हेलो दोस्तों, आज मैं आपके लिए एक नई गे सेक्स कहानी (Gay Sex Kahani) लेकर आई हूं। ये कहानी सोहिल नाम के व्यक्ति की है, इस कहानी में बाप बेटो ने ट्रैन में मेरी गांड की चुदाई (Meri Gand Ki Chudai) करके मेरा घमंड तोडा।
तो चलिए अब अपनी हिंदी गे सेक्स स्टोरी को शुरू करते है……..
मेरा नाम सोहिल है और मैं 21 साल का हूं। मेरा रंग गोरा है, मैं दिखने में स्मार्ट हूं और मैं एक अच्छे घर से हूं।
मेरे घर में पापा, मम्मी और मैं ही हूं, मैं घर का एकलौता बेटा था इसलिए घर वालों का लाडाला था, मेरी हर एक ख्वाहिश पूरी होती थी।
इसकी वजह से मेरे अंदर घमंड आ गया था और मैं अपने आगे किसी को कुछ नहीं समझता था। मैं लोगो से सही तरीके से बात भी नहीं करता था, मेरी अक्सर किसी न किसी से बहस हो जाती थी।
पर मेरे पापा पुलिस में अच्छी पोस्ट पे थे, इसलिए कोई मुझसे जल्दी पंगा नहीं लेता था। मुझे भी एक एमएनसी कंपनी दिल्ली में नौकरी मिल गई थी, मैं उत्तर प्रदेश का रहने वाला हूं।
ये घाटा तब की है जब मैं दिल्ली से उत्तर प्रदेश कुछ दिन की छुट्टी लेकर आ रहा था। मैंने ट्रेन का टिकट कराया था।
मुझे फर्स्ट एसी का टिकट नहीं मिला तो मैं सेकेंड एसी से यात्रा करके आ रहा था। ट्रेन समय से थी और अगली सुबह हमे उत्तर प्रदेश पहुंचा देती।
मैं ठीक समय पर पहुंच गया और मेरी लोअर बर्थ की सीट थी। मैं अपनी जगह पर बैठ गया और दो स्टेशन के बाद एक आदमी ट्रेन में चढ़ा।
वो काफी गठीले शरीर का मालिक था और उसकी उम्र 54 साल थी (जो मुझे बाद में पता चली), पर देखने में 40 साल का लग रहा था।
उसका नाम मनीष था और उसके साथ उसके दो बेटे थे। एक कुंदन (32 साल) और दूसरा प्रतीक (29 साल)। ये डोनो भी लंबे-चौड़े और गठीले शरीर के मालिक थे।
उनके पास एक सीट थी, मेरी सीट के ऊपर वाली पर वो तीन लोग थे। वो सब आकर थोड़ी देर मेरी सीट पर बैठे रहे।
मेरी उनसे थोड़ी बात हुई, उन्हें भी उत्तर प्रदेश जाना था कुछ काम से और वो रहने वाले दिल्ली के ही थे, उनका खुद का बिजनेस था।
कुछ देर बाद मुझे नींद आने लगी और मैंने उनको उनकी सीट पर जाने को कहा।
मनीष – बेटा हमारे पास एक ही सीट है, अगर तुम मेरी सीट पर चले जाओ तो हम तीनो यहीं एडजस्ट कर लेंगे।
पर मैं तो अहंकार से भरा था, इसलिए मैंने मना कर दिया। उसने फिर अनुरोध किया कि पर मैंने फिर मना कर दिया।
मनीष – बेटा कुछ तो सोचो अगर ये यहाँ नहीं बैठोगे तो कहाँ जाओगे?
मैं – कहीं भी जाए मैंने ठेका थोड़े ना ले रखा है।
कुंदन- देखो, पिता जी की उम्र का तो ख्याल करो। तुम ऊपर सो जाओगे तो उन्हें ऊपर चढ़ने में दिक्कत नहीं होगी।
मैं – साले अगर इस बुड्ढे के लंड में दम नहीं है तो उसका मैं क्या करु, जब गांड में दम नहीं है तो पहले ही टिकट करा के यात्रा करो।
प्रतीक – जुबान संभाल के बात करो, पिताजी के बारे में हम उल्टा-सीधा बर्दाश्त नहीं करेंगे।
कुंदन- सीट नहीं बदलनी तो मत बदलो पर तमीज़ से बात मत करो।
सोहिल- तमीज़ की पुड़िया बनाके अपने बाप की गांड में डाल ले मादरचोद, मुझे मत सिखा।
कुंदन- देखो तुम हदे पार कर रहे हो, ये तुम्हारे लिए अच्छा नहीं होगा।
सोहिल- अबे धमका कैसे कर रहा है, मैं नहीं डरता किसी से और तू जानता नहीं है मेरा बाप कौन है। अगर उन्हें पता चला तो वो तुम सब की गांड मार लेंगे।
इसे पहले प्रतीक या कुंदन कुछ कहते, मनीष ने उन्हें रोक दिया। उसने उन्हें बाहर जाने को कहा।
वो दोनों मुझे गुस्से में घूरते हुए बाहर गेट के पास चले गए, फिर मनीष ऊपर जा कर सो गया।
रात में मैं 1 बजे के आस-पास उठा टॉयलेट जाने के लिए। ट्रेन में सब सो रहे थे और पूरा सन्नाटा पसरा हुआ था।
मैं टॉयलेट गया और जैसा ही मैं टॉयलेट कर के बाहर निकला कुंदन और प्रतीक बाहर खड़े थे।
मैंने कहा “सामने से हटो बहन के लोडो”, वो दोनों साइड हुए और मैं उनके बीच से होकर आगे बढ़ गया।
जैसे ही मैं थोड़ा आगे आया एक ने मुझे पीछे से पकड़ा और मेरे मुंह पर हाथ रख दिया ताकि मैं आवाज ना कर सकूं।
वो दोनों मुझे खींच कर वापस टॉयलेट में ले गए। कुंदन ने मुझे पीछे से पकड़ा हुआ था और प्रतीक मेरे सामने खड़ा था। प्रतीक अपने हाथों से मेरा मुँह पकड़ा और बोला..
प्रतीक – लगता है तेरे बाप ने तुझे तमीज़ नहीं सिखाया कि दूसरे से कैसे पेश आते हैं। पर आज हम तुझे ऐसा सबक सिखाएंगे कि तू जिंदगी भर याद रखेगा।
कुंदन- इस साले का मुंह बहुत चलता है, वहीं से शुरू करते हैं।
इतना कह कर कुंदन ने मुझे नीचे घुटनो पे बैठाया और प्रतीक ने अपनी पेंट में से अपना लंड बाहर निकाला। उसका लंड 8 इंच का था, मैं उसे देख के डर गया।
फिर कुंदन ने मेरे मुँह से हाथ हटा लिया और प्रतीक ने अपना लंड मेरे मुँह में डालने लगा।
पर मैंने मुंह नहीं खोला, तो इस पर प्रतीक ने मुझे एक जोर का थप्पर मारा और अपने हाथों से मेरे जबड़े को पकड़ के जोर से दबाया।
इससे मेरा मुँह खुला और प्रतीक ने अपना लंड मेरे मुँह में डाल दिया। एक ही झटके में उसका 3 इंच मोटा और 8 इंच लंबा लंड मेरे मुँह में पूरा घुस गया।
उसका लंड मेरे गले तक जा रहा था, जिसकी वजह से मेरी आंखों में पानी आ गया और मेरी सांस फूलने लगी।
फिर प्रतीक ने अपने हाथ से मेरा सर पकड़ा और अपना लंड मेरे मुँह में अन्दर बाहर करने लगा।
बाद में वो तेज़ तेज करने लगा और प्रतीक आआह्ह्ह्ह आआह्ह्ह्ह्ह्ह यस्स्स्स्स्स फुउउउउउ।
ऐसे ही 10 मिनट तक मेरा मुँह चोदने के बाद उसने अपना पानी मेरे मुँह में छोड़ दिया।
फिर कुंदन आगे आया और प्रतीक उसकी जगह चला गया। इसके बाद कुंदन ने अपना लंड बाहर निकाला, उसका लंड भी प्रतीक के जैसा ही था और उसने भी अपना लंड एक झटके में मेरे मुँह में डाल दिया।
अब वो लंड को आगे-पीछे करने लगा। आआह्ह् फुउयूयूसीकेके ओओओओएच की आवाज वो निकालने लगा। मेरी सांसे फूलने लगी थी और आंखों से पानी निकलने लगा था।
10 मिनट के बाद वो भी झड़ गया मेरे मुँह में। फिर उन्होंने मुझे छोड़ा और मेरी जान में जान आई और वो दोनों भी नीचे बैठे हुए थे।
मैंने कहा- सालों, ये तुम लोगों ने अच्छा नहीं किया, मैं तुम्हें छोड़ूंगा नहीं।
अभी भी तेरी हैकड़ी नहीं गई – ये मनीष ने बोला जो टॉयलेट के गेट पर खड़ा था।
मनीष- छोड़ोगे तो हम नहीं तुझे, अभी तक तो कुछ हुआ ही नहीं, आगे देख क्या-क्या होता है।
उसकी ये बात सुन कर मैं घबरा गया और मैंने कहा “क्या मतलब है तुम्हारा?” इस पर प्रतीक और कुंदन एक साथ बोले “हम बताते हैं तुझे”।
इतना कह कर उन दोनों ने मुझे उठाया और मेरे सारे कपड़े उतार दिये। फिर मनीष भी अंदर आ गया, उन्होंने मुझे डॉगी स्टाइल में बैठाया।
मनीष ने अपना लंड बाहर निकाला और उसे देख केर मैं दंग रह गया। उसका लंड उसके बेटों से भी बड़ा था, 9 इंच लंबा और 3.5 इंच चौड़ा। इस उमर में ऐसा लंड देख के मैं हैरान था।
वो मेरे आगे आया अपना लंड मेरे मुँह में डाल दिया। उसका लंड इतना बड़ा था कि एक बार में मेरे मुँह में नहीं आ पाया। उसने फिर से मेरे मुँह में लंड डाला, इस बार पूरा लंड मुँह में चला गया।
मेरी आँखों में आँसू आ गये और मेरा चेहरा लाल पड़ गया। फिर मनीष अपना लंड मेरे मुँह में अंदर बाहर करने लगा। तभी कुंदन और प्रतीक मेरी गांड पर हाथ फेरने लगे।
हाथ फेरते-फेरते दोनों ने अपनी एक-एक उंगली मेरी गांड में डाल दी। ऐसा होते ही मेरे पुरे शरीर में सनसनी सी दौड़ गई।
मेरे मुँह से ह्म्म्म्म की आवाज़ आई, मेरा लंड भी पूरा तरह जोश में था जो कि 7 इंच का था।
ऐसा करीब 10-12 मिनट तक चलता रहा, फिर मनीष ने मेरे मुंह में अपना पानी छोड़ दिया। मैंने भी अपना पानी छोड़ दिया।
पानी छोड़ने के बाद ही मनीष का लंड फिर खड़ा हो गया। उसे देख कर मेरी आँखे खुली की खुली रह गई और फिर मनीष ने अपने बेटों को कुछ इशारा किया और वो दोनों बाहर निकल गए।
फिर मनीष मेरे करीब आया उसने मुझे उठा के दीवार के सहारे लगाया।
वो मेरे होठों को छूने लगा और फिर वो मेरी गर्दन को छूने लगा। उसका ऐसा करना मुझे अच्छा लग रहा था और मैं आनहें भरने लगा।
फिर उसने मुझे घुमाया और मेरा सर दीवार की तरफ और गांड उसकी तरफ थी।
वो मेरे करीब आया और मुझसे बोला “तूने कहा था ना कि मेरे लंड में दम नहीं है, अब मैं तुझे दिखाता हूं कि ये क्या कर सकता है”।
उसने लंड मेरी गांड पे रखा और अपना एक हाथ मेरे मुँह पर।
पहला झटका मारा, लंड का ऊपर हिसा मेरी गांड में, मैंने ह्ह्म्म्म की आवाज की।
दूसरा झटका, आधा लंड अन्दर, ह्म्म्म्म्म्म
तिसरा झटका, पूरा लंड अंदर, ह्ह्ह्ह्ह्म्म्म्म्म्म्म।
पूरा लंड अंदर जाते ही मैं तिलमिला गया, वो कुछ देर वैसे ही रुका। फिर उसने धीरे-धीरे आगे-पीछे करना शुरू किया। अब मुझे कुछ अच्छा लगने लगा था।
उसने मेरे मुँह पे से हाथ हटाया, मुझे दीवार से दूर किया। उसने मेरे दोनों हाथ पकड़े, मुझे झुकाया।
अब वो पूरा खड़ा था, मैं कमर से झुका हुआ था, मेरे दोनो हाथ पीछे थे जो उसने पकड़े हुए थे। उसने मुझे चोदने की रफ़्तार बढ़ा दी और मेरी आहे भी तेज हो गई और अब वो भी आहे भरने लगा।
सोहिल – अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह अहा आआआअह्ह्ह्ह चोदककक मीईई फक्कककक मीईई और जोर से आआआह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह यीयस्स।
मनीष – आआआह्ह्ह्ह आआआह्ह्ह यीईईईई आआआह्ह्ह्ह।
ऐसे ही 15 मिनट तक चोदने के बाद उसने मुझे सीधा किया। अब उसका एक हाथ मेरे लंड को हिला रहा था, दूसरे मेरे सीने को स्तनों को दबा रहा था। साथ ही वो अब मेरी गर्दन को चूम रहा था।
इस पोज़ में 7-8 मिनट तक चोदने के बाद उसने मेरी गांड में अपना पूरा रस छोड़ दिया। इसके बाद 10 मिनट तक हम ऐसे ही जमीन पर पड़े रहे और फिर मनीष बहार चला गया।
उसके जाते ही कुंदन अंदर आया और उसने मुझे उठाया और होठों पे किस करने लगा। फिर अगले 20 मिनट तक उसने मेरी गांड मारी, उसके बाद प्रतीक आया और ऐसे ही मेरी गांड की चुदाई (Gand Ki Chudai) हो रही थी।
फिर उसके जाते ही मनीष फिर आया और एक बार फिर उसने मेरी गांड की जबरदस्त चुदाई की।
फिर वो मुझे नंगे ही गोद में उठा के हमारी सीट तक ले गया। सब लोग अभी भी सो रहे थे।
कुंदन और प्रतीक दोनों दो सीटों पर सो गए और मनीष मुझे लेकर सीटों के बीच में सो गया, जहां उन्होंने पहले ही बिस्टर बिछा दिया था। मैं थका हुआ था और मनीष की बाहों की गर्मी मिल गई तो मैं तुरंट सो गया।
मेरी आंख सुबह 8 बजे खुली और उठके मैंने देखा तो हमारे कोच में बस हम ही थे। बाकी सब लोग उतर गए थे, हमारा स्टेशन आने में में अभी भी 1 घंटा था, क्योंकि ट्रेन लेट थी।
मैं जमीन पर था और मेरे बगल की सीट पर वो तीनो अपना लंड निकाल कर मेरे उठने का इंतजार कर रहे थे।
तीन बड़े मोटे और तने हुए लंडो को देखे मेरे मन में अजीब सी सिहरन हुई।
तभी मनीष ने मुझे अपनी तरफ खींचा और मैं घुटनो के बल बैठा। जितना वो अपना लंड मेरे मुँह में देने को बेकरार था, उतना ही मैं लेने को।
मैंने अपना मुँह उसके लंड पे रखा और एक ही झटके में उसका 9 इंच का पूरा लंड मेरे मुँह में था।
अगले 10 मिनट तक मैं पूरी सिद्दत से लॉलीपॉप की तरह उसके लंड को चूसता रहा, फिर वो एक आआह्ह्ह के साथ मेरे मुंह में झड़ गया, मुझे इस तरह देख के वो तीनो मुस्कुरा रहे थे।
फिर मैंने कुंदन और प्रतीक को भी ऐसा ही ब्लोजॉब दिया। फ़िर तीनो उठे, मुझे घोड़ी बनाया, मनीष ने मेरी गांड में और कुंदन और प्रतीक ने मेरे मुँह में एक साथ लंड डाला और मुझे चोदना शुरू किया।
मैं अब पूरा मजा ले रहा था। फिर तीनो ने एक-एक कर मेरी गांड मारी और मेरे मुँह और गांड में अपना पानी छोड़ा।
मनीष – अब बता ये तमीज की पुड़िया किसकी गांड में गई मेरी रानी?
सोहिल – मेरी गांड में मनीष जी, मैं आप सब से रात की बत्तमीजी के लिए माफ़ी मांगता हूँ।
मनीष – लगता है ये घमंडी बच्चा सुधर गया, पर अब अफ़सोस करने का क्या फ़ायदा।
सोहिल – जी मनीष जी मुझे मेरी गलती का एहसास है पर अफ़सोस नहीं।
मनीष- क्यो?
सोहिल – अगर मैं वो हरकत ना करता तो मैं आप सभी को इतनी अच्छी तरह न जान पाता और इतना मजा मुझे नहीं मिलता।
मनीष – तुझे ये सजा मजा लग रही है?
सोहिल – हां, मेरा बस चलता तो मैं आप तीनों के साथ रह जाता हमेशा के लिए।
मनीष- अब तो हमारा घमंडी, रंडी बन गया।
इस पर वो तीनो हसने लगे और मैं शर्मा गया। फिर उन तीनो ने एक बार फिर मेरी गांड मारी।
इसके बाद हमने कपड़े पहने और उन्होंने मेरी पूरी जानकारी ली और हमने नंबर भी बदले।
आपको ये हिंदी गे सेक्स स्टोरी (Hindi Gay Sex Story) कैसी लगी मुझे कमेंट करके जरूर बताए।