आज की हिंदी सेक्स कहानी है “कामुक चाची को चोदा रिश्तेदार के फ्लैट पर” इस कहानी को पढ़ने के बाद आप अपना लंड हिलाने से नहीं रोक पाएंगे।
हैल्लो दोस्तों, आज जो कहानी मैं आपको बताने जा रहा हूँ वो मेरी और मेरी चाची की है। इस कहानी को सुनकर आपका लंड जरूर खड़ा हो जाएगा।
मेरा नाम साहिल है, मैं अशोक नगर, दिल्ली का रहने वाला हूँ, मेरी उम्र 26 साल है और मेरी चाची की उम्र लगभग 40 साल है,
वह बहुत गोरी हैं और उनका शरीर भरा हुआ है,
उनके होंठ गुलाबी और साफ़ हैं और ऊँचाई बहुत अधिक नहीं है। यह बात लगभग 6 महीने पहले की है,
हमारे रिश्तेदार में किसी करीबी रिश्तेदार के यहाँ किसी की मृत्यु हो गई थी और मुझे अपनी चाची के साथ जाना पड़ा क्योंकि मेरे चाचा जी घर पर नहीं थे।
फिर मैंने सफ़ेद कपड़े पहने और चाची भी कपड़े बदलने चली गयी।
फिर जब वह बाहर आई तो क्या दिख रही थी…
उसने सफ़ेद रंग का बहुत ही पतला ब्लाउज पहना हुआ था और अंदर ब्रा भी नहीं पहनी थी,
जिसके कारण उसके बड़े बड़े स्तन और अंदर के निपल्स भी साफ़ दिख रहे थे और निपल्स के बगल का काला घेरा भी दिखाई दे रहा था।
अब में तो बस देखता ही रह गया था, अब मेरा लंड बहुत टाईट हो गया था।
फिर जब चाची ने मुझे अपने स्तन देखते हुए देखा तो उन्होंने अपनी साड़ी के पल्लू से अपने स्तन छुपा लिए और मैं शरमा गया।
फिर मैंने जल्दी से अपनी बाइक निकाली और जानबूझ कर बाइक की सीट पर थोड़ा पीछे बैठ गया, ताकि चाची मेरे बगल में बैठें।
फिर जैसे ही चाची मेरे पीछे मेरे कंधे पर अपना एक हाथ रखकर बैठी तो उनके बड़े बड़े स्तन मेरी पीठ से टकराए और मेरे शरीर में करंट सा दौड़ गया,
क्या मुलायम स्तन थे? ऐसा लगा जैसे मखमल मेरे शरीर को छू रहा हो।
अब मैं तेजी से बाइक चलाने लगा था और बारी-बारी से ब्रेक मारने लगा था। अब जैसे ही मैं ब्रेक मारता तो उसके दोनों मम्मे मेरी पीठ से टकराते थे।
अब मेरा लंड खड़ा हो गया था, लेकिन थोड़ी ही देर में हम उसके घर पहुँच गये और मुझे निराशा हुई, काश उसका घर थोड़ा दूर होता।
फिर जब हमें वापस लौटना पड़ा तो मैं बार-बार ब्रेक मारने लगा। अब उसके बड़े-बड़े चूचे मेरी पीठ को छू रहे थे और अब मेरा लंड पूरा खड़ा हो गया था।
फिर घर पहुँचने के बाद मेरी चाची ने कहा कि नहाकर ही घर के अंदर जाना होगा, तो में घर के बाहर जहाँ मेरी चाची कपड़े धोती है,
वहाँ सिर्फ़ पेंट पहनकर नहाने लगा। हमारे घर के चारों तरफ बड़ी दीवार होने के कारण कोई अंदर नहीं देख सकता था।
मेरी चाची ने भी अपनी साड़ी उतार दी और सिर्फ ब्लाउज और पेटीकोट में मेरे साथ नहाने लगीं।
फिर जब उसका सफ़ेद रंग का ब्लाउज गीला हो गया तो उसके बूब्स साफ दिखने लगे और उसकी निपल और उसकी बांह का काला गोला भी साफ दिखने लगा।
अब मेरा लंड बहुत टाइट हो गया था।
बाद में उसने अपने पेटीकोट पर पानी डाला तो उसका पेटीकोट उसकी गोरी जांघों से चिपक गया और मुझे उसकी गोरी जांघें दिखाई देने लगीं।
उसने गुलाबी रंग की पैंटी पहन रखी थी, जो अब साफ़ दिख रही थी और उसके दो बड़े-बड़े कूल्हे दिख रहे थे।
अब कुछ देर तक मेरा मन कर रहा था कि अपना पूरा लंड उसकी गांड में डाल दूँ। (कामुक चाची को चोदा)
अब उसका पानी से लथपथ शरीर इतना कामुक लग रहा था कि किसी का भी लंड खड़ा हो जाए।
फिर उसने मुझसे कहा कि अपनी पेंट उतारलो, यहाँ कौन देख रहा है? तो मैंने भी अपनी पैंट उतार दी।
अब मेरा 7 इंच का लंड मेरी निकर में से साफ दिख रहा था।
फिर मैंने चाची से मेरी पीठ पर साबुन लगाने को कहा, तो वो गीले कपड़ों में ही मेरी पीठ पर साबुन लगाने लगीं।
अब जैसे ही उसका मुलायम हाथ मेरे बदन पर लगा तो मेरा लंड टनटना गया।
मैंने कहा कि अच्छे से रगड़ो, तो वो अपना हाथ रगड़ने लगी और फिर पीछे से मेरी पीठ पर साबुन लगाने लगी।
अब उसके गीले और बड़े-बड़े मम्मे बारी-बारी से मेरी गीली पीठ को छू रहे थे। अब उसका ब्लाउज इतना चिपक गया था
कि मुझे उसकी चूची भी महसूस हो रही थी। अब मुझसे रहा नहीं गया, अब मेरा लंड मेरी निकर के ऊपर से निकल कर मेरी नाभि तक लम्बा हो गया था।
फिर चाची खड़ी होकर चली गईं। फिर भी मैं उठ कर अपने बेडरूम में चला गया और चाची के बारे में सोच कर मुठ मार ली।
अब में पूरा दिन चाची के बूब्स के बारे में सोचता रहता था और सोच रहा था कि चाची को कैसे चोदूँ?
तो तभी चाची ने कहा कि कल हम दोनों को मुंबई में एक रिश्तेदार के रिसेप्शन पर जाना है, तो मैं खुश हो गया।
फिर अगले दिन सुबह मुझे पता था कि मेरी चाची मुझे लेने आएंगी,
इसलिए मैंने बिना चड्डी के लुंगी पहनी और मुठ मारकर अपने लंड को पूरा टाइट रखा और लुंगी को घुटनों के ऊपर भी डाल लिया।
जब चाची मुझे उठाने आईं तो उन्होंने मेरी लुंगी में 7 इंच का तना हुआ लंड देखा, तो देखती रह गईं।
फिर थोड़ी देर के बाद उसने मेरी जाँघ पर हाथ रखकर मुझे उठाया और में सोता रहा। अब मुझे चाची के स्पर्श का बहुत आनंद आ रहा था। (कामुक चाची को चोदा)
फिर मैं उठा और नहा कर तैयार हो गया। फिर जब हम बस स्टेशन पहुंचे तो बस अभी भी खड़ी थी, लेकिन उसमें बहुत भीड़ थी।
किसी तरह हम बस में चढ़ गये, अब मेरी चाची मेरे सामने खड़ी थी और मैं उनके पीछे था। अब बस में बहुत भीड़ होने के कारण मेरा लंड चाची की गांड को छू रहा था।
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जैसे ही बस चली, एक जोरदार धक्का लगा और मेरा लंड चाची के दोनों कूल्हों के बीच में छू गया और उन्होंने वहीं अपनी जगह बना ली।
अब ब्रेक लगते ही मेरा लंड चाची की गांड पर रगड़ खाता था, शायद चाची को भी ये पता था, अब वो भी कभी-कभी पीछे धक्का लगा देती थीं।
फिर एक स्टेशन पर हमें दो लोगों की सीट पर जगह मिल गई तो हम दोनों वहीं बैठ गये,
लेकिन अब मुझे मजा नहीं आ रहा था तो मैंने दो लोगों की सीट पर थोड़ी जगह बनाई और एक बूढ़ी आंटी को बैठा दिया।
अब हम तीन लोग की सीट पर बैठे थे तो मेरा हाथ चाची के चूचों को छू रहा था। अब तो जैसे ही बस चलती तो मैं रगड़ने लगता था
मेरे कंधे, उसके बहुत मुलायम स्तन थे। अब मेरा लंड तो पूरा टाईट हो गया था, लेकिन पूरे बूब्स को छू नहीं पा रहा था।
फिर चाची ने अपना एक हाथ आगे की सीट पर रख दिया, फिर मैंने धीरे-धीरे अपना कंधा आगे लाना शुरू किया और अब जैसे ही मैं अपना कंधा आगे लाया,
तो मुझे बहुत मज़ा आ रहा था और मुलायम सा महसूस हो रहा था। अब मेरा कंधा चाची के पूरे चूचों को मसल रहा था,
अब चाची सो चुकी थी, लेकिन मुझे लग रहा था कि वो सोने का नाटक कर रही थी।
अब मुझसे रहा नहीं गया और फिर मैंने अपने हाथ को टच किया जिससे मेरा हाथ उसके बूब्स के पास आ गया।
पहले मैंने अपनी एक उंगली उनके मम्मों पर रखी और उंगली दबाई तो मुझे मखमल जैसा अहसास हुआ और फिर अपना पूरा हाथ उनके मम्मों पर रख दिया, तब मुझे पता चला कि चाची ने अंदर ब्रा भी नहीं पहनी है।
अब जब मैंने अपना हाथ उनके चूचों पर घुमाना शुरू किया तो चाची की चूची टाइट हो गई और ब्लाउज के ऊपर से दिखने लगी और मेरे हाथों को भी इसका एहसास हो रहा था, तभी मुंबई आ गया।
फिर चाची के चूचे दबा कर ही मेरी नींद खुल गई।
फिर रात को करीब 10 बजे हम रिसेप्शन खत्म करके मेरे पापा के एक दोस्त के पास गये जो एक फ्लैट में रहता है और करीब डेढ़ घंटे तक बातें करने के बाद पापा के दोस्त और उनकी पत्नी छत पर सोने चले गये,
लेकिन हमें सुबह 5 बजे बस से घर आना था इसलिए हम दोनों नीचे ही सो गये। आंटी ने नीचे दो गद्दे बिछाए थे, मैंने बरमूडा और टी-शर्ट पहना हुआ था और चाची ने साड़ी पहनी हुई थी, तो मैंने लाइट बंद कर दी। (कामुक चाची को चोदा)
फिर कुछ देर बाद चाची खड़ी हुईं और अपनी साड़ी उतारने लगीं। अब में सोने का नाटक कर रहा था,
तभी सोते समय मेरी नज़र उसके गोरे पेट पर पड़ी, क्या गोरा पेट था?
चाची रोज रात को साड़ी उतार कर सोती हैं। अब वो सिर्फ ब्लाउज और पेटीकोट में थी, अब नाईट लैम्प की रोशनी में उसके बड़े-बड़े चूचे साफ दिख रहे थे।
अब मैं चादर के अन्दर अपना लंड सहला रहा था, चाची ने चादर नहीं ओढ़ी थी।
फिर थोड़ी देर के बाद चाची ने अपना एक पैर ऊपर उठाया और मोड़ लिया तो चाची का पेटीकोट उनकी जाँघ तक आ गया, क्या गोरी और मोटी जांघ थी।
अब मेरा लंड 7 इंच का पूरा खड़ा हो गया था। अब मुझसे रहा नहीं गया तो मैंने अपना एक हाथ चाची की जांघ पर रख दिया, वाह क्या मुलायम मुलायम जांघें थीं?
फिर सबसे पहले अपनी उंगली उसकी जाँघों पर दबाने लगा, उसकी जाँघें इतनी मुलायम थीं कि मेरी उंगली अंदर घुस जाती थी। अब मैं एक हाथ से हस्तमैथुन कर रहा था और दूसरे हाथ से चाची की जांघें सहला रहा था।
अब चाची की आँखें अभी भी बंद थीं तो मेरी हिम्मत बढ़ गयी थी। फिर मैं अपना एक हाथ ऊपर ले गया, शायद उसकी चूत से थोड़ा ही दूर। अब जैसे ही मैं अपना हाथ ऊपर ले जाता था तो मुझे बहुत मजा आ रहा था।
फिर मैंने अपना एक हाथ चाची के बूब्स पर रखा और एक उंगली से दबाया। उसके स्तन बहुत मुलायम थे। अब मैं अपने पूरे हाथ से उनके मम्मों को दबाने लगा,
लेकिन बहुत हल्के से दबा रहा था ताकि चाची जाग ना जाएं।
फिर थोड़ी देर के बाद मैंने उसके ब्लाउज का बीच का बटन खोल दिया और उसमें अपनी उंगली डालकर दबाने लगा, वाह अब मेरा स्पर्श सीधे बूब्स पर हो रहा था, अब में पूरी तरह से कामुक हो गया था।
फिर मैंने उसके ब्लाउज का दूसरा बटन भी खोला और अपनी पूरी उंगली डाल दी और उसकी चूची तक पहुंच गया।
अब उसका निपल टाईट हो गया था और अब में उस पर अपनी उंगली चलाने लगा। तभी आंटी के मुँह से आवाज़ निकली, आह्ह्ह्ह सारे बटन खोलो।
अब में जोश में आ गया और सारे बटन खोल दिए और ज़ोर ज़ोर से बूब्स दबाने लगा।
अब चाची के मुँह से आवाज़ आ रही थी, ऊईईईई माँ, धीरे दबाओ। अब मैंने उसके स्तनों को चूसना शुरू कर दिया, उसके निपल्स बड़े और काले थे, अब मैंने उसके निपल्स पर अपनी जीभ फिराना शुरू कर दिया।
फिर चाची ने मेरे सारे कपड़े उतार दिए और मेरा लंड मुँह में लेकर चूसने लगीं। अब चाची ने मेरा पूरा लंड अपने मुँह में ले लिया था और सुपाड़ा चूसने लगीं।
फिर उसने अपने भी सारे कपड़े उतार दिए और मेरा लंड हाथ में लेकर अपनी चूत के पास ले गई।
अब उसकी चूत पूरी गीली हो चुकी थी और बहुत चिकनी भी। फिर चाची ने मेरा लंड पकड़ा और अपनी चूत में डाल लिया।
अब मैं ज़ोर-ज़ोर से धक्के मार रहा था और चाची कह रही थी कि बेटा ज़ोर से धक्का मारो, आह उह और ज़ोर से।
फिर शायद आधे घंटे के बाद मैंने अपना सफेद पानी उनकी चूत में छोड़ दिया और चाची को खूब मजा दिया।
तो दोस्तो, आपको मेरी यह कहानी कैसी लगी, जरूर बताएं।
अगर आपको यह कामुक चाची को चोदा कहानी पसंद आई तो हमें कमेंट बॉक्स में ज़रूर बताएं।
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