस का चपरासी मेरी कुर्सी पर बैठ कर मुझे देख रहा था और मैं उसके सामने आधी नंगी खड़ी थी।
मैं ये सब सोच ही रही थी, के जीतेन्द्र उठा और ज़ोर का चांटा लगाया मेरे मुँह पर। वो बोला, “तूने सुना नहीं क्या, जल्दी कर।”
मैंने अपनी शर्ट के बटन खोलने शुरू किये। मैने पहले अपनी शर्ट उतारी। मैंने काली ब्रा पहनी थी, फिर वो उतारी।
अमित मेरे स्तन देख रहा था और अपना लंड मसल रहा था। फिर मैंने अपनी स्कर्ट उतार के पूरी नंगी हो गई।
जीतेन्द्र ने अमित को बोला, “ये देख ले अपनी जैस्मिन मैडम को। सामने नंगी खड़ी है. जो तू बोलेगा, वही करेगी।
” अमित बोला, “इन्हें बोलो नाच के दिखाये।” जीतेन्द्र ने बोला, “जैस्मिन, अमित को तेरा डांस देखना है। चल अपनी गांड हिला और कुछ डांस दिखा।”
आज से पहले मैंने ऐसा किसी के आगे नहीं किया था। जीतेन्द्र के सामने भी नहीं. जीतेन्द्र के आगे नंगी होना तो मेरे लिए रोज़ का काम था। पर नंगी होके नाचना ये कभी नहीं हुआ था।
मुझे नाचते हुए बहुत शर्म आ रही थी। पर मैं कुछ नहीं कर सकती थी, नहीं तो जीतेन्द्र मुझे फिर से चांटा मार देता।
मैं अपनी कमर हिला हिला के नाच रही थी और जीतेन्द्र और अमित मुझे देख रहे थे।
जीतेन्द्र देख के बहुत खुश हो रहा था। वो कह रहा था, “देख कैसी गांड हिला हिला के नाच रही है। शाबाश मेरी कुतिया, आज तूने मुझे खुश कर दिया। चल आजा, अमित का लंड चूस।”
अमित ने बिना देर किये, अपनी पैंट उतार दी। उसका लंड पहले से ही खड़ा था।
मैने नीचे बैठ के अमित का चुसने लगी. अमित का लंड 6” लंबा मोटा था। मैं 10 मिनट तक उसका लंड चूस रही थी और वो मेरे मुँह में ही झड़ गया।
मैंने अमित का सारा माल पी लिया। अमित ये देख के बड़ा खुश हुआ।
उसे भी अब मजा आ रहा था. वो मेरे चूचे दबा रहा था और मुँह लगा के चूस रहा था। मैं भी मज़े से अपने चुचे चुसवा रही थी।
जीतेन्द्र ने मुझे टेबल पे लेटने के लिए बोला। मैं लेट गई. जीतेन्द्र में मेरे मुँह के आगे आके खड़ा हो गया।
मैंने उसकी पैंट उतारी और उसका लंड निकाल के चूसने लगी।
मैं जीतेन्द्र की गेंदों को भी चाट रही थी और साथ में लंड भी चूस रही थी।
अमित ने अपना मुँह मेरी चूत पे लगा दिया, और चूत को चाटने लगा। जीतेन्द्र मेरे चूचो से खेल रहा था। कभी दबा रहा था तो कभी थप्पड़ मार रहा था।
मेरे निपल भी खिंच रहे थे. मुझे दर्द हो रहा था, मैं दर्द से चिल्ला रही थी। मैंने जीतेन्द्र का लंड 10 मिनट तक चूसती रही।
आज शायद जीतेन्द्र का ध्यान कहीं और था। 10 मिनट तक चूसने के बाद भी उसका लंड पूरा तरह खड़ा नहीं हुआ था।
मैंने और ज़ोर से चूसना शुरू कर दिया। जीतेन्द्र का ध्यान कहीं और था। उसने मेरे मुँह पर चांटे लगाने शुरू कर दिये।
वो मुझे चांटे मार रहा था. और मेरा गला दबा रहा था. जीतेन्द्र मुझे गालियाँ दे रहा था। कह रहा था, “चूस साली कुतिया, चूस अपने मालिक का लंड। साली रंडी. चूस मेरा लंड।”
मुझे ये सुनके और जोश आ गया, मैं और ज़ोर से जीतेन्द्र का लंड चूसने लगी। जीतेन्द्र का लंड अब खड़ा हो चुका था।
उसका लंड मेरे गले तक जा रहा था। वो खड़े होके मेरे मुँह को चोद रहा था।
उसने मेरे मुँह पर थूका। मुझे बहुत मजा आया. ये देख के जीतेन्द्र ने और दो तीन बार मेरे मुँह पर थुका।
अब जीतेन्द्र का लंड पूरा तरह खड़ा हो चुका था। अमित ने मेरी चूत को चाट चाट के गरम कर दिया था.
अब मुझे जीतेन्द्र का लंड की तड़प लग रही है। जीतेन्द्र ने बिना देर किये अमित को हटा दिया,
मेरी टांगे उठाई और मेरी चूत में लंड डाल दिया। आज कुछ अजीब सा नशा चढ़ रहा था. मेरी ‘आह’ निकल गयी.
जीतेन्द्र मुझे चोद रहा था और मैं सिस्कारियाँ भर रही थी। जीतेन्द्र मुझे ज़ोर ज़ोर से चोद रहा था।
उधर अमित ने अपना लंड मेरे मुँह में घुसा दिया, और मैं फिर से अमित का लंड चूसने लगी। जीतेन्द्र मुझे बेरहमो की तरह चोद रहा था।
जीतेन्द्र ने मेरी गांड खोली और मेरी गांड के छेद पर अपना थूक गिराया। और उंगली से मसलने लगा।
वो बोला, “कुतिया, मैंने तुझे बट प्लग दिया वो क्यों नहीं लगाया?” मेरी गांड पे मरते हुए पूछा.
पर मेरे मुँह में तो अमित का लंड था, मैंने कुछ नहीं बोला। जीतेन्द्र ने अपनी 2 उंगलियां मेरी गांड ने डाल दी और मेरे अंदर बाहर करने लगा।
जीतेन्द्र ने मुझे अपने गोद में उठा लिया और खड़े होके मुझे चोदने लगा।
जीतेन्द्र ने अमित को बोला, “तू जैस्मिन की गांड में लंड डाल दे।” अमित ने पीछे से अपना लंड मेरी गांड में घुसा दिया।
अमित का लंड भले ही हाई साइज़ में छोटा था पर पूरा मोटा था। मेरी गांड में घुस नहीं रहा था.
उसने थूक लगा के फिर ज़ोर लगाया और लंड गांड में घुस गया। अब दोनो मिलके मुझे चुदाई रहे थे। अमित 10 मिनट की चुदाई के बाद मेरी गांड में ही झड़ गया।
और 20 मिनट की चुदाई के बाद जीतेन्द्र का अपना लंड भी मेरी चूत में झड़ गया
आज जीतेन्द्र ने मेरी कसके चुदाई करी थी और अमित ने मेरी गांड मारी। दोनों कुर्सी पे बैठे हुए थे।
मैं उठ के अपने कपड़े उठाने लगी। तो जीतेन्द्र ने मुझे रोक दिया।
बोला, “अभी कपड़े पहनने का टाइम नहीं हुआ है। मुझे बहुत ज़ोर से मूत आ रहा है।
और अमित को भी मुतना है. अब तेरे पास दो विकल्प हैं, हां तो तू नीचे बैठ जा और हम दोनों तेरे ऊपर मुतेंगे और फिर तू कपड़े पहनेगी।
हां हम दोनो, तेरे कपड़ो पे मुतेंगे और फिर तू वो मूत से गीले हुए कपडे पहनेगी। बता तेरे पास 10 सेकंड है।”
मेरे पास सोचने का वक्त नहीं था, तो मैंने पहला विकल्प चुना। दोनों ने खड़े होके मुझपे मुतना शुरू कर दिया। मैं पूरी तरह से मूत में भीग गई थी।
अब हम सब तैयार हो गए और घर के लिए निकल गए। मैं मन ही मन सोच रही थी. मेरी क्या हालत हो गई है.
मैं अपने ड्राइवर और चपरासी की मूत में नहाई हुई अपनी गाड़ी में बैठी थी।
मैं सही हूं कि अपने ड्राइवर की रंडी बन चुकी थी। जो उसके एक इशारे पे कुछ भी करने को तैयार हो जाती थी और किसी के साथ भी चुदवा लेती थी।
ये दोस्तो मेरी आज की कहानी। जीतेन्द्र मुझे ऐसे ही चोदता था और इसके बाद और बहुत सारे लोगो से उसने मुझे चुदवाया। जैसे मेरा सुरक्षा गार्ड विजय, मेरे ऑफिस का चपरासी अमित।
पर अब कुछ दिनों से जीतेन्द्र मेरी चुदाई नहीं कर रहा था।
ना तो वो ऑफिस में चोद रहा था और ना ही वो मुझे घर पे अपने रूम बुलाता था। शायद कोई और चूत मिल गई।
कौन है वो नई चूत जिसे जीतेन्द्र आजकल चोद रहा है? पढ़िये मेरी अगली XXX Kahani में।