November 24, 2024
बैंक के चपरासी से चुदाई

मेरा नाम सुधा है। मैं दिल्ली की रहने वाली हूं। उम्र 32 साल है, ये मेरी पहली हिंदी सेक्स कहानी है जिसमे मैंने अपने बैंक के चपरासी से चुदाई करवाई। मेरी शादी को 9 साल हो गए, पर अभी तक मैं मां नहीं बनीं।

मेरे पति का सेक्स टाइम ज्यादा अच्छा नहीं हैं। 2-3 मिनट में ही उनका लंड थिला हो जाता है, और मैं तड़प कर रह जाती हूं।

मेरा फिगर अभी भी एक कुंवारी लड़की के जैसा है 34-32-36। मैं दिखने में भी बहुत सुंदर हूं, और मेरा शरीर भी बहुत गोरा है। अब कहानी पर आती हूँ।

मैं एक बैंक में मैनेजर हूं। मेरे पति भी मैनेजर हैं, लेकिन वो किसी प्राइवेट कम्पनी में है। हम दोनों सुबह घर से अपने-अपने काम को निकलते हैं, और देर शाम ही घर आते हैं।

मेरे बैंक में बहुत से लोग मुझे खा जाने वाली नजरों से देखते रहते हैं। मुझसे बात करने का मौका देखते रहते हैं। पर मैं ज्यादा किसी से बात नहीं करती थी।

एक दिन बैंक में सबसे ज्यादा काम होने के कारण मैं घर जाने को लेट हो गयी थी।

बैंक में मैं और चपरासी (दिलीप) ही रह गए थे। मैं अपने काम में व्यस्त थी। जब मैं पूरा काम करके फ्री हुई तो देखा कि दिलीप कहीं नजर नहीं आ रहा है। मैं दिलीप को हर जगह देखने लगी, पर वो किसी जगह नहीं मिला।

फिर मैं लेडिज टॉयलेट की तरफ चली गयी, और दरवाजा खोला तो देख कर हैरान रह गयी। दिलीप फोन में पोर्न फिल्म देख रहा था, और अपना लंड हिला रहा था।

वो इतना मदहोश था की उसे पता भी नहीं चल रहा था की कोई उसे देख रहा है। दिलीप का लंड मेरे पति के लंड से लम्बा और मोटा था।

मेरी नज़र भी उसके लंड से हट नहीं रही थी, और मैं तो एक टक दिलीप के हिलते हुए लंड को निहार रही थी।

मुझे यह भी याद नहीं कि मैं कहाँ थी, और एक पराये मर्द के लंड को ऐसे देख रही थी। मैं अपने आप को संभालती, उससे पहले ही दिलीप मेरे पास आ गया, और लंड को मेरे हाथ में रख दिया।

मेरा हाथ पकड़कर वो लंड को हिलाने लगा। मेरे मुँह से कुछ बोला ही नहीं जा रहा था।

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दिलीप ने फिर मुझसे बोला: मैम मुझे पता है कि आपको बच्चे नहीं हो रहे हैं। आपके पति आपको खुश नहीं कर पाते है।

आप बच्चे के लिए बहुत परेशान रहती हो। दिलीप बात तो ठीक बोल रहा था, पर मुझे ऐसा करना अच्छा नहीं लग रहा था।

मैं एक-दम से बाहर गयी। दिलीप भी मेरे पीछे आ गया।वो मुझे बोला: मेरी बात गलत लगी हो तो मुझे माफ करना।

मैंने कुछ नहीं बोली। फिर दिलीप बोला: मैम एक काम कर दोगी मेरा?

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मैंने हां में सर हिला दिया। उसने फिर से मेरा हाथ पकड़कर लंड पर लगा दिया, और हिलने लगा।

कुछ देर बाद ही मेरा हाथ लंड को पकड़ कर हिलाने लगा।

दिलीप लाइट-हल्की सिसकियां लेते हुए बोला: मैम आपके हाथ में तो जादू है। कितने समय बाद आज मेरा लंड इतना खड़ा हो गया।

फिर कुछ देर बाद दिलीप के लंड ने पानी की एक धार छोड़ दी। कुछ पानी मेरा हाथ भी गिर गया।

मैं लंड को छोड़ कर अपना हाथ साफ करने लगी, तो दिलीप बोला-

दिलीप: मैम मेरे पानी को चख कर तो एक बार देख लो।

मैं कुछ नहीं बोली और वाशरूम में चली गयी। हाथ साफ करने से पहले मैंने दिलीप के लंड का थोड़ा सा पानी चाट लिया।

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फिर हाथ धो कर बाहर आ गयी। दिलीप मुझसे पकड़ कर बोला: मैम यह बात किसी को मत बताना। नहीं तो मेरी नौकरी चली गई।

मैं दिलीप के सिर पर हाथ फेर कर बैंक से बाहर निकल गयी। और घर चली गयी लेकिन नहाते समय मुझे दिलीप का लंड ही याद आ रही थी।

फिर मैंने दिलीप के लंड को ही याद करके सो गयी। अगले दिन मैं बैंक में बिना पैंटी पहने चली गयी।

जब बैंक खुला तो दिलीप कोई काम नहीं कर रहा था। मैं उसे एक स्माइल देते हुए उसकी तरफ देखी। दिलीप भी मुझे देख कर स्माइल दे दिया।

फिर मैं अपने केबिन में आ गयी, और दिलीप मेरे लिए पानी लेकर आ गया। दिलीप मुझसे फिर से माफ़ी मांगने लगा। मैंने उसे माफ़ किया,

और बोली-मैं: दिलीप तेरे लंड में तो जादू है। और पेंट के ऊपर से ही लंड को मैंने पकड़ लिया।

दिलीप शांत हो कर खड़ा हो गया। फिर दरवाजे पर किसी के आने की आहट हुई,‌ और मैं अपनी सीट पर आ गयी।

दिलीप भी सामने आ गया। मुझे तो दिलीप के लंड की याद आ रही थी। काम में भी दिल नहीं लग रहा था।

शाम 4:30 बजे तक सारा स्टाफ घर चला गया। दिलीप मेरे केबिन में आ गया। मेरे पास आ कर मेरे कुर्शी के पास नीचे बैठ गया, और मेरी टांगो को हिलाने लगा।

मैंने दिलीप को बोला: क्या कर रहे हो नीचे बैठ कर?

दिलीप बोला: मैम कल आपने मेरा लंड देखा था। आज मुझे भी अपनी चूत के दर्शन करवा दो।

मैं: दिलीप नहीं, ये मैं नहीं कर सकती।

दिलीप: मैम बस मुझे थोड़ा सा देखना है, कुछ नहीं करुंगा मैं।

और बकाया दिलीप ने मेरी सलवार का नाडा खोल दिया।

मैंने दिलीप को बोला: कोई आ गया तो हम दोनों को परेशानी हो जयेंगे।

दिलीप ने मेरी कुर्सी को पीछे कर दिया, और खुद की मेज के अंदर चला गया। फिर कुर्सी को अपनी तरफ खींच लिया।

वो मुझसे बोला: अब नीचे कोई नहीं देख सकता कि क्या हो रहा है।

दिलीप ने मेरी सलवार नीचे कर दी, और मेरी गोरी चूत दिलीप के सामने आ गई। दिलीप ने जैसे ही मेरी चूत पर मुंह लगाया, मेरी तो आह निकल गयी।

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मेरा एक हाथ दिलीप के सर को सहलाने लगा। दिलीप मेरी चूत में जीभ डाल कर चाटने लगा। मेरे चूत के दान को उंगली से हिलाये जा रहा था।

आज तक मेरे पति ने भी मेरी चूत नहीं चाटी थी। दिलीप मेरी चूत को अच्छे से चाट रहा था, और अब मैं गर्म हो गयी थी।

मैंने अपनी टांगो को पूरा खोल दिया, और दिलीप ने मेरी चूत में उंगली डाल दी। फिर मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया। दिलीप मेरी चूत से निकले पानी को चाट कर पीने लगा।

पूरा पानी पीने के बाद दिलीप बाहर आ गए। मैं वैसे ही बैठी रही। फिर दिलीप ने केबिन से बाहर बैंक में देखा कोई नहीं था।

तो दिलीप ने बैंक को अंदर से बंद कर दिया, और मेरे पास आ कर दिलीप ने अपने कपड़े निकाले। वो लंड को मेरे मुँह के पास लेकर खड़ा हो गया।

मैंने भी अपना मुँह खोल दिया, और दिलीप ने लंड मेरे मुँह में डाल दिया। मैं उसके लंड के साथ खेलने लगी। दिलीप मेरा सर पकड़ कर लंड मुंह में अंदर तक पहुंचा दिया।

काफी देर तक मैं दिलीप का लंड चूसती रही। फिर मैं भी पूरी तरह से नंगी हो गई। दिलीप मेरे चुचो को मसलने लगा। फिर दिलीप ने मेरी टाँगों को खोल कर मेरी चूत के मुँह पर लंड फसा दिया।

दिलीप ने अपने मूंह मेरे मूंह पर रख दिए, और लंड का एक झटका मारा। उसका लंड मेरी चूत के अन्दर चला गया। मैं तड़प उठा, पर दिलीप अब कहाँ रुकने वाला था।

उसने मेरी चूत को चोदना चालू रखा। चूत में पूरा लंड डाल कर दिलीप बोला: मैम आपकी चूत तो बहुत टाईट है।

आज कल साहब नहीं चोदते हैं क्या।

मैं बोली: चोदते होते तो कब की मैं माँ बनती।

दिलीप बोला: मैम, अब मैं हूं ना, मैं आपको अपने बच्चे की मां बनाऊंगा।

दिलीप मेरी चुदाई करते हुए मुझे किस करते हुए बोल रहा था।

फिर मैं भी दिलीप को बोली: मुझे अपने बच्चे की माँ बना दो।

दिलीप ने अब मेरी टांगों को ऊपर उठा लिया, और जोर-जोर से मेरी चुदाई करने लगा।

मैं एक बार फिर से झाड़ गयी थी, पर दिलीप मेरी चूत की चुदाई करता रहा। कुछ देर बाद दिलीप ने भी मेरी चूत में अपने लंड का पानी छोड़ दिया।

दिलीप मेरे ऊपर ही लेट गया। फिर कुछ देर बाद हम दोनों अलग हो गए। मैं वाशरूम में गयी और फ्रेश हो कर बाहर गयी। दिलीप वैसे ही नंगा लेटा था।

मैं बाहर आ कर दिलीप को बोलता हूं: दिलीप अब उठ जाओ, और बैंक बंद करके घर जाओ।

दिलीप खड़ा हो गया। फिर मैंने दिलीप के लंड पर किस किया, और बैंक से बाहर निकला।

अब यह काम हम दोनों का रोज का हो गया। जब भी समय मिले हम दोनों चुदाई का मजा लेने लगे।

कुछ महीने बाद मैं गर्भवती हो गई। मेरे पेट के अंदर दिलीप का बच्चा था। मैं बहुत खुश हो गयी।

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