November 21, 2024
लंड महाराज चूत महारानी

हेलो दोस्तों, मेरी 28 साल की चांदनी। हा बिल्कुल सही पढ़ा आपने, मैं चांदनी ही हू। चांदनी के चाँद जैसा मेरा चमकता-दमकता चेहरा, काले और घुंघराले बालों के साये में घिरा हुआ मेरा सीना कमाल का है। इस कहानी का शीर्षक लंड महाराज चूत महारानी की ताबाद-तोड़ चुदाई की कहानी है।

मेरी बड़ी-बड़ी, पागल करने वाली, गोरी और सुडोल चूचिया और पीछे गांड पर उभरा हुआ शबाब बिल्कुल जान-लेवा है।

मेरी हिरनी जैसी मटकती हुई चाल, मेरे दीवानों की आँखों को सुकून देती है और उनके सीने को घायल भी कर देती है।

मर्द चाहे बुड्ढा हो या जवान, सब मेरी जवानी का रस पीना चाहते हैं और मुझ पर पूरी तरह से फ़िदा हो जाते हैं।

मेरे बदन ने जवानी की देहलीज पर दस्तक क्या दी, मेरे लिए तो मुसीबत ही हो गई।

एक तरफ जवानी मुझे चैन से रहने नहीं दे रही थी और दूसरी तरफ मेरे दीवानों की फौज हर दिन बड़ी होती जा रही थी।

मुझे अगर किसी चीज़ की कमी थी, तो वो था रोज़गार। मेरी आमदनी का कोई ज़रिया नहीं था, जिसे मैं अपनी जीविका चला सकती थी।

माँ के रहते हुए मैंने कॉलेज से डिग्री तो हासिल कर ली थी। फ़िर माँ गुज़र गई और मैं बेरोज़गार ही रह गई। अब मुझे हर दिन जिस चीज़ की तलाश थी, वो चीज़ थी एक ढांग की नौकरी।

लंड महाराज चूत महारानी की ताबाद-तोड़ चुदाई की कहानी हिंदी में

18 साल की उमर में मुझे जवानी आई और आज मैं 28 साल की हो गई थी। 6 साल के लंबे सफर में मैं अपने लिए नौकरी तलाश करती थी, या फिर अपने लिए एक यार ढूंढती रही।

यार, जो मुझे प्यार करे और कस कर चोदे और मैं सुकून से रह सकूं।लेकिन मुझे ना तो नौकरी मिली और ना ही सही यार, जो जीवन भर के लिए मेरा साथ निभा सके।

ताबाद-तोड़ चुदाई

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मुझे यार तो बहुत मिले, लेकिन वो सब ऐसे थे जिनको मुझे बस चोदना ही था और साथ नहीं निभाना था। मैं भी अब इन सब चीज़ों से उबर गई थी।

दोस्ती का मतलब मैं जानती थी, जो सिर्फ चुदाई की दोस्ती थी। जैसी ही चुदाई होती थी, तो दोस्ती ख़तम हो जाती थी।

अब मैं अपनी हिंदी सेक्स कहानी पर आती हूँ।

मैं एक मार्केटिंग कंपनी में इंटरव्यू देने के लिए गई थी। मैं इंटरव्यू के लिए दिल्ली गई हुई थी। कोरोना के डर की वजह से शहर के सारे होटल बंद थे और मुझे कहीं रूम नहीं मिल रहा था। (लंड महाराज चूत महारानी)

मेरे पास मेरे दूर के एक रिश्तेदार का संपर्क नंबर था। वो रेशमा दीदी थी. फिर मैंने रेशमा दीदी के साथ संपर्क बनाया और दो दिन के लिए आसरे की गुहार लगाने की सोची।

लेकिन उनसे बात करके मुझे पता चला, रेशमा दीदी तो शहर से बाहर थीं और उस वक्त उनका लड़का घर पर अकेला था।उनके बेटे का नाम राजू था, फ़िर रेशमा दीदी ने राजू को सब कुछ बता दिया और मुझे स्टेशन से लाने को बोल दिया।

मैंने सोचा, चलो रहने की समस्या का तो समाधान हो गया। फिर मैं स्टेशन पर राजू का इंतजार करने लगी।

फिर कुछ देर इंतजार करने के बाद राजू मेरे पास आया। तब मैंने राजू को पहली बार देखा। राजू लंबा-चौड़ा गोरा-चिट्टा और एथलेटिक बॉडी वाला लड़का था।

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उसकी उमर मुझसे लगभाग 19-20 साल होगी। मेरी नज़र जब राजू से मिली, तो मैं उसको देखती ही रह गई।

राजू भी मुझे देखता ही रह गया, फिर एक लंबा वक्त तक देखने के बाद हम दोनों का ध्यान भंग हुआ।

राजू: अब हम लोग चले मौसी?

मैं हिचकिचाते हुए बोली: हा हा चलो।

फिर हम दोनों बाइक पर बैठे और घर के लिए निकल पड़े। मेरी चूचिया बाइक पर बैठे हुए राजू की पीठ पर रगड़ खा रही थी।

राजू भी इससे रोमंचित हो रहा था। फिर हम दोनों घर पहुंच गए। उनका घर छोटा सा था, लेकिन खूबसूरत था।

घर पहुँचते ही मैं नहाने के लिए बाथरूम में चली गई। फिर मैंने अपने कपड़े उतार दिए और मैं नहाने लग गई। अचानक मुझे महसूस हुआ, कि बाथरूम में मुझे कोई झाँक रहा था। (ताबाद-तोड़ चुदाई की)

फिर मैंने ध्यान से देखा, तो और कोई नहीं, बाल्की राजू मुझे देख रहा था। फ़िर क्या था, मैंने फ़ैंसला कर लिया था।

मैं सुरख के सामने घूम गई और अपनी चूत के साथ-साथ अपनी चूचियों को रगड़-रगड़ कर राजू को दिखाने लग गई।

मैंने फैसला कर लिया था, कि आज मैं हर हाल में राजू से अपनी चुदाई करवा के रहूंगी। फ़िर मैं बाथरूम से बाहर आ गई।

राजू सामने ही बैठा था और एक तक मुझे देख जा रहा था। फिर मैंने मुस्कुराते हुए राजू से पूछा-

मैं: क्या बात है राजू, तुम मुझे ऐसे क्यों देख रहे हो?

फ़िर राजू बोला: हा मौसी, आप बहुत खूबसूरत और हॉट हो।

फिर मैंने राजू को बोला: तुम तो अभी छोटे हो। तुम हॉट का मतलब भी जानते हो?

राजू बोला: मौसी मैं इतना भी छोटा नहीं हूं, मैंने लड़की का वो रूप देखा है, जिसको देख कर लड़के के अंदर कुछ-कुछ होने लगता है और वो लड़की से कुछ-कुछ चाहने लगता है।

फ़िर मैं बोली: अच्छा? तो क्या उस वक़्त मुझे देख कर तेरे अंदर कुछ-कुछ हो रहा है? और तुम मुझसे क्या चाह रहे हो?

मेरी बात सुन कर राजू हंसने लग गया। फिर उसने मेरे चाँद से मुखड़े को अपने हाथों में लिया और मेरे होठों से अपने होठों को चिपका दिया। (लंड महाराज चूत महारानी)

फ़िर वो मेरे रस भरे होठों का रस अपने होठों से पीने लग गया। वो बिल्कुल एक कुशल खिलाड़ी की तरह मेरे होठों को चूस रहा था।

फिर मैंने उससे पूछा: राजू तुमने पहले कभी किसी लड़की को चोदा है और उसके होठों का रस पिया है?

राजू ने ना में सर हिलाया। इसका मतलब ये था, कि राजू बिल्कुल वर्जिन था। मैं अपनी किस्मत पर इत्र रख रही थी, कि आज मुझे एक वर्जिन माल मिलने वाला था।

फिर मैं राजू को पूरा सहयोग देने लगी और राजू मेरे कोमल होठों को चूसता जा रहा था।

फिर मैं राजू के मोटे लंड से खिलवाड करने लगी और राजू का बड़ा और मोटा सा लंड पैंट के अंदर से फन-फना रहा था।

मैंने राजू की पैंट को उतार दिया और उसका लंड सांप की तरह लहराता हुआ बाहर आ गया। अब राजू मेरे होठों को छोड़ कर मेरी चूचियों पर आ गया। वो कुर्ती के ऊपर से ही मेरी चूचियों को मसल रहा था।

फिर मैंने आगे बढ़ कर अपनी कुर्ती उतार दी और अपनी ब्रा भी खोल दी। मेरी नंगी चूचियों को देख कर राजू जन्नत की सैर करने लग गया।

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मैंने राजू के मुंह में अपनी चूची डाल दी और वो बच्चे की तरह मेरी चूचियों को चुसने लग गया। फिर धीरे-धीरे मैंने अपना पायजामा और पैंटी भी उतार दी। (ताबाद-तोड़ चुदाई)

अब मेरा संगमरमर जैसा बदन राजू के सामने था और राजू एक-दम अचंभे में था, जैसा उसको भरोसा ही नहीं हो रहा था। शायद वो सोच रहा होगा, वो सच नहीं बल्कि सपना देख रहा था।

जो भी हो, फ़िर मैं उसको पग-पग पर चुदाई करने की विधि समझ रही थी। मैंने राजू के मुँह को अपनी चिकनी और सपाट चूत पर रख दिया।

एक चीज़ मैं अपने पाठकों को बता दू, भगवान ने मुझे ख़ूबसूरती तो दी है, लेकिन चूत पर एक भी रोवन नहीं दिया। मेरी चूत एक दम चिकनी और सपाट है।

शायद इसीलिए मैं एक नंबर की चुदक्कड़ हूँ। मैंने लोगो से सुन रखा है, जिस लड़की की चूत पर तिल होता है, वो लड़की काफी चुदक्कड़ होती है। मेरी भी चूत की दोनो होठो पर तिल है।

राजू अब मेरी गुलाबी चूत को चाट रहा था और मेरे बदन की गर्मी तेजी से बढ़ रही थी। मेरी चूचीया तन कर सख्त हो चुकी थी और मेरी चूत की दोनो फैन्के भी आपस में रगड़ खा रही थी।

राजू की जीभ रह-रह कर मेरी चूत के दाने पर पड़ रही थी और मैं सिहर उठती थी।

मेरी चूत अब चिल्ला-चिल्ला कर उसके लंड को बुला रही थी। मेरी चूत कह रही थी, कि अब जीभ और उंगली से कुछ नहीं होने वाला और अब मुझे लंड चाहिए। इस चुदाई के खेल की रेफरी तो मैं ही थी।

फिर मैंने राजू के लंड को अपनी चूत के मुँह पर रख लिया और राजू की गांड थप-थपयी। राजू ने भी मेरे इशारों को समझ लिया और एक ज़ोर का झटका अपने लंड को दिया। (लंड महाराज चूत महारानी)

अब लंड महाराज चूत महारानी की दीवारों को चीरता हुआ, अंदर गली में समा गया। मेरे मुँह से आह की चीख निकल गई और मुझे असीम आनंद की अनुभूति हुई।

जब चूत में लंड हो, चूची पार्टनर के हाथ में हो और होठों से होंठ चिपके हुए हो, तो जिस असीम आनंद की प्राप्ति होती है, उसको शब्दों में बयान नहीं दिया जा सकता।

राजू मुझे धक-धक करके चोद रहा था और मैं भी गांड उछाल-उछाल कर अपनी चूत चुदवा रही थी।

राजू आह्ह आह्ह करके मुझे तूफानी रफ़्तार में चोद रहा था और अब उसका बदन अचानक अकड़ने लग गया।

मैं जान गई थी, कि राजू अब झड़ने वाला था। फ़िर राजू ने आअहह आअहह करते हुए अपने लंड से रस की पिचकारी मेरी चूत में निकाल दी।

मैंने राजू की गांड को अपने हाथों से पूरी ताक़त से पकड़ रखा था। मेरे पकड़ने की वजह से राजू अपना लंड मेरी चूत से निकाल नहीं पा रहा था।

मैं अब अपनी चूत में हलचल पैदा करके उसके लंड में दोबारा से तनाव लाने की कोशिश कर रही थी और उसको चुदाई के लिए फिर से तैयार कर रही थी। (ताबाद-तोड़ चुदाई की)

मेरी कोशिश कामयाब हो गई और राजू का लंड चूत में पड़े-पड़े फिर से खड़ा हो गया।

फिर क्या था, चूत लंड की जंग फिर से शुरू हो गई। मैंने तो पहले से मास्टर्स कर रखी थी चुदाई में, लेकिन इस चुदाई से राजू को भी बहुत अनुभव मिल गया था।

इस बार वो लम्बे-लम्बे शॉट मार रहा था और इस बार वो पिछली चुदाई से बेहतर तरीके से मुझे चोद रहा था। इस बार चूत की चुदाई की आवाज पूरी लय-संगीत में थी।

राजू उछल-उछल कर मुझे चोद रहा था और मैं भी गांड उठा-उठा कर उससे चुद रही थी।

फ़िर 25 मिनट की ताबाद-तोड़ चुदाई के बाद लंड और चूत एक साथ झाड़ कर शांत हो गए।

लंड और चूत से निकले रस मिल कर एक हो गये थे। फिर पूरी रात हम दोनों ने चुदाई की और मेरी बरसों की प्यासी चूत की आग बुझ चुकी थी। (लंड महाराज चूत महारानी)

तो ये थी मेरी सेक्स कहानी, ये कहानी आपको कैसी लगी, मुझे कमेंट में जरूर बताना। कहानी पढ़ने के लिए आपका धन्यवाद।

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