November 21, 2024
फौलादी लंड का दीवाना

नमस्कार मेरे प्यारे गे भाइयो मेरा नाम सिराज है, और मैं आपके साथ अपनी एक सच्ची घटना शेयर करना चाहता हूँ। की मैं फौलादी लंड का दीवाना हूँ और अपनी कामुक गांड की चुदाई करवाना चाहता था। 

मेरी उम्र 21 साल है. बॉडी मेरी मस्कुलर है. ऊंचाई 5 फुट 8 इंच है और रंग भूरा है। मैं दिखने में खूबसूरत तो नहीं, पर आकर्षक जरूर हूं। जो कमी थी वो मैं बॉडी और पर्सनैलिटी से अच्छी तरह से पूरी कर लेता हूं।

पहले मैं आपको विस्तार से बताता हूं, कि मुझे अपनी कामुकता के बारे में कैसे पता चला और कैसे मैंने अपनी इच्छा को कैसे पूरा करना शुरू किया।

ये कहानी मेरी कॉलेज के दिनों की है और पूरी तरह से सच्ची है। मैं बचपन से ही योगा में रुचि रखता था।

मेरा स्वभाव थोड़ा शांत प्रकार का था और मैं पढने में काफ़ी तेज़ भी था। मैं योगा में बहुत अच्छा था और हमें तरह-तरह के स्तरों पर प्रतिस्पर्धा भी करनी थी।

इसका कारण यह था कि मेरी काया काफी दुबली और मस्कुलर थी। मेरी गांड गोल थी। मैं एक छोटे से गांव से हूं और पास के एक छोटे शहर में पढ़ई के लिए जाता था।

वहा कॉलेज में स्पोर्ट्स और योगा को भी काफी महत्व मिलता था, इसलिए मेरे लिए स्पोर्ट्स और योगा में एक्टिव रहना आसान था।

क्योंकि मैं थोड़ा शांत स्वभाव का था, तो मेरी व्यक्तिगत योगा में ज्यादा दिलचस्पी थी। इसी वजह से मेरा पढ़ाई पे भी फोकस रहता था।

जब मैं प्रथम वर्ष में था, तो मुझे एहसास हुआ, कि मुझे लड़कियों में दिलचस्पी नहीं थी। मेरे कॉलेज में अंतिम वर्ष के काफ़ी लड़के मुझे आकर्षक लगते थे।

बास्केटबॉल की टीम में भी कुछ लड़के थे। वो लड़के लंबे, मस्कुलर और काफी स्ट्रॉन्ग थे और वो सब मुझे बहुत पसंद थे।

उनसे एक लड़का था मिन्टू। वो लड़का एक दम हैंडसम और मस्कुलर था। उसका रंग सवाल था, 6 फीट से ज्यादा ऊंचाई थी उसकी। वो काफ़ी डोमिनेंट भी था।

मेरी कभी उससे बात करने की हिम्मत नहीं होती थी, लेकिन मैं हमेशा चोरी-छुपके उसको घुरा करता था।

पहले तो मेरे लिए ये भावनाएं समझ से बाहर थीं। लेकिन एक दिन इमरान हाशमी की फिल्म देखते हुए, मेरा भी दिल किया, कि मिन्टू भी मेरे साथ ये करे और मैं काफी हॉर्नी फील करने लगा।

मैंने इंटरनेट पर इसके बारे में सर्च किया, तो मुझे पता चला कि ये गे फीलिंग्स हैं। फिर मैंने गे सेक्स के बारे में सर्च किया। इसे मुझे गे पोर्न मिली और मैंने पोर्न देखते-देखते मुठ मारने की शुरुआत कर दी।

मैं बता दू, कि मेरा लंड 6+ इंच का है और अच्छा खासा मोटा है। मुझे मुठ मारने में काफी मजा आने लगा और इस वजह से मेरी बाकी लड़के के प्रति भावनाएं और भी बढ़ती चली गईं।

अब मुठ मारना और पोर्न देखना ही मेरी दिनचर्या का हिस्सा बन गया था। एक दिन एक वीडियो में मैंने, एक बॉटम पोर्नस्टार को मुठ मारते वक्त, खुद की गांड में उंगली करते हुए देखा। और मेरा भी बहुत मन किया गांड में उंगली करने का।

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मैं बाथरूम में गया, शॉवर ऑन किया, और गांड साफ करके उसमें एक उंगली धीरे से फंस गई। फिर मैंने मुठ मारना शुरू कर दिया। इसमें मुझे बहुत मजा आया। जैसा मजा मुझे इसमें आया था, वैसा पहले कभी नहीं आया था।

फिर मैंने रोज़ शॉवर लेते हुए गांड में उंगली करना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे मैं एक उंगली से दूसरी पे आ गया और 2 महीनो के अंदर 3 उंगलियों पर आ गया। फिर बस ऐसी ही गांड और उंगली का सिलसिला चलता रहा।

एक दिन मैंने एक गे सेक्स स्टोरी में पढ़ा, कि कैसे कुछ लड़के गांड में गाजर और ककड़ी का इस्तेमाल करते हैं। मैंने कुछ पोर्न देख कर इसकी भी तैयारी करी।

फिर एक दिन मैंने कॉलेज से आते वक्त एक अंजान एरिया के मेडिकल स्टोर से कंडोम लिया और सब्जी वाले से 6 इंच लंबी मोटी गाजर खरीदी।

मैं घर पहुंचा और उस दिन मैं घर पे अकेला था। मैंने एक अच्छी गे पोर्न वीडियो चलाई, जिसका एक काला बड़े लंड वाला लड़का था।

वो काला लड़का एक सफ़ेद लड़के को चोद रहा था। मैंने गाजर पर कंडोम चढ़ाया। फिर मैंने किचन से सरसों का तेल लेके, उसपे अच्छे से घी लगा कर उसे तेल में लबा-लब किया।

उसके बाद मैंने उस गाजर को अपनी गांड के छेद पर रख कर उसको दबाना शुरू किया।

मैंने अपने मन में सोचना शुरू किया, कि वो एक लंड था और मेरी गांड खुलने लगी। कुछ ही मिनटों में गाजर अंदर चली गई।

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मुझे इसमें थोड़ा दर्द हुआ, फिर मैंने उस गाजर को इसी तरह कुछ देर रहने दिया और फिर धक्के लगाने शुरू किये।

उसके बाद मैं ऐसा झड़ा, कि पूछो ही मत। फिर भी मेरा मन नहीं भरा था, मैंने फिर गाजर अंदर डाल कर अंदर बाहर करने लगा और दोबारा इतने ही ज़ोर से झड़ा।

उस दिन मैं एक-दम संतुष्ट था। फिर ये भी रोज़ का सिलसिला बन गया और मैं गाजर पे गाजर खरीदने लगा।

प्रथम वर्ष ख़त्म हो गया और छुट्टियाँ आ गईं। पहली बार मुझे जिंदगी में खुद से ज्यादा किसी और के नतीजे की चिंता थी।

मुझे एग्जाम के रिजल्ट का इंतजार था। स्पेशली मिन्टू के रिजल्ट का और बाकी बास्केटबॉल टीम के लड़कों के रिजल्ट का।

वो दो बार फेल हो चुके थे और उन्हें पास या फेल होने से कोई फ़र्क भी नहीं पड़ता था। लेकिन मुझे पड़ता था।

मैं चाहता था, कि वो फिर से फेल हो जाए। वैसे ऐसा किसी के बारे में मुझे सोचना नहीं चाहिए, लेकिन मैं अपने मन को नहीं मना पा रहा था।

जिस दिन रिजल्ट आया और मैंने चेक किया, तो वो सारे फेल थे। अगर मैं इनके साथ कुछ करना चाहता हूं, तो वो मुझे इसी साल करना होगा।

वरना तुम फिर से फेल हो जाओगे। और वैसे भी गाजर से अब काम नहीं हो रहा था और मुझे असली लंड का अहसास चाहिए था।

मैंने फैसला किया, कि अब मैं उन्हें सिर्फ दूर से नहीं देखूंगा। छुट्टियां चल रही थीं और मैंने एक रणनीति बनाई।

मैंने फेसबुक पर एक लड़की के नाम से फेक प्रोफाइल बना कर मिन्टू को फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजी है। वहा मैंने अच्छी सी एक लड़की की पिक्चर भी लगाई थी।

उसने तुरंत मेरी फ्रेंड रिक्वेस्ट स्वीकार कर ली और फिर मैंने तुरंत उसको मैसेज किया-

मैं: नमस्ते।

मिन्टू: क्या तुम मुझे जानती हो?

मैंने कहा: हां, मैं तुम्हारे ही कॉलेज की एक जूनियर हूं। मैंने प्राइवेसी के लिए एक फेक फोटो लगाई है।

फ़िर उसने पूछा: क्यू?

मैंने कहा: मुझे पता है, कि तुम कितने बदमाश हो और इसलिए मैं धीरे-धीरे तुम्हे जानना चाहती हूं।

ये सुन कर वो मान गया, फ़िर उसने पूछा-

मिन्टू: तुमने मुझे मैसेज क्यों किया?

तो मैंने जवाब दिया: मैं तुम्हारे बास्केटबॉल की फैन हूं।

फिर उसने पूछा: सिर्फ बास्केटबॉल की, या उसकी भी?

मैंने जवाब दिया: सिर्फ बास्केटबॉल की।

तो उसने कहा: वैसे मुझे बॉल से खेलना बहुत पसंद है। मैं एक बार बॉल को पकड़ लेता हूं, तो उसकी इच्छा पूरी करके ही छोड़ता हूं। और मैं तुम्हारी गेंदों से भी खेलना चाहता हूँ।

मैं उसका डायरेक्ट अंदाज़ से काफी हैरान भी था और इंप्रेस भी। फिर हमारी ऐसी ही बात चलती रही।

वो काफी जिद करता था, कि मैं उसको मिलूं, या फिर अपना नाम बताउ, या फोटो भेजू। लेकिन मैंने उसको कह दिया, कि मैं अपनी स्पीड से ही चलूंगी।

फिर वो ना चाहते हुए भी मेरी बात मान गया। मैं असल में सपने को लंबा खींचना चाहता था और ये जनने की कोशिश कर रहा था, कि वो एक लड़के के साथ कुछ करेगा भी या नहीं। और फिर हमारी चैट ऐसे ही चलने लगी।

फ़िर छुट्टियाँ ख़तम हो गयी और मेरा दूसरा साल शुरू हो गया। मैने छुट्टियाँ ख़त्म होने से पहले, मिन्टू को दिलचस्पी रखने के लिए बताया था, कि मैं अब दूसरे वर्ष में हूँ।

समझदार भी द्वितीय वर्ष के काफी सारे सेक्शन थे और उसमें इतनी सारी लड़कियाँ थीं।

उसने भी कुछ दिन चक्कर काट कर ढूंढ़ना बंद कर दिया। अब सेकंड ईयर के लड़के, फाइनल ईयर के लड़के साथ में चेंजिंग रूम शेयर करते थे।

वहा पे कोई भी किसी से शरमाता नहीं था। और फाइनल ईयर के रिपीटर्स को वैसे भी किसी से कुछ लेना देना नहीं था।

पहले दिन मैंने सोचा, कि मैं सबसे आखिरी में जाउंगा, ताकी अकेला राहु और उन सबको फेस ना करना पड़े।

लेकिन मुझे पता चला, कि वो बास्केटबॉल वाले लास्ट में ही आते थे, ताकि आराम से अकेले चेंज करके शॉवर ले सके। शावर में वो अकेले होते थे, तो अपनी निजी जिंदगी पर चर्चा करते थे।

मुझे देख कर वो कुछ हिचकिचाए और अपने काम पर लग गए। मैंने उनके लोडे उनके अंडरवियर से देखे और मैं तुरंत वहां से टॉयलेट गया और गांड में उंगली करके मजे से झड़ा।

मुझे तब अच्छे से शांति मिली। क्या लोडे थे उन सब के, 7 से 8.5 इंच के बीच।

मिन्टू का लोडा उन सब में बड़ा था और काफी मोटा लग रहा था। मुझे फिर से डर और एक्साइटमेंट हुई। लेकिन दोबारा ऐसा ना हो, इसलिए मैं अब बाकी बच्चों की चेंजिंग ख़तम होने तक और उनके आने से पहले शॉवर में जाने लगा।

वो जैसे ही शॉवर में आते थे, मैं निकल कर बाहर के इलाके में कपड़े बदलने लगता था और वहां खड़े-खड़े उनकी बातें सुनता था।

धीरे-धीरे मुझे पता चला, कि उनकी सेक्स लाइफ काफी रूखी-सूखी थी। लडकिया पट तो जाती थी उनसे, लेकिन सेक्स नहीं करने देती थी।

फिर मैंने सोचा, कि इनको इंकार कौन कर सकता है। इसी वजह से वो काफी परेशान हैं। मैंने मिन्टू को वो फेसबुक वाली बात करते हुए भी सुना।

वो कह रहा था, कि अब उससे और बर्दाश्त नहीं होगा और वो मुझे अल्टीमेटम देगा। मुझसे भी चैट में उसकी अधीरता दिखती थी। लेकिन इसकी बात सुन कर मुझे समझ में आ गया था, कि मेरे पास ज़्यादा टाइम नहीं था।

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उस दिन मैंने घर जाके उसको मैसेज लिखा। उसने मैंने सब कुछ विस्तार से लिखा, कि मैं एक लड़का हूं और गे हूं। मैंने उसको कहा-

मैं: मैं एक गे हू। तुम मुझे कब से पसंद हो, तुम्हारा मांसल शरीर और बड़े लंड से मैं जी भर के चुदवाना चाहता हूँ। और मुझे तुम्हारे अलावा कुछ नहीं सूझता।

मैंने उसको सॉरी भी कहा, उसका समय बर्बाद करने के लिए। साथ में मैंने उसको कहा-

मैं: मैं बस ये जानना चाहता था, कि ये मुमकिन है भी या नहीं। तो मेरे पास बस यही साल था।

फिर मैंने उसको मैसेज भेज दिया और लॉगआउट करके अकाउंट बंद कर दिया। उसके बाद मैं दुखी होकर सो गया।

मैंने 2 दिन तक डर के मारे अकाउंट नहीं खोला, पता नहीं उसका क्या रिएक्शन होगा। वैसे कॉलेज में वो बिल्कुल भी गुस्सा नहीं दिख रहा था।

इसलिए मैंने तीसरे दिन हिम्मत करके अकाउंट खोला। उसके काफ़ी संदेश आये थे।

उसके संदेशों ने मुझे क्या लिखा था और आगे क्या हुआ, वो आपको अगले भाग में पता चलेगा।

तो दोस्तो ये मेरी पहली गे चुदाई कहानी (Gay Chudai Kahani) है। मुझे आपके कमेंट का बेसबरी से इंतज़ार रहेगा। मेरे पास और भी बहुत कुछ सुनाने को है।

कृपया मुझे बताएं कि मेरी गे चुदाई कहानी कैसी लगी। धन्यवाद।

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