October 12, 2024
दोस्त की बहन की चुदाई

सभी को नमस्कार, मेरा नाम आशु है। मेरी उम्र 20 साल है, मेरी इस हमारी कहानी का शीर्षक दोस्त की बहन की चुदाई है। उम्मीद करता हूँ मेरी आज की हिंदी सेक्स स्टोरी आप लोगो को पसंद आएगी।

मैं अभी अपने कॉलेज के दूसरे साल में हूं। मैं पढने में अच्छा हुआ इसलिए कॉलेज में मेरा काफी नाम है और सभी मुझे पहचानते हैं। मेरी क्लास में ही एक लड़का पढ़ता है जिसका नाम सिराज है और उसकी उम्र 21 साल है।

सिराज और मेरी कोई खास जन-पहचान नहीं थी और वो पढ़ई में भी बहुत खास नहीं थी।पर एक दिन वो मेरे पास आया और

मुझसे कहने लगा – हाय आशु। मुझे तुमसे एक काम है, क्या तुम मेरी मदद कर सकते हो?

मैं- हाय, क्या हुआ? मैं तुम्हारी मदद कैसे कर सकता हूँ?

सिराज – मुझे कॉलेज से जो असाइनमेंट मिला है उसमें मुझे काफी परेशानी हो रही है।

उसे एक हफ्ते में जमा करना है और मुझे समझ नहीं आ रहा इसको मैं कैसे पूरा करूं। तुम तो इस सब्जेक्ट में अच्छे हो। क्या तुम मेरी मदद करोगे?

मैं: यार मेरे पास उतना टाइम नहीं होता लेकिन फिर भी थोड़ी बहुत मदद तो कर ही सकता हूँ।

सिराज- कॉलेज के बाद या तो तुम मेरे घर आ जाओ या मैं तुम्हारे घर आ जाऊं। जैसे तुम्हें ठीक लगे।

मैं- ठीक है, कॉलेज के बाद मैं तुम्हारे घर ही चलूंगा।

सिराज- ठीक है धन्यवाद आशु। मैं अब चलता हू, कल से हम अपना काम शुरू करते हैं।

मैं: ठीक हूं। अलविदा।

इसके बाद वो चला गया, अगले दिन मैं उसके घर पहुंचूंगा। मैंने दरवाजे की घंटी बजाई और जैसे ही दरवाजा खुला मेरे तो होश ही उड़ गए।

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मेरे सामने एक खूबसूरत लड़की खड़ी थी। उसे देख कर मेरी आँखें खुली ही रह गयीं।

मेरे मुँह से एक भी शब्द नहीं निकल रहा था। तभी उसके पीछे से सिराज की आवाज आई।

सिराज- कौन आया है? ये बोलते हुए सिराज उस लड़की के आगे आया और बोला – तुम आ गए।

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मैं कब से तुम्हारा इंतज़ार कर रहा हूँ। और आ जाओ. फिर वो हमें औरत की तरफ देख कर मुझसे बोला –

इनसे मिलो ये है मेरी दीदी रिज़वाना। और दीदी ये है आशु जिसके बारे में मैंने आपको बताया था।

रिज़वाना – हाय आशु.

मैं- हाय.रिज़वाना – तुम लोग बैठो मैं तुम लोगों के लिए नास्ता लाती हूँ।

सिराज- ठीक है दीदी, आशु तुम भी यहीं बैठो मैं अपनी नोटबुक ले कर आता हूं।

इसके बाद सिराज नोटबुक लेन अंदर चला गया और उसकी बहन किचन में चली गई।

पर मेरा पूरा ध्यान रिज़वाना पर ही था।उसकी उम्र लगभाग 25-26 साल होगी, उसने उस वक्त सूट पहन राखी थी।

उसकी सदी हो चुकी थी पर उसका सारा बदन कसा हुआ और परफेक्ट था। उसके स्तन लगभाग 34-35 के होंगे।

उसका रंग एकदम गोरा था और साड़ी में से उसका नवल चमक रहा था। उसे देख कर मुझे ऐसा लगा कि मेरा यहां आकर सिराज को पढ़ना सार्थक हुआ। मैं पहली ही नजर में उसकी बहन की चुदाई का मूड बना चूका था।

थोरी देर में सिराज भी आ गया और हम असाइनमेंट बनाने लगे। पर मेरा ध्यान हर कुछ देर में रिज़वाना पर चला ही जाता था।

फिर मेरा सिराज के घर रोज का आना जाना होने लगा। कभी- कभी वो मेरे घर भी आता था पर मुझे उसके यहाँ ही जाना पसंद था क्योंकि वहाँ रिज़वाना थी।

धीरे-धीरे हम अच्छे दोस्त बन गए। सिराज ने मुझे बताया कि ये घर उसकी बहन और उनके पति का ही है। वो यहाँ सिर्फ़ पढाई के लिए रहता है।

उसके जीजा विदेश में नौकरी करते हैं और साल भर में 1-2 बार ही घर आते जाते हैं।पर मैं तो अब रोज ही उसके घर जाता था।

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असाइनमेंट ख़तम होने के बाद भी मैं रिज़वाना से मिलने के लिए किसी ना किसी बहाने उसके घर पहुँच ही जाता था।

अब मैं रिज़वाना से भी खुलकर बात करता था। मैं रिज़वाना के पास जाने और उसे छूने का कोई मौका नहीं छोड़ता था।

रिज़वाना भी अकेली ही थी और वो भी हमारे साथ बैठ कर बाते कर लेती थी, हम काफी मस्ती करते थे। पर मेरे दिल में रिज़वाना को अपना बनाने की चाहत थी।

मुझे जल्दी ही एक मौका मिल गया। सिराज को किसी काम से एक हफ्ते के लिए अपने घर जाना था तो उसने मुझसे कहा कि उसकी बहन घर पर अकेली ही होगी इसलिए मैं उसका ध्यान रखूं।

ये सुन कर मैं बहुत खुश हुआ और उसने कहा कि मैं उसकी बहन को पूरा ख्याल रखूंगा। अब मुझे उसकी बहन की चुदाई करने का पूरा मौका मिलेगा।

मैं ये मौका अपने हाथ से जाने नहीं देना चाहता था।कब तक मैं रिज़वाना को देख कर और उसे छू कर आहे भरता।

अब मौका था कि मैं पूरी तरह उसे अपना बना लू और उसका अकेलापन दूर कर के अपनी प्यास बुझा लू।अगले दिन मैं उसके घर गया। उस दिन भी उसने सूट ही पहन ली थी।

उसने मुझे बैठने को कहा और मेरे लिए चाय बनाने चली गई। पर आज मैं चाय नहीं पीने आया बल्कि अपना रस पिलाने के मूड से आया था।आज तो वो मुझे और भी हॉट लग रही थी।

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मैं भी उसके पीछे किचन में चला गया। मुझे किचन में देख कर वो थोड़ी सी हिचकी।

रिज़वाना – तुम यहाँ क्या कर रहे हो।

मैं- बस तुम्हें चाय बनाते हुए देख रहा हूं।

रिज़वाना- चाय में क्या खास है जो तुम इसे देखने आए हो।

मैं- खास चाय में नहीं तुम में है।

रिज़वाना (मेरी तरफ हेरानी से देखते हुए) – मुझमें?

मैं- हा तुममें, तुम्हें पता नहीं तुम कितनी खूबसूरत हो। जो भी तुम्हें देखे बस तुम्हारा दीवाना हो जाए।

रिज़वाना- ये कैसी बहकी-बहकी बातें… अभी वो अपनी बात पूरी करती है उसके पहले ही मैंने उसे अपने बाहो में कस कर पकड़ लिया।

मैं उसके होठों को चूमने लगा। उसके मखमली होठों को चूमते हुए मुझे जन्नत का एहसास हो रहा था।

मैं 2 मिनट तक उसका होठ चुमता रहा फिर उसने मुझे धक्का दे कर खुद से अलग किया। वो किचन से निकल कर अपने कमरे में चली गई और मैं भी उसके पीछे चला गया।

रिज़वाना- ये कैसी हरकत है, मैं सादी-सुदा हू। और तुम्हारी ऐसी हिम्मत कैसे हुई?

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मैं- तुम्हारे पति को तुम्हारी कदर होती तो वो तुम्हें यहाँ छोड़ कर नहीं जाता। मैं तो तुमसे प्यार करता हूँ। जब से तुम्हें देखा है बस तुम्हारे ही ख्यालो में रहता हूँ।

बस एक बार तुम मुझे अपना बनने का मौका दो फिर तुम्हें अपने पति की याद कभी नहीं आएगी।

रिज़वाना- तुम मेरे भाई के दोस्त हो। ऐसा सोच भी कैसे सकते हो।

मैं- रिज़वाना मेरे लिए तुम ही सब कुछ हो और मैं बस तुम्हें अपना बनाना चाहता हूं।

इतना कह के मैंने उसका हाथ पकड़ा और उसे अपनी तरफ खींच लिया। एक बार फिर वो मेरी बाहो में थी और मैं फिर से उसके होठों को चूमने लगा।

उसके होठों को चूमने के साथ मैंने एक हाथ उसके बूब्स पर रखा और उसे जोर-जोर से दबाने लगा। थोरी देर तक तो वो मुझसे छूटने की कोशिश कर रही थी फिर वो भी धीरे-धीरे मेरा साथ देने लगी।

उसकी शादी के बाद भी प्यासी चूत काफी दिन से चूड़ी नहीं थी, फिर मैंने कुछ देर के बाद उसे छोड़ दिया।

रूम में कुछ देर तक सन्नाटा रहा फिर उसने मुझे अपनी बाहों में जकड़ लिया और मेरे होठों को चूमने लगी।

थोरी देर के बाद हम अलग हुए। मैंने उसके कपड़े उतार दिए और उसे बिस्टर पे लिटा दिया।

मैं उसके ऊपर चढ़ गया और उसके होंठ और गले को चूमने लगा। मेरे दोनों हाथ उसके बूब्स पे थे जिन्हे मैं जोर से दबा रहा था।

अब वो पूरी तरह गरम हो गई थी। मैं चूमते हुए उसके चुचो तक आया और फिर उसके बड़े-बड़े चुचो को चूसने लगा। वो आअह्ह्ह्ह आआह्ह्ह की आवाज कर रही थी।

फ़िर मैंने अपने कपड़े उतारे। मेरा 7.5 इंच का लंड पूरा तरह खड़ा था। और सिराज की बहन की चुदाई के पुरे मूड में आ चूका था।

मैंने रिज़वाना को उठा के बैठाया और अपना लंड उसके मुँह में डाल दिया।वो मेरे लंड को बहुत अच्छे से चूस रही थी।

मैं अपना लंड उसके मुँह में अंदर बाहर करने लगा। थोरी देर में मैंने अपना पानी उसके मुँह में छोड़ दिया।मैंने बिस्टर पे फिर से लिटा दिया और उसकी चिकनी चूत को चाटने लगा।

फ़िर मैंने अपनी जीभ उसकी चूत में डाल दी। इसे वो बहुत गरम हो गई, फिर मैंने अपनी एक उंगली उसकी चूत में डाल दी और उसे अन्दर बाहर करने लगा।

धीरे-धीरे एक की जगह दो और फिर दो की जगह तीन उंगली डाल कर अंदर बाहर करने लगा। वो बहुत ज्यादा मचल रही थी और उसकी आआह्ह्ह आआह्ह्ह्ह यीईस्स्स्स्स ऊओह्ह्ह उईईई कि आवाज बहुत तेज हो गई।

रिज़वाना- अब और मत तड़पा आशु। अपने लंड से चोद कर मेरी प्यास बुझा और मुझे अपना बना ले।

ये सुन कर मेरा जोश और बढ़ गया। मेरा लंड फिर से खड़ा था और मैंने बिना देर किये अपना लंड उसकी चूत पे रखा फिर एक जोरदार धक्का लगाया और मेरा पूरा लंड उसकी चूत में चला गया।

उसके मुँह से बड़ी जोर की आह्ह्ह की आवाज आई। मुझे ऐसा लगा जैसे मैं जन्नत में आ गया हूं। मैं उसके ऊपर आ गया और पहले उसके होठों को चूमा फिर उसके चुचो को चूमने लगा।

साथ ही मैं उसे जोर-जोर से चोद रहा था।थोरी देर तक उसे ऐसे ही चोदने के बाद मैंने उसे घोड़ी बनाया और उसके पीछे आकर अपना लंड उसके चूत में डाल दिया।

मैंने झुक कर उसके दोनों स्तनों को अपने हाथों से पकड़ा और उसके गले को चूमने लगा।

अब मैंने चोदने की रफ़्तार और तेज़ कर दी। पूरे कमरे में हम दोनों की आवाजें गूंज रही थीं। आआआअह्हह्हह येस्स्स्स येआआअह्हह्हह आआआह्हह्हह रिज़वाना आआअह्हह्हह। और जोर से चोद आशु आआअह्हह्हह यीआआआआह्हह्ह ऊऊऊह्हह्हह यीईस्स्स्स्स।

इसी तरह मैं उसे चोदता रहा फिर हम दोनों एक जोर की आआआह्ह्ह्ह कि आवाज करते हुए एक साथ झड़ गए।

मैंने अपना पूरा पानी उसकी चूत में छोड़ दिया। और इस तरह मैंने उसकी प्यासी चूत की आग बुझाई। फिर हम दोनों बिस्टर पे लेट गए और लंबी-लंबी सांसें लेने लगे।

मैं लेते हुए यही सोच रहा था कि कैसे अपने दोस्त की एक छोटी सी मदद ने मुझे मेरी जिंदगी की सबसे बड़ी खुशी दे दी और आखिर में आशु को उसकी रिज़वाना मिल ही गई।

यही सोचते-सोचते कब मेरी आंख लग गई मुझे पता ही नहीं चला और मैं रिज़वाना के जिस्म से लिपट के सो गया।

दोस्तों आपको ये हिंदी देसी चुदाई कहानी कैसी लगी कमेंट कर के जरूर बताएं। मुझे आपके जवाब का इंतजार रहेगा

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