हेलो दोस्तो, मैं मिन्टू आज आप सब के लिए अपनी लाइफ की एक खूबसूरत हिंदी गे सेक्स कहानी (Hindi Gay Sex Story) ले कर आया हूँ। ये बात पिछले साल की गर्मियों की है, जब मैंने पहली बार अपनी गांड में लंड लिया था। और इस कहानी का शीर्षक गर्मी में गांड चुदाई का मजा है।
मैं एक गांडू हूं, ऐसा नहीं है, बिल्कुल महि है की मुझे चूत मारना पसंद नहीं है।
मुझे लड़किया भी पसंद आती है, पर मुझे चूत मारने से ज्यादा मजा अपनी कामुक गांड मरवाने में आता है।
पता नहीं कब से मेरा ध्यान लड़के की तरफ जाने लग गया था।
मैं दिल्ली के नजफगढ़ से हूं, और आपको नजफगढ़ के जाट लोगो का तो पता ही होगा। वो कितने सुंदर और मजबूत शरीर वाले होते हैं।
बस मुझे ऐसे ही मर्द ज्यादा पसंद आते हैं। क्योंकि उसका जिस्म और उनके लंड को चूस चूस कर पानी निकलने में मुझे बहुत मजा आता है।
पर जब कोई मेरे साथ जबरदस्ती करता है, या मुझे कोई गली देता है। तो मेरा दिल टूट जाटा है, और मुझे बंदे से नफ़रत हो जाती है।
पर नजफगढ़ में काफी ऐसे लोग हैं। जो मुझसे बड़े प्यार से बात करते है, और फिर मैं भी उन्हें पूरा खुश कर देता हूं।
मैं पूरी तरह से गांडू कॉलेज में आ कर ही बना, जब मैंने पहली बार अपने कॉलेज के एक चपरासी का लंड चूसा था।
तब से कॉलेज के चपरासी और सिक्योरिटी गार्ड का लंड चूस चुका हूं। उन्होंने मेरी गांड मारने की बहुत कोशिश करनी चाही, पर मैं अभी गांड चुदवाने के लिए तैयार नहीं था।
मेरा सपना था, कि मेरी गांड को मजबूत शरीर वाला जाट ही मारे।
पर एक शहर के बहनचोद लड़के ने जबरदस्ती और धोखे से मेरी मोटी गांड (Moti Gand) मारी ली। आज मैं आपको वो ही गे कहानी बताने जा रहा हूँ।
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हुआ ऐसे कि मैं एक दिन कॉलेज से घर वापस आ रहा था। मेरा घर गाँव में था, और मेरा कॉलेज द्वारका में है।
इसलिए मुझे रोजाना बस से अप डाउन करना पड़ता है। उन दिनों पूरी गर्मी शुरू हो चुकी थी, बस में भी काफी भीड़ होने लग गई थी।
एक दिन में कॉलेज से एक घंटा पहले निकल लिया, क्योंकि जहां मेरा कोई लेक्चर नहीं लगाने वाला था। इसलिए मैं समय से पहले घर की तरफ निकल लिया।
मैंने वहा से बस पकड़ी और बस में चढ़ गया। बस में काफी भीड़ थी, लोग बस में इस प्रकार कर भरे हुए थे। जैसे कूड़ा भरा हुआ हो।
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मैं धीरे-धीरे आगे बस में बिच में आ गया, और एक सीट के किनारे खड़ा हो कर।
उसकी तरफ अपनी गांड लगा कर खड़ा हो गया। आपको पता ही है, बस में सीट के किनारे खड़े होना भी काफी आराम वाला सफर माना जाता है।
गर्मी के कारण बस में भी गर्मी थी, पर जैसे ही बस आगे 2 बस स्टैंड पर रुकी तो उसमें और लोग चढ़ गए।
अब तो ये हाल हो चुका था, कि बस में साँस लेना भी मुश्किल हो रहा था। और कोई ज्यादा हिल डुल भी नहीं पा रहा था।
गर्मी के कारण बस में सब पसीने से नहा रहे थे। पूरी बस में पसीने की बदबू फेली हुई थी।
मुझे लग रहा था, कि मैं नरक में जल्दी आ चुका हूँ। पर घर से बाहर का ये भी एक रूप है।
फ़िर बस एक और बस स्टॉप पर रुकी। मुझे इस बार बहुत गुस्सा आया, क्योंकि एक तो पहले से ही लोग कुत्तों की तरह बस में भरे हुए थे।
और ये बस ड्राइवर बहनचोद और बन्दे भरने में लगा हुआ था। पर वहा से सिर्फ एक लड़का बस में चढ़ा। वो लड़का एक पटाला सा था, और वो बस में चढ़ते ही धीरे-धीरे मेरे पास आने लग गया।
और कुछ ही देर में मेरे पास आ कर वो मेरे पीछे खड़ा हो गया।
देखने में वो करीब 22-23 साल का लग रहा था, उसका रंग सांवला था। और उसका शरीर भी ठीक ठाक ही था।
उसने एक बैग अपने कंधों पर टांगा हुआ था, उसने एक टी शर्ट और एक लोअर डाली हुई थी। सर और चेहरे पर उसने एक सफेद रंग का कपड़ा बंदा हुआ था।
उस कपड़े को नजफगढ़ में परना कहते है। अगर आपने नजफगढ़ के लोगो को देखा होगा।
तो उन्हें धूप और गर्मी से बचाने के लिए ये कपड़ा जरूर अपने सिर पर रखा होता है। इसलिए मुझे उसका चेहरा कुछ ठीक से दिख नहीं रहा था।
वो पूरा पसीने से भीगा हुआ था, और ऊपर से वो इस गर्मी से भरी हुई बस में आ गया था।
उसके बस में आते ही उसका गरमी से और ज्यादा बुरा हाल हो गया था। हम दोनों आपस में भिड़ गए और एक दूसरे से चिपक गए।
जिस वजह से मुझे उसके पसीने से भीगी टी शर्ट की बदबू आ रही थी। मेरा बैग उसकी लोअर के पास लटका हुआ था।
जिस पर मैंने अपना एक हाथ रखा हुआ था, मेरे हाथ की उंगली उसके लंड पर कभी कभी चू रही थी।
मुझे ये सब पागल कर रहा था, अब मैं भी गरम हो रहा था। मेरे अंदर काम वासना आ रही थी। फिर तभी बस ने अचानक से ब्रेक मारी और मेरा हाथ अब उसके पूरे लंड पर चला गया।
मैंने झट से पीछे मुड़ कर देखा तो उसने मुझे एक सेक्सी सी स्माइल कर दी।
जिसे देख कर मैं समझ गया, उसको भी इस सब में मजा आ रहा था। अब मैं जानबुझ कर बार बार अपनी उंगली उसके लंड पर लगा रहा था।
पर तभी उसने मेरा बेग पकड़ कर आगे कर दिया। जिसे किसी को ना दिखे कि मैं बार-बार उसका लंड पकड़ रहा था।
अब की बार जैसे ही मैंने अपना हाथ उसके लंड पर रखने की कोशिश की। तभी उसने मेरा हाथ पकड़ा और अपनी लोअर के अंदर डाल लिया।
अब मेरे हाथ में उनका नंगा गरम लंड आ गया। मैं एक दम से शॉक हो गया, उसका लंड लोहे की रॉड से गरम और मोटा था।
दोस्तो इससे आगे क्या हुआ, और कैसा हुआ। किसी को बस में ये सब पता चला के नहीं। ये मैं आपको अपनी इस कहानी के अगले भाग में जरूर बताऊंगा।
आप सभी प्यारे दोस्तों को मेरी ये गे सेक्स कहानी (Gay Sex Kahani) यहां तक अच्छी लगी है या नहीं, कृपया मुझे कमेंट में जरूर बताएं। मुझे आपके प्यार भरे कमेंट का बेसब्री से इंतजार रहेगा। धन्यवाद।