हमारी आज की हिंदी सेक्स कहानी जिसका शीर्षक है “चोरी के आरोप से बचने के के लिए पूरी रात थाने में चुदाई करवाई” में मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि इस कहानी को पढ़ने के बाद आप अपना लंड हिलाने से नहीं रोक पाएंगे चलिए शुरू करते हैं आज की देसी सेक्स कहानी।
कहानी का पहला भाग ;
चोरी के आरोप से बचने के के लिए पूरी रात थाने में चुदाई करवाई भाग-1
दो लोग हैं, कितनी देर लगेगी, और अगर बाहर खड़ा तीसरा सिपाही भी आ जाए, तो अधिकतम एक घंटा, जो यहां मुझे देख रहा है, लेकिन एक घंटे में मैं फ्री होकर जाऊंगी और घर चली जाऊंगी।
तो पढ़िए आगे की सेक्स कहानी।
यही सोच कर मैंने हवलदार को आवाज दी- अरे सिपाही, सुनो!
वह मेरे पास आया, उसके चेहरे पर कुटिल मुस्कान थी।
मैंने कहा- देखो मुझे किसी भी कीमत पर घर जाना है, तुम जो चाहो मैं करने को तैयार हूँ, लेकिन मुझे यहाँ से निकलना है, अपने घर जाना है।
उसने कहा- कोई बात नहीं, सुबह चले जाना।
मैंने कहा- नहीं मुझे अभी जाना होगा!
इतना कह कर मैंने अपना दुपट्टा उतार कर साइड में रख दिया। अब मेरे शरीर पर केवल मेरी एक लैगिंग और टी-शर्ट थी,
जिसे मैं आमतौर पर रात को पहन कर सोती थी। ब्रा पैंटी भी नहीं थी, क्योंकि मेरा घर पर सोने का मूड था तो मैं सिर्फ नाइट ड्रेस में थी।
हवलदार तुरंत इंस्पेक्टर के पास गया और उसके कान में फुसफुसाया। इंस्पेक्टर भी उठ खड़ा हुआ, मेरे पास आया और सलाखें पकड़ कर बोला- बाहर जाकर किसी को बताओगी नहीं,
तुम्हारे सारे रिकार्ड हमारे पास हैं, बाहर कुछ भी फुसफुसाया तो फिर अन्दर और इससे भी बड़ी जेल। फिर दया की कोई अपील नहीं है।
मैंने कहा- मुझे पता है, मैं तैयार हूँ! (थाने में चुदाई करवाई)
ये कहते हुए मैं अपनी लेगिंग भी उतारने लगी और लेगिंग उतार कर ज़मीन पर लेट गयी।
इसीलिए इंस्पेक्टर जी बोला-अरे रामचरण, तुम पागल हो क्या, क्या मेम साहब फर्श पर लेटेंगी, जाकर गद्दा बिछाओ।
हवलदार भाग गया और गद्दा उठा लाया; जब उसने उसे बिछाया तो मैं उसके ऊपर लेट गया।
फिर इंस्पेक्टर ने कहा-जाओ संतरी से कह दो कि आ जाए, किसी को अन्दर न आने दे, बाद में उसे बुला लिया जाएगा।
कहने को तो कच्चे मांस की हंडिया भरी हुई है। अपना चम्मच तैयार रखो, जब बुलाओ तब खाने आ जाना।
हवलदार गया और इंस्पेक्टर ने अपनी पैंट और कच्छा उतार दिया, फिर अपनी शर्ट भी उतार दी, बिल्कुल नंगा होकर मेरी टांगों के बीच आ गया।
उसका लंड अभी पूरा खड़ा नहीं हुआ था, आधा खड़ा हो गया था। मैं अपनी टांगें खोलकर कोहनियों के बल लेटी हुई थी जैसे उसने अपना लंड मेरी चूत में डाला हो और फिर अपना पानी गिरा कर चला गया हो।
इतने में वह दूसरा सार्जेंट भी आ गया; आते ही उसने अपनी वर्दी भी उतार दी और पूरा नंगा हो गया।
फिर हवलदार ने मेरी टी-शर्ट भी उतार दी, तीनों नंगे हो गये, तो मैं लेट गया।
दोनों ठुल्लों के चेहरे पर विजयी मुस्कान थी। इंस्पेक्टर ने मेरे स्तनों को थोड़ा दबाया, फिर हवलदार ने मेरे पेट और झांटों को सहलाया,
फिर इंस्पेक्टर ने अपना लंड मेरी चूत पर रखा और धक्का दिया। उसके लंड का ढीला टोपा मेरी सूखी चूत में घुस गया।
इंस्पेक्टर ने मेरी दोनों टाँगें अपने कंधों पर रख लीं और मुझे धीरे-धीरे चोदने लगा।
हवलदार ने अपना लंड मेरे होंठों पर रख दिया तो मैंने उसका लंड अपने मुँह में ले लिया। तो इंस्पेक्टर खीजा- अरे चूतिये, ये क्या किया?
हवलदार बोला- क्या हुआ सर?
इंस्पेक्टर बोला- अरे, इसके मुँह में तो दे ही दिया है, मैंने तो सोचा था कि बड़ी मुश्किल से कोई औरत हमारे चंगुल में आई है, पहले थोड़ा अपने होंठ चुसवाओ, तूने तो उससे अपना चुसवा कर सब गुड़ गोबर कर दिया।
हवलदार ने अपना लंड मेरे मुँह से निकाल लिया। (थाने में चुदाई करवाई)
इंस्पेक्टर फिर बोला- अब फ़ायदा उठाने से क्या फ़ायदा, अब तो चुसवा लो!
हवलदार ने फिर अपना लंड मेरे मुँह में डाल दिया और मैंने फिर उसे चूसा। मैं उसके सख्त लंड को एक हाथ में पकड़ कर चूस रही थी, लेकिन इंस्पेक्टर का लंड पूरा अकड़ नहीं रहा था। यह थोड़ा नरम था, लेकिन अच्छा चल रहा था।
3-4 मिनट की चुदाई के बाद मुझे भी मजा आने लगा, मेरी चूत भी अपना पानी छोड़ने लगी। मैं भीग गयी तो इंस्पेक्टर का लौड़ा फ़च फ़च करने लगा।
शायद इससे उसे कुछ और मजा मिला, अब तो उसका लंड भी पूरा खड़ा होगया था।
वैसे तो यह एक सामान्य 6 इंच का लंड था, लेकिन सिर्फ इसलिए कि यह किसी दूसरे आदमी का लंड था, मुझे इससे एक अजीब सा रोमांच और राहत मिल रही थी।
5 मिनट की चुदाई के बाद मैं स्खलित हो गयी। मैं थोड़ा ज्यादा स्खलित हो जाती हूं और मेरे शरीर में ऐंठन होने लगती है।
मेरे गिरते ही इंस्पेक्टर बहुत खुश हुआ- अरे राम चरण, ये शहरी मेम तो बड़ी आग पर थी, देख 5 मिनट में पानी गिरा दिया।
हवलदार ने भी खुशामद की- सज्जन के उत्साह के सामने टिक न सकी।
मैंने कहा- अरे नहीं, मेरा टाइम तो इतना ही है, 5 मिनट में मेरा हो जाता है। अब देखता हूँ तुम दोनों में कितना दम है, कितनी बार और मेरा पानी गिराते हो।
मेरी बात सुनकर इंस्पेक्टर को जोश आ गया और उसने ज़ोर-ज़ोर से धक्के मारते ही अगले 2 मिनट में अपना लंड मेरी चूत से बाहर निकाला और हाथ से मुठ मारकर अपना सारा वीर्य मेरे पेट पर छिड़क दिया।
मैंने कहा- बस इंस्पेक्टर जी, इतना दम था क्या?
तभी हवलदार बोला- रुको ससुर की पोती, मैं अभी तुम्हारी सांसें खींच देता हूं।
कह कर उसने अपना लंड मेरी चूत पर रखा और अन्दर डाल दिया।
हवलदार का लंड इंस्पेक्टर के लंड से बड़ा और मजबूत था और उसमें जान भी ज्यादा थी। सार्जेंट ने मेरे लिए एक अच्छी ट्रेन बनाई।
उसकी जबरदस्त चुदाई ने मुझे मदहोश कर दिया। मैंने उसे कस कर अपने सीने से लगा लिया और साफ़ कह दिया- रामचरण, यार मज़ा आ गया। तुम कमाल हो।
रामचरण के गाल लाल हो गये।
तभी उसने मेरे होठों को चूम लिया, अब उसने अपना लंड चूस लिया था तो उसे मेरे होठों को चूसने में कोई दिक्कत नहीं हुई।
हमें उलझन में पड़ता देख इंस्पेक्टरजी ऐसे बाहर चले गये, जैसे जल गये हों।
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मैंने रामचरण की पीठ पर हाथ फेरते हुए पूछा- रामचरण, दोस्त, क्या अब तुम मुझे छोड़ दोगे, अब मैंने तुम्हें स्वीकार कर लिया है, अब मुझ पर कोई दोष नहीं है।
रामचरण बोला- अरे मैडम, गलती तो पहले भी आपकी नहीं थी।
उस दुकान में ही एक लड़के ने जानबूझकर फोन आपके पर्स में रख दिया ताकि अगर वह दुकान से निकले तो बाद में आपसे फोन ले ले। (थाने में चुदाई करवाई)
लेकिन आप फंस गये और वह चला गया। हमने सीसीटीवी फुटेज देखा था।
मैंने कहा- तो फिर मुझे पकड़ क्यों रहे हो?
वो बोला- अरे सच बताओ मैडम, हम तो पहले से ही आप पर बुरी नियत रखे बैठे थे, बस आपको इस काम के लिए रोक दिया।
मैंने कहा- और अगर मैं नहीं मानती तो?
उसने कहा- तो शिकायत आपसे थी, मैं आपको सुबह साहब के आने तक रोक लेता।
मैंने पूछा- तो सर, क्या आप सुबह आने वाले हैं?
वो मुझ पर गुस्सा होते हुए बोला- हां सर, इस वक्त वो घर पर ही सो रहे हैं।
मैंने कहा- तुम लोग सच में बड़े हरामी हो!
वो हंसा और फिर बोला- हा हा हा मैडम, अगर हम हरामजादे न होती तो क्या आप जैसी खूबसूरत औरत को चोदने को मिलता?
मैं भी उसके कमीनेपन पर हंसी और उसकी पीठ थपथपाई। उसके बाद, उसने मुझे बहुत जोर से दबाया, ऐसा कि मेरी चीख निकल गई।
यह बहुत मजबूत पट्टा था। उसकी चुदाई में मैं 3 बार झड़ी।
उसके जाने के बाद बाहर से संतरी आया, परन्तु वह तो इंस्पेक्टर से भी बुरा निकला; बस 2 मिनट में ही अपना पानी गिरा कर वो चला गया।
लेकिन मेरे तन और मन में अभी भी प्यास थी। मैं पिछले तीन दिनों से यही चाह रही हूँ। मैंने उसे वहीं ले जाकर पुकारा- रामचरण!
मेरी आवाज में एक अधिकार था, एक उत्साह था मानो मैं इस पुलिस चौकी का कोई अधिकारी हूं।
रामचरण अभी भी केवल कच्छा और बनियान पहने हुए भाग गया।
“जी महोदया?” वह मेरे पास आये और पूछा। (थाने में चुदाई करवाई)
मैंने उसकी तरफ नशीली आंखों से देखा और अपनी चूत पर हाथ फेरते हुए पूछा- यार, अभी मेरा मन नहीं भरा, एक बार और आओगे क्या?
वो बोला- मैडम, मेरा मन तो अभी भी नहीं भरा है, लेकिन अभी हमने गर्म दूध और जलेबी का ऑर्डर दिया है, चलो पहले खा लेते हैं। फिर एक और राउंड खेलें।
मैंने कहा- लेकिन सुनो, मुझे यह निकम्मा इंस्पेक्टर और वह कुतिया संतरी नहीं चाहिए, तुम बस आ जाओ।
वो बहुत खुश हुआ और बोला- अरे चिंता मत करो मैडम, ये दोनों एक ही ग्राहक हैं। अब तो मैं ही आऊंगा।
थोड़ी देर में एक लड़का गरम दूध और जलेबियों से भरा जग लेकर आया। जब वह मुझे दूध-जलेबी देने हवालात में आया तो एक क्षण तक मुझे घूरता रहा; 18-19 साल का एक जवान लड़का।
मैंने उसे देखा, अब मैं नंगी बैठी थी, उसकी तरफ देखा, भौंहें ऊपर उठाईं और पूछा- कुछ चाहिए क्या?
वह बेचारा दूध-जलेबी वहीं रखकर भाग गया।
मैं मिठाइयों की शौकीन हूं, गर्म दूध में डाल कर खूब जलेबी खाई; मज़ा आ गया। वैसे भी मैंने रात का खाना नहीं खाया था इसलिए मुझे भूख लग रही थी।
उसके बाद रामचरण आया और बोला- चलो महोदया।
मैंने कहा- कहाँ?
उसने कहा- मेरे साथ!
मैं उठ कर उसके साथ चली गयी। यह बहुत अजीब बात थी कि जिस चौकी पर पहले मैं डर कर बैठी थी, अब उसी चौकी को मैं गर्व से चुद रही थी और वह भी पूरी तरह नग्न होकर।
मेरे कपड़े मेरे हाथ में थे, मुझे खुद को ढकने, छिपने की कोई जरूरत महसूस नहीं हुई।
हवालात के बगल में एक और कमरा था। इस कमरे में एक कूलर पंखा, एक टेबल कुर्सी और एक दीवान सब लगा हुआ था।
रामचरण ने कहा- यह हमारे साहब का कमरा है। (थाने में चुदाई करवाई)
मैंने पूछा- तो क्या अब सर भी आ जायेंगे?
वो बोला- अरे नहीं मैडम, सर सुबह आएंगे, अभी हम दोनों ही हैं।
वह फिर खिलखिला कर हँसा और मैंने आगे बढ़ कर उसे गले लगा लिया और उसकी घनी मूंछों के नीचे छुपे उसके होंठों को चूम लिया।
जैसे ही मैंने उसे चूमा, उसने मुझे फिर से अपनी बाहों में ले लिया और बिस्तर पर धक्का दे दिया; मुझे बिस्तर पर लिटाने के बाद वो खुद भी मेरे ऊपर लेट गया।
उसका तना हुआ लंड मुझे अपने पेट पर महसूस हो रहा था। मुझे लिटा कर उसने अपनी बनियान और कच्छा दोनों उतार दिये।
अब मैंने पूरी रोशनी में देखा, उसका 7 इंच का काला लंड बहुत शानदार था। मैंने अपनी टांगें खोलीं और दोनों हाथों से उसे आने का इशारा किया और उसने झट से आकर मुझे अपनी बांहों में भर लिया।
अगले 30 मिनट में उसने मेरी जबरदस्त चुदाई से मुझे कई बार झटका दिया और जब झड़ा तो मेरा पूरा पेट गंदा कर दिया। लेकिन मुझे इससे कोई परेशानी नहीं हुई। मैं बिल्कुल खाली था। अब मुझमें कुछ भी नहीं बचा था।
उसके बाद हम दोनों ने कपड़े पहने और फिर रामचरण खुद मुझे पुलिस की गाड़ी में घर छोड़ गया। जब मैं घर पहुँचा तो रात के 2 बज चुके थे।
पूनम भी बच्चे को सुला कर सो चुकी थी। मैं भी संभलते ही बिस्तर पर गिर पड़ी।
अब जो भी होगा सुबह देखा जाएगा।
दोस्तों, थाने में चुदाई करवाई की ये चुदाई की कहानी पढ़कर आपको कैसी लगी आप कमेंट बॉक्स में जरूर बताए।
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